tag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post1046444493436966197..comments2024-02-20T15:42:35.518+05:30Comments on चला बिहारी ब्लॉगर बनने: तीन दशक और वह, जो शेष है!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttp://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comBlogger71125tag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-36439678880169008632012-10-08T14:34:44.534+05:302012-10-08T14:34:44.534+05:30कविता यदि आत्मा पर चोट न करे तो कवि की रचना सार्थक...कविता यदि आत्मा पर चोट न करे तो कवि की रचना सार्थक नहीं.<br />इस ब्लॉग की सीख |<br />राजेश जी को उनके कविता संग्रह के लिए हार्दिक बधाई |<br /><br />सादरAkash Mishrahttps://www.blogger.com/profile/00550689302666626580noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-68680930814123874232012-04-21T12:06:15.095+05:302012-04-21T12:06:15.095+05:30सार्थक समीक्षा!
सादर!सार्थक समीक्षा!<br />सादर!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-47699496399711602412012-04-19T20:00:47.393+05:302012-04-19T20:00:47.393+05:30राजेश उत्साही जी को पढ़ते रहते हैं ....आपकी समीक्ष...राजेश उत्साही जी को पढ़ते रहते हैं ....आपकी समीक्षा से और अच्छे से जाना ...<br />आप दोनों को शुभकामनायें ...Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-27498646298345330372012-04-19T10:41:10.267+05:302012-04-19T10:41:10.267+05:30अच्छी समीक्षा की
शुभकामनाएंअच्छी समीक्षा की<br />शुभकामनाएंsmhttp://realityviews.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-44711740734290959622012-04-18T01:06:13.737+05:302012-04-18T01:06:13.737+05:30अच्छी समीक्षाअच्छी समीक्षाnandittahttps://www.blogger.com/profile/17018653044408274986noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-46733506312278364962012-04-18T00:08:27.850+05:302012-04-18T00:08:27.850+05:30आज तो सलिल भाई का ब्लॉग मनमोहन देसाई की फ़िलिम सा ...आज तो सलिल भाई का ब्लॉग मनमोहन देसाई की फ़िलिम सा लग रिया है, कुंभ का मेला - दो भाई - एक भाई गुरू श्रेणी - दूसरा भाई शिष्य - क्या बात है:)<br />समीक्षा बहुत ईमानदार लगी और राजेश जी की इस पर प्रतिक्रिया भी। कविताओं की संख्या पर यूँ तो आप लोग कह ही चुके हैं लेकिन अपने को एक विज्ञालन की पंचलाईन याद आ गई - quality, & not the quantity counts. सार्थक कुछ है तो मात्रा कितनी भी अल्प क्यूँ न हो, स्वीकार्य भी है और शिरोधार्य भी।<br />एक बार फ़िर से बधाई राजेश जी को, साधुवाद अरुण जी को और आपको तो आभार खैर क्या देना? आप तो क्रैडिटर बने रहें हमारे, हमेशा..। आमीन भी खुदै बोल देते हैं:)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-47603737578787433442012-04-17T22:36:48.305+05:302012-04-17T22:36:48.305+05:30पुस्तक तो नहीं पढ़ी, मनोज कुमार जी का पुस्तक परिचय...पुस्तक तो नहीं पढ़ी, मनोज कुमार जी का पुस्तक परिचय के अन्तर्गत और आपका संक्षिप्त एवं मौलिक मूल्यांकन पढ़कर पुस्तक पढ़ने की जिज्ञासा जग गयी है। आपलोगों के हाथ में पुस्तक देखकर मन ललचा रहा है।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-78324116873537752402012-04-16T22:59:50.487+05:302012-04-16T22:59:50.487+05:30जी जरूर ...
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार ...जी जरूर ...<br /><br /><br /><a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/04/blog-post_16.html" rel="nofollow">इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - चुनिन्दा पोस्टें है जनाब ... दावा है बदहजमी के शिकार नहीं होंगे आप - ब्लॉग बुलेटिन <br /></a>शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-2308944688644313082012-04-16T17:25:09.984+05:302012-04-16T17:25:09.984+05:30“वह, जो शेष है! के प्रकाशन पर सर्वप्रथम तो उत्साह...“वह, जो शेष है! के प्रकाशन पर सर्वप्रथम तो उत्साही जी को बहुत-बहुत बधाई आपका बहुत आभार जो पुस्तक की इतनी अच्छी समीक्षा की ...शुभकामनाएंसदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-24070960822286897402012-04-16T15:50:37.677+05:302012-04-16T15:50:37.677+05:30कबाड़खाना और जनपक्ष के अशोक कुमार पाण्डेय जी ने भ...कबाड़खाना और जनपक्ष के अशोक कुमार पाण्डेय जी ने भी बताया था कि उन्होंने पुस्तक मेले से मेरा संग्रह क्रय किया है। मैंने उनसे आग्रह किया था कि वे भी उस पर अपनी प्रतिक्रिया लिखें। लिखने का वादा तो किया है।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-69903773845397604912012-04-16T15:08:47.879+05:302012-04-16T15:08:47.879+05:30सर्वप्रथम तो राजेश उत्साही जी के इस प्रथम काव्य सं...सर्वप्रथम तो राजेश उत्साही जी के इस प्रथम काव्य संकलन पर ढेरों बधाइयाँ और शुभकामनाएँ ! श्री राजेश जी को जितना मैंने अल्प समय में जाना है, कहना चाहूँगा कि वो जब भी किसी कविता अथवा कुछ भी पढ़ते हैं तो बगैर किसी लार-लगाव और चापलूसी के ईमानदारी से अपनी प्रतिक्रिया देते हैं और उनकी प्रतिक्रियाओं में ही उनकी बहुमुखी प्रतिभा से भी रूबरू होने को मिल जाता है. राजेश जी रचनाओं का वो रुख़ पढ़ लेते हैं तो अक्सर बड़े से बड़ा आलोचक भी नहीं पढ़ और देख पाता है. अपनी बात को वो तार्किक रूप से रखते हैं.ब्लॉग जगत में लेखन को सशक्त अभिव्यक्ति को सही मायनो में सही दिशा और गति श्री राजेश जी ने ही दी है. गंभीर चिंतन, सशक्त सहज अभिव्यक्ति और अन्यान्य लेखकों को तरजीह देते हुवे व्यक्तिगत विचारों को कभी अपने साहित्यिक लेखन अथवा आलोचना में आड़े नहीं आने देते. कर्म और ईमानदारी- सबसे बड़ी ताक़त है राजेश जी की कलम की. वो जितना सख्त लगते हैं असल में उतने ही सहज, सरल और स्नेहिल हैं.<br />उनका काव्य संग्रह भले ही प्रथम हो और पर वो स्वयं में एक सम्पूर्ण महाकाव्य है, जैसा कि श्री सलिल जी की समीक्षा से ज्ञात हो रहा है. राजेश जी ने अपना कवि परिचय स्वयं अपनी पंक्तियों दे में दिया है-<br />इसलिए पढ़ो/कि कवि/ स्वयं भी एक कविता है/ बशर्ते कि तुम्हें पढ़ना आता है!<br />हाँ, सच है ये, ये स्वयं एक गर्भधारण से लेकर प्रसव तक की साक्षात् कविता है, बशर्ते हम पढ़ पायें.<br />हालाँकि भौतिक रूप से इनका काव्य संग्रह पढ़ने का अभी तक सौभाग्य नहीं मिल पाया है पर आशा है जल्द ही मिलेगा.<br />श्री सलिल जी ने राजेश जी के स्वभावानुसार ही सहल, सरल और ईमानदारी से समीक्षा लिखी है, जो राजेश जी की कविताओं का बहुआयामी दृश्य उपस्थित कर जिज्ञासित कर रही है.<br />ज्योतिपर्ब प्रकाशन और राजेश जी को पुनः बधाई ! श्री सलिल जी का इस मुक़म्मल समीक्षा हेतु साधुवाद !!Narendra Vyashttps://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-11152385461960926212012-04-16T14:54:55.347+05:302012-04-16T14:54:55.347+05:30उत्साही जी को नियमित पढ़ती हूँ................आपके...उत्साही जी को नियमित पढ़ती हूँ................आपके नज़रिए से उन्हें देखना भला लगा....<br /><br />आपका बहुत शुक्रिया.<br />अनंत शुभकामनाए आपको एवं राजेश जी को.ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-873851712424696952012-04-16T11:30:36.806+05:302012-04-16T11:30:36.806+05:30यार दोस्त (अली सर) अपने गुण बताते ही नहीं हम जैसे ...यार दोस्त (अली सर) अपने गुण बताते ही नहीं हम जैसे मंदबुद्धि जाने तो कैसे जाने सलिल भाई !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-35970190596984864472012-04-16T10:16:20.139+05:302012-04-16T10:16:20.139+05:30ek achhe aur sachhe kavi ke kriti ko jitne sundar ...ek achhe aur sachhe kavi ke kriti ko jitne sundar tarike se apne samiksha ki hai.......o' swadhya ke <br />liye prerit karte hain.......jiske liye apka abhar..<br /><br />hardik subhkamnayen shradhai 'uttsahiji' ko.......<br /><br />tippaniyon ke madhyam se 'sundar sapnewale' ali sa<br />dwara rochak sanjog se avgat karane ke liye sukriya..<br /><br />@ राजेश उत्साही से बात करने पर पता चला है कि अरुण चन्द्र राय के परिवार ने इस पुस्तक को छापने का कोई पारिश्रमिक उनसे नहीं लिया है ! एक नए प्रकाशक द्वारा इस तरह के कदम , अस्वाभाविक लगते हैं !<br /><br />roy'ji.....bahut bahut dhanyawad.......<br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-21533000891169536032012-04-16T08:54:42.045+05:302012-04-16T08:54:42.045+05:30राजेश उत्साही जी से मुलाकात हुई और एक प्रति भी प्र...राजेश उत्साही जी से मुलाकात हुई और एक प्रति भी प्राप्त हुई, अभी तो पढ़ ही रहे हैं, बहुत सारी कविताएँ पढ़ने और समझने के लिये लेखक की लेखनी में जाना पड़ता है, इसलिये हमें तो साहित्यिक किताबें पढ़ने में समय ज्यादा लगता है, क्योंकि रस तो तभी आयेगा, जब लेखक की लिखी हुई एक एक शब्द और पंक्ति अंतरतम तक जाये। सलिल भाई आपकी प्रतिक्रिया पढ़ने के बाद तो ऐसा लग रहा है कि हाँ हम बिल्कुल सही तरह से किताब पढ़ रहे हैं।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-87369507242709673282012-04-16T08:38:50.334+05:302012-04-16T08:38:50.334+05:30@ जबकि राजेश उत्साही को आगे लाने का श्रेय सिर्फ औ...@ जबकि राजेश उत्साही को आगे लाने का श्रेय सिर्फ और सिर्फ उन्हें ही जाता है !<br /><br />कई उत्साही ब्लोगर लेखक के मंतव्य पर बिना ध्यान दिए, समझे, प्रतिक्रिया दे जाते हैं उन्हें बताने के लिए स्पष्ट कर रहा हूँ कि राजेश उत्साही जैसे प्रतिष्ठित लेखकों को, प्रकाश में आने के लिए किसी प्रकाशक की आवश्यकता नहीं है , मगर बेहतरीन लेखकों को भी एक प्रकाशक की आवश्यकता पड़ती है जिससे उनकी रचनाएं आम आदमी तक पंहुच सकें !<br />और प्रकाशक अगर अरुण चन्द्र राय जैसा साहित्यकार हो तो बात ही क्या ...मेरे गीत !http://satish-saxena.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-70515335158738309472012-04-16T08:36:06.885+05:302012-04-16T08:36:06.885+05:30@ जबकि राजेश उत्साही को आगे लाने का श्रेय सिर्फ औ...<b>@ जबकि राजेश उत्साही को आगे लाने का श्रेय सिर्फ और सिर्फ उन्हें ही जाता है !<br /><br />कई उत्साही ब्लोगर लेखक के मंतव्य पर बिना ध्यान दिए, समझे, प्रतिक्रिया दे जाते हैं उन्हें बताने के लिए स्पष्ट कर रहा हूँ कि राजेश उत्साही जैसे प्रतिष्ठित लेखकों को, प्रकाश में आने के लिए किसी प्रकाशक की आवश्यकता नहीं है , मगर बेहतरीन लेखकों को भी एक प्रकाशक की आवश्यकता पड़ती है जिससे उनकी रचनाएं आम आदमी तक पंहुच सकें !<br /><br />और प्रकाशक अगर अरुण चन्द्र राय जैसा साहित्यकार हो तो बात ही क्या ...</b>Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-86548668703551154782012-04-16T07:54:12.175+05:302012-04-16T07:54:12.175+05:30हाँ मुझे लगता है कि अरुण चन्द्र रॉय को कम स्थान मि...<b>हाँ मुझे लगता है कि अरुण चन्द्र रॉय को कम स्थान मिला है यहाँ जबकि राजेश उत्साही को आगे लाने का श्रेय सिर्फ और सिर्फ उन्हें ही जाता है !<br /><br />राजेश उत्साही से बात करने पर पता चला है कि अरुण चन्द्र राय के परिवार ने इस पुस्तक को छापने का कोई पारिश्रमिक उनसे नहीं लिया है ! एक नए प्रकाशक द्वारा इस तरह के कदम , अस्वाभाविक लगते हैं !<br /><br />अरुण चन्द्र राय और ज्योति राय को बधाई और धन्यवाद ! <br /> </b>Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-23685779518152456612012-04-16T07:47:12.350+05:302012-04-16T07:47:12.350+05:30इस पोस्ट पर आये कुछ कमेन्ट संकलित करने लायक हैं, ज...<b><br />इस पोस्ट पर आये कुछ कमेन्ट संकलित करने लायक हैं, जहाँ ब्लॉग जगत में अक्सर लोग, लेख बिना ध्यान से पढ़े, कमेन्ट देने के अभ्यस्त हैं वहां विस्तृत कमेन्ट देखना सुखद है ! <br /><br />राजेश उत्साही जैसी कलम को उचित सम्मान मिलना ही चाहिए ,इस बारे में सलिल द्वारा विस्तार से लिखना बहुत प्रभावित कर गया...!<br /><br />बेहतरीन प्रतिक्रियाओं युक्त यह पोस्ट संकलन के लायक है !</b>Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-91394728524847886772012-04-16T07:21:15.042+05:302012-04-16T07:21:15.042+05:30आपकी गहन समीक्षा द्वारा राजेश जी की कविताओं को जान...आपकी गहन समीक्षा द्वारा राजेश जी की कविताओं को जाना ...<br />आभार !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-33603277831555565622012-04-15T21:04:22.961+05:302012-04-15T21:04:22.961+05:30चलिए आज ब्लॉग लेखन सार्थक हुआ... लोगों को फेसबुक य...चलिए आज ब्लॉग लेखन सार्थक हुआ... लोगों को फेसबुक या ऑरकुट पर बिछड़े मित्र/परिचित मिलते हुए देखे हैं, लेकिन दो अलग-अलग ब्लॉग लेखक एक तीसरे ब्लॉग पर इस तरह मिल जाएँ और एक नया रिश्ता जुड जाए या शुरू हो जाए!! पता नहीं इसे मैं क्या कहूँ.. कमाल के संजोग होते रहे हैं इस ब्लॉग पर!!<br />:)))चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-90564107483773558532012-04-15T20:56:59.697+05:302012-04-15T20:56:59.697+05:30तनिक स्पष्ट करें कि आप कहना क्या चाहते हैं!!! क्यो...तनिक स्पष्ट करें कि आप कहना क्या चाहते हैं!!! क्योंकि उसके बाद ही आपसे कुछ कहना उचित होगा!! बाकी तो जो कहा जा रहा है उसमें कवि, समीक्षक और इस पोस्ट के पाठक की प्रतिक्रियाएं सबके समक्ष प्रत्यक्ष हैं!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-73274846177819173012012-04-15T20:48:17.007+05:302012-04-15T20:48:17.007+05:30बहुत सुन्दर और संतुलित समीक्षा!
राजेश जी की कविताओ...बहुत सुन्दर और संतुलित समीक्षा!<br />राजेश जी की कविताओं को पढता रहा हूँ, छोकरा मेरी प्रिय कविताओं में से रही है।<br />देवेन्द्र जी की बात से भी सहमत हूँ।Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-53874762202023651242012-04-15T20:47:46.522+05:302012-04-15T20:47:46.522+05:30राजेश जी ,
पुराने दिन और साथी किसे भूलते हैं भला !...राजेश जी ,<br />पुराने दिन और साथी किसे भूलते हैं भला ! वहां अब भी मेरे साथ के अनेक लोग हैं और बहुत से मेरी तरह विदा ले चुके ! पहले साल में एक बार चला ही जाया करता था ! अब ये सिलसिला भी टूट गया है !<br />आपसे इस तरह से परिचय होगा सोचा ना था ! आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं ! समय समय पर आपसे चर्चा होती रहेगी !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-56633768020118863702012-04-15T20:16:31.056+05:302012-04-15T20:16:31.056+05:30अली जी, माफ करें आपका यह रूप तो मुझे पता ही नहीं थ...अली जी, माफ करें आपका यह रूप तो मुझे पता ही नहीं था। आप तो मेरे गुरु जैसे हुए। मेरे ब्लाग यायावरी पर ताजा पोस्ट में आपको दो ऐसे चेहरे दिखाई देंगे,जिन्हें शायद आप जानते ही होंगे। इनमें एक हैं इतिहास के प्रोफेसर डॉ.सुरेश मिश्र और दूसरे श्याम बोहरे जो सागर विश्वविद्यालय में उन दिनों लोकप्रशासन विषय के एकमात्र व्याख्याता थे। एमए मैंने समाजशास्त्र में किया है। और यह पहला बैच था विश्वविद्यालय से बाहर। मेरे शिक्षक थे डॉ.परिहार। उनसे भी आपका परिचय रहा ही होगा।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.com