tag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post1735737057623624460..comments2024-02-20T15:42:35.518+05:30Comments on चला बिहारी ब्लॉगर बनने: अ ट्रेन फ्रॉम मुम्बईचला बिहारी ब्लॉगर बननेhttp://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-9399516021645567372016-10-16T16:08:53.816+05:302016-10-16T16:08:53.816+05:30सच्चे..
मददगार..
और ..
ईमानदार..
आज दियासलाई लेकर
...सच्चे..<br />मददगार..<br />और ..<br />ईमानदार..<br />आज दियासलाई लेकर<br />ढूँढो तब भी नही न मिलते<br />यों कहें तो तीनों की किस्मत<br />के सितारे बुलन्द थे<br />बाँध कर रखने वाली कथा<br />सादरyashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-46923464328623777662016-10-06T10:25:26.505+05:302016-10-06T10:25:26.505+05:30Main Lucknow rehne lagi hoon aajkal..bade Wale Kan...Main Lucknow rehne lagi hoon aajkal..bade Wale Kanha ka ek Chhota bhai hai ab....shayad bataya tha....to bas....uljhi bandhi si life par badhiya hai.....<br /><br />Main kabhi aati nahin to ye mat samsjhna main yaad nahin Karti....Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-58719165656372272892016-09-30T21:43:31.629+05:302016-09-30T21:43:31.629+05:30ये सवाल तो मुझे पूछना चाहिए था तुमसे! तीन महीने हो...ये सवाल तो मुझे पूछना चाहिए था तुमसे! तीन महीने हो गए मुझे दिल्ली आए! ज़िंदा हूँ!!<br />:)चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-2703445864026370022016-09-30T15:55:47.902+05:302016-09-30T15:55:47.902+05:30kaise ho dadu........kaise ho dadu........Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-48614139034731450992016-09-28T20:11:23.690+05:302016-09-28T20:11:23.690+05:30न जाने कैसे यह पोस्ट मुझ से छूटे जा रही थी ... बेज...न जाने कैसे यह पोस्ट मुझ से छूटे जा रही थी ... बेजुबान की दास्तां को आप ने अपने शब्द दे कर उसे और भी सजीव कर दिया।<br /><br />आप की यही बात मुझे सब से ज्यादा प्रभावित करती है कि आप अपने अनुभवों को इस प्रकार साँझा करते हैं कि लगता है मानो कोई फ़िल्म सी चल रही हो। आप के लेखन के माध्यम से आप के अंदर के कलाकार और निर्देशक से कई बार मिला हूँ।<br /><br />शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-8238105741456695302016-09-27T22:04:25.353+05:302016-09-27T22:04:25.353+05:30मर्म को स्पर्श करने वाला संस्मरण ।
पढ़ने के बाद शून...मर्म को स्पर्श करने वाला संस्मरण ।<br />पढ़ने के बाद शून्य में निहारती रही आँँखें ।<br />दुख के काले बादलों के छँँटने के बाद धूप की सुखद किरणें निकल ही आती हैं ।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-67103026365578575702016-09-25T15:56:20.980+05:302016-09-25T15:56:20.980+05:30कहाँ से कहाँ ले जाता है लोहे का घर! लड़की की माँ भी...कहाँ से कहाँ ले जाता है लोहे का घर! लड़की की माँ भी चढ़ जाटी उही ट्रेन में और पहुँच जाती बिटिया के पास तो कितना अच्छा होता. कहानी होती तो बात बन जाती मगर ई तो हकीकत है. :(देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-54963622527861294142016-09-23T22:31:45.214+05:302016-09-23T22:31:45.214+05:30जिंदगी कब किसको कहाँ ले जाती है,पता नहीं चलता.भावप...जिंदगी कब किसको कहाँ ले जाती है,पता नहीं चलता.भावपूर्ण कहानी.राजीव कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/01325529492703038666noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-38023496985226118102016-09-23T22:09:42.839+05:302016-09-23T22:09:42.839+05:30बहुत संवेदनशील ... आखिर कार अंत अच्छा हो जाये तो स...बहुत संवेदनशील ... आखिर कार अंत अच्छा हो जाये तो सब कुछ ठीक हो जाता है ...मंजिल मिलना ही ठीक सफ़र की निशानी भी है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-85241672764142258582016-09-23T18:35:42.775+05:302016-09-23T18:35:42.775+05:30सबकी उसको फ़िकर है। ..तू बस अपना कर्म किये चलता चलसबकी उसको फ़िकर है। ..तू बस अपना कर्म किये चलता चलArchana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-21337901908105975442016-09-22T11:16:12.564+05:302016-09-22T11:16:12.564+05:30ज़िन्दगी की रेलगाड़ी उस लड़की को आखिर मंजिल तक ले ही ...ज़िन्दगी की रेलगाड़ी उस लड़की को आखिर मंजिल तक ले ही गयी ... पहले तो लगा कि आज सलिल जी ये रिपोर्ट क्यों पढ़ा रहे हैं ज्यों ज्यों पढ़ती गयी एक भावनात्मक जुड़ाव महसूस हुआ .संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-78232305720588917842016-09-22T11:15:30.085+05:302016-09-22T11:15:30.085+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-40282278208893187362016-09-21T03:21:03.860+05:302016-09-21T03:21:03.860+05:30बहुत बढ़िया प्रस्तुतीकरण . आँखों देखा हाल सुनाने म...बहुत बढ़िया प्रस्तुतीकरण . आँखों देखा हाल सुनाने में भी बोधगम्य बनाने केलिये अपने मन से कुछ-कुछ जोड़ना पड़ता है.इस घटना में बड़ी सहज औj संभाव्य कल्पना का सहारा लेने से वांछित प्रभाव ही उत्पन्न हुआ है .लेखक के अपने मानों से जुड़ बिना लेखन रिपोर्ट मात्र रह जाता.. जितनी आश्वस्ति सलिल ने पाई होगी इतनी ही इस दुखद परिस्थिति की मानवीय परिणति से पाठक को भी मिलती है. पहले तो मैं डर ही गई थी कि हे भगवान्, अब इस लड़की का क्या होगा . <br />प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-49933561143903314572016-09-20T15:12:52.844+05:302016-09-20T15:12:52.844+05:30कभी मेरी एक पोस्ट पर टिप्पणी में आपने जिस गूँगे-बह...कभी मेरी एक पोस्ट पर टिप्पणी में आपने जिस गूँगे-बहरे व्यक्ति का जिक्र किया था तो वो इस कहानी का प्रमुख पात्र है अब <br />समझी ! बहुत दिल से लिखते है आप सलिल भाई हर पोस्ट दिल को छू लेती है ! पुष्पक कमल हसन की एक मूवी देखी थी बिना संवाद के कुछ ऐसा ही लगा बिना संवाद की घटना कहे या कहानी पढ़कर, मुझे तो कहानी कहना अधिक बेहतर लग रहा है, <br />स्पीचलेस !Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-13507131241496063082016-09-20T13:23:57.064+05:302016-09-20T13:23:57.064+05:30सच कहा ! इंसानियत को न तो किसी नाम की, न ही किसी ज़...सच कहा ! इंसानियत को न तो किसी नाम की, न ही किसी ज़बान की आवश्यकता होती है, वो तो सिर्फ़ अपने जज़्बे से ही बयाँ हो जाती है!<br />इस घटना का सुखान्त पढ़कर बहुत अच्छा लगा वरना आजकल दुनिया में जो घटित हो रहा है, उसके लिए तो वैसे ही शब्द नहीं मिलते...<br />मर्मस्पर्शी रचना !<br /><br />~सादर <br />अनिता ललित Anita Lalit (अनिता ललित ) https://www.blogger.com/profile/01035920064342894452noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-39879488999637071222016-09-20T12:01:58.823+05:302016-09-20T12:01:58.823+05:30अंत भला सब भला
जिसका कोई नहीं उसको ऊपर वाला कहीं ...अंत भला सब भला <br />जिसका कोई नहीं उसको ऊपर वाला कहीं न कहीं से कोई सहारा दे ही देता है ..<br /><br />मर्मस्पर्शी प्रस्तुति ..कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-26837933789186615302016-09-20T10:06:47.313+05:302016-09-20T10:06:47.313+05:30मुझे तो लगा किसी फिल्म की कहानी है, जहाँ बरसों पहल...मुझे तो लगा किसी फिल्म की कहानी है, जहाँ बरसों पहले बिछड़े आखिर में मिल जायेंगे..Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-2299284994464841962016-09-20T00:13:46.549+05:302016-09-20T00:13:46.549+05:30आपने एक अलग शैली में जिस तरह घटना को बड़े सुनियोजि...आपने एक अलग शैली में जिस तरह घटना को बड़े सुनियोजित तरीके से प्रस्तुत किया है कि यह घटना नही एक सुन्दर और क्रमबद्ध तरीके से लिखी गई कहानी लग रही है .राहें कभी कभी अनजाने ही मंजिल तक पहुँचा देतीं हैं .किसी फिल्म की कहानी जैसा यह प्रसंग सचमुच बहुत सुन्दर लगा . मुझे यहाँ "सार सार को गहि रहै थोथा देइ उड़ाइ वाला दोहा याद आ रहा है ." गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-91789981606090854122016-09-19T23:46:32.298+05:302016-09-19T23:46:32.298+05:30ज़िन्दगी की रेलगाड़ी कभी छूट जाती है, कभी किसी अनजान...ज़िन्दगी की रेलगाड़ी कभी छूट जाती है, कभी किसी अनजानी जगह पर किस्मत ले जाती है, और कोई अपना मिल जाता है ... बात दिल की है, मूक हो या बधिर - क्या फर्क पड़ता है रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-23825194200498224742016-09-19T22:32:26.006+05:302016-09-19T22:32:26.006+05:30जिंदगी अबूझ पहेली है। जाने इस जीवन में आदमी क्या-क...जिंदगी अबूझ पहेली है। जाने इस जीवन में आदमी क्या-क्या देखता है और यह जिंदगी आदमी को कितनी अंधी,काली गुहाओं से भटकाती हुई कभी-कभी कुछ रोशनी दिखा देती है। यह रोशनी ही आपकी इस पोस्ट से एक बेसहारा लड़की को मिली। आपका वर्णन हमेशा की तरह भावनाओं से ओत-प्रोत है।मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-14613661868246611122016-09-19T21:32:28.637+05:302016-09-19T21:32:28.637+05:30क्या कहें चचा...एक साँस में पूरा पढ़ गए इसे...और अं...क्या कहें चचा...एक साँस में पूरा पढ़ गए इसे...और अंत भला तो सब भला मान कर कहें तो मन को शान्ति भी मिली...।<br />पर ऐसा क्यों होता है कि बिना रक्त बंधन या सामाजिक मान्यता प्राप्त रिश्ते (शादी) के बग़ैर एक घर में रहने वाले लड़के-लड़की<br />को बिना कोई पाप किए भी समाज को जवाब देना पड़ता है...?<br />मुसीबत में साथ देने समाज शायद ही आता हो, पर जवाब माँगने तुरंत आ जाता है...। प्रियंका गुप्ता https://www.blogger.com/profile/10273874634914180450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-57624219227363091452016-09-19T21:19:32.247+05:302016-09-19T21:19:32.247+05:30सदा की तरह क्या लिखा है, सलिल भाई! एक कहानी में कई...सदा की तरह क्या लिखा है, सलिल भाई! एक कहानी में कई कहानियाँ गुँथी हुई दिख रही हैं. कृष्ण चंदर की 'पेशावर एक्सप्रेस' और खुशवंत सिंह की 'ट्रेन टू पाकिस्तान' की याद दिलाती हुई...साथ ही मंटो छाप ग़दर का ख़ाका भी, तमाम इंसानी सरोकारों के बीच!...एकदम लाजवाब!! <br /> SKThttps://www.blogger.com/profile/10729740101109115803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-13248169710970689942016-09-19T19:53:05.284+05:302016-09-19T19:53:05.284+05:30सच दादा...आपने कितना कुछ देखा है..
बुरा भी लगा...अ...सच दादा...आपने कितना कुछ देखा है..<br />बुरा भी लगा...अच्छा भी....सच्ची मन भर आया!!<br /><br />सादर<br />अनु ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.com