tag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post4575995317562439617..comments2024-02-20T15:42:35.518+05:30Comments on चला बिहारी ब्लॉगर बनने: जवाब मत दीजिए - मुँह भी बंद मत कीजिएचला बिहारी ब्लॉगर बननेhttp://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-27624981861368098632012-10-07T23:42:55.159+05:302012-10-07T23:42:55.159+05:30बहुत छोटी बात है लेकिन गौर कीजियेगा -
बचपन में मैं...बहुत छोटी बात है लेकिन गौर कीजियेगा -<br />बचपन में मैं पूछता था कि वहाँ उस अँधेरी बंद कोठरी में क्या है , मुझे जवाब दिया जाता था , वहाँ मत जाना , वहाँ 'झोली वाले बाबा' रहते हैं |<br />मैंने वहीँ से डरना शुरू कर दिया , किसी इंसान से नहीं , एक नाम से |<br />जबकि स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है कि निर्भय बनो , भय ही व्यक्ति का सबसे बड़ा पाप है |<br /><br />सादर Akash Mishrahttps://www.blogger.com/profile/00550689302666626580noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-62733724755401666812012-02-11T22:39:54.419+05:302012-02-11T22:39:54.419+05:30ओशो के बचपन की बात से सार्थक निष्कर्ष निकालती अच्छ...ओशो के बचपन की बात से सार्थक निष्कर्ष निकालती अच्छी पोस्ट ... सच है कि बहुत बार बच्चों के पूछे प्रश्नों के जवाब नहीं सूझते ...पर इस पर क्रोध करने के बजाए स्वीकार कर लेना चाहिए कि नहीं मालूम ॥संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-46765551487909054572010-06-25T18:04:26.335+05:302010-06-25T18:04:26.335+05:30krodh hamesha kamjoree kee nishanee hota hai.........krodh hamesha kamjoree kee nishanee hota hai.......<br />aisa mera manna hai.....<br />post acchee lagee.Apanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-41925886100980965542010-06-17T23:10:07.934+05:302010-06-17T23:10:07.934+05:30@मनोज भारती जी...
आपके उद्गार के लिए धन्यवाद!! हम ...@मनोज भारती जी...<br />आपके उद्गार के लिए धन्यवाद!! हम जब जब आत्मा से कोई बात कहना चाहते हैं त हमरे अंदर से ओशोवाणी फूट पड़ता है...लगता है कि ऊ हमरे अंदर से बोल रहे हैं... इसलिए उनका कोई भी दृष्टांत देकर हमको सर्मिंदगी महसूस हो, ई हो ही नहीं सकता... एक बात मन को कचोट रहा था...इसलिए लगातार दुसरे दिन ई पोस्ट लिखना पड़ा... समय देखिए, रात भर जगने के बाद भोर में ई पोस्ट लगाए हैं हम…यह पोस्ट जिसके लिए लिखा गया था, उनसे क्षमा मांगे थे हम कि हमरे बात से आहत न हों... उनको पता भी नहीं चला, इसलिए फोन से समझाना पड़ा... <br />पुनः आपका धन्यवाद!! और क्षमा, मेरी टिप्पणी के लिए!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-55405465839408016792010-06-17T22:49:35.666+05:302010-06-17T22:49:35.666+05:30ओशो के स्वर्णिम बचपन से दृष्टांत लेने के लिए आपका ...ओशो के स्वर्णिम बचपन से दृष्टांत लेने के लिए आपका आभार...और उससे भी अधिक आपको इस बात के लिए साधुवाद की आपने ओशो को पढ़ने और समझने तथा जीवन के मूल प्रश्नों की ओर लौटने का साहस दिखाया । ओशो की बातों में द्वंद्व नहीं है ... न ही कोई विरोधाभास है...हाँ जो ओशो को न समझने और जीवन के वास्तविक तथ्यों को देखने से बचना चाहते हैं और जीवन को उथला-उथला जीते हैं, वे जरूर उनमें विरोधाभास सेखते हैं ...जीवन प्रतिपल बदल रहा है ...अगर हमने यह मान लिया कि जीवन आज जैसा है,वैसा ही कल भी रहे...तो जीवन में विरोधाभास घटित होगा ...। <br /><br />फिर जब आपने पोस्ट लिख ही दिया और उसको ब्ला़ग पर चस्का दिया ...फिर स्वयं पहली टिप्पणी के रूप में खेद क्यों व्यक्त कर रहें हैं ???मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-1450816037825792382010-06-17T21:57:24.790+05:302010-06-17T21:57:24.790+05:30नई विचारोत्तेजक बात।नई विचारोत्तेजक बात।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-4607332374934533552010-06-17T17:38:34.023+05:302010-06-17T17:38:34.023+05:30यह बहुत बढ़िया रही, बिना अपराध बड़ों को गरियाने की...यह बहुत बढ़िया रही, बिना अपराध बड़ों को गरियाने की सजा क्या होनी चाहिए ये और बताय दो गुरूजी ! अब भेज दें १३ का पहाडा याद करने को ? वह कमेंट्स /प्रश्न मुझे मेल करें जिसके लिए तीन चार दिन से नाराज बैठे हो !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-30516824069962398082010-06-17T15:21:10.582+05:302010-06-17T15:21:10.582+05:30"खैर हमरा बिचार में त सवाल जवाब से सम्बाद बनत..."खैर हमरा बिचार में त सवाल जवाब से सम्बाद बनता है और सम्बाद से संबंध."<br /><br />वाह...हम आपकी बात से सौ प्रतिशत सहमत हूँ...आप ओशो पढ़ते हैं जान बहुता ही हर्ष हुआ क्यूँ के हम भी उन्हें पढ़ें हैं आँख बंद करके फालो नहीं किये लेकिन उनकी बात से हमेशा प्रभावित हुए हैं...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-43699917147526569652010-06-17T14:26:28.816+05:302010-06-17T14:26:28.816+05:30shandaar lekh aur ek dil ko chhune wali ghatna ke ...shandaar lekh aur ek dil ko chhune wali ghatna ke baare me batane ke liye badhai......:)मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-16436102725896377232010-06-17T12:03:21.550+05:302010-06-17T12:03:21.550+05:30बहुत बढ़िया द्रष्टान्त और एक शानदार लेख के लिए शुभ...बहुत बढ़िया द्रष्टान्त और एक शानदार लेख के लिए शुभकामनायें भाई जी !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-76108041549093291252010-06-17T09:41:40.513+05:302010-06-17T09:41:40.513+05:30बहुत सुन्दर!...पढ़ कर पाउलो फ्रेरे की ('पेडागोज...बहुत सुन्दर!...पढ़ कर पाउलो फ्रेरे की ('पेडागोजी ऑफ़ द ओप्रेसेड') याद आ गयी... वह भी 'मौन की संस्कृति' को तोड़ने की बात करता है ओर संवाद पर जोर देता है।SKThttps://www.blogger.com/profile/10729740101109115803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-14124981285615821922010-06-17T07:11:51.720+05:302010-06-17T07:11:51.720+05:30ओशो का बचपन ...मैंने भी पढ़ा है. रोचक और शानदार कि...ओशो का बचपन ...मैंने भी पढ़ा है. रोचक और शानदार किताब है. कहीं-कहीं मैं भ्रमित भी हुआ ऐसा प्रतीत हुआ कि अपनी ही कही बात को आगे जाकर उलट दिए हैं..! अभी दुबारा पढ़ने का मन है..किताब है मेरे पास.<br />आपने खूसूरत उदहारण दे कर बात समझाने का प्रयास किया है.<br />बच्चों के प्रश्न का उत्तर देना ही चाहिए मगर प्रश्न इतने सच्चे होते हैं कि हम आडम्बरी लोग सही जवाब दे ही नहीं पाते..बस क्रोध ही कर के रह जाते हैं.<br />..उम्दा पोस्ट के लिए बधाई.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-63085557038324728252010-06-17T03:20:36.179+05:302010-06-17T03:20:36.179+05:30अगर हमरा ई पोस्ट से किसी का भावना आहत हुआ है त हम ...अगर हमरा ई पोस्ट से किसी का भावना आहत हुआ है त हम उसके लिए क्षमा प्रार्थी हैं... इसमें लिखा हुआ हर बात हमरे मन का भावना है अऊर इसका उद्देश्य किसी को ठेस पहुँचाना कतई नहीं है. लेकिन सवाल है त जवाब भी होगा... ई न तो यक्ष प्रस्न है, न बेताल का प्रस्न है...चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.com