रविवार, 10 जुलाई 2011

बीमार से मिलने कोइ बीमार तो आए!!


भगवान ना करे, मगर कभी बीमार पड़े हैं आप लोग? आप कहिएगा ई भी कोनो बात हुआ. आदमी का बीमार पड़ना, उसके स्वस्थ रहने का निसानी है अउर ई दुनिया में कउन है अइसन आदमी जो बीमार नहीं पड़ा हो! मगर तनी सोचकर देखिये कि आप बीमार हैं अउर कोनो देखने नहीं आए, तब कइसा लगेगा आपको? हम जानते हैं कि ई बहुत बेचैनी वाला बात है. पत्नी भी सुनाने से बाज नहीं आएंगी कि फलाना आपका बहुत अच्छा दोस्त था, एक्को बार देखने भी नहीं आया. देखना त दूर, फोन करके हालचाल भी नहीं पूछा! नवीन जी को देखिए, केतना अच्छा आदमी हैं बेचारे, ओतना दूर से मिलने आए.
अब उनको हम का समझाएं कि हम जानकर दोस्त लोग को मना कर दिए थे आने से. असल बीमारी में लोग देखने तो आ जाता है, मगर मुसीबत होता है बीमार का. का हुआ है, कइसे हो गया, किसका इलाज चल रहा है, का का दवाए दिए हैं, जांच हो गया, बहुत सीरियस तो नहीं है ना कुछ, ऑफिस का चिंता मत करना, जेतना दिन रेस्ट बोला है डॉक्टर ओतना दिन से पहिले ज्वाइन मत करना, पूरा ठीक हो जाओ तब्बे ऑफिस जाना, परहेज से परहेज मत करना, एक बार उनको भी देखा लेते, राजेस उन्हीं से एक हफ्ता में ठीक हो गया था, बहुत कम दवाई देते हैं, होमियोपैथी भी इसमें बहुत फायदा करता है, खट्टा फल मत खाना, डॉक्टर सब खाने को बोलता है, मगर तुम परहेज ही करना, पानी जेतना पियो ओतने फायदेमंद है, पपीता पसंद नहीं है तइयो खाने का कोसिस करो...! जेतना लोग, ओतने सवाल अउर ओतने सलाह.
अब इतना सवाल का जवाब हर आदमी को दिन भर लगातार देना पड़े त आदमी का बीमारी बढ़ेगा कि कम होगा! इसीलिये हम मना कर दिए कि सिरीमती जी का ताना बर्दास्त कर लेंगे, मगर दोस्त लोग का सवाल अउर सलाह नहीं बर्दास्त होगा हमसे.
एही से हम जब कोनो बीमार को देखने जाते हैं (जाना पड़ता है... नहीं त सिरीमती जी कहेंगी कि हमलोग नहीं गए त बहुत बदनामी होगा. आप बीमार थे त बेचारे सुबह साम आते थे) त कोसिस करते हैं कि ऊ सब सवाल नहीं करें जो हमको नापसंद है. अब आदमी का इलाज चलिए रहा है, त अपना समझ से अच्छा डॉक्टर को देखइबे किया होगा, अच्छा डॉक्टर होगा तो दवाई भी ठीके दिया होगा. अब हम कोनो डॉक्टर त हैं नहीं. का फायदा ई सब फालतू बात करने से. इसलिए हम मरीज को हंसाने अउर खुस रखने का काम करते हैं. चुटकुला सुनाना (डॉक्टर मरीज वाला), चाहे किसी के बात से बात निकालकर मजाक करते हुए माहौल को हल्का बनाते रहना. इससे फायदा ई होता है कि मरीज को भी थोड़ा सा खुसी मिल जाता है अउर बीमारी के माहौल से थोड़ा रिलीफ भी. बेचारा सुई, दवाई अउर परहेज के जेल में पहिलहीं बंद है, उसको ओही सब याद दिलाकर अउर तकलीफ काहे बढ़ाना.
हमरे ई गुन के कारन हम सोसाइटी में बहुत पॉपुलर विजिटर माने जाते हैं. दूर दूर से लोग हमको खाली मरीज को देखने के लिए बुलाता है. जेनेरल ओपिनियन एही है हमरे बारे में कि वर्मा जी के आने से मरीज उनके बात को सुनकर आधा ठीक हो जाता है. लगता ही नहीं है कि आदमी बीमार है. आधा घंटा में आधा लीटर खून बन जाता है मरीज का देह में. मरीज ओतना देर तक सब परेशानी भुला जाता है, जेतना देर वर्मा जी रहते हैं सामने. हमरे सोसाइटी के सर्वे से भी पता चला है कि जउन मरीज को हम देखने जाते हैं ऊ दोसरा मरीज के तुलना में तीन दिन पहिले ठीक हो जाता है.
मगर हमको उस दिन बहुत गहरा सदमा लगा जब हमरे एक बुजुर्ग पड़ोसी की पत्नी का ऑपरेशन हुआ अउर हम उनको देखने हस्पताल गए. उन दोनों का हमरे ऊपर बहुत स्नेह है. उम्र में भी काफी बड़े हैं ऊ हमसे. उनकी पत्नी का पेट का ऑपरेशन हुआ था अउर हम सिरीमती जी के साथ गए थे देखने. हम पांच मिनट रुके होंगे वहाँ पर कि ऊ बोलीं, “वर्मा जी! जब तक हम पूरा तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं, आप हमको मत देखने आइयेगा!”
हमरी सिरीमती जी का मुँह उतर गया अउर हम भी घबरा गए कि का गलती हुआ हमसे जिसके कारन ऊ हमको आने से मना कर दीं. उनको भी समझ में आ गया सब बात. तुरत हँसकर बोलीं, “आप जेतना देर रहते हैं, कोई न कोई बात पर हंसाते रहते हैं. आपके बात पर कोई हँसे बिना रह भी नहीं सकता है. मगर हमको डॉक्टर हँसने से मना किया है, क्योंकि हँसने से पेट पर जोर पड़ता है अउर टाँका टूट जाने का डर है.” 
उनका ई बात पर सब लोग ठठाकर हँस दिया अउर हम भी बिदा लेकर चलने लगे. उसी समय पता नहीं कौन सा महँक नाक में गया कि हमको छींक आ गया. ऊ दुनो बुजुर्ग के मुँह से एक साथ निकला, “शतन्जिवी!!” 
कोइ छींकता है तो हमारे यहाँ “शतन्जिवी” कहते हैं, हमारा एगो आंध्र प्रदेश का दोस्त था ऊ “शातायुष” कहता था. गूगल पर बहुत सा बात लिखा था इसके बारे में. मगर असल मतलब त एक्के है कि “सौ साल जियो!”
अब सौ साल जी पाते हैं कि नहीं ई दुनिया में - का पता, मगर ब्लॉग-दुनिया में हम भी आज सौवाँ पोस्ट लिखिए दिए!! हो गए हम भी “शतन्जिवी!!”

57 टिप्‍पणियां:

  1. जय हो! आपको सेंचुरी मारने की बधाई!

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  2. सौंवी पोस्ट लिखने के लिए आपको बधाई लेकिन आपको तो हज़ार पोस्ट लिखनी है कहीं बीमार नहीं पड़ जाएँनहीं तो आपको देखने आना ही पड़ेगा :) ( भगवान ऐसा कभी ना करें )

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  3. सौ बार सौ तरह के मनोभावों में डुबकियां लगवाने का आभार!!
    बधाई इस शताब्दि के लिए!! आप तो आते रहें भले हमारे पेट के टांके टूट जाय।
    हमारा भी वही आदत है, मरीज को बिमारी के विचारों से दूर करना। हल्का फुलका माहोल बनाने की हमें भी बिमारी है।
    लो जी आ गया एक बिमार दूसरे बिमार से मिलनें।

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  4. यहां ९० प्रतिशत लोग खुद ही डाक्टर होते हैं ,कोई कोई तो बीमार को एकदम से डरा देता है- ’यही परेशानी फलां को भी थी ,लापरवाही किये , आज भी ठीक से-----’आदि आदि ।
    अच्छा लेख ,बेहतरीन शतक की बधाई ।

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  5. आज तो शीर्षक ने ही मन मोह लिया सलिल भाई !

    सौवी और दोसौंवी लिखने की क्या मुबारकबाद ...? ???

    मुबारकबाद दे रहा हूँ कि तुम्हारी हर पोस्ट, पाठकों पर गहरा असर छोड़ने में कामयाब है भाई !

    मुबारकबाद दे रहा हूँ कि तुम ब्लॉगजगत में एक सौहार्द कायम करने में कामयाब रहे हो भाई !

    मुबारकबाद दे रहा हूँ कि तुम हर दिल पर अपने स्नेह और ईमानदारी की अपनी गहरी छाप छोड़ने में कामयाब हो भाई !

    शुभकामनायें !

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  6. ना आपको बीमार होने की आज्ञा है और ना ही पोस्ट लिखना बंद करने की ... दो में से एक भी काम आपने किया तो फिर ... बतायें देते है ... बीमार हम भी हो सकते है !!!

    १०० वी पोस्ट की बहुत बहुत बधाइयाँ ... वैसे अभी तो यह सिर्फ़ एक शुरुआत है !

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  7. आपकी बात -

    "...आदमी का बीमार पड़ना, उसके स्वस्थ रहने का निसानी है..."

    तो हमार जइसन जन्मजात बिमरहा (कंजनाइटल डिसीज़) जन्मजात स्वस्थ है?

    बाकी, एक बार एक्सीडेंट की वजह से मेरे होंठों में स्टिच लगे थे, और आपके जैसे एक पाठक जी हमारे मित्र थे, जो अपने हर डायलॉग पे हंसाते थे. उन दिनों उनका सान्निध्य एक सजा से कम नहीं होता था. ऐसे लोगों को तो वाकई उन बीमारों का हाल देखने नहीं जाना चाहिए, जिनकी सर्जरी हुई हो - टांकें खुलने का डर हमेशा बना रहता है.

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  8. आपका ई खिस्सा पढ़के दू-तीन गो बात कहने का मन बन गया है।

    पहिला कि हमरा-आपका जमाना में एगो गोलकी होता था, हौक्की का ... चार्ल्स नाम था। भारत को ओलम्पिक उलम्पिक जितबाया था, गोल बचा-बचा के। कहीं दुर्घटना में चोट-ऊट लग गया और गम्भीर रूप से बीमार पर गया। त ऊ जो एगो बात बोला था, कोनो मैगजीन में पढ़े थे, “खुद से आंसूं बहाता हूं, खुद से ही पोंछता हूं।” माने ओकरा से मिलने कोई ज‍इबे नहीं करता था। कोनो जमाना में उसको देस का गौरब अ‍उर रत्न न जाने का का कहा गया था।

    दोसरका, कि हमरो जान-पहिचान के एगो आदमी बीमार था। उसको देखे पहुंचे, त अप्पन आदात से लाचार उसको हमहुं हंसाने लगे। तनिक देर के बाद हालाकि ऊ मुंह घुमा कर अपना मेहरारू के कान में कह रहा था, लेकिन हमको भी सुनाइए गया, “इहां हमारा जान जा रहा है, अ‍उर ई लोग को हस्सी ठट्ठा सूझ रहा है”। ई बात हमको सन्न से लगा अ‍उर तहिया से हम जब भी कोनो बीमार के देखे जाते हैं त ऐसन मुंह बनाते हैं कि लगता है उससे बेसी हमहीं बीमार हैं।

    अ‍उर तेसरका कि आपको बहुत मुबारक हो सौ गो खिस्सा सुनाने के लिए।

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  9. मन को सुकून देने वाली सुन्दर रचना ||

    बहुत-बहुत बधाई ||

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  10. वाह .. आप तो सेंचुरी भी गज़ब अंदाज़ से मारे हैं ...
    लाजवाब लिखे हैं आज तो ... सेंचुरी का छक्का मार दिए हैं ...
    और अगर हमें छींक आये या हम सुनें है तो मुंह से निकलता है जय श्री राम ...

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  11. शतंजिवी होऊ... नानाजी कहते थे किसी को छींक आती थी तब... हमको नाना याद आ गए... इधर मेरी शादी थी और वे दरभंगा में भर्ती थे.. खबर भिजवाए कि शादी होनी चाहिए वे ना रहे तो भी... लेकिन मेरे शादी के दिन ठीक हो गए थे...... आये थे... इस शब्द से उनकी याद आ गई... हमको कहते थे राजयोग है तुमको...क्योंकि हम दरभंगा विश्विद्यालय में पढ़ते थे जो दरभंगा महाराज के किले में था... फिर खूब हँसते थे... वो हंसी याद आ रही है.. सौवी पोस्ट की शुभकामना ....

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  12. इस उपलब्धि पर कोई बधाई नहीं दे रहे, काहे से कि अभी तो ये पहली मंजिल है - गावस्कर की तरह शतक पूरा होने पर फ़्रेश गार्ड्स लीजिये और अगले शतक की तैयारी कीजिये, फ़िर से गार्ड्स लीजिये और......।
    बीमार के पता करने के संबंध में एक लिंक देने की इच्छा हुई लेकिन नहीं दे रहे, काहे से कि आप कहेंगे कि खुद तो लिंक लेते नहीं और इधर उधर बिखरा देते हैं:)

    पोस्ट की लास्ट लाईन पढ़ते समय जसदेव सिंह जी की आवाज कानों में गूँज उठी, "और.र..र.र. येSSSSS गोSSSSSSSSल।

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  13. हमारे यहाँ तो छींक आने पर "छत्रपति शिवाजी" कहते है |
    बहुत बहुत बधाई \ऐसे ही लिखते रहे और खुशियाँ बिखेरते रहे |

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  14. बहुत ही रुचिकर और उपयोगी लेख...
    बहुत-बहुत हार्दिक बधाई ...सौवीं पोस्ट पर

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  15. शतक मरने पर आपको बधाई... सचिन की तरह खेलते रहिये... और हाँ हम कभी बीमार हुए तो आपको ही बुलायेंगे...

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  16. ye kambakht bahut se taanke jo lag gaye hain dimag aur dil per..ye sab toot jaate hain aap ki baato se..it is a catharsis.....
    is beemar ki dava ho aap...:)

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  17. बड़े भाई और अरुण जी
    एतना बरका गलती कैसे कर दिए महाराज
    चलिए बड़े भाई का मान लेते हैं कि किसी का कहा दोहरा रहे थे, लेकिन अगिलका लाइन में त अपना ही कह र्हे थे, आप भी अरुण जी कैसे .. गलत कर दिए ... अरे भाई कहते थे बरे लोग
    “सत्तनजीबी”!!

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  18. क्या बात है ..आप तो बहुत अच्छे बीमार दृष्टा हैं :)हम तो वसीयत करे दे रहे हैं कि बीमार पड़ें कभी, तो आपको अवश्य बुलाया जाये.
    और हाँ शतक की बधाई.

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  19. @मनोज कुमार:
    भाई जी! हम त इनवर्टेड कॉमा के अंदर लिखे है.. अरुण जी भावना के अंदर लिख गए.. अब जब आप भी लिखिए दिए हैं त हमहूँ फरिया दें कि "सत्तनजीबी” भी नहीं, हमरे मगध में त "छत्तनजीबी" बोलता था/है सबलोग!
    कॉमा बचा लिहिस नहीं त आज धराइये गए थे हम!!

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  20. Century mubarak ho! Post to mazedar hai hee! Ab ham bhee beemar padenge to aaapko ittela kar denge!

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  21. HAD HAI BHAI SAHAB YAHI BATANA THA NA KI AAPKI YE 100V POST HAI TO ITTI BADI RAMAYAN LIKHNE KI KONO JARURATE THI.

    HA.HA.HA.HA.

    NARAZ MAT HOIYE JANAB BADHAYI SWEEKAR KIJIYE.

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  22. एक शतक क्या हमें तो विश्वास है कि आपके कई शतक पूरे होंगे । बीमारी के बहाने आप सबकी आपबीती अपने शब्दों में इस तरह कह गए हैं कि बस एक ही वाक्य कहा जासकता है--क्या बात है । पिछली पोस्ट पढी पर वहाँ टिप्पणी नही हो सकी । यह तथ्य बडा रोचक है कि आपकी रचनाएं पढते समय लालू यादव जी की विशिष्ट भाषा का ही स्मरण होता है ।

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  23. सौवीं पोस्ट...बहुत ही दिलचस्प रही। आप लिखते रहें और लोगों को पुलकित करते रहें अपनी इस सुंदर लेखनी से।

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  24. ऐसे ही सैंकड़े पे सैंकड़े मारते रहो...जीवन्तता से भरपूर आपकी हर post अवसाद दूर कर देती है...गज़ब का लेखन...वैसे मरीज़ देखने के मामले में हम बिलकुल आपका ही डुप्लीकेट हैं...अभी एक मरीज़ से मिलने गए जिसका एक्सीडेंट में पसली टूट गया था...हमें ध्यान नहीं रहा सो उसे हसाए वो हंसा और उसके बाद दर्द से ऐसा तडपा के डाक्टर को हमें कहना पड़ा के बराए महरबानी इस मरीज़ से मिलने कम से कम एक महीने तक न आयें ...:-)

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  25. सबसे पहिले त आपको सपरिवार स्वस्थ्य सानंद रहे के सुभकामना . सलिल भैया ! सुने हैं पहिले ज़माना मं "रूदाली" का चलन था...आप इतना राज का बात बता दिए हैं के कौनो बिजनेसमैन टाइप का आदमी "हंसाली" का चलन चालू कर देगा . बहरहाल हमको मुन्नाभाई का याद आ गया. सच्ची कहे हैं आप, बीमार आदमी से बीमारी का बात छोड़कर बाकी सब बात करना चाहिए. सुने हैं बिलायत मं त मिलने वाला लोग बाहरे से रजिस्टर में शुभ कामना सन्देश लिख के अ फल-फूल रख के वापस चला जाता है.

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  26. अस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,

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  27. धन्यवाद ये बताने के लिए की छींक आने पर “शतन्जिवी” कहते है आज तक मै इस शब्द हो "ऐ छ्तंजी " सुनती थी जो अक्सर बच्चो के छिकने पर कहा जाता था ( संभव हो की बच्चो के उनकी ही तोतली भाषा में ऐसा कहा जाता हो ) खुद सोचती थी की पता नहीं इसका क्या मतलब होता है आज आप ने ना केवल सही शब्द बता दिया बल्कि मतलब भी |
    सौवी पोस्ट की कोई बधाई नहीं क्योकि अब तो सचिन से भी सहवाग की तरह तीहरे सतक की उम्मीद की जाती है तो बधाई पाने के लिए इंतजार कीजिये !!

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  28. 'satanjivi' se 'sahastrajivi' ke liye subhkamnayen.....

    ......jada ka kahen is ghar me aake kissagoi ke kire kulbulane lagte hain..............


    pranam.

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  29. १०० पर बधाई तो नहीं बनती है, आपसे तो १०० के १०० की अपेक्षाएं है :)

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  30. Bahut-bahut badhai Sir.. hum aapke naye follower hain.. aapko bahut pahle se padh rahe hain... bahut acchha likhte hain... badhai....

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  31. देखिये हम अपना डिक्सनारी का फार्मूला लम्मर दू सौ चौहत्तर लगा के ..बाकी लोग के टिपण्णी से आईडिया ले लिए हैं की ई पोस्ट आपके १०० पोस्ट के लिए है...तो पा...आपको बहुत सारी बधाई. :)

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  32. शतकीय पोस्ट की बधाई. विनोद के साथ संवेदना भी लिए रही पोस्ट आपकी. आभार.


    अंबेडकर और गाँधी

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  33. शत शत बधाई इस शतक की... शतक का यह आंकडा एकदम राकेट जैसा स्पीड में ऊपर उड़ान ले,यही शुभकामना है....

    बाकी आपका जो फंडा है न,हमरा भी एकदम यही फंडा है...

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  34. सौवी पोस्ट पूरे होने पर आपको हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें! बहुत बढ़िया लिखा है आपने! लाजवाब प्रस्तुती!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/

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  35. :)
    ब्लॉग का तो सेंचुरी हो गया चचा, आप भी सौ साल जियेंगे.,..देख लीजियेगा :)

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  36. कहीं पढ़ा था- दूसरों को हंसाने वाला सबसे बड़ा पुण्यात्मा होता है।
    आज आपके माध्यम से एक अच्छी और व्यावहारिक सीख मिली।

    वैसे, हम बीमार होते हैं तो आपकी पोस्ट पढ़ लेते हैं और जल्दी ही भले-चंगे हो जाते हैं।

    शतकीय पोस्ट के लिए बधाई, सलिल साहब।

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  37. अभी कल ही की बात तो है जब 'नाइस' टिप्पणी पर आपकी पोस्ट से इस ब्लॉग पर आना शुरू किया था और आज यह सौवीं पोस्ट ! समय बीतते देर नहीं लगती ।
    हमें आज तक ऐसा कोई आदमी नहीं मिला जिससे अपने सिरदर्द का ज़िक्र किया हो और उसने दवा न बताई हो । हम हिन्दी पट्टी वाले दूसरे का दुख दूर करने के लिए तुरंत नुस्खा लेकर हाजिर रहते हैं ।

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  38. badr bhai ji
    sabse pahle aapke blog ka shatak pura hone ki bahut bahut hatdik badhai.
    ishwar karen ki ab aap beemaar na pade yun hi apni garimamay lekh v rachnaye hame padhne ko milti rahen jisse hamara bhi marg -darshan hota rahe .
    aapki yah prastuti bahut bahutpasand aai .
    aapne bilkul sahi kaha ki beemaar vykti ko sakun dilaane ki jarurat hoti hai aur yah tabhi sambhav hai ki jab koi kisi beemaar ko dekhne jaaye to aapki tarah hi majedaar baate kare jisse kuchh der ke liye hi sahi us vyakti ko thda to chain milega varna apni beemaari ki halat batate batate vah aur bhi past pad jayega.
    bahut hi anukarniy lekh
    bahut bahut badhai
    vhardik naman
    poonam

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  39. छींक के साथ शतन्जीवी ! क्या कामबिनेशन है.
    शतकीय पोस्ट के लिये सैकडों बधाईयां...

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  40. शतक की बहुत बहुत बधाई, अगले शतक के लिये अग्रिम शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  41. शतक पर शतक और डबल ट्रिपल जोड़ते रहे यह ब्लाग, यही कामना है। शुभ कामनायेँ।

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  42. सलिल भाई,
    पहली बार अपके ब्लॉग पर आकर बड़ा अफसोस हुआ कि पहले क्यों नहीं आए। आप तो एक ही साँस में पूरी का पूरी पोस्ट लिख मारते हैं, और वह भी ऐसी कि एक बार पाठक छोड़ के भाग भी नहीं सकता। अब समझ में आया कि मनोज कुमार जी क्यों कहते हैं कि आपके सामने बोलती बन्द हो जाती है। आपको पढ़कर आपसे ईर्ष्या होने लगी, लेकिन सुखद। साधुवाद।
    हाँ पुनश्च, जाते-जाते यह मैं भी सलाह दूँगा कि किसी आपरेशन हुए रोगी को आप विजिट न करें तो अच्छा रहेगा।

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  43. सौंवी पोस्ट की बधाई! हजारों के लिये शुभकामनायें।

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  44. बिहारी का सौवां विहार मुबारक!
    आप तो मेरे किसी काम के नहीं ..
    अपुन के बारे में यह विख्यात (करा दिया गया है ) की बीमारी में कोई देखने न आये
    अगर हमारा वास्तविक हितैषी हो तो ...
    सौराल वाले भी नहीं आते ! और घडियाली आंसू वालों से पीछा छूटता है -
    इस पर कभी पोस्ट लिखेगें -भूल गए तो तनिक याद दिलायियेगा न बिहारी बाबू ?!

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  45. शतंजीवी होने की बधाई ,
    हमारी दादी जी (हम सब उनको भाभी बुलाते है , जैसा कि आपने अपनी एक पोस्ट में जिक्र भी किया है) यूँ तो उनकी उम्र काफी हो चुकी है फिर भी घर का सारा काम अकेले दम पर देखती हैं |
    हमको विरले ही याद आता है कि वो कभी बेमार हुई हों (हालाँकि छोटी-मोटीबीमारी की खबर तो वो हम लोगों को होने भी नहीं देतीं), मेरी छोटी सी जिंदगी में देखी हुई सबसे मजबूत महिला ,
    अभी पिछले हफ्ते ही वो बीमार पड़ीं तो माँ औरैया से कानपुर गयीं उनकी देख-भाल करने , बोलीं अंकुर (हमारा घर का नाम) से बात करा दो , जब हम फोन पे बात किये तो उनसे हाल चाल पूछे कि काहे बीमार कइसे हुई गयी , भरी जवानी मांझा ढील (वो मुझसे हमेशा कहती है कि मैं बुजुर्ग नहीं हूँ तो मैं भी मजाक में ही उनके साथ चुहल लेने के लिए ये लाइन बोल देता हूँ) इस पर वो जवाब देती हैं कि तुम्हे बता रही हन , अपनी अम्मा(माँ) का न बताएयो , काम कर कर के बहुत थक गयी रहन , सोच कुछ दिन सासुअइती झाड ली जाये , तो बीमार होने की नौटंकी करन लगी , येही बहाने कुछ दिना की सेवा मिलि जाई , इतना कहकर उनकी और मेरी दोनों की हंसी फूट पड़ी |

    सादर

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