गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

एलिस इन वंडरलैंड


बुढापा में आदमी बच्चा जैसा हो जाता है. मगर एक मिनट रुकिए, ई कारन नहीं है हमरे आज के पोस्ट के सीर्सक का. अभी न हम बुढाए हैं, न बच्चा हुए जा रहे हैं. असल में आज हमको उसके लेखक लुईस कैरल का याद आ रहा है. सुने थे कि जब ऊ बड़ा हुए तो उनको कुकुर खांसी (काली खांसी या हूपिंग कफ) का बीमारी हुआ. ठीक होने के बाद उनको एक कान से सुनायी देना बंद हो गया. एही नहीं, ऊ बात करने में हकलाते भी थे. अब ई बीमारी था कि संकोच, कहना मोसकिल है. मगर सायद एही कारन से ऊ अपने दोस्त लोग से कटकर रहने लगे होंगे. बच्चा लोग और जानवर का संगत उनको पसंद था. अइसहीं उनको “एलिस इन वंडरलैंड” लिखने का प्रेरणा मिला होगा.
हमारे साथ इस्कूल में दू गो लड़का पढता था आनंद अउर सुमन. दुनो एतना हकलाता था कि का कहें. सबलोग ऊ दुनो को कोनों बात पर उकसा देता था अऊर उसका बात पर हँसने लगता था. मगर कमाल देखिये, दुनो गाना गाते समय एकदम नहीं हकलाता था. सुमन का खासियत था कि ऊ लड़की के आवाज़ में गाता था अऊर हमारा दावा है कि ऊ दुनो, आनंद अऊर सुमन, का गाना आप आँख मूँद कर सुनिये त धोखा खा जाइयेगा कि ई आसा भोंसले अऊर किसोर कुमार का डूएट है.
रेडियो में काम करने से एगो सबसे बड़ा फायदा ई हुआ कि बहुत सा अच्छा आदत बचपने से लग गया. उसके कारन बहुत संतोस मिलता है. अब देखिये ना, हंसी मजाक, चुटकुला-लतीफा, खिस्सा कहानी हम लोग छोटा उम्र से लेकर अभी तक सुनते चले आ रहे हैं. लेकिन रेडियो में सिखाया गया कि कभी किसी के लाचारी का मजाक उड़ाने वाला चुटकुला नहीं सुनाना चाहिए. इसीलिये हमलोग हकलाने वाला, अंधा चाहे बहरा-गूंगा लोग का चुटकुला कभी नहीं सुनाये, न एन्जॉय किये.

खैर, “एलिस इन वंडरलैंड” और लुईस कैरल या आनंद और सुमन का बात के बाद, आज हमको ई जाने वाला साल २०११  का उपलब्धि के रूप में एक ब्यक्ति का मिलना याद आ रहा है. हमारे लिए साल का सबसे खूबसूरत घटना. उनका खुद अपने बारे में क्या बिचार है उन्हीं के मुंह से सुनिए. कहते हैं:
Normally, people get very disappointed on meeting me or talking to me . I am very hopeless that way. So beware!!
(अमूमन, लोग मुझसे मिलने और बात करने के बाद बड़े मायूस हो जाते हैं. इस मामले में मैं बड़ा “होपलेस” हूँ. लिहाजा, होशियार!)

साधारण कद काठी, एकदम सफ़ेद बाल, आँख पर मोटा चस्मा, भरा हुआ चेहरा अऊर आँख में सरारत भरा हुआ चमक. बात करते समय होसियार रहना पड़ता है कि आपका कउन सा बात/सब्द से ऊ का बात बना देंगे. हमेसा हंसते मुस्कुराते रहने वाला आदमी हैं. मगर खाली उनके लिए जिनको ऊ जानते हैं. जिनको नहीं जानते हैं, उनसे बात करने में भी हिचकते हैं. दोस्त बनाते नहीं, बना लिया तो दिल से निभाते हैं. कारन??? कारन जब उनसे बात हुआ तब मालूम हुआ. पूरा ब्यक्तित्व के बाद जब ऊ बोलते हैं त एकदम जनानी आवाज़, पर्सनाल्टी के एकदम बिपरीत. एही से ऊ नया लोग से मिलना कम पसंद करते हैं. हमसे भी बहुत बार कोसिस करने पर बात हो पाया अऊर ऊ भी तब, जब मेट्रो में अचानक सामना हो गया. तब से लेकर आज का दिन हमारा पूरा परिबार उनका परिबार है अऊर हम सब के बड़े भाई हैं.

अब आप सोचियेगा कि हम जिनका गुणगान किये जा रहे हैं आखिर उनमें अईसा का खूबी है जिसके लिए हम एतना परिचय दिए. त तनी सबर रखिये. ई परिचय है हमारे बड़े भाई रविन्द्र कुमार शर्मा जी का. कमाल के सायर हैं. एतना सम्बेदनसील की पूछिए मत. एक बार एक शेर को लेकर हम दोनों में मतभेद हो गया. ऊ कनफेसन छाप दिए कि हमको सायरी नहीं आता है, हम मन से लिखते हैं. हम भी जवाब में कैफी आज़मी को कोट कर दिए. मगर उनको एतना बिरोध के बाद भी तब तक चैन नहीं मिला जबतक हमको गले नहीं लगा लिए अऊर हमको भी, जबतक उनका पैर नहीं छू लिए.

मुशायरे में लोग उनका आवाज़ नहीं सुनता, काहे कि उसमें कोइ दम नहीं है, मगर उनका सायरी, गजल अऊर कबिता सुनकर कोइ भी वाह-वाह किये बिना नहीं रह सकता. चिड़िया, दरख़्त, गाँव, बारिस, पगडंडी, कच्चा मकान, सोंधी महँक सबकुछ दिखता है अऊर जोड़ लेता है सबको अपने आप से. उनके आवाज में राहत इन्दौरी अऊर मुनव्वर राना वाला दम नहीं है, मगर सायरी कहीं से कम भी नहीं है.

अगर सूरज ने अब झुलसा दिया हो आपको काफी
तो आओ मांग लें काटे हुए पेड़ों से हम माफी.
लिखे कुछ शेर तो हमको लगा था दिल का ग़म निकला
मगर उनकी नज़र में वज्न कुछ मिसरों का कम निकला.
गुमशुदा हर आदमी हर शख्स दीवाना लगा
मैं तुम्हारे शहर से गुज़रा तो वीराना लगा
ऐ इमारत कूदने वाले से ये तो पूछती
ज़िन्दगी से क्यूँ उसे आसान मर जाना लगा.
समंदर नदी को बहुत प्यार देना
ये ऊंचे घराने से आई हुई है.
ज़माने से अलग अपनी यही पहचान है शायद
चलो अच्छा हुआ इस दौर में हम हाशिये पर हैं.

ई त बस कुछ बानगी है. पूरा फेसबुक का देवाल भरा हुआ है, इनके छोटा-छोटा शेर अऊर गजल से. कहते हैं कि नया साल का पहिला ही दिन “रवि”वार है. अऊर तब हमको लगता है कि हमको फेसबुक से बस एही सख्स जोड़े हुए हैं. जउन दिन “रवि”वार नहीं होता है, ऊ दिन हमको पीकर फेंका हुआ पेप्सी का खाली कैन लगता है, जिसको हर आने-जाने वाला आदमी ठोकर मारकर चल देता है.
साल २०११ ने बहुत से लोगों को छीना है, इसका त अफ़सोस सबलोग को है, मगर जो हमको दिया है, उसके लिए परमात्मा का धन्यबाद करते हैं. उनका सायरी को लेकर कभी जरूर हाजिर होंगे, मगर अभी हमारा मन का बात, रविन्द्र कुमार शर्मा जी के लिए:
हमने जब इंसानियत को शक्ल में ढूंढा ‘सलिल’
बस रविंदर सा’ब का चेहरा नज़र आया हमें.
बाद जो माँ-बाप के चाहा झुकाना सर कहीं
ये दिले नादाँ इन्हीं के दर पे ले आया हमें!

53 टिप्‍पणियां:

  1. समंदर नदी को बहुत प्यार देना
    ये ऊंचे घराने से आई हुई है.
    ..वाह! बेहतरीन। एगो फोटू काहे नहीं लगा दिये शर्मा जी का?
    आपने जो इतना सम्मान दिया है, जिस अंदाज में दिया है उसे पढ़ने के बाद कुछ कहना शेष नहीं रह जाता। बस इतना ही कहना है कि बड़े भाई तक हमारा भी प्रणाम पहुंचे।

    जवाब देंहटाएं
  2. समंदर नदी को बहुत प्यार देना
    ये ऊंचे घराने से आई हुई है.
    क्या गज़ब ... हमारा भी मन नतमस्तक होने को कर रहा है.
    क्या कहें और. बस आभार संप्रेषित है रविन्द्र जी से मिलाने का.

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह किस शख्सियत से मिला दिया आपने आज ..रविंदर भाई जुग जुग जिए और अपनी शायरी से आगे भी हमें आनन्दित करते रहें ..नववर्ष की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं!

    जवाब देंहटाएं
  4. एगो बात जो जेहन में छा गयी :

    समंदर नदी को बहुत प्यार देना
    ये ऊंचे घराने से आई हुई है.

    परनाम

    जवाब देंहटाएं
  5. सलिल जी आज शीर्षक से अंदाज़ कुछ और हो रहा था और पहुचे कहीं और... आपके पोस्ट को अंत तक पढना जरुरी होता है... रविन्द्र जी की शायरी में बहुत जान है... परिचय करने का आपका अंदाज़ अनुपम है.... सोचता हूं जब मुझ पर कोई पोस्ट लिखेंगे तो कहाँ से शुरू करेंगे.... दिल को छू जाते हैं आप....

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह ..
    बहुत अच्‍छा लगा जानकर ..
    रविन्‍द्र जी को शुभकामनाएं !!

    जवाब देंहटाएं
  7. अगर सूरज ने अब झुलसा दिया हो आपको काफी
    तो आओ मांग लें काटे हुए पेड़ों से हम माफी.
    Bahut sundar panktiyan hain!
    Hamesha kee tarah bahut,bahut rochak aalekh!
    Naya saal mubarak ho!

    जवाब देंहटाएं
  8. इस ब्लाग को ही एक वन्डरलैंड कहा जासकता है । जहाँ कुछ न कुछ नया व अनौखा पढने मिल जाता है । रवीन्द्र शर्मा जी की और रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी ।
    आपका हर दिन 'रवि'वार जैसा ही गुजरे ,पेप्सी का खाली कैन हरगिज नही इसी कामना के साथ नववर्ष की बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  9. इस ब्लाग को ही एक वन्डरलैंड कहा जासकता है । जहाँ कुछ न कुछ नया व अनौखा पढने मिल जाता है । रवीन्द्र शर्मा जी की और रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी ।
    आपका हर दिन 'रवि'वार जैसा ही गुजरे ,पेप्सी का खाली कैन हरगिज नही इसी कामना के साथ नववर्ष की बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  10. रविन्द्र कुमार शर्मा जी का परिचय आपने बहुत ही आत्मीयता से दिया है।
    उनकी शायरी तो बहुत ही उम्दा है और मानवीय सरोकारों से सराबोर है।
    आप जिस भाव से और अंदाज से लिखते हैं...वह सीधे दिल में जगह बना लेती है।

    नया साल 'रवि'वार से शुरु हो रहा है और हमारी कामना है कि आपका हर दिन 'रवि'वार सा और'रवि'वार के साथ गुजरे...ताकि इंसानियत जिंदा रहे।

    नव वर्ष में मानवीय संवेदनाओं को नई उँचाइयाँ मिलें...

    जवाब देंहटाएं
  11. आपका आलेख आग्रहों से दूर वास्तविक जमीन के कई नमूने प्रस्तुत करता है। आपके लेख में प्रस्तुत विचार अनुकरणीय है! विषय को प्रस्तुत करने का अलग और नया अंदाज है।

    जवाब देंहटाएं
  12. पैर छुकर गले मिले
    दूर किए शिकवे गिले
    वाह रवीन्‍द्र जी आप
    सलिल को खूब मिले
    *
    नया साल आ रहा है, सो मुबारकें ले लें।

    जवाब देंहटाएं
  13. कुछ और डिटेल बताएं. शोर्टकट मार गए आप.

    जवाब देंहटाएं
  14. समंदर नदी को बहुत प्यार देना
    ये ऊंचे घराने से आई हुई है...
    आपके माध्यम से रविन्द्रजी और उनकी शायरी से मिलना अच्छा लगा....

    जवाब देंहटाएं
  15. प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  16. आपके फेसबुक पर इनका कमेन्ट कभी कभी दीखता था मुझे...या फिर आपके द्वारा इनके लाईक किये गए शायरी को(फेसबुक स्टेटस)..
    अभी फिर ये पढ़ने के बाद इनके फेसबुक वाल पर से घूम आये...

    जवाब देंहटाएं
  17. बहुत अच्छा लगा रविन्द्र जी का परिचय।
    उन्हें और आपको ढेर सारी शुभकामनाएँ।
    उनके शेर वाकई बहुत उम्दा है..

    और ये...
    समंदर नदी को बहुत प्यार देना
    ये ऊंचे घराने से आई हुई है.

    गज़ब!!

    जवाब देंहटाएं
  18. बड़ा अच्‍छा परिचय है, शेर भी लाजवाब हैं। उन्‍हें हमारा भी प्रणाम कहें। अच्‍छे लोगों को अपना बनाना ही सुखों को आमंत्रण देना है।

    जवाब देंहटाएं
  19. उत्तम ख्याल ! आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को नव-वर्ष २०१२ की ढेरों शुभकामनाये !

    जवाब देंहटाएं
  20. आओ मांग लें काटे हुए पेड़ों से हम माफी

    बेहतरीन

    जवाब देंहटाएं
  21. यकीनन रविन्द्र शर्मा में कुछ ऐसी बात होगी जिस कारण सलिल जैसा ह्रदय भी उनके व्यक्तित्व के आगे झुक गया ! नव वर्ष पर उनको शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  22. वाह! मज़ा आ गया पढ़ कर...सदा की तरह। चरित्र-चित्रण के तो आप उस्ताद हैं ही!! चुने गए सभी शेर भी उम्दा है!

    जवाब देंहटाएं
  23. शर्मा जी के व्यक्तित्व का विश्लेषण अद्भुत लगा। आप दोनों लाज़बाब हैं।

    जवाब देंहटाएं
  24. ’सकल पदारथ हैं जग माहीं...’
    एक हम हैं कि डेली पैसेंजरी में ताश और दूसरे कामों में खप गये और एक आप हैं कि मेट्रो जैसी सवारी में भी ऐसे हीरा इंसान को पा लिये। पूरी गज़ल जबरदस्त है। रविन्द्र जी के दर्शन करने की इच्छा हो रही है, देखिये कब पकड़ पाता हूँ आप दोनों को।

    जवाब देंहटाएं
  25. haath me ungliyon ki tarah blogjagat me kuch blog
    hai jise hum 'man-mohan' mante hain.......

    लिखे कुछ शेर तो हमको लगा था दिल का ग़म निकला
    मगर उनकी नज़र में वज्न कुछ मिसरों का कम निकला.

    ...........
    subhanallah..hasin chehra is sher' se numayan...
    ...........

    nav-varsh ke subh:kamnayen is blog, blogger aur
    pathkon ko swikar ho...

    pranam.

    जवाब देंहटाएं
  26. बहुत ही अच्छा गजल लिखें हैं, पढ़कर आनन्द आ गया।

    जवाब देंहटाएं
  27. सुंदर अभिव्यक्ति बेहतरीन रचना,.....दोनों ही लाजबाब है
    नया साल सुखद एवं मंगलमय हो,....

    मेरी नई पोस्ट --"नये साल की खुशी मनाएं"--

    जवाब देंहटाएं
  28. BHAI BIHARI BABU , SAB SE PAHALE APKO VA APKE PRIVAR TAHA MAMTA KI PRATEEK TEENO MATAON KO NAV VARSH KE SUBH AWSAR PR HARDIK BADHAI DETA HOON......APKE BLOG KA DILCHASP NAM BARBS HI MUJHE APKE BLOG TK KHEECH LAYA HAI... BLOG PR AANE KE BAD PATA CHLA KI APKA BLAG BHI BEHAD DILCHASP HAI ... YANI JATHA NAME TATHA GUNE..
    गुमशुदा हर आदमी हर शख्स दीवाना लगा
    मैं तुम्हारे शहर से गुज़रा तो वीराना लगा
    ऐ इमारत कूदने वाले से ये तो पूछती
    ज़िन्दगी से क्यूँ उसे आसान मर जाना लगा.
    APKE YE SHER BEHAD PASAND AAYE ... BAHUT BAHUT ABHAR KE SATH HI BADHAI.

    जवाब देंहटाएं
  29. रविन्द्र जी से परिचय कराने का आभार। आपसे साक्षात्कार और परिचय भी इस साल की मेरी उपलब्धियों में से एक है। आपको, और आपके परिजनों, परिचितों, ग्राहकों, सहयात्रियों और पाठकों को नववर्ष की हार्दिक मंगलकामनायें!

    जवाब देंहटाएं
  30. रवीन्द्र कुमार शर्मा जी के प्रति अशेष शुभकामनाएं।

    शुभ नववर्ष !

    जवाब देंहटाएं
  31. aap kisi se kam nahin
    नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  32. अच्छे व्यक्तितव से परिचय कराया उसके लिए धन्यवाद.. और हाँ उनकी गजल बड़ी शानदार है...

    जवाब देंहटाएं
  33. आपको और परिवारजनों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ|

    जवाब देंहटाएं
  34. "लिखे कुछ शेर तो हमको लगा था दिल का ग़म निकला
    मगर उनकी नज़र में वज्न कुछ मिसरों का कम निकला."


    वाह ...


    पता नहीं कैसे आप की यह पोस्ट मेरी नजरो से छुट गई ... यह तो अच्छा हुआ आज आपसे बातों बातों में इस का जिक्र चला तो यहाँ आना हुआ ... नहीं तो शर्मा जी और उनकी शायरी से मुलाकात नहीं हो पाती ... आपका बहुत बहुत आभार !


    आप सब को सपरिवार नव वर्ष २०१२ की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  35. नववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ...!

    शुभकामनओं के साथ
    संजय भास्कर

    जवाब देंहटाएं
  36. सलिल जी,

    सम्मान करना और कोमल भावनाओं में जीना कोई आपसे सी्खे!!

    नववर्ष की आपको ढेरों शुभकामनाएँ!! सर्वमंगल भाव आपमें सदा वि्द्यमान रहे!!

    जवाब देंहटाएं
  37. रवि सर ! को आपके आईने में विस्मित सा देखता रहा हूं, सच कहूं तो इस पोस्ट क़ॆ बीज से पुष्प बनने की आडियों रिकार्डिंग मेरी हार्ड डिस्क में सेव है।
    रवि सर के लिये एक शेर याद आया :

    हम पे जब गम का पर्वत टूटा, तो हमने दो चार कहे
    उसके उपर क्या गुजरी होगी, जिसने शेर हज़ार कहे

    ऊंचे घराने की सम्वेदनाओं की इस अविरल नदी को,
    ह्र्दय के समुन्दर की गहाराई का ढेर सारा दुलार !

    जवाब देंहटाएं
  38. सब कुछ व्यक्त है इन चार पंक्तियों में,

    हमने जब इंसानियत को शक्ल में ढूंढा ‘सलिल’
    बस रविंदर सा’ब का चेहरा नज़र आया हमें.
    बाद जो माँ-बाप के चाहा झुकाना सर कहीं
    ये दिले नादाँ इन्हीं के दर पे ले आया हमें!

    "निरामिष" समर्थन के लिए आभार,

    नववर्ष की अपार शुभकामनाएँ!!

    जवाब देंहटाएं
  39. रविन्द्र कुमार शर्मा जी से परिचय अच्छा लगा .. वाकई उनकी शायरी में दम है .. नव वर्ष की शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  40. सलिल जी,

    नववर्ष की आपको ढेरों शुभकामनाएँ.
    "चला बिहारी ब्लोगर बनने" शीर्षक कुछ अजीब सा लगा , इसलिए पहले कभी आपका ब्लॉग
    विजिट नहीं किया . आज आया तो पता चला दुनिया भर का मशाला तो इधर ही है .
    बहुत खुबसूरत शेर और लेख पढ़े , बस ज़ोन है की तोन मजा आ गइल :)

    जवाब देंहटाएं
  41. चकाचक परिचय दिया है रवीन्द्र शर्मा जी का। सुन्दर शेर लिखते हैं रवीन्द्रजी। और पढ़वाइये- शार्ट कट काहे मारते हैं जी! :)
    नये साल की बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  42. हमने जब इंसानियत को शक्ल में ढूंढा ‘सलिल’
    बस रविंदर सा’ब का चेहरा नज़र आया हमें.
    बाद जो माँ-बाप के चाहा झुकाना सर कहीं
    ये दिले नादाँ इन्हीं के दर पे ले आया हमें!...shaandaar parichay

    जवाब देंहटाएं
  43. आपके ज़रिये रविंदर जी की शायरी का मज़ा लिया,जो कुछ भी दिल से लिखा जाता है,अपने आप वजनी हो जाता है !

    शुभकामनाएँ !

    जवाब देंहटाएं
  44. समंदर नदी को बहुत प्यार देना
    ये ऊंचे घराने से आई हुई है.aapki baaten aur unki pangtiyan ekdam saral hain......dil tak pahunch gayeen.

    जवाब देंहटाएं
  45. सुन्दर प्रस्तुति..
    आपको एवं आपके परिवार को नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  46. बढ़िया लिखते हैं आप। बधाई! और रविंदर जी की शायरी तो दिल को छू गई, बस वाह निकली..

    जवाब देंहटाएं
  47. आप चुटीले अंदाज में कितनी गहरी बातें कह जाते हैं
    कभी किसी के लाचारी का मजाक उड़ाने वाला चुटकुला नहीं सुनाना चाहिए.
    श्री रविन्द्र कुमार शर्मा जी से मिलना सुखद है.
    अगर सूरज ने अब झुलसा दिया हो आपको काफी
    तो आओ मांग लें काटे हुए पेड़ों से हम माफी.

    सादर आभार.

    जवाब देंहटाएं
  48. बाऊ जी , प्रयोग की गयी सभी शायरियां कमाल की हैं , आपकी भी और (माफ कीजियेगा) आपसे ज्यादा रवींद्र जी की

    सादर

    जवाब देंहटाएं