tag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post250751506430732155..comments2024-02-20T15:42:35.518+05:30Comments on चला बिहारी ब्लॉगर बनने: पागल आदमीचला बिहारी ब्लॉगर बननेhttp://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comBlogger32125tag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-80252293802695507892012-10-08T04:37:26.795+05:302012-10-08T04:37:26.795+05:30:(
अपनी माँ से वो बस एक सवाल पूछता है ,
गर पाल नही...:(<br />अपनी माँ से वो बस एक सवाल पूछता है ,<br />गर पाल नहीं सकती तो पैदा ही क्यूँ किया ||<br />:(<br /><br />सादरAkash Mishrahttps://www.blogger.com/profile/00550689302666626580noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-30191853907543235632010-12-03T00:17:58.554+05:302010-12-03T00:17:58.554+05:30मार्मिक घटना .... कुछ कहते नहीं बन रहा है !मार्मिक घटना .... कुछ कहते नहीं बन रहा है !शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-45979576144324091682010-12-02T18:20:38.613+05:302010-12-02T18:20:38.613+05:30मुझे भी एक बच्चा सोने नही देता------http://archana...मुझे भी एक बच्चा सोने नही देता------http://archanachaoji.blogspot.com/2010/11/blog-post_09.htmlArchana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-10040084830761693352010-12-02T12:56:15.696+05:302010-12-02T12:56:15.696+05:30शब्दहीन हूँ !!!!
................
.................शब्दहीन हूँ !!!!<br /><br /><br />................<br />.................<br /><br /><br /><br />आभार आपका झकझोरने के लिए...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-59859964816815348312010-12-01T23:13:43.997+05:302010-12-01T23:13:43.997+05:30मो सम कौन कि मेल द्वारा प्राप्त टिपण्णी:
"सल...<b>मो सम कौन </b> कि मेल द्वारा प्राप्त टिपण्णी:<br /><b>"सलिल भैया, देरी से आने के लिये क्षमा। <br />एक कमेंट में आपने अपने इन साथी का जिक्र किया था, तबसे यह विवरण जानना चाह रहा था। बहुत बार किसी वजह से हम करणीय कार्य करने से चूक जाते हैं, और यह दुख सारी उम्र सालता रहता है। दुनिया अपनी जगह ठीक है, पागल ही तो हैं सुशील बाबू - लेकिन इतना जान लेना चाहिये कि ऐसे पागलों के कारण ही यह दुनिया इस लायक बची है कि इसमें रहा जा सके।<br />हमारा नमस्कार पहुंचाइयेगा उन तक।</b>चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-82909723942471785292010-12-01T16:22:54.352+05:302010-12-01T16:22:54.352+05:30वो मन की कचोट तो अब जीवन भर उनका पीछा नहीं छोड़ेगी....वो मन की कचोट तो अब जीवन भर उनका पीछा नहीं छोड़ेगी....संवेदनशील होने की यही सजा है...कोई ना कोई गिल्ट ज़िन्दगी भर सालता रहता है...<br />और कोई भी इस से बरी नहीं है...छोटी या बड़ी गिल्ट..पीछा करती ही रहती है..काश! उस समय ऐसा किया होताrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-37684164436944742792010-12-01T15:49:44.778+05:302010-12-01T15:49:44.778+05:30ऐसी घटनाओं के बारे में सुनकर बेहद दुःख होता है! मा...ऐसी घटनाओं के बारे में सुनकर बेहद दुःख होता है! मार्मिक कथा!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-16108216925645420742010-11-30T23:41:47.635+05:302010-11-30T23:41:47.635+05:30इस दुनिया को ऐसे पागलों,सनकियों की सख़्त दरकार है,...इस दुनिया को ऐसे पागलों,सनकियों की सख़्त दरकार है,ताकि मानवजाति की संवेदनशीलता के क़िस्से क़िताबों में सिमटकर न रह जाएं;ताकि यह सिद्ध करने की ज़रूरत न रहे कि मनुष्य सभी प्राणियों में श्रेष्ठ कैसे है और,ताकि मानवता गौर से देख सके कि पागल कौन है!कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-80410318261222451172010-11-30T23:15:50.462+05:302010-11-30T23:15:50.462+05:30वे पागल नहीं हैं, लोगों का मुंह कौन पकड़ सकता है। ...वे पागल नहीं हैं, लोगों का मुंह कौन पकड़ सकता है। पागल और नफरत के लायक तो वे हैं जिन्होंने उस बालक को गटर में फेंका। पहले तो खुद कुकर्मों के गटर में गुसे उसके बाद एक निर्मल मन और देह के शिशु को गटर में फेंक दिया। उफ! समाज किधर जा रहा है........ देख-देख कर बहुत पीढ़ा होती है।लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-25450465116095298152010-11-30T21:57:48.241+05:302010-11-30T21:57:48.241+05:30हम सब सुसील जी की ही तरह गलितया करते है
और फिर बा...हम सब सुसील जी की ही तरह गलितया करते है <br />और फिर बाद मे पछताते है।Deepak Sainihttps://www.blogger.com/profile/04297742055557765083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-34761017853032294212010-11-30T18:29:59.420+05:302010-11-30T18:29:59.420+05:30कौन पागल है, यह प्रश्न और चुभने लगा है!कौन पागल है, यह प्रश्न और चुभने लगा है!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-5260540128815395122010-11-30T18:05:51.465+05:302010-11-30T18:05:51.465+05:30hum to kuch kah bhi nahi sakte......
pranamhum to kuch kah bhi nahi sakte......<br /><br />pranamसञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-58852452626862679922010-11-30T15:43:24.941+05:302010-11-30T15:43:24.941+05:30दिमाग को सन्न कर देनी वाली घटना बयां की है आपने......दिमाग को सन्न कर देनी वाली घटना बयां की है आपने...कई बार एक छोटी सी भूल उम्र भर इंसान को सालती रहती है...लेकिन ये सच है हम संज्ञा शून्य हो गए हैं और अब भी अपने को इंसान समझते हैं...इतना भाव शून्य तो जानवर भी नहीं होता...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-15404670126268769282010-11-30T13:10:39.263+05:302010-11-30T13:10:39.263+05:30अब जो होना था हो गया, और भावुक इंसान को जि़दगी भर ...अब जो होना था हो गया, और भावुक इंसान को जि़दगी भर इसका मलाल रहता है। पर बेहतर होता कि दुनियादारी को छोड़कर उस वक्त उस बच्चे की जान बचाने कि कोशिश की जाती। आपके मित्र ने तो उस अपराध को स्वीकार करके पछताप तो किया, पर बाकी कितने लोग ऐसे होंगे, जिन्होंने बच्चे की मां को तो गाली दी होगी, पर अपने अंतर्मन में झांकने कि कोशिश की होगी। जाहिर है ऐसा समाज औऱ उसका वातावरण भाड़ में जाए, जो नवजात को ज़िदगी न दे, वो भी तब जब वो बेसहारा हो। कम से कम उसे अस्पताल या पुलिस तक पहुंचाने में लगे व्यक्ति को हतोत्साहित करने का समाज को हक नहीं, जो खुद तो कुछ नहीं करता, जो कर रहा हो उसे भी नहीं करने देता है। लानत और सिर्फ लानत ऐसे पूरे समाज पर......Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-91353844906321879282010-11-30T11:30:15.046+05:302010-11-30T11:30:15.046+05:30.मुंशी प्रेमचंद की कहानी बौड़म में भी भले आदमी के ....मुंशी प्रेमचंद की कहानी बौड़म में भी भले आदमी के लिए यही ख़िताब था जैसा क़ि आपके द्वारा वर्णित सुशील बाबू के लिए लोगों ने कह दिया. आज वास्तव में मानवीयता का पालन करना भी दुष्कर है.vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-26543713763651017562010-11-30T11:26:39.503+05:302010-11-30T11:26:39.503+05:30शरीर में जो घाव भर नहीं पाता ... ताउम्र दुर्गन्ध म...शरीर में जो घाव भर नहीं पाता ... ताउम्र दुर्गन्ध मारता रहता है.... उसमे कीड़े पड़ जाते है... दुर्गंधियाते रहते हैं...... ऐसे ही भावुक मन की मनोस्तिती होती है.... <br /><br />कोई ऐसी घटना हो जाए तो - सारी जिंदगी उसी क्षण-मात्र तो याद करते करते ये दुर्गन्ध इंसान को 'पागल'सा ही बना देती है..<br /><br />सुशील बाबू को नमन !दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-2025840435280513782010-11-30T10:00:25.040+05:302010-11-30T10:00:25.040+05:30संवेदना को झकझोरती हुई व्यवस्था पर प्रहार करती आपक...संवेदना को झकझोरती हुई व्यवस्था पर प्रहार करती आपकी पोस्ट सच का आईना है ! अब समय आ गया है कि हम व्यवस्था में सुधार लायें जिससे लोग बेझिझक मदद करने के लिए आगे बढ़ें !<br />-ज्ञानचंद मर्मज्ञज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-89556515203962456022010-11-29T23:33:36.752+05:302010-11-29T23:33:36.752+05:30एक संवेदनशील मन की कथा ...एक संवेदनशील मन की कथा ...मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-923599414576233142010-11-29T21:40:28.795+05:302010-11-29T21:40:28.795+05:30बहुत ही मार्मिक पोस्ट. सब व्यवस्था का दोष है. आख...बहुत ही मार्मिक पोस्ट. सब व्यवस्था का दोष है. आखिर ऐसी व्यवस्था पनपी है ना कि लोग लफड़े में फसनें की वजह से दूसरे की मदद करने की हिम्मत नहीं कर पाते.उपेन्द्र नाथhttps://www.blogger.com/profile/07603216151835286501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-3413538840974413232010-11-29T18:27:57.819+05:302010-11-29T18:27:57.819+05:30ह्रदय को बेधित करती पोस्ट.. पागल हम लोग है.. सुशिल...ह्रदय को बेधित करती पोस्ट.. पागल हम लोग है.. सुशिल जी नहीं..कुमार पलाशhttps://www.blogger.com/profile/04395975925949663661noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-9749191934762804912010-11-29T18:26:05.377+05:302010-11-29T18:26:05.377+05:30हमरा रोया सिहर गया.. लगा सुनील जी हमही हैं..हमरा रोया सिहर गया.. लगा सुनील जी हमही हैं..अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-81618209036205266942010-11-29T17:02:10.750+05:302010-11-29T17:02:10.750+05:30सुशील बाबु के यह घाव जीवन भर रीसता रहेगा। जिसके जि...सुशील बाबु के यह घाव जीवन भर रीसता रहेगा। जिसके जिम्मेदार कोई और मां-बाप व पंगु व्यव्स्था है।<br /><br />किस किस तरह हम लाचार कर देंगे सम्वेदनाओं को………?????सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-30996420324129140972010-11-29T16:56:21.248+05:302010-11-29T16:56:21.248+05:30बहुत अच्छा लिखा है |हर हादसे के बाद उससे उबरना आसा...बहुत अच्छा लिखा है |हर हादसे के बाद उससे उबरना आसान नहीं होता <br />अभी भी संवेदना जीवित है |बधाई अच्छे लेखन के लिए <br />आपको चित्र पसन्द आया बहुत बहुत धन्यवाद |<br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-39245140483867747632010-11-29T16:19:24.869+05:302010-11-29T16:19:24.869+05:30उफ़ त्रासद है ..ऐसे हालत और सिस्टम की मजबूरी ..मुझ...उफ़ त्रासद है ..ऐसे हालत और सिस्टम की मजबूरी ..मुझे याद आ रही है समीर लाल जी कि एक पोस्ट जिसमें उन्होंने बताया था कि canada में कैसे एक हाइवे पर जाम लग गया था क्योंकि एक गूस अपने अंडे देने के लिए बीच सड़क पर बैठी थी और इस वजह से पूरा ट्रेफिक डाइवर्ट कर दिया गया था परन्तु उस गूस को वहां से नहीं भगाया गया.<br />पर हमारे यहाँ तो बीच सड़क पर मरने के लिए बच्चों को छोड़ जाते हैं,और सिस्टम के डर से कोई मदद नहीं कर पाता.<br />हम सिर्फ ढोंग करते हैं अपने मानवीय संस्कारों का .shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-86153090036030872332010-11-29T11:26:54.874+05:302010-11-29T11:26:54.874+05:30karun ras ki bhwbhini yaaden, man drvit kar gayee....karun ras ki bhwbhini yaaden, man drvit kar gayee.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.com