tag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post5112348485158836438..comments2024-02-20T15:42:35.518+05:30Comments on चला बिहारी ब्लॉगर बनने: प्यार भरा तोहफा!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttp://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comBlogger47125tag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-89317148471252025062012-10-08T04:58:11.027+05:302012-10-08T04:58:11.027+05:30रस्किन बोंड के साइन की हुई किताब,,,,,.....
बाउ जी,...रस्किन बोंड के साइन की हुई किताब,,,,,.....<br />बाउ जी, ये तो सच में कमाल का तोहफा है |<br /><br />सादर Akash Mishrahttps://www.blogger.com/profile/00550689302666626580noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-33783570703658739292011-12-28T06:17:06.109+05:302011-12-28T06:17:06.109+05:30यह खज़ाना मिलने की बधाई! हमका आने में थोरा देर हो ...यह खज़ाना मिलने की बधाई! हमका आने में थोरा देर हो गयी<br />।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-85983344369424276672011-12-28T06:15:34.113+05:302011-12-28T06:15:34.113+05:30देर से सही (बस एक साल), यह खज़ाना मिलने की बधाई!देर से सही (बस एक साल), यह खज़ाना मिलने की बधाई!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-13771574678439371532010-12-16T22:20:31.847+05:302010-12-16T22:20:31.847+05:30सच में, किताबों से बेहतर तोहफा मुश्किल ही है.सच में, किताबों से बेहतर तोहफा मुश्किल ही है.Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-17885991499243116722010-12-16T18:34:25.369+05:302010-12-16T18:34:25.369+05:30हीरे की कद्र तो जौहरी ही कर सकता है।
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प्...हीरे की कद्र तो जौहरी ही कर सकता है।<br /><br />---------<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">प्रेत साधने वाले। </a> <br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">रेसट्रेक मेमोरी रखना चाहेंगे क्या?</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-57987968970979213132010-12-16T11:10:01.454+05:302010-12-16T11:10:01.454+05:30बहुत अच्छा लिखा है...वाकई अपने पसंद के लेखक की लिख...बहुत अच्छा लिखा है...वाकई अपने पसंद के लेखक की लिखी हुई किताब पर उन्हीं के लिखावट में लिखा हुआ कुछ भी मिल जाए तो प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहता...लेकिन किसी का उपहार वो भी ऑटोग्राफ्ड, उसको बेचना ये तो अच्छी बात नहीं...खैर विज्ञान का सिद्धांत पानी ने जगह खोज ली, और आपके पास आ गई। आपके लिए अच्छा रहा...बधाई...वीना श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09586067958061417939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-23763878214212078862010-12-16T00:07:03.474+05:302010-12-16T00:07:03.474+05:30भाई साहब हमने भी दोस्तों को जन्मदिन पर किताब देना ...भाई साहब हमने भी दोस्तों को जन्मदिन पर किताब देना शुरू कर दिया है। किताबों का तो सच कहूं अलग ही संसार होता है, कोई किताब मन को भा जाए तो बस उसे खत्म किए बिना छोडऩे का मन ही नहीं करता।लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-46227000478509559012010-12-15T21:14:08.131+05:302010-12-15T21:14:08.131+05:30बात अलमारी से शुरू कर किताबों कि दुनियाँ की सैर तक...बात अलमारी से शुरू कर किताबों कि दुनियाँ की सैर तक पहुँच गयी ....मैं तो बहुत देर से आई इस पोस्ट पर ...कल से मेरे ब्लॉग का डैशबोर्ड नहीं खुल रहा है ...<br /><br />आपकी लाईब्रेरी के बारे में पढ़ बहुत अच्छा लगा ..जन्मदिन पर मुझे भी किताबें उपहार में देना अच्छा लगता है ...और मुझे अच्छी किताबें मिली भी हैं ...<br /><br />क्या आपके पास --- आज़ाद की पिस्तौल और उसके गद्दार साथी ---( धर्मेन्द्र गौढ़ ) की लिखी पुस्तक है ? मौका मिले तो ज़रूर पढियेगा ..<br /><br />आभार ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-72161871432258031582010-12-15T21:05:48.844+05:302010-12-15T21:05:48.844+05:30किताबों से दोस्ती करने का अपना अलग ही आनंद है।
......किताबों से दोस्ती करने का अपना अलग ही आनंद है।<br />...एक बार एक व्यक्ति मेरे घर आया और कमरे के चारों तरफ रैक में रखी किताबों को देखकर बोला- आप किताबें बेचते हैं क्या ?महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-24026414744021733632010-12-15T17:56:48.980+05:302010-12-15T17:56:48.980+05:30'PANI APNA SATAH KHUDIYE DHOONDH LETA HAI'...'PANI APNA SATAH KHUDIYE DHOONDH LETA HAI'<br /><br />AP BHI NA JANE KYA KAH JATE HAIN KAHAWAT KI TARAH.<br /><br /><br />PRANAM.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-75989490764073299752010-12-15T15:53:43.399+05:302010-12-15T15:53:43.399+05:30कितनी सुन्दरता से यादों को संजोया है..किताब से प्...कितनी सुन्दरता से यादों को संजोया है..किताब से प्रेम पीढ़ी दर पीढ़ी चलता है..और यही विरासत अक्षुन्न रहती है.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-31326237500111429012010-12-15T12:15:32.299+05:302010-12-15T12:15:32.299+05:30पांच लाख से भी जियादा लोग फायदा उठा चुके हैं
प्यार...पांच लाख से भी जियादा लोग फायदा उठा चुके हैं<br />प्यारे मालिक के ये दो नाम हैं जो कोई भी इनको सच्चे दिल से 100 बार पढेगा। <br />मालिक उसको हर परेशानी से छुटकारा देगा और अपना सच्चा रास्ता<br /> दिखा कर रहेगा। वो दो नाम यह हैं।<br />या हादी<br />(ऐ सच्चा रास्ता दिखाने वाले)<br /><br />या रहीम<br />(ऐ हर परेशानी में दया करने वाले)<br /><br />आइये हमारे ब्लॉग पर और पढ़िए एक छोटी सी पुस्तक <br />{आप की अमानत आपकी सेवा में} <br />इस पुस्तक को पढ़ कर<br /> पांच लाख से भी जियादा लोग <br />फायदा उठा चुके हैं ब्लॉग का पता है aapkiamanat.blogspotcomThakur M.Islam Vinayhttps://www.blogger.com/profile/06700382536245661214noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-20501109921375610472010-12-15T07:30:11.013+05:302010-12-15T07:30:11.013+05:30किताबों के बीच कभी अकेलापन नहीं महसूस होता ।ये शौक...किताबों के बीच कभी अकेलापन नहीं महसूस होता ।ये शौक अगली पीढ़ियों तक फैलता रहे ,फैलता रहे---- <br /><br />आपके प्रोफाइल में ईमेल आई डी नहीं है ,इसलिये यहां लिख रहा हूं-मुझे श्री रामेश्वर सिंह कश्यप लिखित ’लोहा सिंह’ किताब की तलाश है । कहां मिलेगा ,मदद करिये ।मेरा ईमेल पता है-ajaiji112@gmail.comअजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-46707277081879989772010-12-15T07:22:03.115+05:302010-12-15T07:22:03.115+05:30किताबों के बीच कभी अकेलापन नहीं महसूस होता ।ये शौक...किताबों के बीच कभी अकेलापन नहीं महसूस होता ।ये शौक अगली पीढ़ियों तक फैलता रहे ,फैलता रहे----अजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-45087431382526473172010-12-14T22:22:11.293+05:302010-12-14T22:22:11.293+05:30आपकी इस सुन्दर पोस्ट की चर्चा
बुधवार के चर्चामंच ...आपकी इस सुन्दर पोस्ट की चर्चा <br />बुधवार के चर्चामंच पर भी लगाई है!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-60031900876895805572010-12-14T20:44:44.774+05:302010-12-14T20:44:44.774+05:30ऐसी ही पुरानी किताबे खरीदकर कितने ही अलमारी बहरभर ...ऐसी ही पुरानी किताबे खरीदकर कितने ही अलमारी बहरभर दी |अब जगह नहीं है तो बहुत लायब्रेरी में दे दी है |<br />और आजकल तो रोज ही घर पर किताब बेचने वाले आते है \शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-36142380261719912912010-12-14T16:07:23.099+05:302010-12-14T16:07:23.099+05:30सलिल जी, आज का पोस्ट पढते पढते दिमाग कई जगह घूम गय...सलिल जी, आज का पोस्ट पढते पढते दिमाग कई जगह घूम गया है... पुराना........ बीते हुवे दिन, प्रेस का (बिगड़ा) काम काज, स्याही दवात और स्याही वाले पैन से होली, हमरी किताबों का कबाडी में बिकना....... किसी कबाडी को रोक कर किताब छांटना...... सफर में किताब खरीदने से घर वालों को गुस्सा आना (और कौन टाइम पास करेगा). इत्यादि इयादी....... अत अपनी लिख दी...... पोस्ट से हटकर टीप दिए.दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-51617128191066578802010-12-14T16:03:01.206+05:302010-12-14T16:03:01.206+05:30सलिल जी,
आपके पोस्ट में हमेशा कुछ न कुछ ऐसा मिल ही...सलिल जी,<br />आपके पोस्ट में हमेशा कुछ न कुछ ऐसा मिल ही जाता है जो पाठक की संवेदना को झकझोर देता है जैसे इस पोस्ट में ,<br />जहाँ खिलौना टूट फूट जाता है या कपड़ा फट जाता है या छोटा हो जाता है, किताब बच्चा के साथ बड़ा होता जाता है...<br />किताबों के माध्यम से किताबों से जुडी तमाम पुरानी यादों को आपने जिन्दा कर दिया!<br />धन्यवाद!<br />-ज्ञानचंद मर्मज्ञज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-51317151518564457262010-12-14T15:51:56.863+05:302010-12-14T15:51:56.863+05:30सही में..पढ़कर धक्का लगा...कैसा अभागा आदमी होगा,जो...सही में..पढ़कर धक्का लगा...कैसा अभागा आदमी होगा,जो ऐसे अनमोल चीज की कीमत नहीं समझ सका...<br /><br />हमसे तो कभी कोर्स का पुराना किताब भी नहीं बेचा गया कबाड़ी में...किताब से प्यारा हमारे लिए दुनिया में और कुछ भी नहीं..रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-73606421080955587262010-12-14T15:26:39.669+05:302010-12-14T15:26:39.669+05:30आपकी तरह हमें भी किताबों का शौक है, जयपुर में जब क...आपकी तरह हमें भी किताबों का शौक है, जयपुर में जब कभी पुस्तक मेला लगता है तो हमारा अधिकाँश समय वहीँ किताबें देखने खरीदने में ही जाता है...किताबों के पहले पृष्ठ पर अपना नाम कहाँ से खरीदी और कब ये हम लिख देते हैं...पुराणी किताब कभी खोलते हैं तो ये सब पढ़ कर बहुत सी घटनाएं याद आ जाती हैं...इतना किताब हो गया है के सोचते हैं अब क्या करें...यहाँ से जब नौकरी छोड़ कर जयपुर जायेंगे तो सोचा है एक कमरे का लाइब्रेरी खोलेंगे जिसमें जनता के लिए पढ़ने की सुविधा प्रदान कराएँगे...हमारी किताबें जितनी चाहे पढ़ो लेकिन वहीँ बैठ कर...<br />ऐसा ही कलेक्शन संगीत और फिल्मों का भी है...देखो क्या करते हैं उसका...जब खरीदते हैं तब थोड़े ही सोचते हैं के हमारे बाद इसका क्या होगा...<br />इत्ता किताब खरीदा लेकिन आपकी तरह रस्किन बंद या ऐसा ही कोई का हस्ताक्षर युक्त किताब अभी तक नहीं मिला हमें...इन्तेज़ार करेंगे हम भी.<br />बहुत रोचक पोस्ट.<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-39124547443774515222010-12-14T12:07:42.683+05:302010-12-14T12:07:42.683+05:30sachmuch kitabon men apna bhi kitna kuch chipa hua...sachmuch kitabon men apna bhi kitna kuch chipa hua rahta hai.kitni aatmiy lagne lagtin hain kitaben khaskar puraniwali.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-7766736044760358092010-12-14T10:23:17.417+05:302010-12-14T10:23:17.417+05:30पुरानी पुस्तकों के श्रेष्ठ संकलन की आपूर्ति तो आज ...पुरानी पुस्तकों के श्रेष्ठ संकलन की आपूर्ति तो आज भी सेकन्ड हेन्ड पुस्तक विक्रेता (कबाडी) के यहाँ ही हो पाती है.Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-87804960599307615592010-12-14T10:10:51.791+05:302010-12-14T10:10:51.791+05:30ruskin bond ke autograph wali kitaab............!!...ruskin bond ke autograph wali kitaab............!!!!!!! <br />kaun kambakht naamuraad mua bech gaya aisi kitaab....kaash mujhe mili hoti....!!<br /><br />kya likha hai dadu...sacchi, maza aa gaya padhke. Pata hai, jab main choti thi na....i mean jab main aur bhi choti thi ;) to gaon jaane par bohot bore hoti thi (kyunki mere cousins aurr bi tingu the, bas rote rehte the ;) to main puraane kamre jahan gehun jau chat par bhare rehte the...wahan ghus jaati thi...us kamre mein ek taand thi (aapko to pata hi hoga taand) wahan papa chacha ke bachpan ki kitaabein padi rehti thi....aur jangle ki raushni mein main padhti rehti thi...ek din to ghanton ho gaye...bahar nikli to dekha gharwaale mujhe dhoond dhoondh ke badhaal the.....hiihihi<br /><br />uff....kinnni bak bak karti hoon na main ;)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-89174406269605804062010-12-14T09:56:19.027+05:302010-12-14T09:56:19.027+05:30जब रद्दी वाला रद्दी लेने आता है तो मै उसके बोरे मे...जब रद्दी वाला रद्दी लेने आता है तो मै उसके बोरे मे पुरानी लिताबें तलाशती हूँ जिन्हें लोग व्यर्थ समझ कर दे जाते हैं। कई बार बहुत काम की किताबें मिल जाती हैं। अच्छा लगा आलेख। धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-66260380434322247622010-12-14T09:50:19.646+05:302010-12-14T09:50:19.646+05:306/10
बढ़िया पोस्ट
कबाड़ी के यहाँ प्रायः श्रेष्ठ ...6/10<br /><br />बढ़िया पोस्ट <br />कबाड़ी के यहाँ प्रायः श्रेष्ठ साहित्य मिल जाता है <br />एक समय था जब लोग गिफ्ट में किताबें देते थे, <br />एक वो भी समय था जब हम किसी का पुस्तक प्रेम देखकर ही उसके दोस्त बन जाते थे. <br />मेरे एक दोस्त हैं किताबों के जबरदस्त रसिया. उनकी हर किताब के पहले पन्ने पर ही लिखा मिल जाएगा कि किस रेलवे स्टेशन पर कहाँ जाते समय खरीदी थी, क्योंकि वे प्रायः सफर करते रहते हैं.<br />=============<br />आपकी पोस्ट देखकर एक लतीफा याद आ गया <br />अर्ज़ है : <br />एक साहब के पास बहुत ढेर सारी किताबों का कलेक्शन था. एक बार उनका कोई परिचित आया तो इतनी किताबें देखकर चकित हुआ. बोला- 'बड़ा जबरदस्त कलेक्शन है. इनको करीने से रखने के लिए आपको बुकसेल्फ़ भी रखनी चाहिए.'<br />वो साहब बोले- 'हाँ भाई, बात तो आपकी सही है, लेकिन दिक्कत यह है कि बुकसेल्फ़ कोई मांगने से देगा नहीं न :)उस्ताद जीhttps://www.blogger.com/profile/03230688096212551393noreply@blogger.com