tag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post6584476429224533744..comments2024-02-20T15:42:35.518+05:30Comments on चला बिहारी ब्लॉगर बनने: सर्दी का सुखचला बिहारी ब्लॉगर बननेhttp://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comBlogger48125tag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-21664878900643653632012-10-08T04:52:40.462+05:302012-10-08T04:52:40.462+05:30खाने का जिक्र करके आपने घर की याद दिला दी , कढ़ी ,...खाने का जिक्र करके आपने घर की याद दिला दी , कढ़ी , लौकी के कोफ्ते , गोभी-आलू :( :( :(<br />मेस में कहाँ वो स्वाद . <br /><br />सादरAkash Mishrahttps://www.blogger.com/profile/00550689302666626580noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-48183665845606067182010-12-14T11:54:31.179+05:302010-12-14T11:54:31.179+05:30aap bahut achchi tarah se yaadon ko pakadkar le aa...aap bahut achchi tarah se yaadon ko pakadkar le aate hain.sach hai ki jada avhaw men aur bhi khalta hai.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-89744463208236607312010-12-13T21:13:13.983+05:302010-12-13T21:13:13.983+05:30किसी भी विषय पर आपकी प्रस्तुति उसे रोचक और पठनीय ब...किसी भी विषय पर आपकी प्रस्तुति उसे रोचक और पठनीय बनादेती है । सर्दी के बारे में पढते हुए लगा कि यह सब तो हमें भी लिखना था।<br />पर क्या इतनी जीवन्तता से लिख पाना आसान है ।गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-74017377982286724072010-12-13T19:14:18.014+05:302010-12-13T19:14:18.014+05:30बढ़िया प्रस्तुति...सर्दी से जुड़े बहुत सारे एहसास या...बढ़िया प्रस्तुति...सर्दी से जुड़े बहुत सारे एहसास याद आने लगे।संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-87831731773430532742010-12-13T15:03:08.709+05:302010-12-13T15:03:08.709+05:30ये आपने सही कहा ... सर्दी का मौसम ग़रीब आदमी के लि...ये आपने सही कहा ... सर्दी का मौसम ग़रीब आदमी के लिए भगवान की मार ही है ... आप का लिखने का अंदाज़ बहुत रोचक बना देता है पोस्ट को ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-86584219079848806532010-12-13T14:01:09.090+05:302010-12-13T14:01:09.090+05:30@प्रेम बाबू!
एक हाली मांग के देखीं, छीने के जरुरत ...@प्रेम बाबू!<br />एक हाली मांग के देखीं, छीने के जरुरत ना पडी!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-46670058937979127702010-12-13T13:47:37.242+05:302010-12-13T13:47:37.242+05:30भाई जी- तोहार कलमिया छीन लेबे के मन करत बा।भाई जी- तोहार कलमिया छीन लेबे के मन करत बा।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-41410565974881522042010-12-13T09:33:27.116+05:302010-12-13T09:33:27.116+05:30बहुत ही सुन्दरता से आपने सर्दी के मौसम का वर्णन कि...बहुत ही सुन्दरता से आपने सर्दी के मौसम का वर्णन किया है ! मुझे सर्दी का मौसम बेहद पसंद है और इसी समय का मैं बड़े बेताबी से इंतज़ार करती हूँ !<br />मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-<br />http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-6700845296647228332010-12-12T23:37:20.329+05:302010-12-12T23:37:20.329+05:30aapki ye post thand ki meethe sursurahat ka ashsaa...aapki ye post thand ki meethe sursurahat ka ashsaas dila rahi haiDevhttps://www.blogger.com/profile/05009376638678868909noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-67688594594802105022010-12-12T21:41:13.448+05:302010-12-12T21:41:13.448+05:30सलिल सर
अब हम क्या कहें इस पोस्ट पर.. सब कुछ कहा ...सलिल सर <br />अब हम क्या कहें इस पोस्ट पर.. सब कुछ कहा जा चूका है.. हमको तो नबका आलू को घूर में पकाना याद आ रहा है... पैर का फटना याद आ रहा है.. और माँ को चूल्हा में पैर रख के ओस में गोतनी से बतियाना याद आ रहा है... बहुत सुन्दर पोस्ट... बड़े शहर जाके आप बदले नहीं सो अच्छा लग रहा है..कुमार पलाशhttps://www.blogger.com/profile/04395975925949663661noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-9596223126286922442010-12-12T17:05:50.974+05:302010-12-12T17:05:50.974+05:30भैया, पिता जी ने बिलकुल सच कहा था!भैया, पिता जी ने बिलकुल सच कहा था!nilesh mathurhttps://www.blogger.com/profile/15049539649156739254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-79840137795600124742010-12-11T20:55:43.844+05:302010-12-11T20:55:43.844+05:30सर्दी का सुख मुझे बचपन की यादों में ले गया ... सचम...सर्दी का सुख मुझे बचपन की यादों में ले गया ... सचमुच आपके लेखन में अद्-भुत जुड़ाव शक्ति है । आपके लेखन-प्रवाह को सलाम !!!मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-11032958967918643992010-12-11T20:06:43.721+05:302010-12-11T20:06:43.721+05:30‘‘औरत लोग एक जगह झुण्ड बनाकर बईठ जाती हैं अऊर सुईट...‘‘औरत लोग एक जगह झुण्ड बनाकर बईठ जाती हैं अऊर सुईटर के फंदा में अपना सुख दुःख बुनते चली जाती हैं, कभी कोनो दुःख को उधेड़कर रख दिया अऊर कभी कोनो सुख को बुन दिया, हर फंदा के साथ प्यार बुनाता जाता है।‘‘<br /><br />आपका गद्य किसी गंभीर कविता से कम नहीं।...ऐसा गद्य लेखन विरले ही लिख पाते हैं। बार-बार पढ़ने को मन करता है।...एक तो भोजपुरी की मिठास और दूसरा गद्य का सरित-प्रवाह...पढ़कर मन को चैन मिलता है...आभार सलिल जी।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-10458916917674800912010-12-11T19:54:34.002+05:302010-12-11T19:54:34.002+05:30aap ki bahut badhiya prastuti.waise mai kolkata s...aap ki bahut badhiya prastuti.waise mai kolkata se ek baar delhi jadhe me gaya,to rajai ke sath heater jala ke sona padha tha.waise mera sara bachapan kolkata me hi bita,is liye bachapan ki yaad taro taja ho gai.bhojpuri jyada bolata tha aur bangala bhi .jade ke ssg-sabji,bade lubhawane hote hai.aap ke pita ji thik hi kahate the,jada rajai walo ki hai.aap ke blog par mai aaj pahali baar aaya hun aur follw bhi kar raha hun.rauaa ke bahut-bahut badhai.thank you very much.G.N.SHAWhttps://www.blogger.com/profile/03835040561016332975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-85279610957048994032010-12-11T19:40:34.097+05:302010-12-11T19:40:34.097+05:30बिलकुल सही जिसके पास साधन हैं सर्दी उनके लिये ही अ...बिलकुल सही जिसके पास साधन हैं सर्दी उनके लिये ही अच्छी है। वैसे अगर मुंगफली खाने को न होती तो सर्दिओं का मज़ा भी आधा रह जाता। रजाई मे गर्म पानी की बोतल और मुंगफली वाह । अच्छी लगती हैं सर्दियाँ। शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-55103538256598989662010-12-11T16:50:47.129+05:302010-12-11T16:50:47.129+05:30सजीव संस्मरण ,सब याद आ गया ।सजीव संस्मरण ,सब याद आ गया ।अजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-28920344189016152562010-12-11T15:12:21.041+05:302010-12-11T15:12:21.041+05:30आपने बहुत सही बताया कि,साधन -विहीनो को सर्दी जान ल...आपने बहुत सही बताया कि,साधन -विहीनो को सर्दी जान लेवा है.इसी प्रकार गर्मी और वर्षा भी गरीबों के लिए मारक ही हैं. पर व्यवस्था को चिंता कहाँ है ?vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-32104255107257023912010-12-11T13:41:46.992+05:302010-12-11T13:41:46.992+05:30सलिल जी,
`पानी माँगने पर सब बच्चा लोग एक दूसरे का ...सलिल जी,<br />`पानी माँगने पर सब बच्चा लोग एक दूसरे का मुह देखते थे कि कौन उठे और सबसे कमज़ोर को उठना पड़ता था !` वाह ! पढ़ कर लगता है हम भी वही थे ! कलकत्ता में ठण्ड से बचने के लिए लोगों का भट्ठी के अन्दर अपने आधे बदन को डालने वाली बात ने आदमी कि विवशता पर सोचने पर मज़बूर कर दिया !<br />ठण्ड के सजीव चित्रण ने बंगलोर में भी ठण्ड का अहसास करा दिया !<br />बहुत आभार !<br />-ज्ञानचंद मर्मज्ञज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-25883741155528712892010-12-11T13:23:31.890+05:302010-12-11T13:23:31.890+05:30पोस्ट तो पहले पढ़ चुकी थी पर चर्चा के काम में लगी ...पोस्ट तो पहले पढ़ चुकी थी पर चर्चा के काम में लगी थी ..कुछ कह कर नहीं गयी ....<br /><br />जादे की खुमारी उतारी भी नहीं कि ठण्ड में ठिठुरते उन लोगों का ज़िक्र थर्रा गया ....सच में आपके पिताजी कितना सही कहते थे ...गर्मी में तो लोंग जैसे भी ज़िंदगी बसर कर लेते हैं पर सर्दी में बिना घर के और कपड़ों के कैसे बिताता होगा जाड़े का वक्त सोच कर ही झुरझुरी आ रही है ...लेखन बहुत शक्तिशाली ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-74374037454666376562010-12-11T12:29:01.808+05:302010-12-11T12:29:01.808+05:30हमहूँ इस पोस्ट का शुरुवात पढ़े तो जाडा के बारे में...हमहूँ इस पोस्ट का शुरुवात पढ़े तो जाडा के बारे में कसीदे पढ़ने वले थे ..लेकिन पोस्ट के अआखिर में थर्रा देने वाली घटना को देख को समझे में नहीं आ रहा है कि का कहें... सच में प्रकृति अँवरा हो जले कब्बो कब्बो ..बर्दास्त न का होला की स्थित में खट्ट और बर्दास्त हो गईल ता मिट्ठस्वप्निल तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/17439788358212302769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-34182836037301930512010-12-11T10:16:10.442+05:302010-12-11T10:16:10.442+05:30मौसम कोई भी हो अमीरी में ही अच्छा लगता है!मौसम कोई भी हो अमीरी में ही अच्छा लगता है!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-21351689572886963332010-12-11T08:31:09.950+05:302010-12-11T08:31:09.950+05:30सुन्दर और अनोखा अन्दाजसुन्दर और अनोखा अन्दाजM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-18463349959945592142010-12-11T04:45:42.030+05:302010-12-11T04:45:42.030+05:30कुछ समय पहले तक जाड़े का मौसम हमें भी बहुत पसंद था...कुछ समय पहले तक जाड़े का मौसम हमें भी बहुत पसंद था, विचारशून्य ब्लॉग पर एक पोस्ट पढ़ी थी। दीप पांडेय जी की माताश्री के भी ऐसे ही विचार जानने को मिले, जैसा आपके बाबूजी ने कहा, "“जिनके पास साधन है उनके लिए तो बहुत अच्छा मौसम है. मगर जिनके पास अभाव है, उनके लिए भगवानी मार है.” कितनी साधारण बात लगती है अब, लेकिन जब तक इस नजरिये से नहीं देखा था, ऐसा सोचा ही नहीं था।<br />आप हमें उस समय में नहीं ले जाते, समय को ही खींचखांच कर आंखों के सामने ला हाजिर करते हैं। सब सजीव हो उठता है, संस्मरणात्मकता में कौनो इस्पेशल कोर्स किये हैं आप जरूर, मनोज कुमार जी ने भी आपके ब्लॉग का जिक्र अपनी पोस्ट में किया था। सलिल साहब, सैल्यूट तो हम भी लगा ही सकते हैं, लगा रहे हैं।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-21584041968086784962010-12-10T23:10:32.355+05:302010-12-10T23:10:32.355+05:30सलिल जी आपके इस पोस्ट को पढ़ के दादी की गांती याद ...सलिल जी आपके इस पोस्ट को पढ़ के दादी की गांती याद आ गई.. मोटा दुसुती चादर को लपेट के ऐसे बंधती थी क्या मजाल पाला भी छाती और गर्दन में घुस जाए.. कभी निमोनिया नहीं हुआ मुझे... आज मेरे बच्चे हैं... स्वेटर... हीटर... और तमाम केयर के बावजूद प्रोन हैं सर्दी जुकाम निमोनिया के.. सुन्दर संस्मरण...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-19431292013119917802010-12-10T21:46:37.998+05:302010-12-10T21:46:37.998+05:30यह तो खैर एक ठोस सत्य है कि गर्मी में तो सिमित साध...यह तो खैर एक ठोस सत्य है कि गर्मी में तो सिमित साधनों वाला आदमी भी अपना काम चला लेता है पर जाड़े में अपना काम चलाना आसान नहीं होता है !<br /><br />बाबु जी ने जीवन के बहुत ही शुरूआती दिनों में आपको यह ज्ञान दिया ... जिसको आपने कलकत्ते में वास्तव में देखा !<br /><br />इन पोस्टो के माध्यम से अपनी इन यादो को हम सब से बांटने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.com