tag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post753934536451909398..comments2024-02-20T15:42:35.518+05:30Comments on चला बिहारी ब्लॉगर बनने: लाइट ले यार!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttp://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comBlogger41125tag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-62643981558200170832012-10-08T02:58:23.863+05:302012-10-08T02:58:23.863+05:30बहुत सही किस्सा है चचा |
सादरबहुत सही किस्सा है चचा |<br /><br />सादरAkash Mishrahttps://www.blogger.com/profile/00550689302666626580noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-76747700115253215652010-09-23T13:08:37.441+05:302010-09-23T13:08:37.441+05:30bahut achcha likhen hain aap.bahut achcha likhen hain aap.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-31600544366904023322010-09-23T00:00:33.975+05:302010-09-23T00:00:33.975+05:30बहुते बढिया लिखे हैं।
पढकर मज़ा आ गया और आपको बधाई...बहुते बढिया लिखे हैं।<br />पढकर मज़ा आ गया और आपको बधाई भी।हास्यफुहारhttps://www.blogger.com/profile/14559166253764445534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-68216827096077667922010-09-22T20:11:57.779+05:302010-09-22T20:11:57.779+05:30ध्यान से देखिये देवेंदर जी, कहीं चस्मा लगाकर चस्मा...ध्यान से देखिये देवेंदर जी, कहीं चस्मा लगाकर चस्मा त नहीं खोज रहे हैं न!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-26042749142060539632010-09-22T18:54:39.238+05:302010-09-22T18:54:39.238+05:30जो जहाँ तन-मन से लगा हो..
...पैसे का लोभी ही नहीं...जो जहाँ तन-मन से लगा हो..<br /><br />...पैसे का लोभी ही नहीं खोजी भी भुलक्कड़ होता है।<br />एक वैज्ञानिक के बारे में सुना था कि वे जब बारिश से भीग कर घर आते थे तो खुद कोने मे खड़े हो जाते थे और अपना छाता सोफे पर रख देते थे!<br />..तीन दिन से हम भी अपना चश्मा ढूँढ रहे हैं और वही पुराने टुटहे चश्मे से काम चला रहे हैं!<br />...कोहू काहू मे मगन, कोहू काहू में मगन।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-39456939694936440852010-09-21T08:50:11.242+05:302010-09-21T08:50:11.242+05:30बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएंVIJAY KUMAR VERMAhttps://www.blogger.com/profile/06898153601484427791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-17064291635942611742010-09-21T01:16:29.784+05:302010-09-21T01:16:29.784+05:30सलिल काका जी...... काका जी चलेगा न...
शुरूआत से ही...सलिल काका जी...... काका जी चलेगा न...<br />शुरूआत से ही समां बांध दिया.... यही हालत हमार होत था। काहे कि हमऊं हिन्दी भाषी रहे और हिन्दी में ही पढ़ाई की है। जब आस-पडोस का बच्चे आते थे पढऩे के लिए तो मन में यही चलता रहता था जो आपने लिखा....... अंत में तो हमें हंसी आई। चाहे इस बात पर हमारी निंदा करे कोई कि एक व्यक्ति की परेशानी पढ़कर हम हंसे। लेकिन वो भी तो कमाल ही किया। अपना फोन दूसरे की जेब में सरका के चल दिया।लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-91418704436616362012010-09-20T20:01:33.276+05:302010-09-20T20:01:33.276+05:30कौन कौन सी बात उठाकर इसमें से कोट करें ?????
एक ए...कौन कौन सी बात उठाकर इसमें से कोट करें ?????<br /><br />एक एक शब्द और बाक्य का पागुर कर रहे हैं.....<br />आनंदम आनंदम !!!<br /><br />अब तो आते रहेंगे...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-34007515398541725912010-09-20T17:38:17.107+05:302010-09-20T17:38:17.107+05:30आज फेर फेरा लगा लिए। मतलब पढे। मज़ा आ गया। आपका लि...आज फेर फेरा लगा लिए। मतलब पढे। मज़ा आ गया। आपका लिखा हुआ बार-बार पढने को मन करता है।<b>बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!</b><br /><br /><a href="http://manojiofs.blogspot.com/2010/09/blog-post_20.html" rel="nofollow">और समय ठहर गया!, ज्ञान चंद्र ‘मर्मज्ञ’, द्वारा “मनोज” पर, पढिए! </a>मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-82424593394225336982010-09-20T13:40:21.492+05:302010-09-20T13:40:21.492+05:30सर ये हाल दुबई मे ही नही.. अप्नी दिल्ली, पट्ना.. म...सर ये हाल दुबई मे ही नही.. अप्नी दिल्ली, पट्ना.. मुम्बई मे भी है... पैसा की पट्टी आन्खो पर चढी हुइ है.. टेसन ही टेन्सन है चारो तरफ़... रोचक सन्स्मरण... आपके पास किस्सगोइ की अद्भुत कला है..अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-1576071937170302892010-09-20T10:56:42.709+05:302010-09-20T10:56:42.709+05:30ये कमोबेश उन सब इंसानों का है जो हर बात में पैसा द...ये कमोबेश उन सब इंसानों का है जो हर बात में पैसा देखते हैं गिनते हैं परेशान रहते हैं .माना के पैसा फ़िज़ूल खर्ची में नहीं उदाना चाहिए किफ़ायत से इस्तेमाल करना चाहिए लेकिन सारा ध्यान सिर्फ पैसे में ही लगा रहे ये भी सही नहीं...<br />अमिताभ का एक फिल्म आया था निशब्द आप देखे या नहीं पाता लेकिन उसका हिरोइन जो अठारह साल का बच्ची है हमेशा उनको कहती थी 'टेक ईट लाईट' हम ऊका वो बात गाँठ बाँध लिए...तब से टेंशन नाम की बिमारी कोसों दूर भाग गयी...<br /><br />आप साधारण सी घटना को कितना रोचक ढंग से प्रस्तुत करते हैं ये आपके असाधारण लेखन का प्रमाण है...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-14925706684064725652010-09-20T00:36:58.329+05:302010-09-20T00:36:58.329+05:30आपकी पोस्ट पढ़ने में मुश्किल तो होती है पर मजा आ ज...आपकी पोस्ट पढ़ने में मुश्किल तो होती है पर मजा आ जाता है :) <br />बढ़िया किस्से.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-59014990839946570292010-09-20T00:14:01.322+05:302010-09-20T00:14:01.322+05:30उफ्फ्फ मेरी मंद बुद्धि आपकी क्लिष्ट बिहारी भाषा नह...उफ्फ्फ मेरी मंद बुद्धि आपकी क्लिष्ट बिहारी भाषा नहीं समझ पाती. लेकिन जितना समझ आया पढ़ कर अच्छा लगा.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-21444552764168072832010-09-19T22:07:19.534+05:302010-09-19T22:07:19.534+05:30अभी हाल में ही किसी ने किस्सा सुनाया कि मुंबई लोक...अभी हाल में ही किसी ने किस्सा सुनाया कि मुंबई लोकल में यात्रा करते हुए भीड़ में उन्होंने अपना मोबाइल किसी दूसरे की जेब में रख दिया...और फिर उन्हें नहीं मिला...हमें विश्वास करना मुश्किल लग रहा था...पर आपकी पोस्ट पढ़ कर तो लगता है, यह सच में हो सकता है.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-76347939456215370462010-09-19T19:28:18.079+05:302010-09-19T19:28:18.079+05:30हा हा हा बहुत कमाल का आदमी था जरूर मेरे जैसा लापरव...हा हा हा बहुत कमाल का आदमी था जरूर मेरे जैसा लापरवाह होगा। लेकिन खाना खाते हुये ध्यान रखती हूँ। बहुत मजेदार पोस्ट है।बधाईनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-68461939327125152202010-09-19T17:00:53.794+05:302010-09-19T17:00:53.794+05:30सही कहें हैं आप .... तेरा का पहाड़ा बहुत दीनो बाद ...सही कहें हैं आप .... तेरा का पहाड़ा बहुत दीनो बाद छूटता है दुबई / शारजाह आने के बाद .... पर ई शूकर है हमारा जुम्मा और शनिवार अधिकतर खाली ही रहता है और तभी हम ब्लॉग जगत से भी दूर रहते हैं .... बहुत अच्छा लगा आपका संस्मरण ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-2061235345429508372010-09-19T14:37:37.242+05:302010-09-19T14:37:37.242+05:30हम त सोचबे नहीं किये थे कि लाइन में आगे लगने का ई ...हम त सोचबे नहीं किये थे कि लाइन में आगे लगने का ई फ़ायदा भी हो सकता है. यहाँ त हर कुछ देर पर अपना जेब देखना पड़ता है कि कोई मोबाइल मार त नहीं लिया.कुच्छे दिन पहिले,कन्सटीचुशन क्लब में,एन सी पी की बैठक में,कोई शरद पवार के पास बैठे एक बड़का नेता का मोबाइल गोल कर दिया.अब आराम से कहीं बतिया रहा होगा.कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-29115940151959248762010-09-19T12:29:47.975+05:302010-09-19T12:29:47.975+05:30paise se tumhara taatparya nishchay hi usi se hoga...paise se tumhara taatparya nishchay hi usi se hoga jise log kahte hath ka mail hai par is mail ko log sahej kar rakhna chahte hai, ise paane k liye kuchh v karne ko taiyar rahte hai, aur mauka mile to doosre ke mail ko apna banane ki koshish v karne se nahi hichakte hai. neeraj ki pankti,"paise ki pehchan yaha isaan ki keemat koi nahi, bach ke nikal ja is basti se karta muhabbat koi nahi."shashi priyahttp://aapoo @ yahoo.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-70482857591325018852010-09-19T11:16:31.544+05:302010-09-19T11:16:31.544+05:30BHAIYA
bahut dino ke baad tumhari ye prastuti padh...BHAIYA<br />bahut dino ke baad tumhari ye prastuti padhkar vini ko rona nahi aaya.....Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-42334818295878047122010-09-19T10:56:24.483+05:302010-09-19T10:56:24.483+05:30खाना खाने के टाइम अगर अंधेरा हो जाए त हाथ का खाना ...खाना खाने के टाइम अगर अंधेरा हो जाए त हाथ का खाना मुँह के जगह नाक में त नहिंए जाता है, मगर अहंकार का अंधकार में आदमी को अपना हाथ से अपना मोबाइल रखने के लिए अपना पॉकिट का भी पता नहीं चलता है !! <br /><br />सच में...संवेदनायें कम हो गयी हैं...Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-73416266245555230842010-09-19T08:43:49.232+05:302010-09-19T08:43:49.232+05:30बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएंArpit Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/16397259582661788791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-74370940212558151452010-09-19T06:42:25.700+05:302010-09-19T06:42:25.700+05:30लाईट लेना ही पड़ेगा ...जब सब संवेदनाएं हों तो भी , ...लाईट लेना ही पड़ेगा ...जब सब संवेदनाएं हों तो भी , नहीं हो तो भी ...!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-26434028436315949952010-09-19T06:19:39.704+05:302010-09-19T06:19:39.704+05:30पहाड़ा तो हम आज भी हिन्दी में गिनते हैं फिर जबाब भ...पहाड़ा तो हम आज भी हिन्दी में गिनते हैं फिर जबाब भले अंग्रेजी में बोलें...:) मास्साब की बेंत भी याद कर लेते हैं तो पहाड़ा में गल्ती नहीं होता.<br /><br />वैसे भी तो हम हिन्दुस्तानी सोचते तो हिन्दी में ही हैं चाहे बोलें कोई भाषा...<br /><br /><br />बहुत रोचक विषय लिया है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-49130437333043580812010-09-19T01:25:16.586+05:302010-09-19T01:25:16.586+05:30अहंकार के अंधकार में लाइट (ला) ले यार ... बहुत बढि...अहंकार के अंधकार में लाइट (ला) ले यार ... बहुत बढिया लगा आपका ई सन्समरन। हम सब केतना अनमना सा जिनगी जी रहे हैं।<br /><br /><b>बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!</b><br /><br /><a href="http://manojiofs.blogspot.com/2010/09/blog-post_18.html" rel="nofollow">फ़ुरसत में … हिन्दी दिवस कुछ तू-तू मैं-मैं, कुछ मन की बातें और दो क्षणिकाएं, मनोज कुमार, द्वारा “मनोज” पर, पढिए! </a>मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-75810585337243645542010-09-18T22:52:17.495+05:302010-09-18T22:52:17.495+05:30सलिल भाई...... लाइट लो यार!
व्यंग्य: युवराज और...सलिल भाई...... लाइट लो यार!<br /> <br /> <br /><b><a href="http://chhotibat.blogspot.com/2010/09/blog-post_7133.html" rel="nofollow">व्यंग्य: युवराज और विपक्ष का नाटक</a></b>Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.com