tag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post8478298240805690034..comments2024-02-20T15:42:35.518+05:30Comments on चला बिहारी ब्लॉगर बनने: हार की जीत की हार चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttp://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comBlogger46125tag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-32675948516380138882014-04-23T16:52:08.087+05:302014-04-23T16:52:08.087+05:30शुरू से अंत तक .... बिना रूके पढ़ते गये
सबकी अपनी...शुरू से अंत तक .... बिना रूके पढ़ते गये <br />सबकी अपनी-अपनी विचारधारा .... पर ऐसा लेखन आप ही कर सकते हैं <br />सबके बस की बात भी नहीं है यह <br />विचारों का यह संगम साझा करने के लिये आभार<br />सादरसदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-73501345015263436882014-04-21T03:39:02.771+05:302014-04-21T03:39:02.771+05:30दुखद उद्धरण है। दूसरों को क्षति पहुँचने वाले लोगों...दुखद उद्धरण है। दूसरों को क्षति पहुँचने वाले लोगों की कमी नहीं है। अंजान लोगों से नंबर लेने-देने में एहतियात तो बरतनी ही पड़ेगी। वैसे तो काँटों से ही बचना चाहिए,फिर भी छोटे खोंयते पर टांका लगा लिया जाये तो बड़े नुकसान से बचा जा सकता है। Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-32906029762534758352014-04-20T21:24:20.124+05:302014-04-20T21:24:20.124+05:30भावनाओं और संवेदनाओं की ‘अति‘ अंततः दुख का कारण बन...भावनाओं और संवेदनाओं की ‘अति‘ अंततः दुख का कारण बनती हैं।<br /><br />कितनी विचित्र बात है कि भावुकता का अतिरेक सृजन भी कराता है और कभी-कभी विध्वंस भी !<br />महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-22946504331546019962014-04-20T21:22:14.796+05:302014-04-20T21:22:14.796+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-89315243925743307662014-04-14T22:16:28.718+05:302014-04-14T22:16:28.718+05:30आज बल्कि अभी आपका यह लेख पढ़ा. अंतिम अंश कुछ कष्टप्...आज बल्कि अभी आपका यह लेख पढ़ा. अंतिम अंश कुछ कष्टप्रद जरुर है पर संस्मरण अच्छा है. मैंने आजतक किसी भी ब्लॉगर को अपनी तरफ से पहले फोन नहीं किया न ही नंबर लिया. पर बहुत से ब्लॉगर के फोन मेरे पास आ चुके हैं. अच्छा लगता है बात करके. मुझे बहुत अच्छे से याद है एक बार आपने भी मुझे फोन किया था, बहुत पहले. तब मैं बहुत दिनों से 'गायब' था और आप ने मेरा हाल चाल पूछने के लिए फोन लगाया था. पता नहीं आपको याद है या नहीं पर मैं तो भूल नहीं सकता. :) सोमेश सक्सेना https://www.blogger.com/profile/02334498143436997924noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-13847438054848745242014-04-13T13:06:59.113+05:302014-04-13T13:06:59.113+05:30अरे :(
अंतिम वाला हिस्सा पढ़ कर बहुत दुःख हुआ :(
...अरे :( <br />अंतिम वाला हिस्सा पढ़ कर बहुत दुःख हुआ :( <br />हम तो सोचे थे ये कमेन्ट लिखने के लिए, कि आपने मेरा भी नंबर खोज कर निकाला था कहीं से...और फिर सरप्राईज दिया था आपने कॉल कर के, सवा बारह बजे रात..<br />abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-71589820062131899452014-04-12T14:52:33.311+05:302014-04-12T14:52:33.311+05:30:):)दीपिका रानीhttps://www.blogger.com/profile/12986060603619371005noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-74059951023736070712014-04-11T21:12:32.883+05:302014-04-11T21:12:32.883+05:30आपकी बातों से लगने लगा है कि मुझे भी एक डिस्क्लेमर...आपकी बातों से लगने लगा है कि मुझे भी एक डिस्क्लेमर लगाना होगा कि मेरी पोस्टों को पढ़कर मेरे बारे में राय बनाने वाले अपने रिस्क पर ही राय बनाएँ. आपकी राय के विरुद्ध आच रण की स्थिति में इस ब्लॉग के एकमेव कर्ता-धर्ता का कोई दोष नहीं माना जाएगा!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-31694366105312832892014-04-11T15:31:13.714+05:302014-04-11T15:31:13.714+05:30ओह! मैं आपकी पोस्ट को आपके मज़ेदार पोस्टों की तरह ...ओह! मैं आपकी पोस्ट को आपके मज़ेदार पोस्टों की तरह पढ़कर आनंद ले रही थी, लेकिन यह घटना जो आपने बताई, डराने वाली है। हालांकि साहित्य जगत के नामीगिरामी लोग ऐसे मामलों में बदनाम हैं, तो यह तो ब्लॉग की एक अनजानी सी दुनिया है। आज की दुनिया में वाकई विश्वास बहुत कम लोगों पर होता है। इसलिए हम तो जिसका लिखा पसंद आता है, पढ़कर कट लेते हैं। और हर ब्लॉग पर जाकर वाह, क्या खूब, क्या बात जैसे कमेंट भी नहीं लिखे जाते हमसे, ताकि वह बंदा पलटकर हमसे कमेंटदारी निभाए। बहुत से असुरक्षा के शिकार लोग अपनी पीठ थपथपाए जाने के लिए बेताब रहते हैं। वैसे बहुत से लोगों का लिखा पढ़कर भी उनके बारे में अंदाज़ा होता है, जैसे कि आप जितने दिल से लिखते हैं, ऐसे लोग बुरे हो ही नहीं सकते।दीपिका रानीhttps://www.blogger.com/profile/12986060603619371005noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-8019634131398796632014-04-09T09:03:54.603+05:302014-04-09T09:03:54.603+05:30कौन नम्बरदार है और कौन नम्बरी - यह जानना सुदर्शन क...कौन नम्बरदार है और कौन नम्बरी - यह जानना सुदर्शन की कहानी पढ़ कर नहीं आता आजकल। हाथ जलाने से आता है! :-( Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-46006748682024355882014-04-08T23:16:42.405+05:302014-04-08T23:16:42.405+05:30बहुत सही लिखा है...| हाँ जिस घटना का जिक्र किया है...बहुत सही लिखा है...| हाँ जिस घटना का जिक्र किया है आपने उसे जान कर बहुत दुःख हुआ...| अक्सर नहीं पता होता कि राम के भेष में कब रावण मिल जाए...शायद इसलिए महिलाओं को आज भी मजबूर किया जाता है कि वो किसी लक्षमण रेखा में बंध कर रहे...| <br />ज़्यादा दोषी वो पुरुष ब्लोग्गेर है जिसने किसी के विश्वास का अनुचित लाभ उठाया...पर दुर्भाग्यवश उसका फल वो महिला भुगत रही...क्योंकि चाहे हम लाख कहे कि हम बहुत आधुनिक हो चुके हैं...पर सच्चाई यही है कि आज भी अग्नि-परिक्षा औरत को ही देनी होती है...|<br />उन महिला के लिए मेरी दुआएँ कि वो अपना आत्मबल जुटा पाएँ और मानसिक-शारीरिक रूप से पूरी तौर से स्वस्थ रहे...|प्रियंका गुप्ता https://www.blogger.com/profile/10273874634914180450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-61767261971831494242014-04-08T21:42:32.043+05:302014-04-08T21:42:32.043+05:30बेहद दुःख हुआ अंतिम अंश पढ़कर.....मैं तो समझ रहा था...बेहद दुःख हुआ अंतिम अंश पढ़कर.....मैं तो समझ रहा था कि जब दो साहित्यिक लोग मिलते हैं तो कुछ वैसी अनुभूति होती होगी जैसी लहुराबीर, वाराणसी में ( मैंने ये सुना है ) प्रेमचंद,जयशंकर प्रसाद आदि साथ मिलते थे और अपनी रचनाओं और समाज की चर्चा किया करते थे | <br />उम्दा प्रस्तुतिकरण.....<br />नयी पोस्ट<a href="http://pbchaturvedi.blogspot.in/" rel="nofollow">@भजन-जय जय जय हे दुर्गे देवी</a><br />प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-85770057779556316232014-04-06T21:53:14.174+05:302014-04-06T21:53:14.174+05:30बहुत सुन्दर वर्णन यथार्थ का ....बिना लाग-लपेट के ब...बहुत सुन्दर वर्णन यथार्थ का ....बिना लाग-लपेट के बहुत अच्छा लगा ......Dr.NISHA MAHARANAhttps://www.blogger.com/profile/16006676794344187761noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-18146082142329716732014-04-06T16:03:46.944+05:302014-04-06T16:03:46.944+05:30विश्वास और अविश्वास दोनों का अस्तित्व हमेशा से रहा...विश्वास और अविश्वास दोनों का अस्तित्व हमेशा से रहा है और रहेगा, न सब बाबा भारती हो सकते हैं और न ही सब खडगसिंह। सिक्स्थ सेंस सक्रिय हो तो प्राय: निराश होने का अवसर न ही आये।<br />जिन एक दो घटनाओं का जिक्र आपने किया, बिना इजाजत किसी का नंबर दूसरे को न देना गलत नहीं। स्वाभाविक है आपने भी इसे गलत नहीं ही समझा होगा तभी तो उनसे आपके संबंध ओइसहिं बने रहे :) साल भर बाद उन्हीं का फ़ोन आपके पास आना आपकी छवि की जीत ही है।<br />विश्वास तोड़ना नमकहरामी से कम नहीं, इस बारे में गुरुग्रंथ साहब को लिपिबद्ध करने वाले भाई गुरदास जी की एक कथा है, कभी सात्विक मोड में होऊंगा तो आपसे शेयर करूंगा :)<br />फ़िलहाल तो सबका मंगल हो कल्याण हो, यही कामना करता हूँ।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-2574710880697856722014-04-06T15:39:59.567+05:302014-04-06T15:39:59.567+05:30जो जैसा होता है उसे ऐसे मिल ही जाते हैं ... प्रकृत...जो जैसा होता है उसे ऐसे मिल ही जाते हैं ... प्रकृति भी यही कोशिश करती है ... अब आप इतने संवेदनशील हैं तो आपको अच्छे लोग मिलना स्वाभाविक है .. और सच कहो तो रिश्तों के अलावा और बाकि भी क्या रहता है जीवन में ... <br />अच्छी लगी आपकी भावनात्मक पोस्ट ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-48203884773831161182014-04-06T13:56:32.493+05:302014-04-06T13:56:32.493+05:30एक अदृश्य सी दीवाल बनी रहती है जब तक सामने बैठ कर ...एक अदृश्य सी दीवाल बनी रहती है जब तक सामने बैठ कर बतिया न लें। ब्लॉग ने बहुतों से मिलाया है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-12939792982117833502014-04-05T14:30:01.374+05:302014-04-05T14:30:01.374+05:30दादा जाने कैसा कैसा जी हो आया पढ़ कर......
एक बात स...दादा जाने कैसा कैसा जी हो आया पढ़ कर......<br />एक बात समझी हूँ कि जो लोग संवेदनशील हैं उसको सोच समझ कर विश्वास करना चाहिए !!<br />आपने जिन किसी का भी ज़िक्र किया उनके लिए बड़ा दुःख हुआ !!<br /><br />सादर<br />अनु ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-21037485876966483472014-04-05T11:19:47.346+05:302014-04-05T11:19:47.346+05:30कैसे-कैसे लोग ..बहुत सोच विचार कराती है आपका यह आल...कैसे-कैसे लोग ..बहुत सोच विचार कराती है आपका यह आलेख .... 'हार की जीत' जैसा ह्रदय परिवर्तन आज शायद ही किसी को देखने को मिले ..कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-87225090791978866282014-04-05T08:04:54.762+05:302014-04-05T08:04:54.762+05:30अच्छी प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेग...अच्छी प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-29023554401715074052014-04-04T15:10:29.487+05:302014-04-04T15:10:29.487+05:30Ruk ruk ke padha lekin padha...behad achha laga......Ruk ruk ke padha lekin padha...behad achha laga...kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-88449422870662112102014-04-03T20:55:07.483+05:302014-04-03T20:55:07.483+05:30सलिल भाई की कोई हार नहीं, जीत ही जीत है। आप ऐसे उस...सलिल भाई की कोई हार नहीं, जीत ही जीत है। आप ऐसे उस्ताद हैं जो हकीकत से किस्सा बुन देते हैं और कथा में हकीकत के तारे जड़ देते हैं। आपकी बात के, आपके बात कहने के लहजे के सदके! SKThttps://www.blogger.com/profile/10729740101109115803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-54555652364445614532014-04-03T17:41:37.069+05:302014-04-03T17:41:37.069+05:30...अंतिम हिस्सा पढ़ कर परेशान हूं......अंतिम हिस्सा पढ़ कर परेशान हूं...Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-27789605793013626842014-04-03T15:16:45.869+05:302014-04-03T15:16:45.869+05:30निदा फाज़ली की पंक्तियाँ याद आ गईं-
हर आदमी में हो...निदा फाज़ली की पंक्तियाँ याद आ गईं- <br />हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी, <br />जब भी किसी को देखना कई बार देखना।' :(shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-71082542306027812562014-04-03T13:53:04.585+05:302014-04-03T13:53:04.585+05:30पोस्ट का अंतिम भाग कुछ परेशान कर गया . नंबर एक्सच...पोस्ट का अंतिम भाग कुछ परेशान कर गया . नंबर एक्सचेंज करना क्या इतना दुखदायी हो सकता है ....नंबर ब्लॉक का ऑप्शन भी तो होता है...पता नहीं पूरा घटनाक्रम क्या है पर बहुत दुखद है...उन महिला के शीघ्र स्वस्थ होने की शुभकामनाएं !!rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6405180837273731982.post-82773609792798329912014-04-03T13:39:27.034+05:302014-04-03T13:39:27.034+05:30किसी व्यक्ति के विचारों से प्रभावित होना व्यक्ति स...किसी व्यक्ति के विचारों से प्रभावित होना व्यक्ति से प्रभावित होना दो अलग बाते है ! लेकिन विचार जब प्रभावित करते है तो जाहिर सी बात है उस व्यक्ति से मिलने की बात करने की उत्सुकता होती ही है, पुरुष और महिला ब्लॉगर में एक परिपक्व मानसिकता हो तो मित्रता करने में परिचय बढ़ाने में कोई हर्ज नहीं बल्कि मै तो मित्रता के रिश्ते को हर रिश्ते से अजीज समझती हूँ लेकिन उन से जुड़े दूसरे रिश्ते तो नहीं समझते ना इस बात को ! घर के कितने लोग इस रिश्ते को सहजता से ले पाते है ? अभी भी हमारे समाज में बहुत पढ़े लिखे लोगों में भी संकुचित मानसिकता घर किये हुए है ! दूसरी बात जान पहचान का मित्रता का रिश्ता भी जब भावनात्मक बनने लगे तो अन्य रिश्तों की तरह बंधन बन जाता है और अंत वही होता जो आपने बताया है !Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.com