रविवार, 21 अप्रैल 2019

आया है मुझे फिर याद


असली मजा सब के साथ आता है – ई बात भले सोनी-सब टीवी का टैगलाइन है, बाकी बात एकदम सच है. परब-त्यौहार, दुख तकलीफ, सादी-बिआह, छट्ठी-मुँड़ना ई सब सामाजिक अबसर होता है, जब सबलोग एक जगह एकट्ठा होता है. घर-परिबार, हित-नाता, भाई-भतीजा, नैहर-ससुराल... जब सब लोग मिलता है, मिलकर आसीर्बाद देता है, तब जाकर बुझाता है कि अनुस्ठान पूरा हुआ. सायद एही से लोगबाग कह गए हैं कि खुसी बाँटने से बढ़ता है. आप लोग को बुलाते हैं, त आपको भी बुलाया जाता है अऊर एही परम्परा चलता रहता है. कोई छूट न जाए ई बात का बहुत ख्याल रखा जाता है. केतना रिस्तेदारी अइसा होता है जहाँ न्यौता देने के लिये खुद जाना पड़ता है.

मगर अब जमाना ऐड्भांस हो गया है.. एकदम हाई-टेक. आजकल त सादी बिआह का न्यौता भी व्हाट्स ऐप्प पर दे दिया जाता है.  एगो हमरे दोस्त गुसिया गये ऑफिस में एगो स्टाफ के ऊपर कि ऊ उनके घर बेटा के जनम दिन में काहे नहीं गया. बेचारा बोला भी कि उसको इनभाइट कहाँ किया गया था. पता चला कि इंभिटेसन व्हाट्स ऐप्प पर भेजा गया था अऊर अगिला बेचारा ई समझा कि भोरे-भोरे भेजा जाने वाला गुड मॉर्निंग टाइप का मेसेज होगा जिसके किस्मत में पढ़ने से ज्यादा फॉरवर्ड होना लिखा होता है. हमको त अपना कलकत्ता का दिन याद आ जाता है जहाँ सादी बिआह के न्यौता में खास तौर पर लिखा होता था -  हम व्यक्तिगत रूप से आपके समक्ष उपस्थित होकर आपको निमंत्रण नहीं दे सके, इसके लिये क्षमा-प्रार्थी हैं.

लोग कहता है कि टेकनोलॉजी दुनिया को जोड़ता है, कोई किसी से दूर नहीं है, सबलोग “जस्ट अ क्लिक अवे” है. मगर ई टेकनोलॉजी का जरूरत सायद एही से बढ़ गया है कि सबलोग दूर हो गया है. रिस्ता अऊर सम्बंध सुबह का गुड मॉर्निंग से सुरू होकर स्वीट-ड्रीम्स पर खतम हो जाता है. सारा दिन फॉरवर्ड किया हुआ चुट्कुला, ज्ञान का बात अऊर बिदेसी वीडियो, चाहे राजनीति में इसका कमीज उसका कमीज से सफेद कैसे के संदेस से भरा रहता है.

छुट्टी में कभी पटना गये त अपना कोई दोस्त नहीं देखाई देता है, ऊ रिस्तेदार लोग भी नहीं देखाई देते हैं जिनके बिना त्यौहार त्यौहार नहीं लगता था. हो सकता है एही बात ऊ लोग भी महसूस करते होंगे. केतना लोग हमसे सिकायत किये कि हम उनके कोई समारोह में सामिल नहीं हुए. माथा नवाकर उनसे माफी माँगकर चुप हो जाते हैं. नौकरी का मजबूरी अऊर तरक्की के साथ मिलने वाला अभिसाप त भोगना ही पड़ता है.

आज एतना दिन के बाद जब अपना ब्लॉग पर आए, त ब्लॉग भी हमको लॉग-इन करने नहीं दे रहा था. बहुत समझाए बुझाए तब जाकर हमको अंदर आने दिया. अंदर जाकर देखे त लगबे नहीं किया कि हमरा अपना घर है. सबकुछ बदला हुआ, गोड़ थरथरा रहा था अऊर आवाज काँप रहा था. एक साथ नौ साल पुराना लोग का तस्वीर दीवार पर देखाई देने लगा, सबका बात सुनाई देने लगा, बिछड़ा हुआ लोग याद आने लगा. ई बात नहीं है कि लोग बदल गया है, लोग आज भी ओही हैं, ऊ लोग से सम्बंध भी ओही है, लेकिन ऊ जगह जहाँ प्रेम से बइठकर बतियाते थे, ऊ जगह बदल गया.

कोसिस फिर से लौट आने का है... देखें केतना निबाह हो पाता है. 
आज हमारे ब्लॉग का जनमदिन है भाई!!

फिलहाल त बड़े भाई रविंद्र शर्मा जी का सायरी दिमाग में आ रहा है:

बिना वजह किसे मंज़ूर घर से दूरियाँ होंगी
शजर से टूटते पत्तों की कुछ मजबूरियाँ होंगी

29 टिप्‍पणियां:

  1. खुशामदीद!
    वैसे अब आप से मुंह दर मुह मिल लिए, फिर भी ये आभासी दुनिया ही थी जिससे यह मुमकिन हो पाया।
    अब वापस आ ही गये तो हो जाए फिर वही पुराना धमाल शुरू!!


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  2. सस्नेहाशीष ले के आ गईल बानी
    उम्दा सृजन के बधाई भी
    मन बाग-बाग हो गइल

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  3. “कुछ चीजों को ज्यादा देर 'स्टेंड बाई' मोड पर छोड देने से वो खुद ही
    'आफ' हो जाती हैं . . .

    'रिश्ते' उनमें सबसे पहले आते हैं!"


    ब्लॉगिंग के माध्यम से हम सब भी कुछ ऐसे ही रिश्तों में बंध गए हैं | आपकी वापसी की आस बहुतों को थी ... आज उन सब के लिए खुशी का दिन है|

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    1. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 21/04/2019 की बुलेटिन, " जोकर, मुखौटा और लोग - ब्लॉग बुलेटिन“ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. जीवन की इस कहानी में रोज़ कुछ नया ढूँढने के चक्कर में बहुत कुछ पुराना पीछे छूटने की स्वाभाविक व्यथा को अभिव्यक्त किया है ! समय से जुड़ी हर चीज़ बदल रही है शायद यही कारण हो इन सबके पीछे ! बहुत सुंदर पोस्ट के साथ वापसी मैं भी कोशिश
    करूँगी नियमित होने की ! बधाई !

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  5. ब्लॉग के जन्मदिन पर ही सही, आए तो!

    इधर फेसबुक में जो अपने आप वीडियो, समाचार आने लगा है और अच्छे लेखक भी राजनीति में पार्टी बन कर कूद गए हैं, इसे देख वहाँ से भी घबराहट हो रही है। ब्लॉग में लौटना ही पड़ेगा सभी को एक दिन। वैसे मैने ब्लॉग पढ़ना भले कम कर दिया हो, लिखना कभी नहीं छोड़ा।

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  6. अब जो आये हो, तो आते रहना
    कितने लोग आँखें बिछाए बैठे हैं, याद रखना ।
    घर को भी शिकायत होती है,
    मिन्नत उसकी भी करनी पड़ती है ।

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  7. आहा आखिर अपने घर लौट आए . स्वागतम् . अब यह नही छूटना चाहिये . तृप्ति और विश्राम तो यहीं मिलता है न .

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  8. बहार के दिनों में अक्सर यहां आता था, मेरे फेवरिट लिस्ट में था यह ब्लाग अब फिर वो दिन आने से रहे। लाख कोशिश करें - जाग दर्दे इश्क जाग दिल को बेकरार कर। एक ठंडी उश्वास .......

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  9. अब आ ही गए हैं तो एक तीसरी नहीं जोंन मर्जी है उही कसम लीजिए जायेंगे नहीं ... अभी भी बहार है प्रेम है ब्लॉग पर ...
    आप भी हमारे साथ खड़े होइए फिर देखिएगा ... इस मोड़ से जाते हैं कुछ कुछ सुस्त कदम रस्ते, कुछ तेज कदम राहें...

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  10. ब्लॉग की दुनिया में पुनरागमन पर स्वागत है..यहाँ सब कुछ पहले जैसा ही है.

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  11. आपको ब्लॉग के जन्मदिन की ढेरों बधाईयां और शुभकामनाएं। आपके पाठक भी बधाई के उतने ही हकदार हैं।

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  12. बधाई चिट्ठे के जमनबार की। आते जाते रहियेगा। शुभकामनाएं।

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  13. आपको आपके "ब्लॉग" के जन्मदिन की हार्दिक बधाई । बेहद खूबसूरत और भावभीना लेख ।

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  14. ब्लॉग के जन्मदिन की ढेरों बधाईयां और शुभकामनाएं।

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  15. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  16. ब्लॉग के जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई भइया
    देर से आये पर दुरुस्त आये हम

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  17. Really Appreciated . You have noice collection of content and veru meaningful and useful. Thanks for sharing such nice thing with us. love from Status in Hindi

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  18. Quotes Dude is created for those people who are interested in reading powerful quotes and sayings lines. But before that I want to tell you some importance of making good friends. Good Morning Images With Quotes: Well, morning is the early piece of the day; it is likewise alluded to as when the sun ascends until early afternoon. It can likewise be additionally characterized as the time frame among 12 PM and early afternoon.

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  20. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 26 जुलाई 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  21. वाह!!!
    लाजवाब पोस्ट...
    अब जमाना के साथ ही चल रहे हैं सब।

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