“हेलो सर जी!
क्या चल रहा है!”
“अरे कुछ नहीं,
बताइये!”
“एक मजेदार कांड
हो गया. पता है......!”
लगभग अइसहीं हम
दुनो का बात चीत सुरू होता है. अब इसमें संबाद का अदला बदली भी आम बात है. डिपेंड
करता है कि फोन किया कउन है. केतना बार उनका फोन आया त हम बोले कि पूछिए मत लेबर
पेन से छटपटा रहे हैं.
“कोई बात नहीं,
सलाइन चलने दीजिए, डिलीवरी नोर्मल होगी!”
एतने नहीं, आधा
एक घंटा के बाद फिर पूछेंगे, “क्या हुआ?”
“बस हो गया!”
“तो चलिए मुँह
दिखाइए! इरशाद”
अऊर इसके बाद
सुरू होता है सिलसिला चैतन्य बाबू को फोन पर पोस्ट सुनाने का, माने बच्चा का मुँह
देखाई. एगो अऊर बात बड़ा मजेदार ई रहा है कि आजतक बिना इरसाद बोले हममें से कोनो
आदमी सुनाना सुरू नहीं करता है.
बहुत सा पोस्ट
को सुनते ही ऊ खुस हो जाते हैं, कोनो कोनो पोस्ट पर उनके आवाज से हमको बुझा जाता
है कि बहुत पसंद नहीं हुआ. लेकिन उनके बात का हम अऊर हमरे बात का सम्मान ऊ करते
रहे हमेसा.
एगो पोस्ट हम
बहुत मन लगा कर लिखे थे. बहुत प्यारा था हमको. पूरा सुनने के बाद ऊ बोले, “बहुत
सुन्दर है सर जी! लिखा भी शानदार है! लेकिन इसको पब्लिश मत कीजिये. जिन बातों के
कह देने से अपशकुन होने की बात आप कह रहे हैं, उसपर पोस्ट लिखना भी तो कह देने
जैसी बात है.”
उनका बात हमको
दिल पर लग गया. भले ही ऊ पोस्ट हमको बहुत पसंद था, लेकिन आझो हमरे फोल्डर में पड़ा
हुआ है. कुछ बच्चा गंडमूल नछत्तर में भी पैदा हो जाता है बेचारा.
दू दिन पहिले
अइसहीं मन नहीं लग रहा था त सोचे कि चलो अपना पुरनका पोस्ट पढकर देखते हैं. एकदम
नॉस्टैल्जिक लगा. बिस्वास नहीं हुआ कि बेनामी से सलिल वर्मा अऊर सलिल वर्मा से
सलिल जी, सलिल जी से सलिल भाई अऊर सलिल भाई से चाचा, दादा, बाउजी, दाऊ, दादू, पापा
अऊर पा. कभी सोचबे नहीं किये थे कि बात बात में बात एतना बढ़ जाएगा.
आज
हमरे ब्लॉग का भी तीन साल हो गया.
हमरे सुरुआती
टाइम का दू चार ठो कमेन्ट आपके साथ बांटना चाहते हैं. लोग का सोचते थे हमरे बारे
में अऊर अब का दर्जा है हमारा उनके दिल में.
कुमार
राधारमण:
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है। मेरा शुरू से
मानना रहा है कि ब्लॉग पर जितना सार्थक काम हो रहा है,उसमे से कम से कम पचास प्रतिशत का श्रेय
छद्मनामी या अनामी ब्लॉगरों को जाता है। ठेठ भाषा की शैली में नाममात्र ब्लॉग लिखे
जा रहे हैं। मुझे विश्वास है कि अगर आप ब्लॉग जगत में बने रहे,तो एक दिन आपका योगदान सार्वजनिक चर्चा का विषय
बनेगा। शुभकामनाएं लीजिए।
शिवम
मिश्रा:
मेरे हिसाब से बात यह जरूरी है की आप अपने
ब्लॉग के मार्फ़त क्या कहेते है ना कि यह कि आप कौन है और कहाँ के है ??
मैं आपके ब्लॉग से जुड़ा क्योंकि आपकी बातो में मुझे अपनेपन का अहेसास हुआ और आपकी बाते दमदार लगी !! जिस किसी भी दिन यह दोनों खूबियाँ आप में नहीं होगी आप आप नहीं होगे और हम आपके साथ नहीं होगे !! वैसे बिहार का होने में कोई गुनाह नहीं है आप अपनी भाषा को और अपने आप को जो सम्मान दिलाने की कोशिश कर रहे है वह तारीफ के काबिल है !!
हमारी शुभकामनाएं आपके साथ है !!
संजय
अनेजा- मो सम् कौन:
ई लेयो भाई, पहला
कमेंट हमरा झेलो।
अपनी पोस्ट पर कमेंट और अपने प्रदेश पर होने
वाली कमेंट की बात करके आपने अपनी संवेदनशीलता का परिचय दिया है।
फ़िर से कहता हूं, जब तक आप किसी की मानहानि नहीं कर रहे हैं, बेनामी होने के कारण या किसी प्रांत विशेष से
संबंध रखने के कारण होने वाले भेदभाव के विरोध में हम भी आपके साथ हैं।
सतीश
सक्सेना:
मेरा विचार है कि किसी लेखक के व्यक्तित्व को
जानने के लिए आप उसके ३ - ४ लेख पढ़ लीजिये ! मेरा विश्वास है कि उसका सच्चा
व्यवहार समझने में देर नहीं लगेगी ! आपकी पहली पोस्ट से आप एक भले मगर मज़बूत आदमी
लगे ! प्रांतीयतावाद और भेदभाव इस देश से हर हालत में मिटना चाहिए ! इसके लिए लेख
के माध्यम से आवाज उठाना मानवता और देश की सेवा ही है !
एक बात और कृपया गुरु जी न कहें ...मैं अपने आपको इस सम्मान के योग्य नहीं मानता ...हो सके तो दोस्त और भैया कहो उसमे बड़ा प्यार है!
नीरज गोस्वामी:
आज आपका ब्लॉग पे पहली बार आना हुआ और पहली बार
में ही यहाँ का हो कर रह गया..आपक लिखने का अंदाज़ इतना रोचक है के एक के बाद एक
कई पोस्ट पढ़ गया...दू जून का बात में आप गज़ब ही कर दिए हैं...अब आपका समझो मैं
पक्का फैन हो गया हूँ...कोई रोक सके तो रोक ले...:))
स्व.
डॉक्टर अमर कुमार:
মা গো.. কি রকম ভাল কথা.. (ओ माँ, कितनी सुन्दर बात)
কিন্তু একটু অব্যেক্শন তো.. (किन्तु एक ओब्जेक्शन है)
এঈটা কোলকাতার ও বাঁগালের কর্জ নেঈ (यह कोलकाता और बंगाल का क़र्ज़ नहीं)
আবার দিন দুঈগুলোর প্রতিদান বলবেন (इसके बाद दोनों को प्रतिदान बोलिएगा)
কিন্তু একটু অব্যেক্শন তো.. (किन्तु एक ओब्जेक्शन है)
এঈটা কোলকাতার ও বাঁগালের কর্জ নেঈ (यह कोलकाता और बंगाल का क़र्ज़ नहीं)
আবার দিন দুঈগুলোর প্রতিদান বলবেন (इसके बाद दोनों को प्रतिदान बोलिएगा)
मनोज कुमार:
धुत्त मरदे!
इतना अपनापन से कोई लिखता है। आप त बात-बात में
रुलाइए देते हैं। ई सब बात मने में रखते त काम नहीं चलता का।
अब छोटका भाई बना लिए हैं त आना त पड़ेगा ही।
इधर बहुत दीन से दील्ली जाना हुआ ही नहीं है। ससुरारो बाला सब इयाद नहीं करता है।
देखें "ऊ" अगर राखी बांधने का जीद की त जाना तो होगा ही।
हं एगो बात है। परिबार बढाते रहिए। इसमें
नियोजन का कोनो जरूरत नहीं है।
सरिता दी:
aaj mai London pahuch gayee bitiya ke paas
mere blog se mere bacche jude hai kahee bhee ho padte hai aur personally phone
par batate hai apanee pratikriya.........
aapkee tippanee padkar aapkee shailee bahut acchee lagee. ( S F O se phone par bolee badee betee ) mamma uncle apane lagte hai...........
ise blog jagat se parivar jan saa sukh milta hai.....comments kee gintee mai nahee kartee par haa apanapan jaroor toul letee hoo .
bitiya ne yanhaa aate hee sabse pahile mera laptop activate kar diya.......
अब का कहें.. बहुत कुछ बिखरा सा है.
बहुत सा रिस्ता समेट लिए. हाँ, सरिता दी का एक्के बात दिमाग में हमेसा रहा कि
कमेंट्स का गिनती कभी नहीं किये, हाँ अपनापन जरूर तौल लेते रहे.
कहानी, कबिता,
नज़्म, संस्मरण, समीक्षा सब लिखे. सम्मान और अवार्ड के नाम पर रिस्ता बनाते रहे.
कभी गायब रहे तो महीनों नजर नहीं आये, मगर हालचाल सबका पता लगाते रहे! अपनापन भी
कोनो चीज है भाई. अऊर एही त पहचान है हमारा!!
ब्लॉग के तीन साल होने पर बहुत बहुत बधाई .... आपकी हर पोस्ट बहुत मन से लिखी होती है ....
जवाब देंहटाएंआपका योगदान सार्वजनिक विषय जरूर बना है ... क्योंकि वो कम नहीं है,
जवाब देंहटाएंआपकी विशिष्ट अपनेपन से भरी शैली सहजता से अपनी तरफ खींच लेती है ... आपकी पोस्ट सादी, सच्ची दिल में उतर जाती है ...
तीन साल से आपको जानता हूं पर लगता है कल की ही बात है ... बधाई ...
happy third birthday "blog दादा".............
जवाब देंहटाएं:-)
अरे कोई हमारा कमेन्ट भी तो होगा "अपनापन वाला"....उसे काहे नहीं शामिल किये अपनी पोस्ट में...
:-(
सादर
अनु
मुबारक हो...
जवाब देंहटाएंअरे वाह सलिल जी ....तीन वर्ष पूर्ण करने पर हार्दिक बधाई ...!!सरल ,आडम्बर रहित लेखन है आपका ...!!लिखते रहें ...शुभकामनायें ....!!
जवाब देंहटाएंई मद्रासी का भी बधाई और शुभ कामनाएं
जवाब देंहटाएंप्रणाम स्वीकार करें!!
हटाएंआप तो हमारे लिए मद और रास यानि कृष्ण भगवान के दोनों गुणों का समावेश हैं..
आपकी शुभकामनाएं आशीष की तरह हैं!!
...शुभकामनाएं बस्स !
जवाब देंहटाएंकिसी भी परिवार के लिए एक हीरे जैसा महत्व रखते हो सलिल !!सब जगह से सम्मानित होगे ,यही मंगलकामनाएं करता हूँ !
जवाब देंहटाएंबिहारी की हर पोस्ट, मील का पत्थर साबित होगी !
बहुत बहुत बधाई एवं अशेष शुभकामनाएं ...यूँ ही चलता रहे ब्लॉग्गिंग का सफ़र और आप हर दिल अज़ीज़ बने रहें .
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंमेरे लिए तो डबल मज़ा रहा है हमेशा :)
चैतन्य आलोक
बहुत बहुत बधाई चचा.देखिये आपके ब्लॉग का तीन साल भी पूरा हो गया..समय कितना जल्दी बीतता है.
जवाब देंहटाएंपता है, जैसे आप चैतन्य चचा को अपना लिखा पढ़ के सुनाते हैं, ठीक वैसे ही हम अपने दोस्त रवि जी को सुनाते थे..जब बैंगलोर में थे.अंतर इतना होता था की आप पोस्ट करने के पहले उन्हें सुनाते हैं और हम पोस्ट किया हुआ सुनाते थे.उनके एक्स्प्रेसन से हमको भी पता चल जाता था की क्या उनको पसंद आया और क्या नहीं.
बहुत-बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंलो बातों बातों मे 3 साल बीत गए ... पता ही नहीं चला ... :)
जवाब देंहटाएंब्लॉगजगत में अपना डिलिवरी आपसे 8दिन बाद हुआ, अन्यथा अपुन का बी ऐसाईच कोई कोटेशन छपता!! न्योच्छावर तो हो ही गए थे. आपने अपनी कथन शैली से निश्चित ही ठेठ बिहारी भाषा के प्रति पूर्वाग्रँथियों को तोडा है,और उसके मृदु कोमल स्वरूप को स्थापित किया है. आभारी है हम आपके!!
जवाब देंहटाएंबुद्ध और महावीर की भूमि का सत्व आज भी विद्यमान है.
तीसरी वर्षगांठ पर बधाई और अनंत शुभकामनाएँ!!!
गर बच्चा गंडमूल नछत्तर में पैदा हो तो 3 साल का सुभीता ही क्या है :)
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत एक परिवार है हम सभी उसके सदस्य है तो अपनापन तो होगा ही ,,,आपस में,,
जवाब देंहटाएंतीसरी वर्षगांठ की बहुत २ बधाई और अनंत शुभकामनाएँ!!!
RECENT POST : प्यार में दर्द है,
तीन साल पुराने गंडमूल नछत्तर में पैदा बच्चे को अब सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर लेना उचित होगा. ब्लोगिंग का सफर ऐसे ही निर्बाध चलता रहे. शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंसबसे अलग ,अनूठा अच्छा और सच्चा .. धारा के बहने जैसा, प्रभाती हवा के चलने जैसा,बीज के अंकुराने जैसा या फिर अनायास ही शिशु के मुस्कराने जैसा है आपका यह बिल्कुल अपना सा ब्लाग, जहाँ रचनाएं पढकर इतनी सन्तुष्टि मिलती है । तीन वर्ष पूरे हो भी गए ??
जवाब देंहटाएंआपके स्थानान्तरण से पाठकों का खासा नुक्सान हुआ है । खैर अब अनुभव के मोती यहाँ बिखरते ही रहेंगे आशा तो यही है । अनेकानेक बधाइयों के साथ असीम शुभ-कामनाएं ।
बेनामी थे तो हमारे लिये भाई थे, अब (सु)नामी हो तो सलिल भाई हो :)
जवाब देंहटाएंपहला कमेंट करने से पहले उससे पहले की पोस्ट्स पढ़ी थीं, इतना तो अंदाजा लगा ही लिया था कि किसी को गरियाने, नीचा दिखाने वाला बेनामी नहीं बल्कि जेनुईन + जीनियस मानुष है। बिहारी न होकर बंगाली, मद्रासी, पंजाबी कोई होते तब भी अपना रिश्ता ऐसा ही चलना था सलिल भाई।
अब लौट आओ दिल्ली, नहीं तो हम ही आ रहे हैं गुजरात।
ब्लॉग के तीन साल पूरे होने की बहुत बहुत बधाई।
रचना के जन्म को शिशु के जन्म से जोडना कितना अर्थपूर्ण और सटीक है ।
जवाब देंहटाएंअपनापन से बढ़कर कोई टिप्पणी नहीं और उसकी कोई गिनती नहीं .... भला तारे भी गिने जाते हैं :)
जवाब देंहटाएंदिल से लिखा हुआ दिल तक जरूर अपनी पहुँच बनाता है और यही बात आपके लेखन के लिए भी मुझे सही लगती है.
जवाब देंहटाएंब्लॉग की सालगिरह बहुत बहुत मुबारक. बस लिखते रहिये.और हमें पढवाते रहिये.
पढती तो आपको हमेशा रही हूँ पर उपस्थिति कभी दर्ज नहीं की (
जवाब देंहटाएंआज आपके ब्लॉग की वर्षगाँठ पर बहुत - बहुत बधाई !!!
बहुत बहुत शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं ...
जवाब देंहटाएंहम तो आपके ब्लॉग को बाद में आपको पहले जाने..आपके कमेंट ने हमे आपसे जोड़ा। आप जितना अच्छा अपने ब्लॉग पर लिखते हैं उससे कम अच्छा दूसरों के ब्लॉग पर नहीं लिखते। जितना मन से लिखते हैँ, उतने ही मन से पढ़ते हैं। आपका कुछ दिनो का विश्राम हमे और भी बेचैन कर देता है। ईश्वर आपको शक्ति दे..अच्छा स्वास्थ दे..लोग आपको पढ़ते रहें..आपका प्यार सभी को यूँ ही वर्षों मिलता रहे।
जवाब देंहटाएंबहुते बढिया लिखते हैं ,हम तो आपके भक्त हो गये हैं ,ऐइसा ही लिखते रहिए ,शुभकामनाओं के साथ
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत बधाई ...आपको और चैतन्य जी को..... साथ चलते रहे ..और मुझे आशीष देते रहे....
जवाब देंहटाएंबधाई और शुभ कामनाएं
जवाब देंहटाएंbade bhaiya..:) badhai w shubhkamnayen...:)
जवाब देंहटाएंवाह मामा जी ....सबसे पहले तीन वर्ष पूर्ण करने पर हार्दिक बधाई !!!
जवाब देंहटाएंतीन साल से हम भी ब्लाग देखते ही उतावले होते रहे हैं कि देखें अब क्या नया लिखा है? कौन लिख रहा है, इस बात का हमें भी ज्यादा ध्यान नहीं रहता। लेकिन अब कुछ लोगों की पहचान होने लगी है कि इन्हें तो पढ़ना ही चाहिए। आपको बधाई तो देना ही भूल गए। बधाई जी बधाई।
जवाब देंहटाएंहमारी तरफ से ब्लॉग को काला टिका लगाइयेगा ताकि किसी की नजर न लगे , लगता है कई जने नजारा के चले गए है या मोती पहना दिए है आप ब्लॉग को जो इतना शांत हो गया है , इतना शांत होना भी ठीक नहीं है मोती यत्र दीजिये या नजर ही उतर दीजिये :)
जवाब देंहटाएंकितने अपनेपन से सहेजा है आपने सबको अपने साथ शब्द-शब्द में ...
जवाब देंहटाएंब्लॉग की तीसरी वर्षगाँठ की बहुत-बहुत बधाई एवं अनंत शुभकामनाएं
...
सादर
बधाइयाँ ...तीन कदम के बाद वापसी नहीं होती ...मंजिल पर पहुंचना ही होता है ...
जवाब देंहटाएंबधाइयाँ ...तीन कदम के बाद वापसी नहीं होती ...मंजिल पर पहुंचना ही होता है ...
जवाब देंहटाएंउफ़्फ़्फ़्फ़ .. जबसे आप दिल्ली से गए, ब्लॉगिंग हमरे दिल से ही चला गया। हालाकि नेट के माध्यम से जुड़ने वाले स्थान के माध्यम से जुड़े न जुड़े फ़र्क़ नहीं पड़ता है। पर हमरे साथ त इहे हुआ है। नहीं अपका तीन सालाना जश्न में एतना देरी से सामिल होते का। देखिए न एगो ब्लॉग था .. हम लोग लिखा करते थे, कभी-कभी आपहु उस पर आते थे, तीन साल पूरा का उसका हुआ कि उसपर महा विक्कटे आ परा।
जवाब देंहटाएंखैर आपका ई ब्लॉग ऐसहिं साल-दर-साल हमरा मनोरंजन कराता रहे और हम सब आपके गियान का लाभ लेते रहें।
तीन वर्ष पूर्ण करने पर हार्दिक बधाई !!!
जवाब देंहटाएंडाक्टर अमर जी बहुत याद आते हैं अक्सर...
जवाब देंहटाएं