साल 1984:
अच्छा नौकरी मिल
जाने अऊर दू बरिस नौकरी कर लेने के बाद घर में सादी का बारे में लोग सीरिअस हो
जाता है अऊर घर का लोग से जादा समाज का लोग. एक से एक रिस्ता का रेकमेण्डेसन. लड़की
का बिआह जेतना मोस्किल होता था ऊ टाइम में, ओतने मोस्किल लड़का का भी बिआह करना
होता था. उसको भी नौकरी करते हुए दू बरिस हो चुका था. रिस्ता का बात भी सुरू हो
गया था अऊर दोस्त लोग भी पूछने लगा था कि कहो तो एकाध गो रिस्ता हम भी भेजवाते
हैं. कहो त लड़की देखा देते हैं चुपके से, दूर से देखकर पसन्द कर लो. अऊर तुम तो भाई
बहुत इस्मार्ट हो, लड़की भी तुम्हारे टक्कर का सुन्दर है. मगर ऊ बहुत सांत लड़का था.
हँसकर टाल जाता था.
दू-चार रोज छुट्टी के
बाद एक रोज जब ऊ आया त उसका हुलिया बदला हुआ था. हाथ में सोना का अंगूठी, नया-नया सर्ट-पैण्ट,
हाथ में नया एच.एम.टी. का घड़ी, नया सैण्डिल के अन्दर आलता से रंगा हुआ गोड़. मतलब मुर्गा
हलाल हो चुका था. हम सब लोग उसका खूब क्लास लिए कि बिना दोस्त लोग को बताए ऊ कब
सादी कर लिया. ऊ भी एतना चट-पट! खैर, हमको ऊ एतवार के रोज अपने घर पर बोलाया.
गिफ़्ट लेकर जब हम पहुँचे,
त ऊ अपना रूम में ले गया, जहाँ नया दुल्हिन माथा पर आँचल रखकर बैठी हुई थी. हम
दुल्ह्न को गिफ़्ट पकड़ाए, त ऊ हमको बैठने के लिए बोलकर चाय-नास्ता लाने चली गई.
लड़की का चेहरा देखकर हमको बहुत अजीब लगा. उसके साथ कोनो मेल नहीं था लड़की का. एकदम
साधारन लड़की.
मगर ऊ बहुत खुस था.
चाय-नास्ता के साथ लड़की से बात-चीत हुआ, त हमको लगा कि चेहरा मन का आईना जरूर होता
है, मगर बहुत बार धोखा भी दे जाता है. कुल मिलाकर हमको लगा कि ऊ दुनो का जोड़ी एकदम
“मेड फ़ॉर ईच अदर” था.
लौटते समय ऊ हमरे
साथ बस स्टैण्ड तक आया, तब बातचीत सुरू हुआ.
“क्यों! हैरान हो
ना?”
”हाँ यार! एक तो
इतनी गुपचुप शादी और उसपर...!”
“तो तुम भी सोचते
होगे कि मैंने दहेज के लालच में एक ऑर्डिनरी लड़की से शादी कर ली?”
“....”
”तुम्हें दिखा मेरे
घर में ऐसा कुछ?”
”मैं किसी लड़की को बुरा
नहीं कहता. लेकिन ऐसा हुआ क्या?”
”कुछ नहीं. बस हुआ
वही जो शायद लिखा था पहले से. जोड़ियाँ स्वर्ग में ही बनती हैं. घर में शादी की बात
चल ही रही थी. एक दिन मुझे माँ ने कहा कि मेरी बुआ की जानपहचान की एक लड़की है. बुआ
की ज़िद है कि मैं जाकर उसे देख लूँ! पसन्द ना आए तो बेशक मना कर दूँ.”
“और तुम देखते ही
रीझ गए?”
”नहीं! देखते ही
नहीं, सुनते ही रीझ गया!”
”क्या मतलब?”
”मैं ड्राइंग रूम
में बैठा था, तो वो चाय लेकर आई. घरेलू कपड़े पहने हुए, बालों में तेल लगाए, न कोई
मेक-अप, न साज सिंगार. नॉर्मली लड़की चाहे जैसी भी हो ऐसे मौकों पर सजती ज़रूर हैं!
वो चाय रखकर बैठ गई. मेरे कुछ कहने के पहले ही वो बोल पड़ी कि आप चौंकिए मत. अपनी
बुआ को मना कर दीजिए. उनकी ज़िद के कारण कई लोग मुझे देखने आते हैं और रिजेक्ट करके
चले जाते हैं. अब मैं अपनी शक्ल सूरत तो बदल नहीं सकती. तंग आ गई हूँ. आप भी वही करेंगे!”
”क्या बात कर रहे
हो!! फिर तुमने क्या कहा?”
”कहना क्या था. मैंने
तुरत कह दिया कि वो मुझे पसन्द है. उसका चेहरा सुन्दर भले न हो, लेकिन उसकी
ईमानदारी मुझे पसन्द आई. और तुम्हें तो पता है कि मेरे परिवार के लिए बस ऐसी ही
लड़की चाहिए.”
”और तुम्हारी फ़ैमिली?”
”मियाँ बीवी राज़ी तो
क़ाज़ी साहब को तो बस ‘क़ुबूल है’ ही रिकॉर्ड करना होता है ना!”
साल 1988:
अपना लड़की के रिस्ता
के लिए एगो औरत लड़का वाला के घर गईं. पता चला लड़का का त सादी हो गया. ऊ औरत की ननद
बोली कि काहे नहीं आप इनकी बेटी को अपना बेटा के लिए देख लेती हैं. बरसात का ई आलम
था कि चारो तरफ पानी जमा हुआ था. लड़की एगो इस्कूल में काम करती थी. पता चला अभी
आने वाली है अऊर एही रास्ता से जाएगी. थोड़ा देर में ऊ लड़की पानी में सलवार ठेहुना तक
उठाकर चलते हुए सामने से अपना घर में जाने लगी. छोटा कद, साधारन चेहरा मोहरा... लड़का
के माँ को लड़की कुछ खास पसन्द नहीं आई. इसलिए लड़का के सादी का बात आगे नहीं बढ़
सका.
दू महीना बाद, ओही
लड़की के सादी के लिए लड़का के घर रिस्ता आया. घर में सबलोग एक सुर में बोला कि लड़की
को देखकर पसन्द ना-पसन्द लड़का के अलावा कोई नहीं करेगा. खैर फैसला हुआ कि जाकर देख
लो अऊर बात कर लो.
लड़की के चाचा के घर साम
को लड़की देखने का तय हुआ. साम को इंतजार होने लगा लड़की का, मगर बहुत देरी हो रहा था
उसको आने में. पता चला ऑफिस में कोई बहुत जरूरी काम आ गया है. लड़की जब आई, त उसको
जल्दी-जल्दी में तैयार होने का टाइम नहीं मिला. जल्दी से कपड़ा बदल कर उसको चाय
लेकर लड़का अऊर उसके भाई के सामने भेज दिया गया. लड़का देखा कि ब्लाउज का बाँह बिना
आयरन किया हुआ है. ऊ मुस्कुरा दिया. अपना भाई से धीरे से पूछा कि तुमको लड़की पसन्द
है? उसका भाई बोला – हाँ!
बस बात फाइनल हो
गया. नवम्बर 1988 में सगाई अऊर 18 जनवरी 1989 को सादी. सादी का पच्चीस साल हो गया
है. अऊर बिस्वास हो गया है कि जोड़ी सचमुच ऊपर से बनकर आता है!
सादे लोगों में बात ही कुछ और होती है सलिल भाई . . .
जवाब देंहटाएंसस्नेह मंगलकामनाएं सादे जोड़े को !
:)
सूरत की बजाय गुणों को पसन्द करने वाले लोग बहुत कम होते हैं पर जो हैं ,रिश्तों में स्नेह ,विश्वास और माधुर्य उन्ही से है । उन्हें मेरा नमन । आपको भी । यह हाथ हमेशा आपके हाथों में रहे..। बहुत ही आत्मीयता से लिखी है आपने हर बात ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें ... ढोलक तो उस दिन आपको सुनवा ही दी थी ... :)
जवाब देंहटाएंजोड़े से सादर प्रणाम स्वीकार करें |
जो लोग ज्यादा मीन-मेख निकालते हैं वे ही सदा दुखी रहते हैं। साधारण चेहरे-मोहरे वाले लोग अक्सर जिन्दगी को ज्यादा सरलता से जीते हैं।
जवाब देंहटाएंवाह चचा!!! कमाल की सुन्दर पोस्ट है...फिर से आज आपको विश कर दे रहे हैं.....पच्चीसवीं हैप्पी एनिवर्सरी एक बार फिर !!! :) :)
जवाब देंहटाएंऔर फोटो भी लगा देते तो मज़ा आ जाता ! :) :)
क्या बात है …सलिल इस मौके पर आपका याद करना सुखद लगा …२५ वीं सालगिरह मुबारक हो .... बहुत बहुत बधाई … रब्ब जोड़ी बनाये रखे ....!!
जवाब देंहटाएंमिठाई खा के खूब इतमिनान से लिखे हैं। ..बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंनौकरी मिलने के दो वर्ष बाद ही हमें बाँध दिया गया, हर बार घर जाना कठिन हो जाता था, सुबह शाम शादी की बातें। आप दोनों को ढेरों शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंवाह! भैया, बहुत घुमा फिरा के बताया, बहुत बहुत बधाई और शुभकामना,
जवाब देंहटाएंमाफ कीजिएगा बहुत दिन बाद आना हुआ है।
भैया रास्ता भटक गया था, अब फिर से सही रास्ते पर आने की कोशिश है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और खूबसूरत संस्मरण जिंदगी को जीता हुआ। आप दोनों को अनेक शुभकामनाये और आशीर्वाद। ये बंधन छूटे ना। सुंदरता मन कि होती है बाकि तो जो ईश्वर और माता पिता से मिला है वाही सर्वोपरि है।
जवाब देंहटाएं1984 के जमाने में लड़का कॉलेज में पढता था तभिये बियाह फाइनल हो जाता था. कोनो लड़का दू बरिस नौकरी कर ले आ बियाह नहीं हुआ माने कि लड़का बुढा गया. लड़की बी ए पास, बस उहे बहुत हुआ. दान दहेज़ का ओतना चक्कर नहीं था तब. और न सुन्दरता के पीछे लोग भागता था. अगर टीचर लड़की है तब त सोना में सुहागा. बहुत शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंखूबसूरत संस्मरण आप दोनों को ढेरों शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंaap donon ki saralta man ko choo gayee......swachch,sushant,saral man men.....ek duje ki muskan rahe.......
जवाब देंहटाएंये हाथों में हाथ वाला साथ हमेशा बना रहे। आप दोनों को व समस्त परिवार को बहुत सारी शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंहम आपसे बड़ा रहते तो आपको आसीर्वाद दे देते... लेकिन अभी तो बधाई ले लीजिये.... :-)
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएं•٠• गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ... •٠• के साथ ललित वाणी ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
Jodi bani rahe .....
जवाब देंहटाएंवैसे तो कोई ऐसे छूछे हाथ कोई ख़ुशी की खबर सुनाये तो हम तब तक बधाई नहीं देते जब तक मिठाई न खिला दे , ब्लॉग जगत की कंजूसी का पिछला रिकार्ड देखे तो कहने का फायदा नहीं है सो :)
जवाब देंहटाएंये पच्चीस साल का आप दोनों का साथ ऐसे ही आगे के पच्चीस साल और चलते रहने की ढेर सारी शुभकामनाये !
पचीस साल पूरे हो गए ... आशा है पलक झपकते हुए होंगे ... ऐसे ही अगले पच्चीस भी आएं फिर अगले भी आएं ... बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें ...
जवाब देंहटाएंशुभकामना तो दे दी थी उसी दिन पर यह सुन्दर सी पोस्ट पढ़ने में देरी हो गयी.
जवाब देंहटाएंइसलिए एक बार और बधाई ले लीजिए :)
जुग-जुग जीये आप दोनों की जोड़ी !
जवाब देंहटाएंओह सलील जी, बधाई देने में देर हो गयी न !
जवाब देंहटाएंकोई बात नहीं बधाई तो अभी भी दे ही सकती हूँ, बहुत सुन्दर संस्मरण साझा किया है शादी की पच्चीस वी वर्षगांठ बहुत बहुत मुबारक हो आप दोनों को !
अगर पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम,समर्पण,विश्वास हो तो जीवन भर का
जवाब देंहटाएंसाथ सुखद लगता है, कई बार ऊपरी खूबसूरत सौंदर्य के पीछे कुरूप व्यक्तित्व छिपा होता है और कभी कभी साधारण चहरे के पीछे भी असाधारण व्यक्तित्व छिपा होता है ! अच्छे व्यक्तित्व का साथ होना भाग्य की ही बात है !
प्यारे से बड़े भैया और भौजी को बहुत बहुत शुभकामनायें व बधाई :)
जवाब देंहटाएंतनिक देर से दे रहे हैं पर स्वीकार कर लीजिएगा चचा...सादी की पच्चीसवीं सालगिरह पर बधाई...|
जवाब देंहटाएंवईसे ऊ त हम भाई से बोल दिए रहे कि फोनवा पर हमरी तरफ से भी परनाम कर लेना चचा और चाची के...|
अब इहाँ आई के दिरेक्ट्ली बोल रहे...:)
ऊपरवाले की पसंद को दाद देनी होगी, जमीने पर रहके जमीनी बात हो टी २५ साल खुसी खुसी बीत जाते हैं -
जवाब देंहटाएंऔर साल बीते और यह सुन्दर दिन जेहन में कौंधे- यही दुआ है, आशीर्वाद है
इधर कुछ दिन अपने अन्तर्मन में ही डुबकी लगाये हुए थी तो इहां पहुंचने में देरी हो गयी :( ....बाकिया फोन से तो मुबारकबादी दिये रहे न ह्म और भाभी से भी बतियाये रहे ..... कौनो बात नही न आप दोनों को बहुत - बहुत बधाई ..... और हाँ अब फोनवा तो आपो करिये लीजिये ... सादर !
जवाब देंहटाएंबिलम्ब के लिए खेद है। आपका भाव-सौन्दर्य अद्वितीय है। ईश्वर आपलोगों की जोड़ी पर सदा मंगल की वर्षा करते रहें।
जवाब देंहटाएंशादी की 25 वीं सालगिरह पर मेरी तरफ से बहुत बहुत बधाई और शुभकामना ....!!
जवाब देंहटाएंविवाह की वर्षगाँठ की शुभकामनायें लेने का तरीका अच्छा लगा !
जवाब देंहटाएंजोड़ी सचमुच ऊपर से ही बन कर आती है , बनी रहे , साथ सुखी रहे सब !
बहुत शुभकामनायें !
आज लेटेस्ट पोस्ट पढ़ रहे थे और फिर यहाँ देखा हमारा कोई कमेंट नहीं....
जवाब देंहटाएंउस दिन कमेंट जा नहीं रहा था फिर हमारे दिमाग से निकल गया :-(
शुभकामनाएं तो आप तक पहुँच ही गयी होंगी हमारी ...क्यूँ आपने याद किया होगा न कि अनु ने बधाई ज़रूर दी होगी ?? <3
its never too late to give best wishes and love...
(फोटो facebook पर देख लिए थे:-)
god bless the cutest couple !!
regards
anu
पता नहीं ये पोस्ट कैसे छूट गई !!देर के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ !!आप दोनों को सिल्वर एनिवरसरी की ढेर सारी शुभकामनायें ...!!
जवाब देंहटाएंढ़ेरों शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंसादर!
nc blog / nc post sr
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत अच्छा लगा !सचमुच जोड़ियां ऊपर से ही बन कर आती है !
जवाब देंहटाएंआपकी सादगी के सदके, आपकी पारखी निगाह के सदके!
जवाब देंहटाएंशादी की सिल्वर जुबिली मनाने की तहे-दिल से बधाई!!
वाह .... कितना अच्छा लिखा है आपने ....
जवाब देंहटाएंआपकी बहुत सी पोस्टों को मिस कर दिया था मैने .... आज कोशिश है पढ़ने की
विलम्ब के लिये क्षमा
सादर