बहुत्ते अच्छा लगता है, जब कोई आपके बारे में चिंता करता है. बाकी ई
चिंता करना कभी-कभी बहुत इरिटेटिंग हो जाता है. आपका बच्चा दसवाँ पास किया नहीं कि
आस पड़ोस में चिंता सुरू कि आगे का करेगा. बारवाँ पास करने के बाद त ई चिंता
एकदम्मे से आसमान छूने लगता है... कहाँ कहाँ अप्लाई किया, कोन कोन इंजीनियरिंग में
केतना नम्बर आया, कट-ऑफ केतना था, रैंकिंग का है वगैरह वगैरह. इंजीनियरिंग में चला
गया त कुछ साल त ठीक ठाक निकला, लेकिन फिर बेतलवा पेड़ पर. कैम्पस सेलेक्सन में का
हुआ. अच्छा प्लेसमेण्ट मिला कि नहीं.
कुल मिलाकर आपके लिये आपसे जादा पड़ोस में चिंता फिकिर होता है लोग को.
नौकरी लग गया त सादी-बियाह का चिंता अऊर बिआह सादी हो गया त – का भाई, कब तक दू से
तीन हो रहे हो. माने जिन्नगी में ई चिंता का फेरा चलते रहता है. आप इरिटेट होइये,
चाहे खुस होइये... पूछने वाला को कोई फरक नहीं पड़ता है.
बेटी के होस्टल चल जाने के बाद हम लोग तीन से दू रह गये. मगर तब कोनो
चिंता जताने नहीं आया. दिल्ली आने के बाद भी बेटी होस्टले में है. मगर खुसी का बात
ई है कि लगभग एक साल बेटी के बिना काटने के बाद हमलोग दू से तीन हो गये हैं. अब ई
उमर में दू से तीन होना अजीब महसूस होता है. आदत जो छूट गया है. धीरे-धीरे अब आदत
हो गया है… आदत नहीं रूटीन कहिये.
सबेरे जब नींद से उसको उठाने जाइये, त बोलती है – अभी थोड़ा और सोने
दो. तब समझाना पड़ता है कि हमको ऑफिस जाना है. फिर सम्भालकर उठाना, धीरे से माथा अऊर
कंधा पकड़कर बैठाना पड़ता है. गोदी में उठाकर टॉयलेट ले जाना. फिर ब्रस करवाना, नहलाना, कपड़ा बदलना
अऊर बाल में कंघी करके चोटी बनाने का काम सिरीमती जी का.
हम त कभी-कभी बहुत प्यार से गाल चूम लेते हैं अऊर कभी-कभी परेसान होकर
गोसियाइयो जाते हैं. लेकिन बाद में अफसोस होता है. आजकल त मजेदार ट्यूनिंग हो गया
है. ऑफिस से आने के बाद मजाक करना अऊर मिलकर हँसना. हर पाँच मिनट के बाद लेटा दो
अऊर पाँच मिनट में बइठा दो. कभी पाँच मिनट से जादा हो गया त हमहीं पूछ लेते हैं कि
बइठा दें. त हँसते हुये मूड़ी डोला देती है. हम भी कम नहीं हैं. बोलना पड़ता है – “ई
छटाँक भर का जुबान नहीं हिलता है, पसेरी भर का मूड़ी हिल जाता है!” त कहती है – “हमको चिढा रहे हो? बैठा दो!”
खाना का फरमाइस एक से एक. “आज समोसा चाट खाने का मन है”... “आज दोसा
बना दो”... कल नूडल्स बना देना... “मकई का रोटी अऊर बैगन का चोखा खाने का मन है”!
अब सिरीमती जी का परिच्छा होता है कि ऊ फूड-फ़ूड चैनेल से केतना खाना बनाना सीखी
हैं. मगर एक बात है कि उनको हमेसा पूरा नम्बर मिल जाता है.
दू से तीन होना हमेसा खुसी का बात होता है. बहुत लम्बा समय अकेलेपन
में बीता है हमारा, अइसे में बहुत डर के साथ जो मधुर अनुभव हो रहा है, उसको बस नया सिरा
से जी लेने का मन करता है. सुरू-सुरू में डर ई बात का था कि कइसे सम्भाल पाएँगे.
मगर सब सम्भल गया.
रीढ के हड्डी में लगा चोट, पटना में डॉक्टर के लापरवाही से रिपोर्ट में बताया हुआ खराबी को नहीं
देख पाना, इसलिये सही ईलाज नहीं होना अऊर एक पाँव से लाचार होकर बिछावन पर
लाचार होकर पड़ जाना अऊर व्हील चेयर पर बैठ जाने को मजबूर... हमरी अम्मा.
अब अम्मा कहें कि बच्चा. आज छिहत्तर साल की हो गई. मगर जब गाल
चूम लेते हैं त मुस्कुराने लगती हैं. निदा साहब का ऊ दोहा जो हमरी बहिन का पसंदीदा
दोहा है आज ओही याद आ रहा है:
जादूगर माँ बाप हैं, हरदम रहें जवान|
जब बूढ़े होने लगें, बन जाएँ संतान ||
अच्छा लिखा...बहुत प्यार से रखिए अम्मा जी को...हम सीख नहीं दे रहे, हमने भी रखा है और कभी सुला दो - कभी उठा दो , खूब समझ पा रहे|सादर प्रणाम कहिएगा उन्हें|
जवाब देंहटाएंअम्मा को मेरा चरण स्पर्श कहिएगा और हैप्पी बर्थडे भी ☺
जवाब देंहटाएंपिट्सबर्ग से भी अम्मा जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं और चरणस्पर्श
जवाब देंहटाएंChacha....subah subah uth ke itni pyaaari si post padhi...daadi ko happpy birthday kahiyega mere taraf se... :) :)
जवाब देंहटाएंप्यारी पोस्ट।
जवाब देंहटाएंप्यारी पोस्ट।
जवाब देंहटाएंपढ़कर दिल भर आया और आँखें बह रहीं हैं . इसी तरह जी भरकर जी लो सलिल भैया . ताकि कभी कोई मलाल न रहे जैसा आज मुझे है . अम्मा को सादर नमन और बधाई ज्न्मदिन की और आप जैसे बेटा-बहू पाने की भी .
जवाब देंहटाएंपूरे परिवार को हमारी नेहभरी दृष्टि के साथ परम प्रभु अपने शुभाशीषों से
जवाब देंहटाएंनिरंतर आप्लावित रखें !
इस भावपूर्ण पोस्ट पर क्या बोलूँ .. बस ..अम्मा को जन्मदिन की बधाई और प्रणाम ..
जवाब देंहटाएंअब का बोलें इस पर... अम्मा को जनमदिन का बधाई आ चरण स्पर्श आप तीनों को..
जवाब देंहटाएंसुखद अनुभूति। दिल्ली आना सार्थक हुआ।
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट से परिवार में तीसरा आ जाने का आनंद छलका पड रहा है...आप दोनों को यह ख़ुशी मुबारक!
जवाब देंहटाएंअम्मा जी को हमारा प्रणाम दें और उनसे हमारा आशीष ले लें!
अम्मा जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं !!! एक प्यारी पोस्ट
जवाब देंहटाएंमाँ की याद आ गई आज अम्मा को देखकर ।आप खुशकिस्मत हैं । माँ का हाथ सिर पर बना रहे । आज उनके जन्म दिन पर उन्हे ढेरों शुभकामनाएं। आपकी सेवा काम आये अम्मा जल्दी अपने पैरों पर खड़ी हो जायें।
जवाब देंहटाएंवात्सल्यमयी पोस्ट..सही कहा है किसी कवि ने A child is the father of the man.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअरे बहुते बढ़ियाँ लिखले हैं बिहारी बाबू...परोसिन के भेज दीजिये तेल लेने...
जवाब देंहटाएंऊ का है कि बस मुन्ना भैय्या के सलोनी के शब्द याद आ गए...
खुशियों की थाम के बैय्या
गम की मरोड़ कलइयां
सीख ले हर पल में जीना यार
सोच ले जीवन के पल हैं चार
मरना है एक बार मरने से पहले
जीना सीख ले...
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "ये कहाँ आ गए हम - ब्लॉग बुलेटिन“ , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंभाई क्या कहूँ, मैं किसी पोस्ट की प्रशंसा बहुत कम करती हूँ और स्वीकारती भी कम ही हूँ क्योंकि हर पोस्ट प्रतिक्रिया स्वरूप सिर्फ प्रशंसा नहीं होती जिसमे जीवन का बेहतरीन अनुभव होता है सीखने के लिए सिखाने के लिए ! मैं भी इन सबसे गुजर चुकी हूँ या गुजर रही हूँ !
जवाब देंहटाएंजीवन में घट रही इन घटनाओं को अनुभवों को मेरे आपके हम सबके मैं चिंतन से जोड़कर ही देखती हूँ ! बदलाव प्रकृति का नियम है देखिये न सुबह शाम की ओर बढ़ रही है शाम सुबह की ओर बढ़ रही है हम भी तो उसी अस्तित्व के हिस्से है इन नियमों से अलग थोड़े ही है बस फर्क इतना सा है कि कोई इस बदलाव को दुखी होकर स्वागत करता है तो कोई आप जैसा स्वागतपूर्ण ह्रदय से स्वीकार करता है ! प्रेम जिम्मेदारी नहीं सिर्फ प्रेम है जिसकी कोई व्याख्या नहीं हो सकती कभी माता-पिता ने हमारा हाथ पकड़कर सहयोग दिया अब हमारी बारी है सहयोग देने की ! प्रेम से मुक्त भी तो होना है ! बधाई आपको दो से तीन होने की अम्मा को नए स्वास्थ्य पूर्ण जीवन की ! :)
अम्माँ जी को जनम दिन की हार्दिक बधाई ... माँ साथ हो तो जीवन में एक नियम तो वैसे ही बन जाता है और फिर अपने सिर का भार भी कम हो जाता है क्योंकि कोई बड़ा जो आ जाता है जीवन में ... चाहे जितना भी बड़ा हो ... आपकी पोस्ट दिल को छू गयी ... अम्माँ जी को मेरा प्रणाम कहें ...
जवाब देंहटाएंआपके भाग से जल भी नहीं सकती
जवाब देंहटाएंकहे बिना रह नहीं सकी
जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई के संग ढ़ेरों शुभकामनायें
तभी तो कहते हैं बच्चे-बुजुर्ग एक समान होते हैं ..
जवाब देंहटाएंलगे रहिये सेवा में ...माँ से सारा संसार है ..
चचा, सबसे पहले तो देर से ही सही, पर मेरे प्रणाम के साथ दादी को जन्मदिन की बहुत सारी बधाई पहुँचा दीजिएगा | एक उम्र के बाद शायद सभी माता-पिता अपने रोल बदल लेते हैं| तभी तो कहते हैं न-बच्चा-बूढा एक समान...| दादी की छत्रछाया बहुत लम्बे समय तक आप लोग के सिर पर रहे, आप सब एकसाथ बहुत खुश रहें, बस यही दुआ है |
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (14-09-2016) को "हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा अंक-2465) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सबसे पहले 'अम्मा जी' को सादर नमस्कार के साथ, जन्मदिन की अशेष शुभकामनाएँ ! (देरी से ही सही!)
जवाब देंहटाएंनतमस्तक हैं आपकी इस सेवा के आगे ! बहुत ख़ुशनसीब होते हैं वे बच्चे, जिनके सिर पर माता-पिता का साया बना रहता है!
बच्चों को तो सब ख़ुशी-ख़ुशी पालपोस लेते हैं परन्तु जब वृद्धावस्था में माता-पिता को उनकी ज़रूरत होती है तो कम ही लोग ऐसी सेवा कर पाते हैं, वह भी बिना माथे पर शिकन लाए, इतने उत्साह के साथ ! बहुत दुःख होता है देखकर, जब बुज़ुर्ग माँ-बाप को देने के लिए बच्चों के पास वक़्त तक नहीं होता ! वे अपने 'आज' में इस क़दर डूबे होते हैं कि न उन्हें अपना 'बीता हुआ कल' याद होता है न ही 'आने वाले कल' का आभास हो पाता है ...
~सादर
अनिता ललित
Padhkr mn bhavuk ho gaya .... Amma ko swasthya laabh k liye anant shubhkamnayen .....
जवाब देंहटाएंदेर से आना हुआ . क्षमा सहित .... अम्मा को नमन . दो से टीमन होने पर आपको बधाई और शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसलिल जी, आप भाग्यशाली हैं, बेटी के हास्टल चली जाने के बाद एक और बेटी-सी माँ से प्यार, स्नेह, दुलार पा रहे हैं, दे रहे हैं ।....यही तो है, जीवन की सार्थकता ।
जवाब देंहटाएंप्रेरणास्पद है यह भाव-चित्र ।
माँ को सादर प्रणाम ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही देर से आन हुआ मामा जी नानी जी को सादर प्रणाम व जन्मदिन की शुभकामनाएँ
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