शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2010

वॉट ऐन आइडिया सर जी!!

अभी दू चार महीना पहिले, हमरे हेड ऑफिस से कुछ अधिकारी लोग आए कोई प्रोजेक्ट के सिलसिला में. लोग को बहुत सा कागज पत्तर देखकर फाईनल रिपोर्ट बनाना था. अब सबसे बड़ा समस्या कि दूनो अधिकारी केरळ का था अऊर कागज सब हिंदी में. सरकारी कागज था, इसलिए उसको अंगरेजी में दोबारा से नहीं बनवाया जा सकता था. लोग हमरे पास आकर बईठ गया अऊर पूछने लगा कि समस्या का हल का हो सकता है. हम अंगरेज़ी में समझा दिये कि कागज में का लिखा है. मगर कुछ बात सिर्फ हिंदी में ही लिखा जाना था. हम बोले कि इसको तो रोमन में ही लिखना होगा.

अब दुनो परेसान कि इसका उच्चारन कइसे किया जाता है, काहे कि बिना उच्चारन के रोमन में भी लिखना मोस्किल था. हम एगो सादा कागज निकाले अऊर जो जो सब्द में लोग को दिक्कत महसूस हो रहा था, उसको मलयाळ्म में लिख कर दे दिये. चाहते हम रोमन में भी लिख सकते थे, लेकिन कानूनी कागज में रिपोर्ट देनेवाला अपने से लिखे तभी ठीक होता है. एही सोचकर दूनो का मातृभासा यानि मलयाळ्म में लिख दिये, सोचे सहूलियत होगा उच्चारन में अऊर देखते हैं कि उनका प्रतिकिरिया कईसा होता है.
दूनो चौंक गया, “वर्मा जी! आप मलयाळी है. मेरे को मालूम नहीं था!
अब हम बोले, “मलयाळ्म लिखने से या नाम के बाद वर्मा लगा होने से कोई मलयाळी नहीं हो जाता. मैं बिहारी हूँ.
क्या बात करता है आप! कोई नॉर्थ इण्डियन इतना परफेक्ट मलयाळ्म नहीं लिख सकता.
नॉर्थ ईण्डियन होगा तो नहीं लिख पाएगा. इसके लिए तो बस इण्डियन होना ही काफी है.
आप केरळ में कितना टाइम काम किया.
कभी नहीं.
डोण्ट टेल मी!! झूठ बोलता है आप! हाऊ कम यू आर सो प्रोफिशियेंट इन राइटिंग!!
अरे यार! पढने लिखने में मुझे कोई प्रोब्लेम नहीं होती. हिंदी, अंगरेज़ी, बांगला की तरह मलयाळ्म भी लिख पढ लेता हूँ.
दैट्स वॉट! मेनी पिपल, हू आर नॉट फ्रॉम केरळा, कैन स्पीक वेल. मगर आप पहला आदमी है जो लिख सकता और पढ सकता है.
दूनो आस्चर्ज अऊर अबिस्वास के साथ हमरे पास से चला गया. लेकिन हमको धकेल गया बहुत साल पीछे.
फ्लैश बैक:
जब कोई किसी का जिकिर करते समय कोनो दोसरा दुनिया में खो जाए, उसका बात करने का लहजा में मोलायमियत झलकने लगे, उसको सारा दुनिया का हर चीज खूबसूरत नजर आने लगे अऊर अपने नजदीकी से नजदीकी अदमी से बात करते समय उससे नजर बचाने लगे, तो समझ जाना चाहिये कि उसको प्यार हो गया है. कम से कम हमारे टाइम में एही होता था.

जब कोनो ट्रक बगल से गुजर जाता, तो उसको पलट कर देखने का मन करता था कि का मालूम कौन सा नया सायरी मिल जाए, जो मोहब्बत बयान कर सके. नींद उसकी ख़्वाब उसके, जिसकी शानों पर तेरी ज़ुल्फें परीशाँ हो जाएँ...चाहे  उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो... कुछ नहीं तो लिखता हूँ खत खून से, स्याही समझना इत्यादि. सब सायरी डायरी में नोट हो जाता अऊर बस एही इंतजार रहता कि कभी  प्रेमपत्र लिखे तो एही सायरी लिखना है.

जमाना में प्रेमपत्र पकड़ा जाने का भी बहुत डर रहता था. हमरे एगो पड़ोसी की बेटी का प्रेमपत्र पकड़ा गया था घर में. सजा मिला कि घर के सब सदस्य के सामने, जोर जोर से पूरा पत्र पढ़ो. अईसा सिचुएसन नहीं आए, इसके लिए तरह तरह का तिकड़म लगाना पड़ता था. हैंडराइटिंग बदलने से लेकर कोड भासा में लिखने तक का उपाय प्रचलित था.

मगर जब किस्मत दगा दे जाए आपका बस नहीं चलता. प्यार हो जाए अऊर प्रेमपत्र  लिखने का मौका नहीं मिले, तो सब सायरी धरा का धरा रह जाता है. इरिटेसन होता है सो अलग. बस दिल के अरमाँ आँसुओं में बह गए अऊर हम एही सायरी पढते हुये रह गए कि
ज़ुबाने यार मन तुर्की
मन तुर्की नमीं दानम!
मतलब हमरे मासूक का भासा तुर्की है अऊर हम तुर्की जानते नहीं. अब मूक बधिर वाला प्यार हो गया. देख लिये, मुस्कुरा दिये, नजर झुकाकर जमीन देखने लगी, हम भी आसमान ताकने लगे, कभी आँख के बेचैनी से पूछ लिये कि कल देखाई नहीं दी अऊर हाथ का इशारा से जवाब मिला ऑफिस बंद था, नजर का आदेस हुआ  छ्त पर आओअऊर आँख का पुतली तिरछा होकर बता दिया कि भैया घर पर है.

उसका हिंदी तो सुभान अल्लाह!तुम कैसी हैसुनकर माथा पीट लिये. अऊर पत्र लिखने के लिये कहने पर बस हाथ जोड़ ली, “सॉरी! हिंदी नहीं! ओनली मलयाळ्म.अब बताइये भला प्रेमपत्र  कोनो अंग्रेजी में लिखने का चीज है. अऊर मलयाळ्म, सुनिये के बुखार छूट गया कि पूरा बर्नमाला का लिखावट उसका बाल का घुंघराला लट जईसा था, पढेगा कौन!
मगर कुछ तो करना था. तो, पहिला काम किए कि सायरी का सब किताब फाड़कर फेंक दिये अऊर रैपिडेक्स इंग्लिस इस्पीकिंग कोर्स, मलयाळम से अंग्रेज़ी सीखने वाला किताब, को अंग्रेज़ी से मलयाळ्म सीखने के लिये लेकर पढने बईठ गए. बस एक महीना में एगो नया भासा से परिचय हुआ. कभी सोचे भी नहीं थे कि प्रेमपत्र  लिखने का सौख जाकर मयाळ्म में पूरा होगा.

पहिला चिट्ठी पढकर आस्चर्ज से बोली, “कैसे लिखी तुम इतना अच्चा! तुम सच्ची पागल है!  अऊर हम सोचे कि पागलपन नहीं जुनून था हमरा. एही जुनून किसी को रस्किन बॉण्ड का रूथ लाबादूर बना दिया अऊर किसी को जावेद ख़ान.  

आजकल टीवी पर आइडिया का बिज्ञापन आता है जिसमें एक भासा बोलने वाले को दूसरा छेत्र में नौकरी लग जाता है अऊर बेचरा आइडिया फोन के मदद से काम चलाता है. हमरे टाईम में फोन कहाँ होता था. मगर हमरा आईडिया भी बुरा नहीं था, प्रेमपत्र लिखने का. मगर हमको कोई नहीं बोला, वॉट ऐन आइडिया  सर जी!!

46 टिप्‍पणियां:

  1. व्हाट ऐन एक्सपीरियंस सरजी.......
    मेरा भी मन करता है कई सारी भाषा सीखने का.. फिलहाल मराठी सीखने पर फोकस है, लेकिन अभी तक दो-चार वाक्यों के अलावा कुछ नहीं सीख सका हूं। मराठी सीखने की ललक देखकर हर कोई यही पूछता है, क्यों कोई मराठी मुलगी से प्रेम हो गया है क्या? देखो अब ये वाक्य भी पूरा मराठी में नहीं लिख सका हूं। लेकिन आपका तो जवाब नहीं।

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  2. 6/10

    बेहद आनंद-दायक फुल पैसा वसूल पोस्ट
    आपका लेखन किसी भी गमजदा को हँसा सकता है.
    ... जियो बरखुदार

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  3. अरे काहे दुखी होते है .... हम कह तो रहे है .... व्हाट अन आईडिया सर जी !!
    पर आईडिया वाला विज्ञापन थोडा गलत लगा मुझे ....... उनका कहना है कि बात करने किसी भाषा की जरूरत नहीं होती .... यह सरासर गलत है ...भले ही आप इशारो में बात करे...भाषा तो वह भी है !
    चलिए जाने दीजिये ...... अब तो कुछ ही दिनों में मिल रहे है फिर पता करते है आप से ही आपके और भी बहुत से अनजाने राज के बारे में ! आपकी हर पोस्ट के बाद लगता है यह आपकी बेस्ट पोस्ट है .... पर बताता नहीं हूँ क्यों कि जानता हूँ ....THE BEST IS YET TO COME !!

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  4. चलो किसी ने नहीं कहा तो हम कहे देते हैं “ वॉट ऐन आइडिया सर जी!!”
    सही कहा आपने काश किसी अंग्रेजन से प्‍यार होता तो हम भी लवलैटर के चक्‍कर में अंग्रेजी तो सीख ही जाते। पर आपको मानना पड़ेगा सलिल भाई आप शुरू कहीं से करते हो और कहीं ले जाकर खत्‍म करते हो। अरे टीवी सीरियल में ट्राई करो न। वहां तो बस सोचते ही रह जाएंगे कि अगले एपीसोड में क्‍या होगा।

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  5. लाजवाब पोस्ट...हम भी ढूंढते हैं उसे जिसकी भाषा सीखने की हमारी तमन्ना होगी...तब हम भी आपका फार्मूला लगाएंगे और एक भाषा सीख जायेंगे...लेकिन ये तो बताइए के इस प्रेम कथा का अंत कौनसी भाषा में हुआ...:-)

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  6. ओह...क्या कहें.....
    लाजवाब...

    मुस्कराहट को कैसे कंट्रोल करें,बुझा नहीं रहा है...

    ऐसा कंसट्रकटिव प्रेम भगवान् करे सबको हो,जो और कुछ कराये न कराये भाषा ज्ञान तो समृद्ध कर दे...

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  7. @लोकेंद्र जीः मराठी सीखी तो हम बिहारियों का क्या होगा!
    @उस्ताद जीः आपकी पारखी नज़र को सलाम!
    @उत्साही जीः बड़े भाई, ज़िंदगी से बेहतर कोई सीरियल नहीं.
    @शिवम बाबूः ख़ूब जमेगी जब मिल बैठेंगे दीवाने दो.
    @नीरज सरः बस अंत ही हो गया.

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  8. @सतीश भाईः बहुत घुटे हुए हैं सर! अब कोई घुटन असर ही नहीं करती.

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  9. ज़बरदस्त कथा है मलयालम की, मैंने भी केरल को कल ही टच किया है

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  10. बड़े भाग्य वाले हो सलिल भाई. काश! हमें भी बंगाली मलयाली सीखने का मौका मिला होता!

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  11. बहुतई सुंदर ढ़ग से आप लोगन को "जुनून" का चीज होत है? इ हंसवा हंसवा के बताइ दिये हैं। कौनो चीज कठिन न आय। बहुत बढ़िया।

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  12. बहुत खूब ,प्रेम में वशीभूत हो कर कुछ सार्थक कर गये ।अच्छा संस्मरण और सुंदर प्रस्तुतिकरण ।

    आपको तो २-३ भाषायें आती हैं ,तो क्या ---- हा हा हा हा

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  13. प्रेम का जुनून कुछ चीज ही ऐसा होता है सर जी कि आइडिया स्वत: जन्मने लगते हैं । हमेशा की तरह यह भी बहुत मजेदार रहा ।

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  14. ओह! तो ये थी वो कहानी आपके मलयालम सीखने के पीछे...हम्म..किसी महापुरुष का ये कथन तो याद है कि "अंग्रेजी सीखना है तो किसी अँगरेज़ लड़की के प्यार में पड़ जाओ."..और आपने तो कर दिखाया....बहुत खूब.

    पर आपके मलयालम ज्ञान की बात सुनकर मैं कुछ शर्मिंदगी महसूस करने लगी थी कि, मलयाली,तमिल,तेलुगु,तुलु भाषा बोलने वाली सहेलियों से इतनी पुरानी दोस्ती है और हमने स्कूल के दिनों में देखे बहुत सी भाषा सीखने का अपना सपना साकार नहीं किया.

    पर अब हम उस शर्मिंदगी से मुक्त हो गए...यहाँ तो किस्सा कुछ और ही था :)

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  15. कैसे लिखी तुम इतना अच्चा! तुम सच्ची पागल है!
    प्रेमी और पागल मैं फर्क ही कितना है ....हमारे पिताजी पागल की व्याख्या करते है " पा कर निगल जाने वाला " सो सच ही लगता है ! इतना रोमांचित कर देने वाला अनुभव ...पढ़ कर आनंद आगया वाकई आपकी लेखनी में वो दम है कि इंसान को दूसरी दुनिया में ले जाए .पहली पंक्ति से आखिरी तक बाँध लिया आपने और पढ़ने के बाद भी याद रहेगी यह बात तो :)
    "देट वाज़ रियली अ ग्रेट आइडिया सर जी, केन बी डन बी बाई ग्रेट लवर" .....अमेजिंग !!

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  16. अब का कहें,.... ऐसे ही दू चार ठो और भासा सीख लिया जाए, बड़े भाई।
    अंग्रेज़ी सीखे ललुला गए थे अमेरिका त बिलुआ भोजपुरी सीख गया। यहां का हुआ, कोनो दीन सलिलबा कह के बुलाहिन की नहीं।

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  17. Kitnee bhasha jaante hain aap?
    Aalekh padhte padhte bahut mazaa aayaa! :):)
    Waise idea to badhiya hai,par aasaan nahee lagee!

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  18. बहुत अच्छा सलिल जी। अपने अच्छे अनुभव की बात की है। मेरी बधाई स्वीकार कीजिए।

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  19. सलिल साहब,
    आप तो अगले जमाने के आदमी निकले, अब हम ठहरे पिछड़े वक्त के आदमी तो जोड़ी हमारी जमेगा कैसे ....?
    महाशय जी, जो बता दिया इतना न बताते तब भी चलता। जिसे गोल कर गये, वो कौन बतायेगा?
    व्हाट ऐन आईडिया, सरजी????? अगली कड़ी का इंतजार कर रहे हैं। हा हा हा

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  20. मलयाली सीखने की वजह जो भी रही हो , एक अतिरिक्त योग्यता तो प्राप्त कर ही ली आपने...!

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  21. YARON KE YAYAWARI ME ITNE KHOYE RAHE KE KABHI......JINDGI KE ITNE AHMTAREEN PANNO PAR.....
    KOI IBARAT NA LIKH SAKE......

    PRANAM.

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  22. इश्क नचाये जिस को यार!
    वो फिर नाचे बीच बाज़ार!!

    हा,.हा,हा...यम्मी यम्मी।

    -चैतन्य

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  23. Kya Idea hai sir jee...........aap to kabhi bhi kahin se bhi kuchh bhi late hai, aur ham na chahte hue bhi pura padh kar hi shant hote hain.........sachche me great idea sir jee

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  24. @मुकेश जीः क्या बात करते हैं आप!न चाहते हुए भी पढ जाते हैं. आभार!!

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  25. प्रणाम,

    एह कहानी के इस्तेमाल फिल्म kite में भइल बा....हाहा हा

    what and IDEA Sir ji..

    jaibhojpuri.com

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  26. सलिल जी फिर हम देर से आये आपके ब्लॉग पर .. लेकिन देर से आने का बहुत बड़ा फायदा यह है कि ... बहुत सारे विद्वत जन के विचार भी पढने को मिल जाता है... भाषा अपने आदि काल में ऐसे ही फली फूली होगी.. जरुरत के अनुसार... देखने में तो सहज और सरल लगती है आपकी बात लेकिन भाषाई विस्तार के बारे में यह एक गंभीर और अनुकरणीय प्रसंग है.. यदि ऐसे ही हम दुसरी भारतीय भाषा को अपनाने लगे और सम्मान दे... तो देश में भाषा के नाम पर जो दूरी और विभेद है... मिट जायेगी... बहुत सुंदर पोस्ट...

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  27. वाह जी "आप तो ग्रेट निकले " ये भी अनुभव है आपके पास लेकिन इसका रिज़ल्ट तो आपने बताया ही नहीं .........मलयाली पत्र का रिज़ल्ट क्या रहा ???
    और ये आइडिया था बहुत लम्बा आज के टाइम में नहीं चलने वाला ! lekin fir bhi "wat an idea Babuji " sir ji nahi kyoki wo purana ho gaya ..........:)

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  28. Ae bhai saheb.bangla to aamio likhte bolte ar porte pari kintu apki tarah koi malyali mili hoti to baat hi kuchh aur hoti. Bahute badhia anubhaw post kiye. Badhai....unlimited!

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  29. Ae bhai saheb.bangla to aamio likhte bolte ar porte pari kintu apki tarah koi malyali mili hoti to baat hi kuchh aur hoti. Bahute badhia anubhaw post kiye. Badhai....unlimited!

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  30. सलिल जी, मलयालम लिपि और लटों के घुंघरालेपन की समानता...!! क्या कहने आपकी पारखी नज़र के.

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  31. ज़ुबाने यार मन तुर्की
    व मन तुर्की नमीं दानम!

    क्या बात है..... एक धुर बिहारी... और मलयालम लिपि ... वो भी माशूक की लटों जैसी घुंघराली.......

    इश्क चीज़ ही ऐसी है ... जितना करवा दे - उतना कम जानिये....

    और हाँ... उस प्रेम-लीला पर भी कुछ प्रकास डालिए..... चाहने वालों से एतना दुराव छुपाव ठीक नहीं.

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  32. "किसी का जिकिर करते समय कोनो दोसरा दुनिया में खो जाए, उसका बात करने का लहजा में मोलायमियत झलकने लगे, उसको सारा दुनिया का हर चीज खूबसूरत नजर आने लगे अऊर अपने नजदीकी से नजदीकी अदमी से बात करते समय ऊ उससे नजर बचाने लगे, तो समझ जाना चाहिये कि उसको प्यार हो गया है।"
    पंकज पराशर जी की एक कविता है-
    "प्रेम में पड़ल लोक
    बात-बात पर हंसैत-हंसैत
    चुप्प भ जाइत अछि
    बजैत अछि
    आँखि झुका कए
    आ किछु प्रश्नक उत्तर में
    पड़ा जाइत अछि
    जी कुइचि कए...."

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  33. कमाल की पोस्ट है भाई .... हम दुबई में तो केरल की ज़ुबान ही नही सब कुछ सीख जाते हैं ...
    कहीं आपका भी दुबई में .... नही नही ग़लत नही सोच रहे हम ....

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  34. अज बस इतना ही कहूँगी कि दी के मन को ये पोस्ट पढ् कर कुछ आनन्द मिला। बहुत बहुत धन्यवाद, शुभकामनायें।

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  35. “नॉर्थ ईण्डियन होगा तो नहीं लिख पाएगा. इसके लिए तो बस इण्डियन होना ही काफी है.”
    वाह क्या बात है सर जी।

    ..मुझे भी दक्षिण भारतीय भाषा के नाम पर बुखार चढ़ जाता है। काश मुझे भी नसीब होता वो जुनुनी मलयालम वाला आलम।
    ..शानदार पोस्ट।

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  36. मस्त मस्त पोस्ट... :)
    क्या मस्त आईडिया निकाले थे आप...लेकिन जो रश्मि दी ने कहा वही मैं भी कहूँगा की मेरे भी इतने दोस्त हैं, कर्नाटक के, महाराष्ट्र के, और भी कई स्टेट से, लेकिन मैं भी ना तो बोलना सीख पाया न लिखना...

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  37. हम बोले देते हैं न ,
    'वाट एन आइडिया सर जी'...

    सादर

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  38. :-)

    एक बात ...
    भाषा सीखी मगर प्रेमपत्र लिखने में काछे निकले शायद....
    काहे से भौजाई तो मल्लू लगती नहीं....(फोटो देखे हैं...बाल भी ध्यान दिए हैं...)
    सो वो किस्सा तो किस्सा ही रहा न :-)

    सादर
    अनु

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