(कहानी लिखना हमरे बस का नहीं है. कभी मन से कोसिस भी नहीं किये. अपने दोस्त से चैट करते करते एक दिन लगा कि हमलोग केतना बात कर जाते हैं, अगर इसको जोड़कर देखा जाए तो एगो पूरा कहानी बन सकता है. ऐसे ही कोई बाप और बेटी का चैट के माध्यम से ई कहानी कहने का कोसिस किये हैं.)
“डैडी, एक बहुत पुराना गाना है “चले जाना नहीं, नैन मिला के” ये नूरजहाँ ने गाया है क्या?”
“नहीं! सबको एक बार कंफ्यूज़न होता है कि ये नूरजहाँ का गाया हुआ है.”
“फिर किसने गाया है?”
“रजनी ने.”
“?????”
“सॉरी बेटा! लता मंगेशकर ने.”
“तो आपने रजनी क्यों कहा.. मैंने तो कभी इनका नाम नहीं सुना..”
“हाँ, ये कोई प्लेबैक सिंगर नहीं हैं.”
“डैडी! आर यू ऑलराईट!!”
“मुझे क्या हुआ है. इस गाने से एक पुराना किस्सा याद आ गया. हमारे घर के सामने रजनी आण्टी याद हैं तुझे?”
“वही ना जिनको रेडियो, टीवी और ट्रांज़िस्टर से चिढ़ है. जिनके आते ही ये सब बंद कर दिये जाते थे!”
“हाँ वही! वो बहुत अच्छा गाती थी. ये गाना उसने पहली बार गाया था, हमारे सामने वाले पार्क में दुर्गा पूजा के समय. और इतना अच्छा गाया था कि बस तबसे इस गाने को सुनकर लता मंगेशकर से भी पहले रजनी याद आती है, आज भी.”
“वो गाना भी गाती थीं, विश्वास नहीं होता.”
“गाती थी... बहुत अच्छा गाती थी. कमाल ये कि कभी सीखा नही उसने गाना. संगीत का कोई ज्ञान नहीं था उनको. लेकिन सुनकर कोई कह नहीं सकता कि एक भी सुर गलत लगा हो या गाना लय और ताल से बहक गया हो.”
“कैसे पॉसिबल है!!”
“चमत्कार कह लो... सिर्फ रेडियो पर गाने सुनकर, उनको दोहराकर.”
“ग्रेट! रेडियो से इतनी नफरत और गाना रेडियो पर सुनकर सीखा.”
“सिर्फ संगीत ही नहीं, स्पोर्ट्स में भी अव्वल थी वो.. अपने स्कूल और कॉलेज के सारे इवेंट्स में वो आगे रहती थी. लड़की होकर वो जब मोटर सायकिल चलाती थी, तो सारे हमउम्र लड़के सिर झुका लेते थे.”
“आई कांट बिलीव!”
“एक बार तेरी दादी की तबियत ख़राब हो गई थी और घर पर कोई नहीं था, तो वो कार में बिठाकर हस्पताल ले गई. ये तो बाद में पता चला कि वो उसकी पहली ड्राइविंग थी!”
“गाना.. स्पोर्ट्स.. एड्वेंचर... क्या पर्सनालिटी थी वो!”
“गाना उसका पहला शौक था. रात को जब सबलोग सोने चले जाते तो बिछावन में ट्रांज़िस्टर लेकर गाने सुनती थी. गर्मियों में छत पर देर रात तक. और जब टेप रिकॉर्डर का ज़माना आया तब तो उसका पागलपन पूछो मत.”
“वो क्या!”
“किसी को बर्थडे पर अपनी आवाज़ में गाने रिकॉर्ड करके हैप्पी बर्थ डे कैसेट भेजना, घर पर किसी के लिये कोई मेसेज हो तो रिकॉर्ड करके बताना. अपनी आवाज़ में गाने गाना और रिकॉर्ड करके सुनना सुनाना.”
“इंट्रेस्टिंग!”
“कोर्स की कहानियाँ नाटक की तरह पढ़कर सबको सुनाती और कविताएँ गाकर.”
“सो स्वीट!”
“लेकिन उसका रेडियो सुनने का शौक गया नहीं. नाटक, समाचार और गाने सुनना और उनकी नकल करना.”
“ह्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म!!”
“फिर उसकी शादी तय हो गई, एक बड़े अच्छे परिवार में. लोग जान पहचान के थे अंकल के दोस्त. लड़का दिल्ली में कोई बड़ा ऑफिसर था.”
“अरे वो मैरिड हैं… बुआ बताती थी कि उनकी शादी नहीं हुई!”
“शादी की तारीख तय होने के बाद, एक रोज़ गर्मी की रात छत पर ट्रांज़िस्टर बजाकर कुछ पढ़ रही थी. तभी उसने अचानक ट्रांज़िस्टर उठाया और छत से नीचे आँगन में फेंक दिया.”
“अरे! हुआ क्या था!”
“ट्रांज़िस्टर पर समाचार में यह ख़बर आई थी कि दिल्ली से आने वाला प्लेन क्रैश हो गया था और उसमें सवार सारे लोग मारे गये थे. उसका होने वाला पति भी उसी विमान से आ रहा था.”
“सो सैड!!”
“जिस रेडियो से उसे इतना लगाव था उसकी एक ख़बर ने उसका पूरा जीवन बदल दिया.”
सो सैड!!!
जवाब देंहटाएंआपकी ये छोटी सी चैट कहानी अच्छी रही। पर खटकने वाली बात ये है कि जीवन से भरी और इतनी हिम्मत वाली ये लड़की इस घटना से इतना टूट गई कि आजीवन इससे नहीं उबर पायी। ये सही है कि उसके लिए ये बहुत बड़ा सदमा था पर जिंदगी कुछ वर्षों में आपने लय में लौट ही आती है। और दुख सुख तो आते जाते रहते हैं।
जवाब देंहटाएंकुछ लोग अपनी संवेदनाओं से इतने गहरे से जुडे होते हैं कि एक हादसा उनके जीवन को समाप्त कर देता है। वो उन संवेदनाओं के बिना जीने की कल्पना भी नही कर सकते। हार मान कर ज़िन्दगी नही चला करती। मार्मिक कहानी है। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंकुछ कहने को बन नहीं रहा.. जिंदगी के विडम्बना को आकाश्बानी के माध्यम से मार्मिकता से दिखाया गया है..
जवाब देंहटाएंदुखांत कथा...अत्यंत मार्मिक...
जवाब देंहटाएंएक हादसा जीवन की दिशा ही बदल देता है।
सशक्त रचना है.लेकिन दुखांत है.निराशावादी न होकर यदि वह महिला संगीत को ही श्रधान्जली का माध्यम बनाती तो उत्तम होता.
जवाब देंहटाएं@ सोमेश सक्सेना:
जवाब देंहटाएंमानव मन और मानव तन शायद इस विश्व की सबसे अजूबी रचना हैं, जाने कितने और कैसे सर्किट्स और कैसे कैसे कनैक्शन्स। कई बार बहुत बड़ी बड़ी बातें झेल जाता है हमारा मन और जरा से धक्के से चूर-चूर।
सलिल भैया, काहे झूठ बोलते हैं? इतने अच्छे से तो कहानी का प्लाट सोचा है आपने, और क्या चाहिये।
आपकी ये कहानी अंदर तक कुरेद गयी.
जवाब देंहटाएंरामराम.
इतनी सशक्त स्त्री ने ऐसा क्यों किया मगर....इनके बारे में और जान्ने लायक बातें होंगी....प्रेरणा वाली कहानी....
जवाब देंहटाएंन जाने आपकी ये कहानी उनको कैसी लगेगी...लेकिन ये कहानी हम तक पहुंचाने के लिए धन्यवाद...
प्रणाम
Aah! Kab kaunsa hadsa kispe kya asar kare,kah nahee sakte! Salahe dena aasaan ho ta hai,par jo tan lage,so tan jane!
जवाब देंहटाएंकभी कभी मजबूत से मजबूत इंसान भी एक दम से टूट जाता है ...
जवाब देंहटाएंहाँ सलिल भैया ! होता है ...ऐसा भी होता है .....मेरी जानकारी में भी एक बार ऐसी घटना हो चुकी है .......एक सुन्दर सी ..दबंग सी लड़की ....उन्मुक्त जीवन की स्वामिनी ......लोग डरते थे ......शायद इसलिए कि वह सी.पी.एम. वाली थी. मगर उस मोहल्ले में वही एक ऐसा पुष्प था जिसे गुलाब ..जूही..चमेली जैसा कुछ भी कहा जाता था. लडके भ्रमर बनते ...पतंगा बनते ...पता नहीं क्या क्या बनते ......जलते ...हाथ मलते ......मगर वह गाँव के एक गंवार, डरपोक और बुड़वक किस्म के युवक को आमंत्रित कर रही थी .......बुड़वक की जान निकलती थी सी.पी एम. के नाम से . तभी एक हादसा हो गया ....दिन दहाड़े उसकी आँख के सामने किसी ने उसके पिता को गोली मार दी. उसके बाद से उस सुन्दरी के जीवन में जो परिवर्तन हुआ वह चौकाने वाला था .....उसके दुश्मनों को भी तरस आता था उस पर .......अब आगे नहीं बता पाऊंगा भैया ......
जवाब देंहटाएंहालांकि कई बातें सोची-कही-समझी जा सकती हैं, पर मेरे पास कभी-कभी कहने को कुछ रह नहीं जाता।
जवाब देंहटाएंपर जैसा कि अक्सर कह देता हूँ, "काश! ये कहानी ही हो।"
और चूंकि मैं मान रहा हूँ कि यह कहानी है, तो यह कहना कि आप कहानी नहीं लिख सकते, मेरी तरफ से सिरे से ख़ारिज है :)
:(
जवाब देंहटाएंअतिशय दुखद!! मर्मस्पर्शी !!
जवाब देंहटाएंसामान्यतः बहादुर महिला के साथ यह नहीं होता, पर दुखद तब होता है जब जो ज्यादा पसन्द हो उसी से दुख भी मिलने लगे।
संस्मरण अच्छा है।
जवाब देंहटाएंवाकई मार्मिक कहानी है! सुन्दर और सफल प्रयास!
जवाब देंहटाएंमार्मिक कहानी
जवाब देंहटाएंट्रेजडी क्वीन टाइप हीरोइन की कहानी.
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक कहानी ...
जवाब देंहटाएंओह ..कैसे एक हादसा किसी इंसान को और उसकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल देता है...
जवाब देंहटाएंमार्मिक कहानी .
ऱउआ खातिर कवन विशेषण चुनी हमरे समझ के बाहर बा।जबले अच्छा विशेषण ना मिली तब तक अच्छा कमेंट खातिर इंतजार करे के पड़ी।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
बड़े भाई, सहज कथानक के साथ सरल शिल्प से कथानक रचने वाले आप एक सशक्त कहानीकार हैं। आज के इस लेखकीय दौर में जहां लेखन मात्र एक नारा या फ़ैशन बन कर रह गया है, कथ्य और शिल्प की यह सादगी मन को छू लेने वाली है। मानवीय संबंध की कहानी को आपने बेहद आत्मीय शैली में सुनाया है।
जवाब देंहटाएंसितार के टूटे तारो को फिर से कस कर नई धुन छेड़ने वाला कोई नहीं मिला होगा |
जवाब देंहटाएंलता मंगेशकर के पहले रजनी का नाम ?
शायद डैडी को ही ये काम करना था पर उन्होंने किया नहीं |
क्या कहें दाऊ ! बस अवि भाई की बात पर आमीन कह रहे हैं।
जवाब देंहटाएंbahut acchi kahani
जवाब देंहटाएंआपके जन्म दिन की पोस्ट से पहले ही अश्क कहाँ सूखे थे कि
जवाब देंहटाएंआप ने और सैड कर दिया.
अब और मत रुलाओ ,मित्र.
सलाम.
कहानी बहुत ही अच्छी थी.
कुछ हादसे जिंदगी की दिशा ही बदल देते हैं ...
जवाब देंहटाएंमार्मिक !
speechless dadu......!!! ab kya kahoon....sannnn reh gayi.....dont do this again.....daravni kahaniyaan sunaate ho.....
जवाब देंहटाएंpar kya khoob kahani kehte ho.....dobara mat kehna ke aap kahani nahin likhte
atyant marmik prasang.
जवाब देंहटाएंकहानी पर अभी कुछ न कहूँगी..केवल आपकी कहानी कला पर कहूँगी...
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रभावशाली ढंग से आपने कहानी कह दी है....
एकदम कसी सधी कहानी है,जो पाठक के मन को छू आह निकाल देने में समर्थ है...
लिखते रहिये कहानियां...
maarmik ... kabhi kabhi एक pal में ही जीवन badal जाता है इंसान का ....
जवाब देंहटाएंआपकी kahaani अच्छी लगी ... aap kahaani भी अच्छी kah सकते हैं ... बस koshish कर के dekhiye ....
मार्मिक कहानी...कौन कहता है आप कहानीकार नहीं है...
जवाब देंहटाएंनीरज
bade bhaiya sansmaran ka dukhad ant nahi bhaya...aap to positive soch wali baaten hi likho...!
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक कहानी...बिलकुल जीवंत चित्रण....
जवाब देंहटाएंपाठकों को बांधे रखने में सक्षम
... मार्मिक कहानी है! सुन्दर और सफल प्रयास!
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रभावशाली ढंग से आपने कहानी कह दी है..
जवाब देंहटाएंमेरी हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.
SO SAD"
जवाब देंहटाएंPRANAM
मार्मिक कहानी। आपका यह प्रयोग शत प्रतिशत सफल है।
जवाब देंहटाएंउन दिनों रेडियो पर बजते हिंदी फिल्मी गीत ही युवा दिलों के प्रेम की अनुभूति और उसकी मौन अभिव्यक्ति के माध्यम हुआ करते थे। वह संगीत अंतस को कहीं बहुत गहरे जोड़ता था। वह डोर टूट गई,अब रेडियो रहे कि जाए।
जवाब देंहटाएंसलिल जी, कहानी बहुत ही अच्छी रही। पढ़ते-पढ़ते सोच रहा था उसे रेडिया से इतना प्रेम था वो अचानक नफरत में कैसे बदल गया। आखिर में जब प्लेन क्रैश होने वाली लाइन पढ़ी तो सच कहूं दिल धक से बैठ गया। बहुत दुख हुआ। रजनी के साथ बहुत बुरा हुआ।
जवाब देंहटाएंpahla hi prayas shaandaar raha. kahani acchi ban padi hai.
जवाब देंहटाएंउफ़ ...
जवाब देंहटाएंबड़ी हौलनाक कहानी है भाई
जवाब देंहटाएंमार्मिकता उकेर कर रख दी।
जवाब देंहटाएं"Bikhare Sitare" pe aapkee tippanee kaa blog pe hee jawaab diya hai! Please padh len!
जवाब देंहटाएंUffo! Mujhe qatayi bura nahee laga aapki baat ka!Maine khud mazakiya lahjeme jawaab diya tha!
जवाब देंहटाएंMaafee maang ke mujhe sharminda na karen!
Comment bura lagta to mai publish na karti!
कमेन्ट तो पहले कर चुकी हूँ लेकिन आज जीवन का एक खास दिन था ,दुखद भी! तो लगता था कि कोई आवाज़ दे कर बुलाये "निम्मो दी" और तभी आपका कमेन्ट देखा बस आँखें भीग गयी। शुक्रिया मेरे भाई। सदा सुखी रहो।
जवाब देंहटाएंअविस्मरणीय प्रसंग...
जवाब देंहटाएंएकलव्य जैसी जीवटता वाली शख्सियत के लिये.
आद.सलिल जी,
जवाब देंहटाएंसचमुच बातों ही बातों में आपने इतनी मर्मस्पर्शी कहानी बना डाली !
आपके कहानी लिखने का यह अंदाज़ भी अच्छा लगा !
बढ़िया रचना लगी,बधाई
जवाब देंहटाएंनारी स्वतंत्रता के मायने
संवादों को पिरोकर एक बहुत अच्छी कहानी गढ़ दी है बाऊ जी |
जवाब देंहटाएंसादर