दोस्त लोग के जिद में आकर हमको ई ब्लॉग फ्लॉग के चक्कर में पड़ना पड़ा.बाकी अब जब ओखली में माथा ढुकाइए दिए हैं, त देखेंगे कि केतना मूसर पड़ता है हमरा मूड़ी पर...
मुझे तो ऐसा लगता है कि हम इसे स्याह साल ना समझकर एक अवसर समझे स्थितिओं को बदलने का. अगर इस काम में हम सब सफल हुए तो यह साल हमेशा याद रखा जायेगा एक क्रांति के लिये और उस लड़की के बलिदान के लिये.
Sabse adhik sharm to mujhe Pratibha Patil ke karan aa rahee hai...4 balatkariyon ko faansee kee saza se maafee? Aaj is aurat ne sare desh se maafee mang lenee chahiye.
इंडिया का तो पता नहीं, लेकिन मेरा तो ज़रूर है... सिर्फ यही कारण ही नहीं लेकिन सच में अचानक से मन में ये विश्वास बैठ गया है कि ये कलयुग है.. यहाँ ज़रूरी नहीं कि अछे को अच्छा मिले और बुरे को बुरा... रात बाहर आतिशबाजी हो रही थी, शोर हो रहा था और पता नहीं क्यूँ मेरी आखों से आंसू गिर रहे थे... सब खुश तो ऐसे हो रहे हैं जैसे आज के आज बिल गेट्स उन्हें अपना अगला उत्तराधिकारी घोषित करने वाले हैं.... इस बेफालतू के हंगामे और शुभकामना से बचने के लिए फेसबुक भी मिटा दिया, कल से किसी का फोन भी अटेंड नहीं किया, आज दफ्तर से भी छुट्टी ली... ताकि घर में शान्ति से बैठ सकूं... एकांत में थोडा सुकून तलाश रहा हूँ... और उसपर से नीचे प्रेम सरोवर जी की आतुरता देखकर मन कसैला हो गया.. मेरे ब्लॉग पर भी उन्होंने ऐसी ही कुछ टिपण्णी चिपकाई है... इन्हें ज़रा सी भी शर्म नहीं, ज़रा सा भी होश नहीं कि पोस्ट किस बारे में है और ये क्या कमेन्ट कर रहे हैं... चाचू, अगर ये कमेन्ट रखने का दिल न करे तो मिटा दीजियेगा... पता नहीं क्या-क्या बेफालतू में ही लिख गया....
सबसे पहले तो आपसे माफ़ी चाहता हूँ , जो मैंने नए साल की मुबारकबाद दी आपको , लेकिन मैं ट्रेन में था , मुझे सच में कुछ नहीं मालूम था कि ये सब बीत चुका है वरना ऐसी ढिठाई कभी न करता | अपराधियों पर रोष जायज है और मुझे भी है लेकिन सच पूछिए तो मुझे खुद पर शर्म आती है ,|
इतनी भयानक दुर्दशा के बाद ऐसा दुखद अन्त होना ही था लेकिन यह अन्त अब ऐसी ज्वाल बनना चाहिये कि ऐसे अत्याचारी जलकर राख होजाएं । यह दायित्त्व सबका है और मैं नमन करती हूँ उनके जोश व आक्रोश को जो लगातार इस वीभत्स घटना के विरोध में राजधानी में ही शीश ताने नही खडे हैं ,हर शहर और कस्बा में विद्रोह का बिगुल बजा रहे हैं । यह व्यर्थ नही जाना चाहिये । एक भी स्वर जो अन्याय व अत्याचार के विरोध में मुखर होता है तो बेहद जरूरी है कि सब एक स्वर से उसका साथ दें ।
हमरा नामः सलिल वर्मा,वल्दः शम्भु नाथ वर्मा,साकिनः कदम कुँआ, पटना,हाल साकिनः भावनगर, गुजरात
हम तीन माँ के बेटा हैं,बृज कुमारी हमको जनम देने वाली,पुष्पा अर्याणी हमरे अंदर के कलाकार को जन्म देने वाली,अऊर गंगा माँ जिसके गोदी में बचपन बीता अऊर कॉलेज (साइंस कॉलेज/पटना विश्वविद्यालय) की पढाई किए.बस ई तीन को निकाल लिया तो हम ही नहीं रहेंगे...
कभी नहीं भूलेगा..यह काला शनीवार।
जवाब देंहटाएंमौन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएं:-(
जवाब देंहटाएंये दर्द मिटेगा नहीं दिल से...
अनु
सच!
जवाब देंहटाएंदुखी तो हम सब हैं। ...
जवाब देंहटाएंस्याह रात नाम नहीं लेती है ढ़लने का,
यही तो वक़्त है सूरज तेरे निकलने का।
नववर्ष से पूर्व ये साल जाते जाते एक बेहद बड़ा दर्द दे गया..साथ ही आत्ममंथन की एक वजह भी....
जवाब देंहटाएंभारत अपनी सहिष्णुता और उदारता के लिए जाना जाता है .ऐसा घृणित कायर हमारी सभ्यता संस्कृति का हिस्सा नहीं है एक का नालायकी भरा काम देश का नाम डूबाता है.
जवाब देंहटाएंक्या कहें :(..
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएं.
.कोई एक दिन या साल नहीं
यह समय ही स्याह हो गया है ।
:(
आज इस साल ने जाते जाते,
जवाब देंहटाएंमुँह पे कालिख सी पोत डाली है.
सर झुकाए हैं, शर्मसार हैं हम!!
बहुत ही शर्मशार कर देने वाली घटना ने हम सबके मुंह पर कालिख पोत दिया है।धन्यवाद।
मुझे तो ऐसा लगता है कि हम इसे स्याह साल ना समझकर एक अवसर समझे स्थितिओं को बदलने का. अगर इस काम में हम सब सफल हुए तो यह साल हमेशा याद रखा जायेगा एक क्रांति के लिये और उस लड़की के बलिदान के लिये.
जवाब देंहटाएंसच कहा है ...
जवाब देंहटाएंशर्म आत्मग्लानी से भर जाता है मन ...
बिल्कुल सही
जवाब देंहटाएंकुछ ऐसा ही लग रहा है
Sabse adhik sharm to mujhe Pratibha Patil ke karan aa rahee hai...4 balatkariyon ko faansee kee saza se maafee? Aaj is aurat ne sare desh se maafee mang lenee chahiye.
जवाब देंहटाएंsach.. aisa dardnaak shaniwaar..
जवाब देंहटाएंचिरनिद्रा में सोकर खुद,आज बन गई कहानी,
जवाब देंहटाएंजाते-जाते जगा गई,बेकार नही जायगी कुर्बानी,,,,
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recent post : नववर्ष की बधाई
bilkul......
जवाब देंहटाएंइंडिया का अब तक का शायद सबसे बैड न्यू इअर होगा यह!!
जवाब देंहटाएंइंडिया का तो पता नहीं, लेकिन मेरा तो ज़रूर है... सिर्फ यही कारण ही नहीं लेकिन सच में अचानक से मन में ये विश्वास बैठ गया है कि ये कलयुग है.. यहाँ ज़रूरी नहीं कि अछे को अच्छा मिले और बुरे को बुरा... रात बाहर आतिशबाजी हो रही थी, शोर हो रहा था और पता नहीं क्यूँ मेरी आखों से आंसू गिर रहे थे... सब खुश तो ऐसे हो रहे हैं जैसे आज के आज बिल गेट्स उन्हें अपना अगला उत्तराधिकारी घोषित करने वाले हैं.... इस बेफालतू के हंगामे और शुभकामना से बचने के लिए फेसबुक भी मिटा दिया, कल से किसी का फोन भी अटेंड नहीं किया, आज दफ्तर से भी छुट्टी ली... ताकि घर में शान्ति से बैठ सकूं... एकांत में थोडा सुकून तलाश रहा हूँ...
हटाएंऔर उसपर से नीचे प्रेम सरोवर जी की आतुरता देखकर मन कसैला हो गया.. मेरे ब्लॉग पर भी उन्होंने ऐसी ही कुछ टिपण्णी चिपकाई है... इन्हें ज़रा सी भी शर्म नहीं, ज़रा सा भी होश नहीं कि पोस्ट किस बारे में है और ये क्या कमेन्ट कर रहे हैं...
चाचू, अगर ये कमेन्ट रखने का दिल न करे तो मिटा दीजियेगा... पता नहीं क्या-क्या बेफालतू में ही लिख गया....
आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट पर आपकी प्रतिक्रिया की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी। नव वर्ष 2013 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। धन्यवाद सहित
जवाब देंहटाएंइस दशा से हतप्रभ हु
जवाब देंहटाएंफेसबुक id हैकिंग @ khotej.blogspot.in
बिल्कुल सही
जवाब देंहटाएंबेहद दुखद और शर्मशार कर देने वाला काला शनिवार
जवाब देंहटाएंसबसे पहले तो आपसे माफ़ी चाहता हूँ , जो मैंने नए साल की मुबारकबाद दी आपको , लेकिन मैं ट्रेन में था , मुझे सच में कुछ नहीं मालूम था कि ये सब बीत चुका है वरना ऐसी ढिठाई कभी न करता |
जवाब देंहटाएंअपराधियों पर रोष जायज है और मुझे भी है लेकिन सच पूछिए तो मुझे खुद पर शर्म आती है ,|
सादर
साहस का दुखद अन्त..
जवाब देंहटाएंइतनी भयानक दुर्दशा के बाद ऐसा दुखद अन्त होना ही था लेकिन यह अन्त अब ऐसी ज्वाल बनना चाहिये कि ऐसे अत्याचारी जलकर राख होजाएं । यह दायित्त्व सबका है और मैं नमन करती हूँ उनके जोश व आक्रोश को जो लगातार इस वीभत्स घटना के विरोध में राजधानी में ही शीश ताने नही खडे हैं ,हर शहर और कस्बा में विद्रोह का बिगुल बजा रहे हैं । यह व्यर्थ नही जाना चाहिये । एक भी स्वर जो अन्याय व अत्याचार के विरोध में मुखर होता है तो बेहद जरूरी है कि सब एक स्वर से उसका साथ दें ।
जवाब देंहटाएंवहा बहुत खूब बेहतरीन
जवाब देंहटाएंआज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
तुम मुझ पर ऐतबार करो ।