अपना
प्यारी-प्यारी बेटी के लिये... दूर अकेले रहते हुए बीमार होने पर जिसका इयाद हमको
सबसे जादा कल आया. बस लगा कि उससे मिलना है, एक दिन का भी इंतज़ार नहीं हो पा रहा
था. बस उसी को इयाद करते हुए पहिला बार एतना लंबा नज़्म लिखने का कोसिस किये हैं.
अब नज़्म का है, ई त बस हमरे मन का बात है. हम कोई पंडित नेहरू त हैं नहीं कि हमरा
बात भी लोग ‘पिता का पत्र पुत्री के नाम’ मानकर पढेगा. मगर बाप-बेटी के प्यार पर त
कोनो खानदान बिसेस का अधिकार नहीं होता है न. त आपलोग के सामने एगो बाप का “बापता”
हाजिर है.
दूब
की फैली हरी चादर पे
जैसे
बिखरी हो नर्म सुबह की ओस
सुनहरी
धूप मे वैसा ही चमकता चेहरा
और
मासूम हँसी, कूकती कोयल जैसे
मुझको
जब देखती है आके लिपट जाती है
चूम
लेता हूँ मै फिर उसका दमकता माथा
गोद
में बैठ के बतियाती है दुनिया की बात
कौन
सी फ़िल्म, कौन गाना, कौन टीवी सिरीज़
कोई
भी हिन्दी नहीं और हिन्दुस्तानी नहीं
कुछ
भी मेरी समझ में आता नहीं
फिर
भी मैं हाँ में हाँ मिलाता हूँ
मेरी
अम्मा की तरह कितनी ही बातें मुझको
वो
बताती है जो मालूम भी नहीं मुझको
उसकी
अम्मा को चिढाते भी हैं मिलकर हमलोग
उसकी
नासमझी पे हँसते हैं मिलके आपस में.
जब
कभी प्यार से कह देता हूँ बिटिया रानी
मैं
किसी दूसरे को, तब बड़ा चिढ जाती है
उसको
लगता है कि इस जुमले के
सारे
जुमला हुकूक उसके हैं
बैठ
जाती है कभी पास मेरे
हाथ
में देके वो कंघा मुझको
ठीक
से बाल झाड़ दो मेरे
और
कहती है कि चोटी भी बना दो मेरी
ज़िद
कभी करती नहीं याद दिला देती है
”ये घड़ी टूट गयी है मेरी,
दिलवा दो नई!”
”स्टडी टेबल कब दिलाओगे?”
“एक स्कूटी दिला दो, तो ज़रा राहत हो!”
”अगले हफ्ते जो तुम आओगे तो पढना है बहुत
मुझको बस तुमसे समझना है सारे फाइनल अकाउण्ट्स
कैसे ड्रा करते हैं मुझको बताओ बैलेंस-शीट
प्रॉफिट ऐण्ड लॉस भला ट्रेडिंग से डिफरेण्ट क्यों है.
एक एंट्री मुझे बिल्कुल नहीं आती है समझ
कल मेरा टेस्ट है बस फोन पे बता दो मुझे!”
अपनी अम्मा से झगडती भी है, रखती है ख्याल
”डैडी! मम्मा का ब्लड-प्रेशर अभी लिया मैने
एक सौ चौंसठ बटा एक सौ दस आया है
ये बताओ मुझे ज़्यादा है कि कम
मम्मा बेचैन दिख रही है मुझे”
रात छत पे टहलते देखते तारों को मैं
जोड़कर देखता हूँ शक्ल कोई बन जाये
मेष या वृष या मिथुन, कर्क, सिंह. कन्या तुला,
हो वृश्चिक या धनु, मकर कुम्भ या हो मीन
मुझको बस एक शक्ल दिखती है हर रोज़ मगर
मेरी प्यारी सी, बड़ी प्यारी सी बिटिया रानी
चाँद सी देखके मुस्काती हुई, तारों में
रात के दस बजे हैं फोन बस आने को है
अब ये मोबाइल की घण्टी मेरी बजेगी अभी
और वो बोलेगी – “गुड नाइट डैडी!”
एक मामूल है कि जिसके बिना
ना वो सोती है वहाँ और न मैं सो पाता हूँ
बेटियाँ भी अजीब शै हैं, खुशनसीब हूँ बिटिया रानी
मैंने ख़ुद तुझको इंतिख़ाब किया अपने लिये
अबसे पहले तू सितारों में बस रही थी कहीं
तुझे ज़मीं पे बुलाया गया है मेरे लिये!
सलिल जी पढ़ मन भारी सा हो गया -बेटियां प्यारी बेटियां !
जवाब देंहटाएंगले में झूलें हाथ डालकर,मीठी पुच्ची करतीं थी !
जवाब देंहटाएंइनकी मीठी मनुहारों में ,हम खो जाया करते थे !
दफ्तर से आने पर छिपतीं ,पापा आकर ढूंढेंगे !
पूरे घर में इन्हें ढूंढ कर,हम थक जाया करते थे !
पायल,चूड़ी ,लहंगा,टीका, बिंदी ,मेंहदी विदा हुईं !
रेगिस्तान में मीठे झरने ,सुख पंहुचाया करते थे !
अपने सीने पर, चिपकाकर,इन्हें सुलाया करते थे !
जवाब देंहटाएंइनकी चमकीली आँखों में,हम खो जाया करते थे !
कोई जीव न भूखा जाये , गुडिया के दरवाजे से !
कुत्ते, बिल्ली,और कबूतर, इन्हें लुभाया करते थे !
पापा भाई को यह लड़की,अक्सर ही धमकाती थी !
इनकी शिकायती चिट्ठी से,मन बहलाया करते थे
भैया से कुछ छीन के भागी, पापा के पीछे छिपने !
इनकी नन्हीं मुट्ठी से, हम टाफी खाया करते थे !
बहुत खूबसूरत अहसासों को लिए ....
जवाब देंहटाएंपढ़कर आँखें डबाडबा गईं...क्या लिखूँ कुछ दिख नहीं रहा..
जवाब देंहटाएंप्यार- किसी एक का नहीं
जवाब देंहटाएंप्यार भरी नज़्म हो,या ख़त हो
किसी एक का हक़ नहीं
दूर होने पर जब हर शै में वही चेहरा नज़र आये
हर पुकार में वही आवाज़ बस जाये
तो इस प्यार को जादू कहते हैं
....
जादू - जो खाली कमरे को भी बातों से भर देता है
यादों से भर देता है
इस जादू की उम्र पे ख़ुदा वारि वारि जाता है
कई दुआओं के धागे बाँध जाता है
रुला दिया ,सलिल जी ।
जवाब देंहटाएंरुला दिया ,सलिल जी ।
जवाब देंहटाएंबाऊ जी ,
जवाब देंहटाएंप्रणाम
ईश्वर करे आप दोनों जल्द ही फिर से मिलें , और स्वास्थ्य का ख्याल रखिये |
शुभकामनायें |
ps- कॉलेज के कामों में थोड़ा ज्यादा व्यस्त हूँ इसीलिए ब्लॉग वगैरह पर नहीं आ पाता और अभी शायद कुछ दिन और आ भी नहीं पाऊंगा | माफ़ी |
सादर
:')
जवाब देंहटाएंहृदय की अतल गहराईयों से निकली नम कर जाने वाली अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंचरणस्पर्श प्रणाम!
dil ko kholkar aisa bicha diye ki padhti rahi.....aankh bharti rahi........
जवाब देंहटाएंस्नेह स्नेह और स्नेह
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारीसी नज्म है आप शीघ्र स्वस्थ हो अनेक शुभकामनाये
भैया ...बहुत प्यार झलकाया है नज़्म के रूप में ... जल्दी ही सब साथ हों .... यही कामना....
जवाब देंहटाएं................
जवाब देंहटाएंसलिल भाई, सचमुच आंख भर आई पढ़कर खुशी से...ऐसा लगा जैसे मैंने अपनी बिटिया के लिए लिखा है...कैसा संयोग है कि 26 नवम्बर को मेरी बिटिया का जन्मदिन है ...(यह बिटिया मुझे बंगलौर आकर मिली है..यायावरी में आपने उसके बारे में पढ़ा ही होगा) .....मैं सुबह से सोच रहा था कि उसे क्या गिफ्ट भेजूं.....आपकी यह नज़्म पढ़कर लगा कि इससे बेहतर गिफ्ट और क्या हो सकता है...बिटिया को बहुत बहुत प्यार मेरी ओर से भी देना।
जवाब देंहटाएंएक पिता के दिल से लिखी...... प्यारी रचना .......मैंने भी बिटिया के जन्म दिन पर लिख कर ब्लॉग में डाली है बड़े भाग्य से पाया मैंने
जवाब देंहटाएंबड़े जतन से पाला मैंने ……!!
दिल के ज़ज्बात, बेहद खूबसूरत
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी नज़्म है...मन की गहराइयों से निकली हुई .
जवाब देंहटाएंआपके शीघ्र स्वस्थ होने की शुभकामनाएं !!
बेटियाँ ऐसी ही होती हैं ... साथ होती हैं तो प्यार लेती हैं ... घर में खुशियां बिखेरे रहती हैं ... दूर होती हैं तो बहुत याद आती हैं ... बिटिया को जनम दिन की बधाई और शुभकामनायें ...
जवाब देंहटाएंभैया ,सुबह से कई बार पढ़ गयी और पापा की बहुत सी बातें लगातार आ - आ कर मन बोझिल कर रही हैं .... बिटिया को बहुत सारा प्यार ... सादर !
जवाब देंहटाएंबहुत भावुक हो गया।
जवाब देंहटाएंदादा मुझे लगता है मेरे पापा अगर कविता लिखते तो ऐसी ही लिखते मेरे लिए......मन भर आया ...जब मैंने उन पर कविता लिखी थी तो वो भी खूब रोये थे ,बहुत खुश हुए थे. बिटिया भी खुशी से पागल हो जायेगी देखना.
जवाब देंहटाएंढेर सा प्यार बिटिया और डैडी को .
सादर
अनु
दिल से निकले अहसास, बच्चों जैसे ही मासूम।
जवाब देंहटाएंशीघ्र स्वस्थ हों, यही कामना है।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (25-11-2013) को "उपेक्षा का दंश" (चर्चा मंचःअंक-1441) पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
दुनिया की सबसे अच्छी रचना जो इस तरह डूबकर लिखी जाती है । पढते-पढते मन पिघल गया । आँखें भर आईं । वही सब महसूस हुआ जो आपने किया बल्कि अपने आपको बिटिया की जगह रखकर भी देखा । इतना प्यार करने वाला पिता भी आखिर सबको नही मिलता । काश कि ऐसा होता ..काश कि ऐसा हो ...
जवाब देंहटाएंखुशनसीब हैं आप। :)
जवाब देंहटाएंदिल को छु गई ! चलचित्र की भांति आँखों में हर दृश्य समाता गया !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट तुम
सुन्दर कविता। प्यारी पोस्ट !
जवाब देंहटाएंbare bhaiji..........ek-damai se 'dil' pe lagne wali 'rachna' hai ye.....
जवाब देंहटाएंkitte to chahne-wale hain aapke........anuj aapke 'gum se gumgeen' hai..........
pranam.
लिखता तो बहुत हूँ लेकिन इस कविता के बारे में कुछ भी कह नहीं पा रहा। केवल कई बार पढ़ चूका हूँ।
जवाब देंहटाएंजब कभी प्यार से कह देता हूँ बिटिया रानी
जवाब देंहटाएंमैं किसी दूसरे को, तब बड़ा चिढ जाती है
उसको लगता है कि इस जुमले के
सारे जुमला हुकूक उसके हैं....
वाह क्या बात है ! जवाब नहीं आपका। बहुत भावपूर्ण रचना
कभी कभी लगता है की कितना अच्छे है वो लोग जिनके पास अपनी भावनाए कहने के लिए इतने शब्द है , जो कहने वाले और उसे सुनने वाले दोनों को और जोड़ता है करीब लाता है , रिश्तो को और गहरा बनाता है , शब्दहीन लोग तो बेचारे जैसे लगते है , जो कई बार शब्दो के आभावों में खुद ही अपनी भावनाए नहीं समझ पाते है , जताएंगे क्या :)
जवाब देंहटाएंफोटो के लिए धन्यवाद पतिदेव बिटिया का सारा काम कर सकते है बस हमारी रिपेन्ज़ल की चोटी नहीं बना पाते है , कहते है ये पुरुषो के बस की बात नहीं है , बोलिये सच में ऐसा है ।
Bolna kya Anshumala Ji. Unhein meri Foto dikha dijiye aur kahiyega ki netaaon ki tarah MORPH nahin ki gayi hai!!':-)
हटाएंमुझे अपने पापा याद आ रहे हैं अब :(.
जवाब देंहटाएंSALIL BHAI SAHAB you are so lucky
जवाब देंहटाएंmy heartiest love to my pretty daughter
so nice expression with great emotions
नि:शब्द कर दिया आपने ...
जवाब देंहटाएंस्नेह जब शब्दश: मन के आँगन उतरता है
तो जाने कितनी बार कोरों से
बन के बूँद छलक जाता है
आज भी कुछ ऐसा ही हुआ
इस नज़्म को पढ़कर
बार-बार पढ़ गया ... पर हर बार प्रतिक्रिया में मौन के अलावा कुछ कहने को बचा नहीं ... पिता -पुत्री का स्नेह ... निशब्द हूँ ...
जवाब देंहटाएंपिता के मन में बिटियों के लिये निहित प्यार की एक और थाह मिल गयी आज।
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ! जय हो। बिटिया को मंगलकामनायें।
जवाब देंहटाएंक्या कहूं आँखे नम हुई पढ़कर बहुत प्यारी पोस्ट है !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर नेचुरल फोटो है :)