बुधवार, 6 अक्तूबर 2010

छः अक्तूबर!!

छः अक्तूबर का तारीख याद करने पर, दिमाग़ में आज का मालूम काहे, एगो कोलाज बन रहा है. हम देख रहे हैं कि हमरा पोस्टिंग एगो गाँव में है, जहाँ से पटना सहर मात्र 50 किलोमीटर का दूरी पर है, लेकिन ई दूरी तय करने में साढे तीन घण्टा का समय लगता है. अऊर प्रेमचंद का बात सच करते हुए, आज के टाइम में भी गाँव का रास्ता बच्चों के आँख के तरह साम को सूरज अस्त होने के बाद बंद हो जाता है. तब आप चाहकर भी नहीं जा सकते कहीं. साम को हमको फोन पर खबर मिला कि हमरी बहन, बिटिया को जनम दी है. हमसे अगिला पीढ़ी का पहिला संतान.

हमरा बेचैनी बढ़ता जा रहा है. मगर, हम चाहकर भी उस समय नहीं जा सकते है. ऑफिस का भी कुछ मजबूरी अईसा है कि हमरे लिए चार दिन तक ऑफिस छोड़ना सम्भव नहीं. अपना बात हम बताते हैं, अपना साथी से. हमरा बेचैनी देखकर ऊ कहता है कि चलिए कल भोर होते ही हमलोग मोटरसाइकिल से निकलेंगे अऊर ऑफिस खुलने के पहिले आपको लेकर चले आएँगे. उत्सुकता है, खुसी भी है अऊर एगो लम्बा अरसा के बाद बच्चा को गोद में लेने का ललक भी.

सीधा हस्पताल पहुँचते हैं हम. अऊर जैसे ही प्राइवेट केबिन में घुसे त मन धक् से हो गया. हमरी बहन बेड पर अकेले अऊर बच्चा नदारद. हमको देखकर उसके आँख से बस आँसू निकला अऊर ऊ चुप… कुछ बोल नहीं पा रही है. माता जी को पूछे तो ऊ बोलीं सब ठीक है. बच्चा दू तीन घण्टा तक ठीक ठाक था, लेकिन उसके बाद जो ऊ रोना सुरू किया तो उसका रोना नहीं रुका. पूरा देह नीला हो गया. इसलिए उसको नियोनैटॉलॉजिस्ट के पास इनक्यूबेटर में रखा है.

सब खुसी उड़ गया है हमरा अऊर हम वापस लौट गए. रास्ते भर हमको समझाया हमरा साथी कि सब ठीक हो जाएगा. डॉक्टर हमरा पहचान का है. डॉक्टर कहा कि बच्चा को एनॉक्सिया के कारण कुछ दिक्कत है, लेकिन खतरा के बाहर का बात 48 घण्टा के बाद.

एक हफ्ता गुजर गया. हम जब लौटकर आए, देखे बच्ची ठीक हो गई है. घर में आनंद का माहौल है. सबको ऊ टुकुर टुकुर ताकती है अऊर हँस देती है. उसका नाम रखा गया टुकटुक. लेकिन उसका हर हँसी के साथ हम लोग उसका रोना नहीं भूलते. आज बड़ी हो गई है मगर हमको अभी भी “बक्का मामा” कहती है. आज उसको एही आसीर्बाद देते हैं कि रोने का कोटा खतम, बस हमेसा हँसती रहो, जुग जुग जियो!!


 टुकटुक के पहिला जन्मदिन पर एगो कबिता लिखे थे. भूल गए हैं, पर याद से लिखने का कोसिस कर रहे हैं:

पिछले साल
तुम्हारा रोना
गूँजा था छः अक्तूबर को.
तब तो हँसी हमारी सारी
ग़ायब हो गई, ख़तम हो गई.
धीरे धीरे रोना बदला हँसी में
और फिर हँसी तुम्हारी किलकारी में.
फोटो दिखलाना, बतलाना फ़ैन कहाँ है
लपक कभी लेना
दीवारों पर चिपकी छिपकलियों को भी.
चलता फिरता एक खिलौना
बनी रही तुम सारे घर की.

आज तुम्हारी सालगिरह पर सोच रहा हूँ
ऊपर वाले से ना मुझको कोई गिला है,
कल तक सुनते थे पर अब आँखों से देखा
चड्डी पहन के फूल खिला है, फूल खिला है!

.
गुलज़ार सा’ब के गीत का ई लाईन दूरदर्शन पर बहुत मसहूर हुआ था. एही खासियत है गुलज़ार सा’ब का कि जेतना सहज भाव से ऊ “किताब” फिलिम बनाते हैं, ओतने सहजता से “इजाज़त” जईसा सीरियस सिनेमा भी. एक रोज रबिबार के दिन खाली बईठ कर नेट पर ब्लॉग पढ रहे थे. अचानक एगो बहुत कम उमर का लड़का गुलज़ार सा’ब के साथ खड़ा देखाई दे गया. हमरे लिए त जो उनके साथ, ऊ हमरे दिल में. बसा लिए ऊ लड़का को दिल में अऊर पढ़ गए उसका सब पोस्ट. पोस्ट का था, बस नसा था. चैतन्य बाबू को फोन लगाकर बताए अऊर पूरा का पूरा अपना आवाज़ में पढकर सुनाए. उनका कमेंट था कि ई कोई गुलज़ार के प्रेम में दीवाना बना मीरा बाई है. अऊर हम उसके पोस्ट पर पहिला कमेंट कियेः


आज इतवार है.

यूँ ही खाली बैठा घर पर
घूम रहा था ब्लॉग की गलियों में आवारा,
देखा एक कोने में तुम थे
साथ खड़े गुलज़ार सा’ब के.
बिना कोई दस्तक और कोई इजाज़त माँगे
दाखिल हो गया ‘कोना एक रुबाई’ वाले घर के अंदर
जाकर देखा तुम तो कहीं नहीं थे अंदर
चारों ओर थीं आईने पर लिखी नज़्में
जब भी कोई नज़्म, रुबाई, ग़ज़ल उठाता
अपना अक्स नज़र आता था.

आज इतवार है,
खुद से बरसों बाद मिला हूँ.

.
ईमानदारी से, हमको कबूल करने में कोई हिचक नहीं है कि 25 साल से अपने आप से नहीं मिले थे हम, ई लड़का हमको मिलवा दिया हमसे. बहुत बड़ा एहसान है उसका हमरे ऊपर. जिंदगी भर गुलज़ार साहब को द्रोणाचार्य मानकर साधना करने पर भी हमको लिखना नहीं आया, लेकिन ई बच्चा मात्र 25 साल के उमर में जो लिख गया है, उसपर हमरा सारा लेखन क़ुर्बान. नाम स्वप्निल कुमार ‘आतिश’. आज उसका भी सालगिरह है. हमरा दुआ है कि अल्लाह करे ज़ोरे कलम और ज़ियादा!!

53 टिप्‍पणियां:

  1. Bhaut bhavuk post likhi hai aapne!
    Bitiya aur aatish donoko janam din kee dheron badhayi!
    Sach! Jab chhota bachha rota hai to aaspaas walon ke hosh ud jate hain...bachha to samajha nahi sakta aur ham samajh nahi pate...is karan dukh aur ghabrahat dono bahut badh jati hai.

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  2. बढ़िया प्रस्तुति .......
    अच्छी पंक्तिया लिखी है ........

    इसे पढ़े और अपने विचार दे :-
    कुछ अनसुलझे रहस्य ...१

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  3. बहुत ही भावुक लिख दिए आज तो. टुकटुक को ढेर सारी शुभकामनाये वो हमेशा हंसती रहे खिलखिलाती रहे.
    और ये गुलजार साहब की मीरा बाई :) ..अब क्या कहे बहुत बहुत हैप्पी वाला बर्थडे है स्वप्निल !और ये कुछ लाइंस

    गुलजार भी जब "कोना रुबाई का" देखते होंगे
    मेरा छोटा वर्जन कहाँ से आया सोचते होंगे.:)

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  4. मामा तो २ माँ के बराबर ही है ....प्यारी टुकटुक पर आपका यह असीम प्रेम देख कर मैं अपने ननिहाल के गलियारों में घूम आई .बहुत किस्मत वाली है टुकटुक इतना लाड़ लड़ाने वाले मामा जो मिले ......जन्मदिन की ढेरों बधाइयाँ और प्यार
    स्वप्निल साहब का लेखन सचमुच अपने साथ बहा लेजाता है ....आपको भी जन्मदिन की ढेरों बधाइयाँ और शुभकामनाएँ !!
    इसी आशा के साथ कि आपकी पोटली से इसी तरह जादू कर देने वाली रचनाए हमेशा निकलती रहे

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  5. बक्का मामा का आशीष बच्ची को सदा खुश रखेगा...हमरा भी ढेर आशीष...

    डूब कर पढ़े हैं...

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  6. टुकटुक और स्वप्निल को जन्मदिन की बधाई ।

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  7. अच्छा वृतांत ...स्वप्निल को पढ़ती रही हूँ ..
    टुकटुक और स्वप्निल को जन्मदिन की बहुत शुभकामनायें ...

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  8. टुकटुक को शुभाशीष , स्वप्निल के बारे में पढ़कर अच्छा लगा उन्हें अवश्य पढना चाहूँगा ! शुभकामनायें !

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  9. टुकटुक बिटिया और स्वप्निलजी को जन्मदिन की ढेर बधाईयाँ।

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  10. टुकटुक की टुकुर टुक़ुर का शब्द चित्र अभी भी आखों में छाया हुआ है! टुकटुक को जन्म दिन की ढेर सारी शुभ कामनायें! हैप्पी बर्थ डे, टुकटुक!

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  11. स्वप्निल का आतिशी अन्दाज़ ऐसा है कि सलिल भाई से अपनी सारी बातचीत में, स्वप्निल को मै छोटा गुलज़ार ही कहता रहा हूं,!

    आज स्वप्निल से तो बस इतना कहना है कि :-

    पिछली पूरनमासी से ही शायद
    तुमने ही आसमान मे
    जन्म दिन की धमा चौकड़ी मचाई है
    और टुकड़ा टुकड़ा चाँद चुराकर
    बाट दिया है अपने सारे दोस्तों में

    6 अक्टूबर को, आज
    कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी है
    और आसमान की मेज़ पर
    पड़ा है चादं के केक का
    बस एक छोटा टुकड़ा
    वो तुमको मै भेज रहा हूं

    कल गर आसमान की थाली
    मुझे मिली खाली
    तो सोचूंगा
    तोहफा कबूल हुआ!!
    हा..हा..हा....

    हैप्पी बर्थ डे, स्वप्निल!
    -चैतन्य

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  12. बक्का मामा !!! Waah, aaj maja aa gaya.

    Tuktok ko Badhaai!

    Aur Swapnil "Atish" ji ko bhi bahut bahut Badhaai!

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  13. bhavpurn rachna bihari babu.......waise aapka sabbe post bhaw se lavrej hota hai........hai na!!


    aapki tuktuk aur swapnil bhai ko mere aur se bhi bahut bahut janamdin ki badhai....:)

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  14. सलिल सर ..कल राते पढ़ लिए थे ये ब्लॉग ..आंसू आ गया इतना अच्छा लगा ...पर कल्हे से सोच रहे हैं कुछ समझ नहीं आ रहा है कि का कहें ...प्यार करते हैं आप हमको इ तो पता था ..इतना करते हैं कि हमारे और टुकटुक मे अंतर नहीं रखा इ नहीं पता था .. गुलज़ार चाचा तो गुलज़ार चाचा हैं.. और आप इ तो कहिये मत कि आप कम हैं ..हाँ नहीं तो ...हम भी पढ़े हैं आप को ...आप भी चाँद के साथ कम छेडछाड नहीं करते जितना गुलज़ार चाचा करते हैं ...
    और हाँ ए टुकटुक ..कहाँ गयी..हाँ सुनो "happy birth day"

    हम्म का कह रही हो हमसे "same to you" ..
    हाहहाहा
    जीवन के हर मोड पर मेरी शुभकामनाएं तुम्हरे साथ हैं ..
    खुश रहो हमेशा....

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  15. @ chaitnya sir

    इतना सुन्दर तोहफा तो कभी नहीं मिला मुझे ..आज तक मैं ही चाँद बांटता रहा हूँ ..पहली बार वापिस मिला है कसम से मज़ा आ गया ... :) आपने और सलिल सर ने तो बस आज का दिन ही खूबसूरत कर दिया ... :)

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  16. @ शिखा दी , मनोज सर , अजय जी , वाणी जी , सतीश जी, प्रवीण जी ,संजय जी, सुलभ जी , मुकेश जी

    बहुत बहुत शुक्रिया आप सभी का ..आप सभी की शुभकामनाएं संजीवनी हैं .. बारी बारी से मेरी मूर्छा दूर करेंगी मेरी कभी न कभी ...

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  17. टुकटुक बिटिया को जन्मदिन की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ, शुभकामनाएं और ढेर सारा स्नेहाशीष !

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  18. स्वप्निल जी को भी जन्मदिन की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !

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  19. बात टुकटुक से शुरू हुई तो टकटकी लगाकर पूरी पोस्‍ट पढ़ डाली। सलिल भाई आप कश्‍मीर से शुरू करते हैं और ले जाकर कन्‍याकुमारी में छोड़ते हैं। आपका यह अंदाज निराला है। एक ही पोस्‍ट में पता नहीं कितने लोगों से मिलवा डालते हैं।
    टुकटुक और उनके बहाने जिन तक पहुंचे दोनों को जन्‍मदिन की बधाईयां।

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  20. टुकटुक और स्वप्निल जी को हमरी भी ढैर सी बधाईयां!!

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  21. टुकटुक और स्वप्निल जी को जन्मदिन कि ढेर सारी शुभकामनाये !
    बाबूजी, आपसे एक सवाल है आप सबके लिए इतना सारा प्यार दुलार अपनापन लाते कहाँ से हो ????
    आपका ये प्यार वाला भण्डार बहुत बहुत बड़ा है और हाँ इसमें खुसनसीब तो मैं भी हूँ जिसे आपका कविता रूपी प्यारा सा तोहफा मिला ! सच में कमाल हो आप !

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  22. वाह जी वाह , सलिल जी ननिहाल की तरफ का ये मिजाज भी पसंद आया !टुकटुक को जन्‍मदिन की बधाई !

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  23. टुकटुक को जन्मदिन की बधाई और शुभकामनाएं ..यूँ ही आपका चमन गुलजार करती रहे ..


    स्वप्निल ........

    :) :) जन्मदिन की शुभकामनाएं ...
    चाँद का केक ....वाह क्या बात है ...

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  24. टुकटुक और स्वप्निल को जन्मदिन हार्दिक की बधाई ।

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  25. टुकटुक और स्वप्निल दोनों को बंराबर आशीष !

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  26. बक्का मामा की प्यारी सी भानजी टुकटुक को जन्मदिन की ढ़ेरों बधाइयाँ !!!

    स्वप्निल कुमार आतिश जी को भी जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ !!!

    चैतन्य जी ...बहुत खूब लिखा है ।

    सलिल जी इस प्रेम को यूँ ही बाँटते चलें ...हम तो अभिभूत हैं आपकी लेखनी से ।

    वो तेरा चुपके से मेरी पलकों पे आना
    छू गया मेरे अंत:करण को
    कैसे कहूँ उस अनुभूति को
    बस अनुभूत को अनुभूत रहने दो

    ...शब्द नहीं मिल रहे।

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  27. प्यारी टुकटुक को ढेरों आशीष...
    और स्वप्निल जी को जन्मदिन की बधाई एवं शुभकामनाएं

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  28. @ मनोज भारतीः
    मनोज भाई आप एतना कोमल हृदय आदमी हैं कि आपकी बात को सुनकर दिल ने दिल से बात की वाला भाव पैदा होता है... मगर आज का दिन स्वप्निल और टुकटुक बिटिया के नाम!!!

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  29. कितनी मिठास है सलिल सर जी.
    गुड फीका फीका लगेगा कई रोज...खैर, लगता रहे.

    टुकटुक को जन्मदिन की हार्दिक बधाई और आशीष...

    और स्वप्निल भाईजान के लिए क्या कहूँ... चाँद उनकी वजह से ज्यादा रोशन है फलक पर :)
    मेरे लिए ज्यादा कहना न तो ठीक है ना ही मैं इतना काबिल.

    आपको आज शुक्रिया कहने का मन हुआ इस पर :)

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  30. टुकटुक को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनायें और उसके ’बक्का मामा’ को भी।

    ’स्वप्निल कुमार आतिश’, ऐसा नाम है जिसे परिचय की जरूरत ही नहीं है। छोटी आयु के प्रतिभाशाली ब्लॉर्गर्स में से एक, स्वप्निल को जन्बदिन की बहुत बहुत बधाई।

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  31. वर्मा जी, आपकी ख़ुशी ही हमारी भी ख़ुशी है, आपकी दुआओं में हमारी भी दुआएं हैं!

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  32. टुकटुक को अनेकानेक आशीर्वाद और प्यार |बक्का मामा ने बहुत सुन्दर पोस्ट लिखी है |

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  33. पता नही यो पोस्ट कैसे देखने से रह गया मगर आशीर्वाद तो कभी भी दिया जा सकता है टुक टुक और स्वपनिल जी को बहुत बहुत आशीर्वाद और शुभकामनायें।

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  34. कल तो हम नहीं कमेन्ट कर पायें...चचा जी तबियत थोड़ा ठीक नहीं चल रहा इसलिए...
    टुकटुक को और स्वप्निल भाई को मेरे तरफ से बहुत बहुत शुभकामनायें...उनके ब्लॉग को बुकमार्क कर लिया है,...

    मेरे एक सीनिअर हैं स्वप्निल सौरव सर, वो भी कई प्रतिभा के धनी हैं....मैं उनको लिजेंड कहता हूँ :) स्वप्निल भाई बी ऐसा ही कुछ दिख रहे हैं :)

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  35. आज तो ऐतोन भावौक कर दिए आप .... बिटिया को जनम दिन का बहुत बहुत शुभकामनाएँ .... और स्वप्निल जी को भी बहुत बहुत शुभ-कामनाएँ .... बहुत अच्छा लिखते हैं वो ... गुलज़ार साहब की याद ताज़ा कर देते हैं ...

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  36. pyari-pyari bhanji tuk-tuk ke janam-din ke saath hisath tak-taki lagaye uske pyare-pyare mama ko bhi bahut bahut badhi aurtuk-tuki bitiya ko dhero aashish.
    sath hi is khoobsurat kavita ke liye bhi. swapnil ji ko bhi hardik shubh -kamna.
    poonam

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  37. आपका ईमेल मेरे पास नहीं है, जरा भिजवाईये तो..

    sameer.lal AT gmail.com पर.

    AT को @ कर लिजियेगा.

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  38. सलिल जी, पहले तो माफी आपसे नहीं टुकटुक बिटिया से और स्वनिल से....... इतनी देर से बधाई भेज रहा हूं। दरअसल अखबारी जीवन में व्यस्त हो गया। बहुत ही भावपूर्ण लेख रहा आपका।

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  39. सबसे पहले प्यारी गुडिया सी टुक टुक को जनम दिन की ढेरों शुभ कामनाएं...इश्वर उसे दुनिया भर की खुशियाँ दे...स्वप्निल का फोटो हम भी गुलज़ार साहब के साथ देखे हैं लेकिन सोचे के कहीं मिला होगा ये बच्चा और फोटो के लिए कहा होगा तो वो खिंचवा लिए लेकिन जब उसका पोस्ट पढ़ते हैं तो सच में दांतों टेल उँगलियाँ दबा लेते हैं...सच कहा आपने इस उम्र में ऐसा लेखन बापरे...प्रतिभा उम्र की गुलाम नहीं होती ये सिद्ध किया है स्वप्निल ने...इश्वर उसे सदा खुश रखे और बुलंदियों तक पहुंचाए...

    आपका पोस्ट पढ़ कर मन खुश भी होता है और गद गद भी...अद्भुत लेखन है आपका...जय हो...
    नीरज

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  40. टुकटुक को जन्मदिन की हार्दिक बधाई. संयोग देखिये मैं भी बक्का मामा इसी दिन बना था , मेरे भांजे शुभम का जन्म भी ६ अक्टूबर को ही हुआ था .
    स्वप्निल की लेखनी विशिष्ट बनी रहे यही कामना है.

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  41. सलिल जी पता नहीं क्यों मैं आपके ब्लॉग पर तब पहुँच पाता हूँ जब बहुत कुछ कहा सुना जा चूका होता है.. फिर भी टुक टुक को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामना.. लेकिन मुझे लगता है आपके पोस्ट का उद्देश्य टुक टुक को जन्मदिन की शुभकामना दिलवाने से अधिक देश को उस स्थान और समाज, उन परिस्थितियों से भी अवगत करना है जहाँ रौशनी अभी नहीं पहुंची है.. जो अपने देश की सरकार की प्रायोरिटी में नहीं है.. बाकी आपकी भाषा और चलचित्र सा चित्रण के बारे में हर पोस्ट में कहने से लगता है की दुहराव हो रहा है.. सादर

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  42. आपकी बात पढ कर ही जान पाई हूँ कि टुकटुक कितनी लाडली और खुशकिस्मत है तथा स्वप्निल कितने प्रतिभाशाली । उन्हें खुशियों का अनन्त आकाश मिले ।
    और क्या कहूँ ,आपके शब्द सजीव चित्र भी हैं और आत्मीय कविता भी ..। उन्हें पढना सन्तुष्टि देता है ।

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  43. ९९- जो अद्वैत सत्य ईश्वर है.- यो० प० १७, आ० ३
    ( समीक्षक ) जब अद्वैत एक ईश्वर है तो ईसाईयों का तीन कहना सर्वथा मिथ्या है . ॥ ९९ ॥
    इसी प्रकार बहुत ठिकाने इंजील में अन्यथा बातें भरी हैं. सत्यार्थ प्रकाश पृष्ट ४१४, १३वां समुल्लास
    परम विचार - यह देखो ऋषि का चमत्कार. इसे कहते हैं गागर में सागर. यह थोड़े से शब्द तेरी पूरी पोस्ट पे भारी हैं.
    पादरी तूने क्या चखा है यह तेरे उत्तर से स्पष्ट हो जायेगा. तेरे पे ज्ञान की आत्मा उतरती हो तो दे इसका जवाब.

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  44. टुकटुक को जन्मदिन की बधाई..

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  45. बहुत सुन्दर! हम भी अपने मामा की दुलारी हैं...बड़े मामा आज भी हमको 'स्वीट बेबी' कहते हैं..पता नहीं काहे...मामा भांजी का रिश्ता कितना सुन्दर होता है. टुकटुक को ढेर सारा प्यार! :)

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  46. ई पोस्ट में तो दुःख-सुख दुन्नो है। अच्छी बात ई है कि दुःख के बाद सुख है...टुकटुक..बड़ा प्यारा नामा है..बाबा उसे ढेरों खुशी दे।

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  47. टुकटुक बिटिया और स्वप्निलजी को जन्मदिन की ढेर बधाईयाँ।

    ____________________
    'शब्द-सृजन..." पर आज लोकनायक जे.पी.

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  48. चचा , एगो अब्दुल कलाम जी और एगो गुलजार साब एही दुई ठो जन हैं जिनसे ई जिंदगी में मिलना चाहते हैं , देखते हैं कब पूरी होती हैं ख्वाहिश |
    प्यारी टुक-टुक और स्वप्निल जी को देर से ही सही पर जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें.

    सादर

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