बुधवार, 5 फ़रवरी 2014

गिफ्ट - रिटर्न गिफ्ट

तनी मनी अन्धबिस्वासी हर अदमी होता है. अब ऊ चाहे निपट गँवार हो, चाहे पढ़ा-लिखा समझदार. कोनो न कोनो अन्धबिस्वास मन में जरूर बइठाए रहता है. छींक देने से काम गड़बड़ हो जाना, मगर दू बार छींक देने से पहिलका का असर ख्तम हो जाना, सामने में छींकने अऊर पीठ के पीछे छींक सुनाई देने के असर में बहुत फरक होता है. ओइसहिं बिलाई रस्ता काट जाए त काम बिगड़ जाना, अऊर करिया बिलाई हो त बस काम खतमे समझिए. कोनो जरूरी काम से निकलिए अऊर कोनो पीछे से पुकार ले त बस बंटाढार. अब लौटकर घर के अन्दर आइए अऊर एक गिलास पानी पी लीजिए, तब निकलिए. नहीं त दही खा लेने से ऊ सब खराब असर खतम हो जाता है.

एगो कहावत था हमलोग के लड़िकाई में – भुसकोल बिद्यार्थी का बस्ता भारी! माने पढ़ना लिखना साढ़े बाईस, टिकिया घोस में नाम लिखाइस ( साढ़े बाईस यानि 30% से कम नम्बर लाने वाला और टिकिया घोष यानि टी.के. घोष एकैडमी – पटना का एक स्कूल जिसमें कोई पढ़ना नहीं चाहता जबकि डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, श्री बिधान चन्द्र रॉय और मेरे स्वर्गीय पिता जी इसी स्कूल के छात्र रह चुके हैं). ऊहो बिद्यार्थी परिच्छा देने जाएगा त भर कटोरा दही खाकर, एकदम आजमाया हुआ नोस्खा है. साढ़े बाईस वाला बिद्यार्थी भी पचीस परसेण्ट ले आता है.

हमरे चैतन्य जी, भद्रा देखिए के सब जरूरी काम करते हैं. कोनो दिन काम गड़बड़ा जाता है त फोन करके बताते हैं, क्या बोलूँ सर जी! सब चौपट हो गया! पता नहीं कैसे मेरे दिमाग से निकल गया कि आज दो बजकर अट्ठाईस मिनट तक भद्रा है! बिजली वाले इंजीनियर हैं, मगर ई सब मामला में ज्योतिस इंजीनियर पर भारी पड़ जाता है.

हम सब भाई लोग बिलाई के रस्ता काटने वाला अन्धबिस्वास नहीं मानते हैं. अगर रास्ता काटते हुए देखाइयो दे जाता है त रोड पर हम लोग दौड़कर काटा हुआ रस्ता को पार करने का कोसिस करते हैं. असल में ट्रैफिक रुक जाता है रोड पर – पहिले आप, पहिले आप के चक्कर में. बाकी हमलोग त ठहरे बुड़बक, ऊ एगो मसहूर लाइन है ना ई. एम. फोर्स्टर साहब का - Fools rush in, where Angels fear to tread!

मगर अइसा नहीं है कि हम बहुत परगतिसील हैं. हमहूँ अन्धबिस्वास पर बहुत बिस्वास करते हैं. सनीचर के दिन कोनो अदमी को पइसा नहीं देते हैं, मतलब बजटेड पइसा से बाहर. जो हिसाब किया हुआ खर्चा है उसके अलावा. किसी का कर्जा भी लौटाना है त सोमबार को लौटाएंगे बाकी रहते हुए सनीचर को नहीं. का मालूम कहाँ से ई बात दिमाग में बइठ गया है कि सनीचर को बैंक आधा होता है अऊर एतवार को बन्द. कहीं किसी को दे दिया अऊर कोनो इमर्जेंसी हो गया त किससे माँगने जाएंगे! आज जमाना चौबीस घण्टा नगदी वाला हो गया है अऊर आधा दर्जन क्रेडिट कार्ड रहता है पर्स में, मगर अन्धबिस्वास बैकवर्ड होता है ना, उसको थोड़े ना पता है कि ए.टी.एम का होता है!

कहीं भी बाहर जाने के नाम पर रेल/हवाई जहाज का टिकट कनफर्म होने पर भी दू दिन पहिले से खाना बन्द अऊर टॉयलेट चालू. पूरा जात्रा के बीच में फिर से कोनो बजेटेड खर्चा से बाहर खर्चा करने में डर लगता है. हजार रुपया का खाना खा लेंगे, मगर पाँच सौ रुपया कोई चीज खरीदना हो त सिरीमती जी अपना फण्ड से खरीद लें, हम अपना जेब ढीला नहीं करते हैं. का मालूम काहे एगो अजीब सा डर मालूम होता है.



पटना से लौटते समय अहमदाबाद का दिल्ली से ट्रांजिट फ्लाइट था. तीन घण्टा दिल्ली में टर्मिनल-3 पर इंतजार. सिरीमती जी फोन पर बिजी थीं अऊर हम दुनो बाप-बेटी बुक-स्टॉल में. ऊ अपना किताब देख रही थी अऊर हम अपने मतलब का किताब देखने में मगन थे. खरीदना नहीं था हमको, काहे कि ऊ हमरे बजट में नहीं था. अचानक देखाई दिया रवि सुब्रमनियन का – BANKERUPT!  इनका अब तक का पूरा कलेक्सन है हमरे पास. ई किताब नया था. उलट-पलट कर देखे, अऊर मने मन सोचे कि फ्लिपकार्ट से मंगवा लेंगे! एगो अऊर किताब पता चला कि हमसे छूट गया इन्हीं का – BANKSTER! दुनो किताब नोट कर लिए. ओही समय मोबाइल पर सिरीमती जी का फोन आ गया, कहाँ हैं? हमको यहाँ बैठाकर खुद गायब हो जाते हैं!
आ रहे हैं! अब इस उमर में कहाँ जाएँगे छोडकर!
कोई मिलेगी भी नहीं अब आपको! लौटकर यहीं आना होगा!
एही सब बतियाते हुए, हम वेटिंग लाउंज के तरफ सिरीमती जी को कम्पनी देने बढ़ गए!
झूमा? आपही के साथ थी न?
ओफ्फोह कोनो बच्चा है जो भुला जाएगी! एक्साइटमेण्ट में एही बोली निकलता है मुँह से! वो देखो, आ रही हैं मेम साब!
खाली फालतू पैसा बरबाद करती है. देखिए नॉवेल लेकर आ रही है. कोर्स का किताब कभी देखे हैं इतना मन लगाकर पढते हुए!

तुम भी बेकार उसके पीछे पड़ी रहती हो. अब यहाँ कोर्स का किताब पढेगी!

तब तक बेटी हमरे सामने आकर खड़ी हो गई अऊर पैकेट हमरे हाथ में थमा दी!

क्या ली?

खोल के देखो डैडी!

खोलकर देखे, त उसमें रवि सुब्रमनियन का ओही किताब BANKERUPT था!

आपको आपकी एनिवर्सरी पर कोई गिफ़्ट नहीं दे सकी! ये तो आपके फेवरिट हैं! और आप खरीदोगे भावनगर जाकर फ्लिपकार्ट से, इसलिए मैंने अभी ले लिया!

सो स्वीट!

मेरा रिटर्न गिफ्ट दो!

हम मुस्कुरा दिए. मने मन कहे:

तुम्हें और क्या दूँ मैं दिल के सिवाए,
कि तुमको हमारी उमर लग जाए!

36 टिप्‍पणियां:

  1. शुरू में तो लगा ,शायद अंधविश्वासों का ही लेखा-जोखा है...जल्दी जल्दी पढ़ रही थी क्यूंकि मैं एक भी नहीं मानती ...पडोसी बंगले वालों ने कई बिल्लियाँ पाल रखी हैं ,एक काली बिल्ली तो रोज सुबह रास्ता काट जाती है ...पास ही कहीं छुपी होती है...क़दमों की आहट सुन घबरा कर भागती है और हमारा रास्ता कट जाता है .
    फिर भी पोस्ट रुचिकर नहीं लग रही थी और आया अंतिम पैरा...यकीन मानिए आपसे कहीं ज्यादा खुशी झूमा को हुई होगी कि उसने ये मनपसंद सरप्राइज़ गिफ्ट दिया...बिटिया को ढेर सारा स्नेह

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  2. बहुत ही प्यारा पोस्ट.....!! बहुत सुंदर गिफ्ट.... ये गिफ्ट तो आपके सबसे प्यारा गिफ्ट में से एक होगा और रिटर्न गिफ्ट भी जो बिटिया के लिए... उतना ही प्यारा ..

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  3. जब बिल्ली रास्ता काटती तो हमेशा यही सोचते थे हमरे से पहले कोई और निकल जाये उस रस्ते से परिपक्वता आई तब सोचा अपने से पहले जो भी निकलेगा साथ भी कुछ बुरा हो सकता है ?ये तो अपना स्वार्थ हो गया फिर हर अन्धविश्वास कि तह तक पहुंचने कि आदत बना ली और बहुत हद तक मन कि शांति भी पाई। एक तो झूमा नाम ही कितना प्यारा ऊपर से पापा कि अंतर्मन कि बात को समझना और उसी समय उस पर अमल करना
    बिटिया कि कुशाग्र बुद्धि के हम तो कायल हो गये बिटिया को बहुत बहुत प्यार और भाभी और आपको शादी कि पच्चीसवी वर्षगाँठ कि अनेक बधाई और शुभकामनाये।

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  4. इस बार आपने दो अलग अलग प्रसंगों को एक साथ रख दिया है --अन्धविश्वासों का रोचक और गहन चित्रण और एयरपोर्ट का बहुत ही मीठा और प्यारा प्रसंग । अनमोल 'गिफ्ट' और अनमोल 'रिटर्न गिफ्ट' । पिता-पुत्री का अभिभूत कर देने वाला स्नेह ।
    और अन्धविश्वास तो हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता है । बिल्ली रास्ता काटना, निकलते समय रीते बर्तन या किसी एकाक्षी का मिल जाना , गुरुवार को कपडे धोना ,बैंक से रुपए निकालना ,किसी को रुपए देना ,मंगल गुरु को महिला का सिर धोना , एकादशी को चावल पकाना , सोमवार को पूर्वदिशा में दिक्शूल होना और न जाने कितने ..। और तो और दिन के हिसाब से रंग पहनना । हर दिन का अलग रंग । सोमवार को आसमानी या गुलाबी,मंगल को लाल या सिन्दूरी ,बुधवार को हरा गुरु को पीला शुक्र को लाल या नीला ,शनि को काला ..। शहर के स्कूलों में आने पर मुझे यही देखने मिला । उसपर गजब यह कि हर रंग की दो-तीन साडियाँ तो होनी ही चाहिये । मुझे इन बातों का कभी तमीज नही रहा पर अब साडी चुनते समय वार का विचार तो आ ही जाता है । शिक्षा विभाग भी छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों का भी गणवेष शुरु करदे तो सारी मुसीबतें खत्म हों--मेरे इस विचार को क्योंकि बहुत ही पिछडा व फालतू जैसे विशेषण मिल चुके है इसलिये व्यक्त करने का विचार छोड ही दिया है ।

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  5. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन किस रूप मे याद रखा जाएगा जंतर मंतर को मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  6. इस बार आपने दो अलग प्रसंगों को एक साथ रखा है । अन्धविश्वासों का रोचक वर्णन और एयरपोर्ट का बहुत ही मीठा सा प्यारा प्रसंग --एक अनमोल 'गिफ्ट' और अनमोल 'रिटर्न गिफ्ट ' । पिता-पुत्री का स्नेह अभिभूत करने वाला है ।
    और अन्धविश्वासों के लिये तो हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता कहा जासकता है । कितनी ही मान्यताएं हैं जो हमारे जीवन में गहरी पकड जमाए हैं । चाहे वह बिल्ली का रास्ता काटना हो ,या घर से निकलते समय छींकना या किसी एकाक्षी का मिलना हो । चाहे मंगल गुरु को महिला का सिर धोना वर्जित हो या इतवार ( जिसे खाली वार कहते हैं ) को कोई शुभकार्य करना हो ,कितने ही प्रगतिशील बनें ,कही न कही विचार आ ही जाता है । महिलाओं में दिन के हिसाब से रंग पहनने का बडा प्रचलन है । जैसे मंगल को लाल ,बुध को हरा ..शनिवार को काला ..आदि । मैं नही मानती फिर भी कहीं न कहीं विचार व व्यवहार उससे प्रभावित तो होता ही है ।


    टिप्पणी को तीसरी बार लिख रही हूँ । उम्मीद है कि इस बार गायब नही होगी ।

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  7. पोस्ट पढना शुरू किये तो जाने क्या क्या दिमाग में आया लिखने को....आखिर तक पहुंचे तो इमोसंस ने सब गड़बड़ा दिया !!
    अपने अंधविश्वास फिर कभी कहेंगे....बस कंजूसी कम करें दादा....बजट भी कोई बनाने की चीज़ है :-)

    सादर
    अनु

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  8. मुम्बई में बिल्ली का रास्ता काटना बड़ी आम सी बात है , कुत्तो से ज्यादा लावारिस बिल्लिया सड़क पर घूमती है , स्कुल कालेज के समय में दो अन्धविश्वास अक्सर पाल लेते थे एक लकी कपडे वाला अंधविवास कई बार परीक्षा के समय पाला , पहला पेपर अच्छा हो जाये तो पूरा पेपर उसी कपडे में , दूसरा हारता हुआ क्रिकेट टीम जब कुछ करने पर रन बनाये या विकेट गिरा दे तो जब तक टीम जित न जाये तब तक उसी को बार बार दोहराना भले टीवी का चैनल बदलना ही शामिल क्यों न हो न जिसके कारन मैच ही न देख पाउ :) गिफ्ट तो बता दिया क्या मिला किन्तु शीर्षक तो रिटर्न गिफ्ट भी है न तो वो क्या दिया , अब ये मत कहियेगा की गाने की दो लाइने थी वो भी आप की नहीं :)

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  9. इस बार आपने दो अलग प्रसंगों को एक साथ रख दिया है । अन्धविश्वासों का रोचक वर्णन और एयरपोर्ट का बहुत ही मीठा और प्यारा सा प्रसंग -अनूठी 'गिफ्ट' और अनमोल 'रिटर्न गिफ्ट' का आत्मीय प्रसंग ।
    अन्धविश्वासों के लिये तो 'हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता', कहा जासकता है । कितने ही विचार हैं जो अनायास ही हमारे व्यवहार का हिस्सा बने हुए हैं । मैं न मानूँ तो भी मनवाने वाले बहुत हैं कि मुझे कभी मंगल गुरु को सिर नही धोना चाहिये । कि किसी काम के लिये जाओ तो उधर से मत जाना । अमुक ( एकाक्षी ) मिल गया तो समझो काम बिगडा । कि (नया) कपडा पहनो तीन वार ,बुध , गुरु, और शुक्रवार भूले-भटके शनिवार..। महिलाओं में दिन के हिसाब से रंग पहनने का बडा प्रचलन है जैसे मंगल को लाल, बुध को हरा, गुरु को पीला रंग..शनिको काला ...।
    यह चौथी बार की गई टिप्पणी है । पता नही कहाँ गायब हो रही हैं ।

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  10. थोड़े बहुत अन्धविश्वासी तो हम भी है ... खास कर जब बात नज़र की चलती है | हम नज़र को बहुत मानते है ... और उस के कुछ कारण भी है हमारे पास |

    और उसी अन्धविश्वास के आधार पर कह रहे है जब ऐसी पोस्टें लिखा करें तो एक नज़र का टीका जरूर लगा दिया करें ब्लॉग को भी और खुद को भी ... :)

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  11. हमें तो रिटर्न गिफ़्ट बहुत अच्छा लगा - झूमा कितना प्यारी बेटी है .!

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  12. दाऊ ,

    बिल्लियों की बात करें तो यहाँ मंगलोर में इतनी बिल्लियाँ हैं की दो किलोमीटर में पांच बार रास्ता काट दें . इनके फेरे में पड़ें अगर तो ऑफिस तो शर्तिया छूट जाए ;)

    और रही गिफ्ट की बात तो इसको कहते हैं Tuned on same frequency . बिटिया को हमेशा पता होता है की Daddy क्या चाहते हैं.

    नमन !

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  13. थोड़े अंधविश्वासी हम सभी होते हैं , बात और है कि कई लोग उसे विश्वास मानते हैं :)
    बहुत अच्छा गिफ्ट मिला , रिटर्न गिफ्ट तो बनता ही है!

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  14. yahi to betiyon ki visheshta hai......apki beti bahut hi pyari aur samajhdaar hai.....kai baar pahle bhi aapke blog par is baat ka pramaan mila hai......

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  15. अंधविश्वास पर ओशो एक सुन्दर चुटकुला सुनाते है कुछ इस तरह ।
    मुल्ला नसरुद्दीन एक दिन छाता लेकर बाजार जा रहा था ! इसी बीच बारिश आ गयी तो उसके साथी ने कहा कि,नसरुद्दीन छाता क्यों नहीं खोलते ? उसने कहा कि छाता खोलने में कोई सार नहीं है क्योंकि उसमे छेद ही छेद है ऊपर से टुटा हुआ है, तो फिर बड़े मियाँ इसको साथ लिए क्यों फिर रहे हो ? साथी ने कहा । पता है नसरुद्दीन ने क्या कहा, मैंने सोचा कौन जाने बारिश आ जाय :)
    अंधविश्वास ऐसा ही बिना काम का छाता है लेकिन हर मनुष्य साथ रखना चाहता है ! बिटिया ने जो गिफ्ट आपको देकर मुझे इमोशनल किया है सो स्वीट !

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  16. सुमन जी! आज पहली बार शायद किसी ने मेरी पोस्ट पर ओशो का उद्धरण दिया है।मैं तो अक्सर उनकी बातें कहता रहता हूँ।अंधविश्वास पर जितने अच्छे ढंग से वे कहते हैं, कोइ नहीं कह सकता।आभार आपका।

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    1. आज पहली बार शायद किसी ने मेरी पोस्ट पर ओशो का उद्धरण दिया है।मैं तो अक्सर उनकी बातें कहता रहता हूँ।
      सलिल जी,
      आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आपकी कही हुयी उन्ही बातों की वजह से मै आपके ब्लॉग के प्रति आकर्षित हुयी हूँ ! ओशो के प्रेमी अंतर्जाल पर बड़े पैमाने पर फैले हुए उनके दिए हुए सन्देश जन-जन तक पंहुचा रहे है यह एक अच्छा प्रयास है, कोशिश यही रहती है उनको ढूंढ निकालना :) उनकी कही हुयी बाते सिर्फ बाते न होकर हमारे अस्थि,मांस,मज्जा तक पहुंचे तभी सार्थकता है, आभार आपका !

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  17. तुमको पाँच ठो उल्लूक की उमर लगे उल्लूक मत बनियेगा बस !

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  18. रोचक संस्मरण ....सहृदय बिटिया का सुंदर रिटर्न गिफ्ट .....भावुक कर गया ...बहुत बढ़िया पोस्ट !!

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  19. उसकी गिफ्ट में उसका प्यार जो था, अथाह !!

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  20. बहुत खूब .... !!
    बिटिया सयानी निकली ....
    इन अंध विश्वासों को हम नहीं मानते …
    और बिल्ली से तो हमें बहुते प्यार है ....:))

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  21. विवाह की वर्षगांठ की बधाई भी और इतनी प्‍यारी सी बिटिया के लिए भी बधाई, जो पापा के मन को पहचानती हो।

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  22. बिटिया मन की बात पढ़ गयी है, रिटर्न गिफ़्ट तो बनता है।

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  23. मारिये अंधबिस्वास को सलिल भाई - पापा का दिल क्या चाहता है, वो गिफ्ट बिटिया ने दिया और डर से परे पापा के दिल से आशीष निकला - तुमको हमारी उम्र लग जाए
    अंधबिस्वासी कभी कभी हमहूँ हो जाते हैं, लेकिन विश्वास की शक्ति में कितनी मुस्कराहट है

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  24. गिफ्ट और रिटर्न गिफ्ट दोनों बहुत सुन्दर
    कुछ अंधविश्वास मेरे अंदर भी है, हटाने की कोशिश जरुर करूँगा
    सादर !

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  25. गिफ़्ट फ़ारवर्ड करने का मन बने तो झिझकियेगा नहीं, कभी तो हम भी काम आयें :)
    झूमा बिटिया को बहुत-बहुत प्यार।

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  26. पहले बात अन्धविश्वास की .
    बेशक अंध न हो पर कोई न कोई विश्वास लगभग सबका ही होता है. मतलब ये लकी , ये अनलकी टाइप
    दूसरी बात आपके गिफ्ट की. तो बेटियाँ ही ऐसा सोच सकती हैं. और रिटर्न गिफ्ट उसे जरूर दिजीये ...ये गाने वाने से बात नहीं टालने वाली :)))

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  27. आज पढ़ने मौका मिला तो आज ही सही..हमारी तरफ से भी बधाई स्वीकार कर लीजिए। झूमा का सरप्राइज पढ़कर तो झूम ही गये हम भी..ढेर सारी शुभकामनाएँ...

    बात अंधविश्वास की तो कुछ खुद से कुछ बच्चों के प्रश्नों के उत्तर न दे पाने के कारण धीरे-धीरे बहुत से अंधविश्वास से मुक्त हो चुके हैं। मन में बिठा लिया है...अच्छे काम के लिए कोई साइत नहीं होती। आदमी से खतरनाक कोई जानवर नहीं होता।

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  28. बहुत सारे अंधविश्वासों की याद दिला दिया आपने .....
    आखिर में बिटिया की गिफ्ट देना और आपका रिटर्न गिफ्ट .....,बस लगा मेरे दोनों बेटे ही सामने खड़े हो गये हों वो भी ऐसा ही करते हैं ,बिटिया को बहुत सारा दुलार ... सादर !

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  29. How Sweeet chacha....!!!!

    aise gifts kitne achhe lagte hain....waise aapne bhi to diyaa hai na humko wo kitaab...Hum soch rahe the ki aap apne liye kitaab khareed rahe hain aur aapne humko gift kar diya :)

    bahut bahut achhaa laga :)

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  30. बिटिया की समझदारी और आपका स्‍नेह ..... भावुक कर गया

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