शुक्रवार, 26 नवंबर 2010

आतंकी हमला और खोया बचपन

मेरे दिल के किसी कोने में एक मासूम सा बच्चा
बड़ों की देखकर दुनिया, बड़ा होने से डरता है.

26.11.2008 के घटना पर हमरा बेटा अनुभव प्रिय एगो कबिता लिखकर हमको सुनाया. बहुत अफसोस हुआ कि देस का भविस्य कहे जाने वाले बच्चा के सामने, केतना भयानक घटना घटा है कि बारह साल का उमर में बच्चा अईसा कबिता लिख गया. कबिता में सिल्प का कमी है, कबिता का ब्याकरन गड़बड़ है. लेकिन भाव एकदम सच्चा है.
सोचने पर मजबूर करता है बात कि एगो घटना, एतना भयानक हो सकता है कि जिसमें खाली निर्दोस आदमी का हत्या ही नहीं हुआ, एगो बचपन का भी हत्या हुआ अऊर अचानकबच्चा बड़ा लोगों के जईसा सोचने लगा.
एगो खोया हुआ बचपन का कबिता, स्रद्दांजलि है, सभी बहादुर सिपाहियों को, सहीदों को अऊर उन सभी लोगों को जो लोग जान से हाथ धो बईठे, जबकि लोग का कोनो दोस नहीं था. भगवान उन सब के आत्मा को सांति दे!!

एक ताज सुनाता है प्यार की कहानी
दूसरे की सुनिये मेरी ज़ुबानी.
मेहनत से दोनों बने वर्षों की
यह घटना भी पुरानी नहीं
है बस कल परसों की.
हम थे खोए ख़्वाबों में जिस रात
दुश्मन लगाए बैठे थे घात
हथियारबंद और निहत्थे थे आमने सामने
चली गोलियाँ -समानों में.
जो थे जाँबाज़, बढे आगे
खाई गोलियाँ सीने पर, मगर डर कर भागे.

फिर निकला काला सूरज, हुआ सवेरा
आतंकियों ने अपनाया नया डेरा
ताज था उनका निशाना
और मकसद था लोगों को डराना.
आए सिपाही, जंग होते कटा एक दिन
पर जीत कहाँ मिलनी थी साहस के बिन

बरसती रही दनादन गोली
जाँबाज़ों ने खेलीं ख़ून की होली.
नेताओं से मिले कोरे आश्वासन
बदल जाएगा स्थानीय कुशासन
पर सिखा गईं लाशें ताज में दबी
ऐसी भूल अब होगी कभी.

शायद भगवान भी था ऐसे बुरे समय में साथ
हमारे सिर पर रखे आशीष का हाथ
लाशों के अम्बार में अपने होने का कराता भान
दो सितारों के बीच एक चाँद, लिए आशा की मुसकान.
ई घटना वाला रात में, दू ठो तारा के बीच चाँद (क्रेसेण्ट मून) स्माइली जईसा मुस्कुरा रहा था, अऊर ई घटना भी सबलोग देखा था.

42 टिप्‍पणियां:

  1. कभी कभी बच्चे कुछ ऐसी बात कह जाते है जो हम बड़े ना तो सोच सकते है ना कह सकते है ! अनुभव बाबु की यह कविता वही बोध करती है..... मासूम दिल से निकली हुयी बात सीधे दिल तक जाती है !
    अगर उस रात की याद करो तो आज भी रूह काँप जाती है ... उन लोगो की क्या कहे जिन्होंने सब अपनी आँखों से देखा और झेला था !

    २६/११ के सभी अमर शहीदों को सभी मैनपुरी वासीयों की ओर से शत शत नमन !

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  2. इस कविता से अनुभव प्रिय की संवेदनशीलता जाहिर होती है।
    जब तक आमजन में ये जज्बा रहेगा, देश और समाज को निराश होने की जरूरत नहीं।

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  3. बच्चों में तो निश्छल सम्वेदनाएं होती है,सम्वेदनाएं किसी व्याकरण या शिल्प की मोहताज़ नहिं। अनिभव प्रिय की यह कृति स्वस्फूर्त मासूम सम्वेदना का उत्कृष्ट उदाहरण है।
    26/11 पर आपका यह प्रस्तूतिकरण हमारे दृढ मनोबल का संबल है।
    शुभकामना!!

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  4. कभी कभी लगता है की थोडा कठोर ह्रदय होने में ही भलाई थी :(

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  5. बच्चा तो अपना बचपन जी ही नहीं पाया ...सार्थक...
    और जो घुस्खोर्वन लोग का आतंक है उसका क्या...
    http://swarnakshar.blogspot.com

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  6. एक बच्चा बडा होने से डरता है इससे बडी विडम्बना क्या होगी ।अनुभव की कविता ने झकझोर दिया ।सच्चे भाव तो अपना शिल्प स्वयं होते है ।

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  7. हर अनुभव का अनुभव भी अनुभव को अनुभव ही रहने दे...आशीष उसे!

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  8. सुज्ञ ने बेहतरीन टिपण्णी की है ...मेरा भी यही विचार है ! शुभकामनायें पिता पुत्र को !

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  9. अनुभव की उम्र के लिहाज़ से कविता बहुत उत्कृष्ट है और उसके भाव भी प्रेरणादायी हैं.छोटे बच्चे ने जो आशा व्यक्त की है वह भी सकारात्मक है.हम उसके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं.
    २६ /११ के शहीदों और सभी दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना है.

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  10. सच्छे भावों से लिखी अच्छी कविता ....अनुभव ने अपने अनुभव को बहुत विस्तार दिया ...

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  11. बच्चे उन सभी बातों को समझते हैं जो बड़े उन्हें बताना नहीं चाहते ... संवेदनशील रचना है बहुत ही सलिल जी ... आज के दिन इससे बड़ी श्रधांजलि क्या हो सकती है उन वीरों को, तमाम लोगों को जिन्होंने अपना जीवन होम किया .... .

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  12. बच्चों में भावनाये सच्चाई से व्यक्त करने की अद्भुत क्षमता होती है और प्रिय ने बेहतरीन कविता लिखी है.
    २६/११ के वीरों को नमन .

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  13. यह संवेदना यदि दुनिया भर के सभी मनुष्यों के ह्रदय में बस जाए,तो शायद कोई भी आतकी घटना न होवे...

    ईश्वर सबको सद्बुद्दी दें और करुना प्रेम तथा अहिंसा के मार्ग पर अग्रसर कराएँ...

    बचबा बड़ा ही प्रतिभावान है,कमाल का लिखता है,उसे खूब प्रोत्साहित कीजिये...

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  14. Anubhav ki kavita padh kar aisa laga ki 26/11 ki ghatna ne uske dil par gahri chhap chodi hai.Uske shabdon ko padh kar aisa laga ki shayad hum bade bhi utne samvedansheel nahi ho sakte.
    Anubhav ki muskan usi cresent moon ki tarah rahe...bubbu ka aashirwad aur 26/11 ke veeron ko shat-shat naman......................vini

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  15. अनुभव ने बहुत अच्छी कविता लिखी...इसमें व्याकरण का अभाव देखना बच्चे के साथ ज्यादती होगी..उसकी संवेदना पूर्ण भावनाओं ने मन की जमीन को गीला कर दिया और आतंकियों के लिए आँखों में नफरत भर दी. आज हमारे देश के मासूम बच्चे भी कितना कुछ सोचने पर मजबूर हो गए हैं इन हालातों पर...बच्चों की ऐसी गंभीरता देख कर गर्व भी होता है.

    दोनों को इस सार्थक लेखन के लिए आभार.

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  16. अनुभव ने कविता सच्चे भाव से लिखी है. २६/११ के सभी अमर शहीदों को नमन !

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  17. ब़च्चे मन के सच्चे। अनुभव ने जो अनुभव किया वो लिखा है। ऐसे हादसे बच्चों के मन पर कितना प्रभाव छोद जाते हैं।नुभव को आशीर्वाद।

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  18. हर मन आहत हुआ था उस दिन . 'आशा की मुस्कान' ही वह ताकत है जो इन तमाम विपत्तियों में भी हमारा हौंसला बनाये रखती है. अनुभव प्रिय की संवेदनशीलता को आशीर्वाद.

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  19. anubhaw priy ne man ki baat saralta se kah di hai.unhen hamara pyar kahiyega.aage bhi likha karen.

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  20. बड़े भाई हम त दंग हैं। बच्चे में दम है। सबको पीछे छोड़ देगा। बेटे को ढेर सारा आसीस।
    २६/११ के सहीदों को नमन अ‌उर बिनम्र स्रद्धांजलि।

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  21. २६/११ के शहीदों श्रद्धांजलि। अनुभव ने हृदय से लिखी है कविता, पढ़कर सोच रहा हूं कि उसके दिल में कितना पीड़ा हो रही होगी उस क्षण।

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  22. मुझे तो अभी भी कविता व्याकरण अभी भी सही से नहीं आती, इसलिए मेरे लिए तो ये कविता बहुत ही बेहतरीन है.और खास कर के इतने छोटे बच्चे ने लिखा..और बात इतनी गहरी.

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  23. अद्भुत संवेदनसीलता बा एह बच्चा में ... और भगवान करें इ संवेदना बनल रहे ... कविता पर का टिपण्णी कईल जा सकेला.. सहीदन के श्रद्धांजलि ...बच्चा के स्नहे ...

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  24. दो साल हो गये ,साबित अपराधी की आवभगत जारी है । शायद किसी दिन कोई लेखिका उसे सम्मानित करने की मांग न कर दे ।

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  25. jaisan baap, waisan beta.........aise hi kuchh kahte hain na bihari me.........:)

    jaise aap ki train me chalte samay bhi samvedna chhalak padti hai...........to fir itni bade krurtam hamle par kaise aapka beta kuchh nahi kahta...!!

    aapke pariwar ko salam bade bhaiya...!!

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  26. सलिल जी अब तो आपसे नहीं अनुभव से मिलने आऊंगा मैं.. २६/११ की बरसी पर मैं भी कुछ लिखना चाहता था लेकिन लिख नहीं पाया.. इसे अस्म्वेदनशीलता कहिये या.. अति संवेदनशीलता.. लेकिन सच कहू तो अनुभव की कविता ही मेरी कविता है.. यह समय हमारा बचपन छीन रहा है.. इतनी कम उम्र में हाथी घोडा, दादा दादी, नाना नानी पर कविता लिखने की बजाय आतंकवाद पर लिखना असमय परिपक्व कर देना है अबोध बचपन को.. मेरा स्नेह व आशीष कहियेगा अनुभव को..

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  27. तमाम गुण-अवगुण की तरह सवेदनशीलता और भावुकता भी मात-पिता से मिलती है. अनुभव प्रिय ने ऐसी भावुक कविता लिखी ... बहुत स्नेहिल प्यार उसको.

    मान गए की योग्यता किसी उम्र की मोहताज़ नहीं होती..

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  28. बच्चों का हृदय कितना सच्चा होता है, अनुभव प्रिय को स्नेह।

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  29. आप सभी बड़ों ने आशीर्वाद और स्नेह की जो अमृतवर्षा अनुभव के ऊपर की है, उसके लिए मैं ह्रदय से सबका आभार प्रकट करता हूँ!

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  30. बाल मन से ही शायद अधिक सच्‍ची कविता निकलती है.

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  31. बाल मन आतंकवाद पर लिख रहा है। यह मौन की घड़ी है।

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  32. बारह साल की उम्र में ऐसी भावमयी कविता ? आपका बेटा सही अर्थों में कवि हृदय वाला है।...होनहार बिरवान के होत चीकने पात...बेटे के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं और आशीर्वाद।

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  33. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी इस रचना का लिंक मंगलवार 30 -11-2010
    को दिया गया है .
    कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

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  34. मेरे दिल के किसी कोने में एक मासूम सा बच्चा
    बड़ों की देखकर दुनिया, बड़ा होने से डरता है.

    बहुत खूब जनाब. क्या आप अमन के पैग़ाम पे अपना शांति सन्देश देंगे. ? ख़ुशी होगी यदि आप मुझे मेल कर दें. धन्यवाद्

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  35. शहीदों श्रद्धांजलि......अनुभव के सच्चे बाल ह्रदय से निकली कविता बहुत अच्छी लगी....

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  36. अनुभव सच मे बधाई का पात्र है कौन कहता है बच्चा है ये तो बडे बडों को पीछे छोड रहा है………………हिला कर रख दिया कितनी संजीदगी से लिखा है जैसे सब आँखो देखा लिखा हो।

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  37. खुबसूरत रचना... अनुभव के संवेदनशील मन को नमन... (शुक्रिया चर्चामंच)

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  38. बहुत मार्मिक रचना ...ऐसी घटनाओं ने बच्चों के कोमल मन पर कितनी चोट पहुंचाई है

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  39. शुरुआत ही गज़ब है ...
    बड़ों की दुनिया देखर बच्चा बड़े होने से डरता है ...
    मगर फिर भी आशा का दीप जलता रहे ...
    बच्चे की संवेदनशीलता प्रभावित करती है ...
    अच्छी कविता , बेहतरीन प्रस्तुतीकरण !

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  40. रूह सिहर उठती है , दुनिया को देखकर
    तेरी गोद से अच्छी कोई जगह नहीं मिलती |

    मासूमियत को इंसानियत पर कितना बड़ा जख्म देखना पड़ा कि उसने ऐसी कविता लिख दी , इसके लिए मैं स्वयं पर शर्मिंदा हूँ | :(

    सादर

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