शुक्रवार, 13 अगस्त 2010

न न रहने दो, मत मिटाओ इन्हें!

न न रहने दो मत मिटाओ इन्हें
इन लकीरों को यूँ ही रहने दो
नन्हे नन्हे गुलाबी हाथों से
मेरे मासूम नन्हे बच्चे ने
टेढी मेढी लकीरें खींची हैं
क्या हुआ शक्ल बन सकी न अगर
मेरे बच्चे के हाथ हैं इनमें
मेरी पहचान है लकीरों में.

गुलजार साहब का ई नज़्म का मालूम केतना साल पहिले पढे थे. तब ना तो सादी बिआह हुआ था न बाल बच्चा का बात सोच सकते थे. लेकिन ई नज़्म में कुछ अईसा था कि बाँध लेता था. गुलज़ार साहब का कुछ नज़्म जो आज भी हमको मुँहजबानी याद है, उसमें से ई सबसे ऊपर है. काहे कि रोज इससे गाहे बगाहे मुलाकात होइए जाता है.

अब कोनो दोस्त के यहाँ गए, जिसके यहाँ छोटा बच्चा है, त कहने का बाते नहीं है कि देवाल पर खींचा हुआ अईसा टेढा मेढा लकीर देखाई देगा. बचवा त ड्राईंग रूम का मतलबे समझता है कि जहाँ ड्राईंग किया जाए. अऊर जब एतना बड़ा कनवास मिल जाए त फिर ऊ बच्चा को रोक सके त रोक ले कोई.

एगो प्लास्टिक पेंट का बिज्ञापन आता था टीवी में कि ई पेंट लगाने से इसके ऊपर कोनो लिखा हुआ आसानी से पोंछा जाता है. ऊ बिज्ञापन लिखने वाला को ई नज़्म का मर्म पते नहीं होगा. नहीं त एतना सम्बेदनहीन कॉपीराइटिंग नहीं करता.

हमरे बिचार से त बच्चा को डाँटने से अच्छा है कि ई सब फोटोखींचकर रखिए, बड़ा होगा त देखाइएगा.

एही नहीं, तनी सोचिए कि अगर कहीं गलती से आपका बचवा पेंटर बन गया, चाहे कोनो पेंटिंग का प्रतिजोगिता में पहिला प्राइज ले आया, त आपहीं सबसे पहिले माइक पर बोलिएगा कि बचपने से इसका अंदर पेंटर बनने का लच्छन था. देवाल पर पेंटिंग करता रहता था.

अईसने एगो पेंटर हैं अनुभव प्रिय. उमर 14 साल. पेन चाहे पेंसिल का स्ट्रोक देखकर लगता है कि उमर से आगे का काम है. शेड्स पर कमाल का कंट्रोल है. एक बार खुद से एगो कहानी लिखकर,काला सफेद में उस कहानी के सब चरित्र के कोलॉज से किताब का जिल्द भी बना डाले.
इनके आदर्श हैं स्व. सत्यजीत रे. जैसे सत्यजीत रे उपन्यास के अलावा, अपने सिनेमा का कहानी, पटकथा अऊर सम्बाद त लिखबे करते थे, साथ ही सब चरित्र का स्केच बनाकर उसका कॉस्च्यूम तक डिजाइन करते थे. फिल्म के स्क्रिप्ट के साथ साथ उनका स्केच बुक जिसमें सेट का चित्र, लोगों के खड़े होने का जगह सब बना रहता था. फिल्म का संगीत त बाद में जाकर खुद देने लगे थे. सही माने में जीनियस.

बस अनुभव बाबू बना लिए अपना आदर्स सत्यजीत बाबू को. पेंटिंग सुरू किए, स्केच बनाने में, ड्राइंग में मुख्य मंत्री के हाथ से पुरस्कार मिला. चौथा पाँचवाँ क्लास से इस्कूल का फंक्सन में कार्जक्रम संचालन करना, नाटक में भाग लेना, कहानी लिखना, कबिता लिखना अऊर अपने से बड़ा साइज का सिंथेसाइजर बजाना. सत्यजीत रे का सारा सिनेमा देख गए, कुछ समझे कुछ समझाना पड़ा.

भासा प्रेम अईसा कि बंगला लिखना पढना सीखे अऊर जब पूरा तरह सीख गए, त अपने इस्कूल में एगो मुसलमान दोस्त को सिखाना सुरू कर दिए. ऊ दोस्त को मौलवी घर पर उर्दू पढाने आता था. बंगला सिखाने का फीस एही था कि ऊ अनुभव को उर्दू सिखाए. देखते देखते साल भर में उर्दू लिखना पढना आ गया.

अभी उसका चौदहवाँ जनम दिन, मई महीना में था. नानी पूछीं कि क्या चाहिए? उसका जवाब था, “हिंदी उर्दू डिक्सनरी.”

हम उसको तोहफा में दिए गुलज़ार साहब का “पुखराज”.

अनुभव हमरा बेटा है, ई पुस्त में एकलौता बेटा. उसके पिता से त आप पहिले ही मिल चुके हैं.

गुलज़ार साहब एक बार टीवी ईण्टर्व्यू में बोल रहे थे कि उनका एगो कबिता (साँप और रस्सी) का सब्द आज भी ओही है, लेकिन मतलब हर उमर के साथ बदलता गया है. पढने वाला के साथ कबिता भी बड़ा होता गया है.

लेकिन हम त आज भी ओही नज़्म का उँगली थामकर बैठे हैं,अऊर सोचते हैं कि हमरा बेटा पहिला बार देवाल पर, चाहे हमरा डायरी के पन्ना पर पेंसिल से कुछ लाईन खींच दिया था, अगर हम ओही टाईम उसको डाँट कर मना कर देते त आज फख्र से ई पोस्ट नहीं लिख रहे होते.


41 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छा लगा अनुभव के बारे में जानना ...सच है कि बच्चों कि प्रतिभा को नहीं रोकना चाहिए ...बहुत संवेदनशील लगी यह पोस्ट

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  2. अनुभव का बहुत सम्वेदनशील अनुभव हुआ इस पोस्ट से,
    उसकी ड्राइंग तो मैने कुछ समय अपने डेस्क टाप पर बतौर बैक-ग्राउंड पर भी रखीं थी.

    ढेर सारी शुभकामनायें अनुभव को.

    अंत में इतना और :
    बच्चों के नन्हें हाथों को छू लेने दो चादँ-सितारे!
    चार किताबे पढ़्कर फिर,ये भी हम जैसे हो जायेंगें!!

    - चैतन्य

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  3. वाह-वाह जैसा पिता वैसा ही पुत्र ,हार्दिक शुभकामनायें ...

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  4. बहुत अच्छा लगा अनुभव के बारे में जानना..
    चचा जी पेंटिंग तो जबरदस्त है..कमाल का..
    और अनुभव भी बहुत गुणी लड़का है.

    एक और बात अभी दिल में आई तो कह रहा हूँ, की आप लोगों का मार्गदर्शन और सपॉर्ट भी अनुभव को मिल रहा है ये बहुत अच्छी बात है..

    मेरे तो ना परिवार में न दोस्तों में कोई इन सब बातों से वास्ता रखता है.सब इन सब बातों को बेकार का फ़ालतू चीज़ें कहते हैं..वो तो हम हैं की अपने मन का पढ़ते रहते हैं और गज़ल फिल्म देखते हैं...:)

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  5. Bihari babu ke bete ko bhi aaj jaan gaye.........:)

    dil ko chhune wali baat kahi aapne!!

    aapki baato ko apne jeevan me laane ka paryatn karunga.......

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  6. बच्चा स्वभाव से विद्रोही होता है। इसलिए,चित्र बनाना उसके लिए सहज है क्योंकि चित्रकारी महज लकीरों का खेल नहीं है;उन लकीरों में क्रांति और विद्रोह के बीज होते हैं। अन्यथा,चित्रकारों पर दुनिया भर में पाबंदी के इतने क़िस्से न होते।

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  7. क्या हुआ शक्ल बन सकी न अगर
    मेरे बच्चे के हाथ हैं इनमें
    मेरी पहचान है लकीरों में.

    आगे क्या कहने को है??
    अनुभव को ढेरों शुभकामनाएँ.

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  8. अनुभव प्रिय को स्नेहाशीष -ऊंची अभिरुचि है उनकी !

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  9. आप सही कह रहे हैं. सारी दुनिया बच्चे के लिए एक कैनवास है बशर्ते कि बड़े उसकी अभिव्यक्ति पर जाने अनजाने रोक न लगायें. दुनिया की बेकार से बेकार चीज़ भी उनके लिए बड़े काम की होती है और हो सकता है कि काम की चीज़ें उनके लिए एकदम बेकार हों. बच्चों की परवरिश कैसे हो, यह कोई आपसे सीखे!! बेटे को बधाईयाँ और शुभकामनाएं.

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  10. सलिल भाई, आज एक और रिश्‍ता निकल आया। आप तो बिलकुल वैसे ही सोचते और करते हैं जैसा मैं। 17 साल चकमक में मैंने यही किया। अनुभव जैसे बच्‍चों को लगातार प्रोत्‍साहित करना। उनकी अपनी अभिरूचि और अभिव्‍यक्ति को मौके देना।
    माफ करें उसे वैसा ही बनने दें जैसा वह बनना चाहता है,भूलकर भी अपने जैसा बनने की प्रेरणा मत दीजिएगा। और मैं तो कहूंगा कि इस विचार को भी हत्‍सोहित करने की जरूरत है कि जैसे आप वैसा बेटा या बेटी।
    भाषा सीखने का जो उसे जुनून है वह पूरा करने दीजिए। वह बांग्‍ला,उर्दू जानता है । हिन्‍दी और अंग्रेजी तो पढ़ ही रहा होगा। जितनी और सीख सके,बेहतर है।
    बहुत बहुत शुभकामनाएं। जन्‍मदिन जो निकल गया और जो आएगा उसकी भी शुभकामनाएं।
    चैतन्‍य जी ने जो शेर लिखा है वह निदा फ़ाजली साहब का है। उसमें शब्‍द थोड़े इधर उधर हो गए हैं। मैंने ऐसे ही बच्‍चों के बारे में लिखते हुए उसे चकमक में 1985 में इस्‍तेमाल किया था। चैतन्‍य जी से अनुरोध है कि अगर शायर या कवि का नाम जानते हों तो कृपया उसका उल्‍लेख अवश्‍य किया करें।

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  11. अनुभव को अपने पिता और ताऊ से बहुत कुछ विरासत में मिला है यकीनन वह उसे आगे बढ़ाएगा ...इस बच्चे को मेरी हार्दिक शुभकामनायें !

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  12. भतीजा पर फक्र है हमें तो, शुभकामना!

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  13. @ संगीता दी, गोदियाल साहब, भाई चैतन्य, झा जी, मुकेश जी, वाणी गीत, अविनाश जी, सुमन जीः आपकी शुभकामनाएँ सिर आँखों पर.
    @ अभिषेकः हमारे समाज में इ सब काम को काम मानले नहीं जाता है. खाली डिग्री लेना अऊर सफलता के पीछे भागना उद्देस रह गया है जिन्नगी का.
    @ कुमार राधा रमण जीःआप त एकदम बाल मनोबिज्ञान प्रस्तुत कर दिए... ओसो का स्वर्निम बचपन का प्रस्तावना याद आ गया... एतना ऊँचा बात के जोग्य बनने का प्रतिभा भगवान उसको दे...आशीष दें!
    @पंडित अरविंद मिश्रः आसिर्बाद का हाथ रखें.
    @ त्यागी सरः आप स्वयम सिक्षक हैं... अभिब्यक्ति पर कभी बंदिस नहीं रहा हमरे घर में..हम लोग त जइसा परबरिस पाए हैं, ओही अपना बच्चा को दे रहे हैं. बाकी आप जैसे गुरूजन का आसिर्बाद है.
    @ उत्साही जीः अवश्य कोई पिछले जनम का नाता है हमरा आपका. उसको कभी हमलोग अपने हिसाब से काम करने के लिए बाध्य नहीं किए. हमरे पिताजी भी हमलोग को रेलवे कॉलोनी के माहौल से दूर रखे थे खाली इसलिए कि हमलोग उनके जैसा नहीं बने,नऔर रेलवे कॉलोनी के लड़कों जैसा.. चैतन्य जी को संदेह था इसलिए नाम नहीं लिख पाए...
    @ गुरुदेव सतीश जी, नीलेस भाईः आशिर्बाद शिरोधार्य!

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  14. har din tumhara blog padh kar aisa lagta hai ki apne hi parivaar ke sadasya se ek nayi mulakat si ho rahi hai.....aaj jab anubhav k baare mein padhato mann mein sirf ek hi baat aayi ki parivar ka ek matr beta hone k karan ishwar ne humaare parivaar ke sadasyon k sabhi kalatmak guno ka samavesh isme kar diya hai.........
    vini(anubhav ki bubu):):)

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  15. अनुभव के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा. अनुभव को आशीष एवं शुभकामनाएँ.

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  16. इस आलेख में चित्रात्मकता बहुत है। आपने बिम्बों से इसे‘ सजाया है। पुआर और आत्मीयता का बिम्ब। संगीत भी है। इसकी लय तानपुरा की तरह लगातार बजती रहती है । अद्भुत मुग्ध करने वाली।
    अनूबव को शुभकामनाएं।

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  17. अनुभव से बहुत कुछ सीखना चाहिए हम लोगो को ! हार्दिक शुभकामनाएं अनुभव बाबु को ! बाकी और क्या कहे ..........बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया है आपकी इस पोस्ट ने जो यहाँ तो कहा जा नहीं सकता ........आप समझते ही है !

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  18. वाह क्या चित्रकारी है, प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती और अगर उसे उकेरने के लिये बचपन से ही हाथ हों तो कोई प्रतिभा कोई रोक ही नहीं सकता।

    कैंसर के रोगियों के लिये गुयाबानो फ़ल किसी चमत्कार से कम नहीं (CANCER KILLER DISCOVERED Guyabano, The Soupsop Fruit)

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  19. ham t din ginne lage the .....
    lekin aap ne rok diya .....

    babua ko dher sara piyar...kahiyega


    pranm swikaren.

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  20. अनुभव मे वाकई एक ैअद्भुत प्रतिभा छिपी है। उसे बहुत बहुत आशीर्वाद।

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  21. गुलज़ार साहब की नज़्म के साथ अनुभव का अनुभव करना भी अच्छा रहा !

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  22. ..बचवा त ड्राईंग रूम का मतलबे समझता है कि जहाँ ड्राईंग किया जाए.
    ..मजेदार व प्रभावशाली पोस्ट.

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  23. अनुभव के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा. अनुभव को शुभकामनाएँ....!!

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  24. अरे सरकार क्या पोस्ट लिख गए गजब का.....
    बच्चे तो ड्राईंग रूम को ड्राईंग के लिए बड़ा कैनवास समझ लेते हैं। सही कहा उनको कौन रोक सकता है। अच्छा हम-तुम बच्चों को ऐसा करने से मना भी करें तो वो आपसे आंख चुराकर मौका मिलते ही दीवारों पर अपनी प्रतिभा दिखा ही देखा।
    अनुभव के उज्जवल भविष्य के लिए ईश्वर से प्रार्थना।

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  25. main na toh bhaiyya ki tarah kalam ka aur na hi Anubhav ki tarh koochi ka jadugar hoon.aam bol chaal ki bhasha mein bas itna kahoonga ki kisi apartment ki chhat par jaisa paani hoga waisa hi paani har florr par supply hoga.Anubahvmein yeh khoobiyan isliye hain kyonki iske upar ke floor par bhaiyya,unke upar papaji aur sabse upar dadaji hain.Bas aur kisi cheez ki zaroorat hai toh woh hai aapke aashirvaad ki taki woh apni kalaon mein nipun ho sake.

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  26. Anubhav ke bare mein jaan kar bahut achcha laga .. aapki lekhan shaili bhi bahut adbhut hai.. aapne jo meri gazlon kee sameeksha kee hai uske liye aapki aabhaari hun
    aap jaise dhyaan se padhne wale meri gazal ko mil jaayen to gazalen sarthak ho jaayen amoolay ho jaayen ..

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    स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !

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  28. गुलज़ार साहब की नज़्म, सत्यजीत रे साहब के चित्रपट और प्रतिभाशाली बालक अनुभव का परिचय प्राप्त कर हम आज गर्वित हुए.

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  29. सच्ची पोस्ट ... जो दिल में है उसे हूबहू लिखा है आपने अपना अनुभव ...

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  30. अरे ! आपके परिवार में तो एक से एक हीरे हैं प्रतिभा के ...अनुभव के लिए हमारी शुभकामनाएँ ।

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  31. हार्दिक शुभकामनायें अनुभव...बहुत अच्छा लगा// हम तै बचवा लोग के बहुत खिंचाई करी ला ई बात पे, अब कुछ सोंचय के पडी. इतना बढिया सीख खातिर आभार.

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  32. अनुभव अपने पिता से बहुत आगे जाए यही कामना है !

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  33. अनुभव और अनुभव की ऊँगली थामे जो लोग खड़े हैं - वे सब इस पोस्ट के भागीदार हैं . बस यही आशीर्वाद है - इक दिन होंगे ज़मीं आसमां चाँद सितारे हाथों में ...

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  34. दिल्ली में आपसे मेरी अचानक मुलाकात एक संयोग थी। अब अनुभव के वाचन का एक उदाहरण सुनने के बाद यह जानना कि यह नन्हा कलाकार एक और बड़े कलाकार का भतीजा है - प्रबल संयोग! यह आलेख पढते-पढते एक इत्तेफ़ाक यह पाया कि एक ज़माने में मुझे भी किसी ने "पुखराज" उपहार में दी थी। साथ ही बच्चों की खींची रेखाओं के ऐसे-ऐसे उदाहरण आज तक सम्भालकर रखे हैं कि बच्चे खुद देखें तो आश्चर्य में पड़ जायें। अनुभव को हार्दिक शुभकामनायें और इस सुन्दर आलेख में अपनी भावनायें साझा करने के लिये आपका आभार!

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  35. पूत के पाँव पालने में , अनुभव को उनके उज्जवल भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं |

    सादर

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  36. भैया ,पोस्ट पढ़ते दिल भर आया .गर्व हुआ कि मैं आपकी बहन हूँ .आपके लिये कुछ लिखने के लिये जितने पृष्ठ और शब्द चाहिये मेरे पास नहीं हैं बस इतना कि आप ऐसे ही बने रहें हमेशा ..अनुभव बहुत प्यारा और भाग्यशाली है .

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