गुरुवार, 2 दिसंबर 2010

फ़ेसबुक की दीवार से अंतरिक्ष दर्शन


हमरे फेसबुक के देवाल पर लिखा हुआ दूठो छोटा कबिता आपके सामने पेस कर रहे हैं. आजकल थोड़ा ब्यस्तता बढ़ गया है अऊर परेसानी भी. इसलिए आज एही झेलिये.


सूरज और सर्दी
दिन चढ आया
बाहर फिर भी अंधेरा था
सूरज बाबू कहीं दिखाई नहीं दे रहे.
छत पर चढ़कर मैंने जब आवाज़ लगाकर उनसे पूछा
वो बोले, मैं लेटा हूँ बादल की तोशक के अंदर
चुपचाप दुबककर.
मुझको मत डिस्टर्ब करो तुम.
जाकर तुम भी सो जाओ
बाहर तो देखो,
बाहर कितनी सर्दी है!!

सात फेरे
ना जाने कितनी सदियों से
एक उपग्रह
चक्कर लगा लगा कर ग्रह के
अपने मन की बात बोल ही बैठा उसको.
कहने लगा नहीं अब मुझसे होता ये सब
तुम बेकार में सूरज के इतने चक्कर काटे जाते हो
आओ मेरी उँगली थामो
गाँठ जोड़कर,
सूरज की अग्नि के फेरे सात लगा लें
इंसानों की जोड़ी हम तारों ने तो बनवाई कितनी
आओ मिलकर अपनी जोड़ी आज बना लें!!


51 टिप्‍पणियां:

  1. सूरज और आपका संवाद अच्छा लगा.. वाकई बाहर बहुत सर्दी है.. सूरज का बादल के तोशक में होना अच्छा विम्ब है... साथ ही सात फेरे वाली कविता भी अच्छी है...

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  2. वाह सलिल जी...... खूब कही.

    @मुझको मत डिस्टर्ब करो तुम

    सीधे सीधे लिखे देते अभी टाइम नहीं है...... कोनों आलतू फ़ालतू लिखने का..... बहुते बुजी शेदुले है..... इत्ती कविता लिखना जरूरी था क्या ........ खामख्वाह सूरज की अग्नि के चक्कर लगा रहे हो...., हा हा हा हा

    बदिया मौसमी कविता.

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  3. दोनों ही कवितायेँ मजेदार.... वाकई ठण्ड बहुत हो गई है ग्वालियर में भी... सूरज दादा रजाई में देर तक सो रहे है इसीलिए देर से दर्शन दे रहे है.....

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  4. जिस परेशानी का आपने जिक्र किया है .... दुआ करता हूँ वह दफ्तरी ही हो ! शेष सब शुभ है ! आपकी ओर से भी यही आशा है !

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  5. वाह! बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति। गहरे भाव छुपे हैं इन कवितओं में।
    आशा ही नहीं विश्वास है कि परेशानियां दूर हो गई होंगी।

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  6. व्यस्तता के साथ परेसानी भी ..?? ठीक तो हो सलिल भाई ??
    हमें कुछ परेसानी दे दो ! शुभकामनायें

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  7. मौसम का हाल सुनाती दोनों कवितायेँ अच्छी लगी ...!

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  8. awwwwwwww......soooo sweet.....dono ho bohot bohot mazedaar hain, khaaskar ye

    इंसानों की जोड़ी हम तारों ने तो बनवाई कितनी
    आओ मिलकर अपनी जोड़ी आज बना लें!!

    abhi hosh nahin hai unhein, ke kitne insaanon ki band bajaayi hai, jab khud ki bajegi tabhi hosh aayega....chaliye, karwaaiye shaadi inki bhi... ;)

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  9. बहुत खूब सलिल जी,
    दोनो कविताये अच्छी हैं
    सूरज से संवाद बहुत बढिया लगे,
    ईश्वर आपकी परेशानी जल्दी हल करें
    शुभकामनाये

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  10. Salil sir,
    rachnaein to main aapki sab padhata hun kyonki usmein apni maati ki sugandh pata hun.per kavita ke madhyam se jo bahar aaya hain man ko anandit kar gaya. Kabhi mauka mile to mere blog par bhi aayein.

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  15. Salil sahib- suder kavitaye. lekin upagrah ji ko thoda cheta dijiyega ki shadi ka laddu man me phode to sahi rahega varna hakikat to thodi kadwi hoti hati hai...

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  16. दोनों कविताएँ बहुत अच्छी लगीं ...

    इंसानों की जोड़ी हम तारों ने तो बनवाई कितनी
    आओ मिलकर अपनी जोड़ी आज बना लें!!

    बहुत सुन्दर ...

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  17. बहुत ही सुन्दर प्यारे से भाव लिए, कविताएँ ...

    व्यस्तता की बात तो ठीक है..पर परेशानी कैसी...ईश्वर करे शीघ्रातिशीघ्र दूर हो जाए..आपकी परेशानी

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  18. वाह बेहतरीन रचनाएँ हैं...


    काफी दिनों से बात नहीं हुई... कैसे हाल हैं?

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  19. वाह वाह वाह....

    कहाँ तक गयी आपकी दृष्टि.... गज़ब कमाल है....

    मन मुग्ध कर गयी आपकी दोनों ही रचना...

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  20. इंसानों की जोड़ी हम तारों ने तो बनवाई कितनी
    आओ मिलकर अपनी जोड़ी आज बना लें!!

    वाह..बहुत खूब, सलिल जी..
    अनछुए विषय पर बिल्कुल नए अंदाज़ की कविता।

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  22. कविताओं के माध्यम से बात करना कोई आपसे सीखे...वाह...अभी से ही सूरज को ठण्ड लगने लगी अभी तो दिसंबर शुरू ही हुआ है...डरपोक कहीं का...:--)

    और हाँ आप व्यस्त रहें ये हमें मंजूर है लेकिन परेशान रहें ये कतई मंजूर नहीं...तुम अपना रंजो गम अपनी परेशानी मुझे देदो...


    नीरज

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  23. सलिल जी,
    बेहद मदमस्त कबिताएँ

    ठिठुरती ठंड में सूरज का दुबक कर सोना, और ग्रहों का थकहार कर अब पाणिग्रहण फेरे!!

    अद्भुत!!

    पर ई ब्यस्तता तो ठीक है, परेसान काहे हो? तनिक सेर काहे न कर देते?

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  24. सलिल जी, इस अलग क्रियेटिविटी के लिए आपको शुभकामना !

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  25. पहली बार आपके व्लाग पर आयाऔर बहुत खुबसूरत कविता पढने की मिली , देर में आने की गलती की

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  26. aap hamse pahle baazi maar liye chacha ji....hum soche the ki aapka facebook wala sab lagayenge... :)

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  27. @ बुझाता है कि बहुत बड़ा मिस्टेक हो गया हमसे.. सोचबे नहीं किए कि हमरा परेसानी वाला बात से एतना लोग परेसान हो जाएगा... सिवम बबू त तड़ से फोन करके हाल पूछ लिए... माफ कीजिए, परेसानी तनी ऑफिसियल था, अब जईसे आया था ओइसहीं खतम भी हो जाएगा... एतना प्यार मत देखाईए आप लोग की जीना त जीना,मरना भी मोस्किल हो जाए!!एगो बात कातसल्ली हो गया कि हम न होंगे तो हमें याद करेगी दुनिया!!

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  28. Ummeed karti hun,pareshani ab tak apne ghar chali gayi hogi!
    Kavitayen to bahut badhiya hain! Derse aayi hun,blog pe,net band tha!

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  29. कुछ भी लिखूँ,कविताएँ मेरी टिप्पणी से ऊपर के स्तर की ही रहेंगी!

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  30. चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…
    @ बुझाता है कि बहुत बड़ा मिस्टेक हो गया हमसे.. सोचबे नहीं किए कि हमरा परेसानी वाला बात से एतना लोग परेसान हो जाएगा... सिवम बबू त तड़ से फोन करके हाल पूछ लिए... माफ कीजिए, परेसानी तनी ऑफिसियल था, अब जईसे आया था ओइसहीं खतम भी हो जाएगा... एतना प्यार मत देखाईए आप लोग की जीना त जीना,मरना भी मोस्किल हो जाए!!एगो बात कातसल्ली हो गया कि हम न होंगे तो हमें याद करेगी दुनिया!!


    चले कुछ तस्सली हो गया... नहीं तो आपका सुभचिंतक हमहू परेसान कर रहे थे.......

    आप भूलने वाली शक्सियत नहीं हो.

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  31. माने टीप पढ़-पढ़ कर सोचे रहे थे कि ऐसा का गलत हो गया...... परेशानी का आ गई... और हम मजाक मा बात कर रहे हैं.

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  32. @ दीपक जी!
    फिल्म बावर्ची का डायलॉग बोलने का मन कर रहा है, इतना प्यार दिखाना अच्छी बात नहीं.

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  33. बहुत अच्छा कविता. 'तोशक' देखकर जी गदगदा गया.

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  34. ऑफ़िस से लौटकर आपकी पोस्ट पढ़ी और फ़ोन भी मिला दिया था, कि :) :) @ ’सम्वेदना के स्वर’ देख लिए, सो फ़ोन काट दिया। रही बात परेशानियों की, तो सलिल जी जिस दिन कोई परेशानी न आये उस दिन परेशान हो जाईयेगा।
    पहले जो मिस्टेक या मिस्टेकवा आपने किया सो किया, क्लैरिफ़िकेशन में जो ब्लंडर आप कर गये हैं, सही नहीं किया आपने। बता दिया है बस्स, जब हमें गुस्सा आता है फ़िर छोटा बड़ा नहीं देखते, हाँ।

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  35. सूरज, चाँद और तारों की ये कविताएँ अच्छी लगी ...अच्छा मानवीकरण है ।

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  36. बहुत संवेदनशील लिखा है ... दूसरी वाली तो खास पसंद आई ...

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  37. दोनों ही कविताएँ अच्छी लगीं !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  38. दोनो कविताओं में कवि का अस्तित्व से जुड़ाव प्यारा लगता है।

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  39. सात फेरे--- बहुत उमदा अभिव्यक्ति है। बधाई।

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  40. पहली प्यारी कविता और दूसरी गहरी कविता |

    सादर

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