पीछे एतना बिजी रहे कि ब्लॉग पर आने का समय बहुत कम मिला. मगर फेसबुक पर तनी जादा समय बीता. फेसबुक पर जेतना लोग देखाई देता है उसमें बहुत सा लोग हमारे उमर का है अउर बहुत सा नबजुबक है. हमारे लिए ऊ लोग बच्चा है. मगर हमरा इंटरैक्शन बच्चा लोग के साथ बहुत सुखद रहा है. कभी-कभी ई लोग का सोच, बिचार, लेखन देखकर ताज्जुब होता है. ई लोग के साथ मिलकर अपना समय भी याद आता है अउर अपने बड़प्पन का भी एहसास होता है. मन भर जाता है जब कोइ चचा, कोइ चाचू कहता है. कभी–कभी त हमरे साथी लोग कह देते हैं हमको कि तुम कहाँ बच्चा सब के बीच फंसे हो, बुड्ढे हो रहे हो, इस सच्चाई को तो समझो. अब साथी को तो नहीं कह सकते कि बुड्ढा होगा तेरा बाप!
अमिताभ बच्चन जी का सिनेमा देखे “बुड्ढा होगा तेरा बाप”. सिनेमा त जो था सो था. लेकिन अमित जी एकदम सत्तर के दसक वाला बिजय बने हुए थे. कोइ कहेगा कि उमर के ई पड़ाव पर आकर अपने बेटा से मुकाबला कर रहे हैं अउर खाली मुकाबला नहीं जबरदस्त कम्पीटीसन दे रहे हैं. सत्तर साल होने को आया, दिन में फाइटिंग करते हैं अउर रात में “कौन बनेगा करोड़पति” खेलाते हैं. दुनो रोल में फिट. बहुत प्रेम अउर बड़प्पन के साथ खेलने वाले को बोलाते हैं, उनसे घुलमिलकर बतियाते हैं. लगबे नहीं करता है कि कहाँ इतना बड़ा सुपर-स्टार अउर कहाँ एगो साधारन आदमी. खाली एही नहीं, सत्तर साल का उमर में भी सब जवान लोग दीवाना है उनका. जब फोन लगाकर बोलते हैं “जी मैं अमिताभ बच्चन बोल रहा हूँ, कौन बनेगा करोड़पति से” तो अच्छा-अच्छा लोग घबरा जाता है. अब आप ही बताइये अइसा आदमी को कोइ बुड्ढा बोलेगा त एही जवाब मिलेगा सुनने को कि बुड्ढा होगा तेरा बाप!
एगो अउर बुढऊ हैं, हमारे चचा गुलज़ार. अभी १८ तारीख को पछत्तर साल के हो गए. एगो टाइम था कि हम जवान थे अउर कोनों आदमी इनका कविता को बकवास बोलता था त भिड़ जाते थे उससे. हमरे पिताजी के साथ भी केतना बार बहस हुआ, मगर बाद में ऊ भी फैन हो गए गुलज़ार साहब के. कमाल का सेन्स ऑफ ह्यूमर, कमाल का रोमांटिसिज्म, कमाल का बचपना. सबसे बड़ा खासियत त हमको ई लगता था कि कहाँ कहाँ से बिम्ब लेकर आ जाते हैं और सम्बेदना को ऐसा ऊंचाई पर ले जाते हैं कि लगता है कि मोक्ष मिल गया. उनको पढ़ना अउर उनके आवाज़ के गहराई को मन में उतारना कोनो समाधि से कम नहीं है. आजकल फेसबुक अउर ब्लॉग पर नया उम्र का बच्चा लोग को जब लिखते देखते हैं अउर उसपर गुलज़ार साहब का परभाव देखते हैं तो आस्चर्ज होता है. मगर का किया जाए गुलज़ार साहब का रोमांटिसिज्म देखकर हर कोइ को अपना भावना का अभिब्यक्ति मिल जाता है.
आओ तुमको उठा लूं कंधे पर,
तुम उचककर शरीर होठों से,
चूम लेना ये चाँद का माथा.
आज की रात देखा ना तुमने
कैसे झुका-झुक के कुहनियों के बल
चाँद इतना करीब आया है!
अब बताइये भला, ई रोमांस कहीं उम्र का मोहताज है. तीस साल पहिले हम ई पढकर सातवाँ आसमान पर होते थे अउर तीस साल बाद नोएडा के मॉल में एगो जवान लड़का अपनी महबूबा का हाथ अपना हाथ में लेकर एही नज़्म सुना रहा था. अब इसके बाद भी कोइ गुलज़ार साहब को ७५ साल का बुड्ढा बोले तब तो एही जवाब दिया जा सकता है कि बुड्ढा होगा तेरा बाप!!
७४ साल के अन्ना हजारे. बैठ गए हैं अनसन करने. पकड़कर जेल में डाल दिया गया, कोइ बात नहीं, अनसन करना है त ओहीं कर लेंगे. मगर टस-से-मस नहीं होंगे. राजनीति है ई सब, ब्लैकमेल कर रहा है, बरगला रहा है लोग को, खुद भ्रस्टाचार में लिप्त है... बोलने दीजिए. ई बूढ़ा आदमी बस एही बता रहा है कि भ्रस्टाचार को खतम करना है अउर इसके लिए कोनों बिल पास करना जरूरी है. मगर बहस ई है कि ई वाला बिल से भी भ्रस्टाचार नहीं खतम होगा, फलाना को इसके दायरा से बाहर रखो, का गारंटी है कि इसमें भी लोग छेद नहीं करेगा. अरे भाई जब कोनों गारंटी नहीं है तो पास कर दो, काहे झंझट कर रहे हो. मुर्दा पर जैसे आठ मन वैसे दस मन. सैकड़ों साल पहिले का अंग्रेज का बनाया हुआ एक हज़ार क़ानून हइये है त एगो अउर क़ानून सही. मगर एक तरफ बिरोध है दोसरा तरफ नौजवान लोग का जूनून. दिल्ली, नोएडा, चेन्नई, बेंगलुरु, सब जगह नौजवान लोग का जोस देखने वाला है. कोइ सोच भी नहीं सकता है कि नौजवान लोग का सुपर हीरो एगो ७४ साल का बुड्ढा बना हुआ है आजकल. माफी चाहते हैं ई बात कहने के लिए. कहीं सबलोग मिलकर हमरे खिलाफ नारा न लगाने लगे कि बुड्ढा होगा तेरा बाप!!
बुड्ढों में दम कम नहीं होता ..... :-)
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें अग्रजों को और अन्ना को !
रचनात्मकता उम्र की मोहताज नहीं होती ....वह संवेदना , भावना , दृष्टिकोण और अनुभव से ही आती है ....अच्छा लगा पढ़कर ...!
जवाब देंहटाएंरोचक आलेख! देश को अपने साथ बहा ले जाने वाले अन्ना हजारे के साथ आज आपने ऐंग्री यंग मैन और बुढऊ चचा की भी याद दिला दी।
जवाब देंहटाएंऐसाही एगो आन्दोलन पचहत्तर में हुआ था। और तब हमहु जबान हुआ करते थे। उस आन्दोलन को भी नतृत्व एगो बुड्ढा ही दिए थे। मतल बच्चा सब को रसता दिखाने की काम बापे करता है। बाप हुआ त बुड्ढा हुआ बुढ़ा हुआ त बाप हुआ। इसलिए ई आज के सन्दर्भ में हो या कल के सन्दर्भ में बात त बाप का ही है ... और एगो डायलोग मारने का मन कर रहा है कि ... राजनीति में त हम तुम्हारे बाप लगते हैं।
जवाब देंहटाएंरास्ता हमेशा बूढ़े -बुजुर्ग ही दिखाते है .....
जवाब देंहटाएंLakshya aur lagan umra ke mohtaj nahi hote. Bhrshtachar mukt Bharat ke liye Anna ki urja ko naman karte hue itna to kehna hi padega ' BUDDHA HOGA TERA BAAP'
जवाब देंहटाएंअमीत जी की उर्जा के तो वाकई काबिले तारीफ है , और गुलजार जी से तो उस बचपन में मुलाकात हुई जब चढ़ढी पहन कर फुल खिलता था लगा नहीं की ये किसी बड़े ने लिखा था जब वो तब बच्चे थे तो आज बुढ्ढे कैसे हो सकते है , और रही तीसरे बुढ्ढे की बात तो क्या करे सरकार सोच रही थी की उन्होंने तो पहले ही जनता के सामने एक ईमानदार गूंगे बुढ्ढे को अपना मुखौटा बना कर खड़ा कर रखा था ये दूसरे के पीछे लोग क्यों भाग रहे है |
जवाब देंहटाएंवाह महाराज ... आज ३ इन १ पोस्ट ... एक ही पोस्ट में ३ ३ लोगो को समेट लिए ... जय हो !!
जवाब देंहटाएंपोस्ट पढ़ कर तो दिल बहुत खुश हो गया .... गोया अब तो बूढ़े होने का इन्तेज़ार करने लग गए हैं. :)
जवाब देंहटाएंउम्र और संवेदनशीलता में समानुपात का संबंध है। इस प्रस्तुति में बहुत कुछ सीखने लायक है।
जवाब देंहटाएंइतनी प्रेरणा मिलती है...इनलोगों से...जीवन का हर क्षण भरपूर जीते हैं ये लोग...और सकारात्मकता का साथ कभी नहीं छोड़ते .
जवाब देंहटाएंबूढ़ा शब्द के मायने ही बदल दिए हैं...इनलोगों ने.
जैसे आठ मन वैसे दस मन.
जवाब देंहटाएंयही नियति है और यही परम्परा!! 50 साल में एक बार एक ही फल देने वाला पेड। दुविधा विवेक की कि फल खाउं या इसे पुनः बो दूँ। नई पीढी के इन्तज़ार के लिए? अब दुविधा भरी मेरी मानसिकता में वही पीढी छेड़ती है तो यूं ही कह देता हूँ "बूढा होगा तेरा बाप" समय हाथ से फिसल जाता है। और लाईट होती है- 'वह बाप तो मैं ही था' उस समय विवेक मुग्धता में सो जो गया था।
तीन उदहारण. तीन मील के पत्थर. तीनो कालजयी. बहुत अच्छा लगा आपको पढ़कर... एक अलग अंदाज़ चीज़ों को देखने का...
जवाब देंहटाएंhats off to you bhaijee.............
जवाब देंहटाएंyun aisa koi kah nahi sakta.........lekin agar kah de to kya............??????????
pranam.
गज़बै रंग जमाये हैं इसमें।
जवाब देंहटाएंआमतौर पर बुढ़ापे को उम्र के साथ जोरा जाता है,परन्तु बुढ़ापा संग्रह है जीवन कि खट्टी मीठी अनुभवों का .मन और होसले बुलंद हैं तो बुढ़ापे पे विजय पाई जा सकती है.तभी तो आज हम जैसे बच्चे तो नहीं कहेंगे परन्तु युवा लोग भी अमित जी और गुलज़ार जी के फैन एवं अन्ना जी के भरपूर समर्थक हैं .by the way budhhe nahin honge aap.
जवाब देंहटाएंbahut manoranjak tareeke se likhi jandaar post.......
जवाब देंहटाएंनही चच्चा, बुढऊ होंगे आपके दुश्मन, आप तो अभी जवानी में कदम ही रखे हो, बस यूं ही कलम सदा जवान बनी रहे, चच्चा की जय.
जवाब देंहटाएंरामराम
gulzar, amitabh, anna bas ek aur bache hain un par hi jate jate kuchh likh jate to ham bhi kah lete ki rishte me to aap hamare baap lagte hain...ha.ha.ha...nahi samjhe aji janab ham aap hi ki baat kar rahe hain ki kuchh apne bare me bhi likh jate. :)
जवाब देंहटाएंyahan bhi aapka swagat hai.
http://anamka.blogspot.com/2011/08/blog-post_20.html
तीनों एक से एक पर सबका अंदाज़े बयाँ और...बिल लाने की जल्दी में कहीं बिल में बिल ना रह जाए जिसका बिल गरीब जनता को चुकाना पड़े. जल्दबाजी अच्छी नहीं, बीज जो बोया है उसका फल अवश्य मिलेगा अन्यथा गांधारी की संतानें कभी पृथ्वी से जाने वाली नही हैं...
जवाब देंहटाएंपकी उम्र, पक्की बात.
जवाब देंहटाएंapka mail id nahi hai mere pas isliye ye reply maine noreply id ke thru b bheja aur yaha b likh rahi hun. ummed karti hun ap tak pahuchegi.
जवाब देंहटाएंmaine link anamika ki sadaye ka nahi diya tha abhivyaktiyan ka diya tha jo ki mera dusra blog hai.
आप सहित चारों बेहतरीन व्यक्तियों के लिये "बुढ्ढा होगा तेरा बाप" बहुत प्रतिक्रियावादी और रूड अभिव्यक्ति लगती है,हमें तो! अपने रुढीवादी कानों में तो मल्लिका पुखराज़ का वो गीत बरबस गूजंता है कि "अभी तो मै जवान हूं...... "
जवाब देंहटाएंmanmohak lekhan shailee .
जवाब देंहटाएं"जब कोनों गारंटी नहीं है तो पास कर दो, काहे झंझट कर रहे हो. मुर्दा पर जैसे आठ मन वैसे दस मन. सैकड़ों साल पहिले का अंग्रेज का बनाया हुआ एक हज़ार क़ानून हइये है त एगो अउर क़ानून सही."
जवाब देंहटाएंवाह सलिल जी!!!मजा आ गया इस पोस्ट को पढ़ कर। तीन-तीन बुजुर्गों को उनकी ऊर्जा से भरी जवानी के साथ आपने जिस मनमोहक शैली में प्रस्तुत किया है;वह काबिले-तारीफ़ है।
हम चाहते हैं कि अब भ्रष्टाचार पर जो कानून बने वह नायाब हो...और उसमें कोई सुराख न हो...कोई पिछला दरवाज़ा न हो...सब पारदर्शी हो...अन्ना के व्यक्तित्व जैसा हो...अमिताभ के जैसा परिवर्तनशील और गुलज़ार के जैसा सहृदयी हो...जो लोगों के दिलों में गीत बनके गाए...और जो चिरयौवन से हमेशा महकता रहे। लोगों में न्याय के लिए विश्वास उमगे। देश से भ्रष्टाचार के खात्में की मधुर ललकार में आज सारा देश एक है...देश युवा हो गया है...सचमुच यह देश बुड़्ढ़ा नहीं हुआ है...यह आज भी युवा है।
@मनोज भारती:
जवाब देंहटाएंअगर परमात्मा इस पल में कोइ प्रार्थना स्वीकार करने वाला हो तो यही अरज है कि आपकी प्रार्थना स्वीकार करे!!!!!
आमीन!!
तीनो उर्जावान लोगो की उर्जा से उज्जवल होती हुई उर्जमायी पोस्ट |
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
इन ऊर्जावान लोगों को भगवान दीर्घतम आयु दे ।
जवाब देंहटाएंसलिल भैया ! बच्चा लोगन का साथ हमको भी बहुत नीमन लगता है. उनका साथ करने से एगो बहुत बड़ा फायदा भी है ...इहे कि अपना बुढापा का अहसास होइबे नहीं करता है ...आ अस्फूर्ती बना रहता है. सीखना-सिखाना होता है ऊ अलग से. फेस बुक को छोड़ियेगा मत.
जवाब देंहटाएं"बुड्ढा होगा तेरा बाप" से आपके जन लोकपाल बिल तक का जुलूस बड़ा ही रोचक और आनन्दकर है। शायद सरकार ऐसा नहीं समझ रही है। क्योंकि उसे जनता के सरोकार से अधिक कानूनी दाँव-पेंच प्रिय है। साधुवाद।
जवाब देंहटाएंआज चैतन्य जी के कमेंट को हमारा ’सैकंड’
जवाब देंहटाएंचारों के लिये हमारा मनपसंद रेकार्ड ’अभी तो मैं जवान हूँ’
kai bar sicha post karun apke kisi post par kuchh....par har bar yeh soch kar reh gai ki kya kikhun....itni saralta se gehri se gehri baat likh dalne ki apki visheshta ki pukki kayal hun main...jab bhi is abhasik jagat mein ati hun apke blog pe kuchh naya padhne ko utsuk hoti hun....pata nahi kya umr hogi apki pat baaton se ap sachmuch mere pita ke umr ke hi lagte hain, isliye ek bachchi ka saadar pranam swikar karen aur post thoda aur sfurti aur nirantarta se likhne ki vinti bhi sweekar karen.
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार को जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंबूढ़े -बुजुर्ग से हमें बहुत कुछ सिखने को मिलता है और ज्ञान प्राप्त होता है! जवान लोगों से कम नहीं होते बूढ़े -बुजुर्ग बल्कि हर कदम में आगे होते हैं क्यूंकि उनके पास तजुर्बा होता है! अच्छे बुरे का मार्ग हमेशा बूढ़े -बुजुर्ग ही दिखाते हैं और बच्चे उन्हीं राहों पे चलते हैं और आदर्श मानते हैं!
अब साथी को तो नहीं कह सकते कि बुड्ढा होगा तेरा बाप...
जवाब देंहटाएंयानि कि कह ही दिया परोक्ष रूप से ...
अपने से बात शुरू कर अमिताभ..गुलज़ार और अन्ना तक कि बात बहुत रोचक शैली में लिखी है ...
बिल पर सरकार बिलबिला रही है ... जन आक्रोश का इतना अंदाजा नहीं था सरकार को ...
आम जनता को भी सोचना होगा कि स्वच्छ व्यवस्था चाहिए तो खुद की सोच को भी स्वच्छ करे ... वरना तो यहाँ क़ानून बाद में आता है तोड़ पहले निकाल लेते हैं ..
aadarniy bade bhai ji
जवाब देंहटाएंkya likhun?---
aapki lekhmi itni jor dar v majedaar dono hi rupon me jabardast chalti hai , kuchh is tarah ki padhne wala bas use padhne me hi dub jaaye.
aaj to aapne kamaal hi kar diya hai. teen -teen aadarniy jano ke baare me batla kar aur vo bhi bde rochak tareeke se ki man man -mugdh sa ho gaya.aapki bhasha -shaili shuru se hi itni prbhavit karti aai hai ki bas puchhiye mat .
yah gun to virlo me hi hota hai jaise ham aap me dekh rahe hain.
bahut hi sahaj v saral shabdo me itni achhi -achhi baate likh jaate hain ki aapko comments dene ke pahle ek baar to sochna hi pad jaata hai ki bade bhai ji ko kaise badhai dun.
aapse hame bahut kuchh seekhna hai.yun hi haste -hansate hamara marg -darshan karte rahiyega
bahut hi mangal kamnao ke saath
hardik abhnanadan
poonam
जिन नामों का जिक्र आपने अपनी पोस्ट में किया है ये सब तो अपनी ऊर्जा, क्रियाशीलता और सृजन की वजह से चिर युवा हैं ही! मगर सलिल भाई... आप भी माशाअल्लाह कुछ कम जवान नहीं हैं!!
जवाब देंहटाएंरोचक लिखा है ... वैसे मेरा मानना है उम्र शरीर की होती है ... मन की नहीं ... हम तो अभ्ही भी अपने आप को २० का समझते हैं ...
जवाब देंहटाएंऐसा बुढापा मिल जाए तो कितनी जवानियाँ न्योछावर न हो जायं बाबू मोशाय !
जवाब देंहटाएंरोचक लिखा है सलिल जी
जवाब देंहटाएंहर बार गुलज़ार साब के बारे में आपकी पोस्ट देखकर मन भर आता है |
जवाब देंहटाएंमैं सार्वजानिक तौर पर ये स्वीकार करता हूँ कि मैं गुलजार साब का अनुसरण करता हूँ , कहीं न कहीं अपनी हर कविता में | और अगर उनकी सबसे कमजोर रचना(हालाँकि मेरी नजर में ऐसी कोई रचना उनहोंने अभी तक नहीं लिखी) के बराबर भी कुछ लिख पाया तो खुद को धन्य समझूंगा |
सादर