तुम्हारी कब्र पर मैं
फ़ातेहा पढ़ने नही आया,
फ़ातेहा पढ़ने नही आया,
मुझे मालूम था, तुम मर नही सकते
तुम्हारी मौत की सच्ची खबर
जिसने उड़ाई थी, वो झूठा था,
वो तुम कब थे?
कोई सूखा हुआ पत्ता, हवा मे गिर के टूटा था ।
तुम्हारी मौत की सच्ची खबर
जिसने उड़ाई थी, वो झूठा था,
वो तुम कब थे?
कोई सूखा हुआ पत्ता, हवा मे गिर के टूटा था ।
मेरी आँखे
तुम्हारी मंज़रो मे कैद है अब तक
मैं जो भी देखता हूँ, सोचता हूँ
वो, वही है
जो तुम्हारी नेक-नामी और बद-नामी की दुनिया थी ।
तुम्हारी मंज़रो मे कैद है अब तक
मैं जो भी देखता हूँ, सोचता हूँ
वो, वही है
जो तुम्हारी नेक-नामी और बद-नामी की दुनिया थी ।
कहीं कुछ भी नहीं बदला,
तुम्हारे हाथ मेरी उंगलियों में सांस लेते हैं,
मैं लिखने के लिये जब भी कागज कलम उठाता हूं,
तुम्हे बैठा हुआ मैं अपनी कुर्सी में पाता हूं |
तुम्हारे हाथ मेरी उंगलियों में सांस लेते हैं,
मैं लिखने के लिये जब भी कागज कलम उठाता हूं,
तुम्हे बैठा हुआ मैं अपनी कुर्सी में पाता हूं |
बदन में मेरे जितना भी लहू है,
वो तुम्हारी लगजिशों नाकामियों के साथ बहता है,
मेरी आवाज में छुपकर तुम्हारा जेहन रहता है,
मेरी बीमारियों में तुम मेरी लाचारियों में तुम |
वो तुम्हारी लगजिशों नाकामियों के साथ बहता है,
मेरी आवाज में छुपकर तुम्हारा जेहन रहता है,
मेरी बीमारियों में तुम मेरी लाचारियों में तुम |
तुम्हारी कब्र पर जिसने तुम्हारा नाम लिखा है,
वो झूठा है, वो झूठा है, वो झूठा है,
तुम्हारी कब्र में मैं दफन हूँ तुम मुझमें जिन्दा हो,
कभी फुरसत मिले तो फातहा पढनें चले आना |
वो झूठा है, वो झूठा है, वो झूठा है,
तुम्हारी कब्र में मैं दफन हूँ तुम मुझमें जिन्दा हो,
कभी फुरसत मिले तो फातहा पढनें चले आना |
- निदा फ़ाज़ली
सभी का जाना तय है ..न चाहते हुए भी .और इसे स्वीकार करना ही होता है..बेशक रिक्त स्थान कभी भरे नहीं जा सकते ...डॉ. अमर कुमार की जगह भी रिक्त रहेगी...
जवाब देंहटाएंमेरे प्रिय गीतकार के शब्दों में बहुत ही ऐप्रोप्रियेट बात कही है। आपके दिल की बात शायद हमारे और बहुत से अन्य ब्लॉगर्स के दिल की भी है। मेरी कभी भी डॉ साहब से मुलाकात तो क्या फ़ोन पर बात और चैट भी नहीं हुई। मेरे ब्लॉग पर भी उनकी टिप्पणियों की संख्या बमुश्किल इकाई में ही रही होगी। फिर भी जब से सुना, एक खालीपन के अहसास से गुज़रा हूँ। जो लोग उनसे मिल चुके हैं या बात/चैट आदि कर चुके हैं, उनकी भावना को अच्छी प्रकार समझ सकता हूँ।
जवाब देंहटाएंशोक में शामिल.
जवाब देंहटाएंडॉ अमर कुमार के जाने से, विभिन्न भारतीय संस्कृतियों एक बेहतरीन विद्वान्, और हिंदी जगत का एक मनीषी आकस्मिक तौर पर विदा हो गया ! ब्लॉग जगत के लिए उनका रिक्त स्थान भरना नामुमकिन सा लगता है !
जवाब देंहटाएंउनकी टिप्पणिया याद आएँगी !
स्व. डॉ साहिब ने जो जगह हम सभी के दिलों में बनाई थी... वो आसानी से नहीं भरने वाली.
जवाब देंहटाएंपरमपिता परमेश्वर उनको अपने चरणों में जगह दें.
हार्दिक श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंguruwar ko hardik shradhanjali........
जवाब देंहटाएंpranam.
ब्लाग जगत का कबीर चला गया, विनम्र अश्रूपूरित श्रद्धांजलि.
जवाब देंहटाएंरामराम.
हार्दिक श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंशुक्रवार --चर्चा मंच :
चर्चा में खर्चा नहीं, घूमो चर्चा - मंच ||
रचना प्यारी आपकी, परखें प्यारे पञ्च ||
डा. अमर कुमार जी के चले जाने से जो शून्य उत्पन्न हो गया है...वो कभी भर नहीं पायेगा और उनकी कमी हमेशा खलेगी..
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजलि
अश्रूपुरित श्रद्धांजली.
जवाब देंहटाएंडाक्टर जी हमेशा जीवित रहेंगे अपनी रोचक टिप्पणियों के माध्यम से ... हमारी विनम्र श्रधांजलि है उनको और इश्वर से प्रार्थना है की परिवार को ये दुःख सहने की शक्ति दे ..
जवाब देंहटाएं"तुम्हारी कब्र में मैं दफन हूँ तुम मुझमें जिन्दा हो,
जवाब देंहटाएंकभी फुरसत मिले तो फातहा पढनें चले आना"
डॉ0 साहब का जाना दुखद है.लेकिन कुछ लोग दुनिया से जाकर भी नहीं जाते हैं,सबके दिलों में बस जाते हैं.ऐसा ही कुछ उनके मामले में भी है. वे अपनी रचनाओं के माध्यम से हमसब में बस गए हैं.मैं उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ.।
shayad pahli baar ihari put nahi hai bhasha me , par samvedanshil kawita . aapko badhai !
जवाब देंहटाएंBahut badhiya aur anukool rachna se ru-b-ru karaya aapne.
जवाब देंहटाएंVinamr shraddhanjali.
बहुत अच्छे इंसान को खो देना बहुत दुखदायी है।
जवाब देंहटाएंकैसे-कैसे लोग रुख़सत कारवां से हो गये
कुछ फ़रिश्ते चल रहे थे जैसे इंसानों के साथ।
डा.साहब को मैं नही जानती पर आपने उनके लिये जो कहा है उसे पढ कर न जानने का खेद है । उनके लिये हार्दिक श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंडाक्टर साहब से अपना शायद एकतरफ़ा ही परिचय था, लेकिन उनकी विद्वता, असहमति के बावजूद अपने विचार रखने की उनकी स्टाईल और सेंस ऑफ़ ह्यूमर आदि आदि बहुत कुछ उन्हें एक आईकन बनाते हैं।
जवाब देंहटाएंएक जगह एक कमेंट में उन्होंने एक लाईन लिखी थी, "यहाँ पर भट्टा-पारसौल बनाने का क्या मतलब?" मुझे कई दिन तक याद कर करके हंसी आती रही थी।
कई जगह तो सिर्फ़ उनकी टिप्पणी पढ़ने के लिये ही अपन जाते रहे।
विनम्र श्रद्धांजलि।
श्रेष्ठ रचनाओं में से एक ||
जवाब देंहटाएंबधाई ||
अमर जी को सच्ची श्रद्धांजली यही होगी कि उन्होंने ब्लागिंग में जो प्रतिमान स्थापित किए हम सब उनका अनुकरण करें।
जवाब देंहटाएंहार्दिक श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रधांजलि ...
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजलि...
जवाब देंहटाएंबेहद दुखद घटना...हिंदी ब्लॉग परिवार की भारी क्षति!
जवाब देंहटाएंतुम मुझमें जिन्दा हो-बिलकुल ! ऐसी शख्सियतें कहाँ अशेष होती हैं !
जवाब देंहटाएंहार्दिक श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंडॉ.अमर कुमार जी को विनम्र श्रद्धांजलि !
जवाब देंहटाएंवाह!बहुत खूब लिखा है आपने! मन की गहराई को बहुत ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है!
जवाब देंहटाएंभगवान उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे
जवाब देंहटाएंडॉ. अमर कुमार हमारे दिलों में अमर रहेंगे।
जवाब देंहटाएंउन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।
bemisaal hai.......
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंडॉक्टर अमर कुमार जी को विनम्र श्रधांजलि!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
हार्दिक श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंनिदा साहब की शानदार नज्म पढवाने का शुक्रिया।
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कसौटी पर शिखा वार्ष्णेय..
फेसबुक पर वक्त की बर्बादी से बचने का तरीका।
डा. अमर कुमार जी को विनम्र श्रधांजलि !
जवाब देंहटाएंआज डा.साहब की तेहरवीं हैं।
जवाब देंहटाएंवे अद्भुत इंसान थे। बेहतरीन! उनकी याद को नमन!
हार्दिक श्रद्धांजलि .
जवाब देंहटाएंसादर