बचपन में जब नॉवेल पढते थे, तब दिमाग में कहानी के साथ-साथ एगो अउर बात चलता रहता था. हर उपन्यास के साथ सोचते जाते थे कि बड़ा होकर जब ई उपन्यास पर हम सिनेमा बनाएंगे, तब ई रोल में बिनोद खन्ना को लेंगे, इसके लिए सर्मीला टैगोर को, इसमें प्राण फिट नहीं होंगे, इसलिए जीवन को रखेंगे. गाना कहाँ-कहाँ होगा अउर उसका सूटिंग कहाँ किया जाएगा, सब दिमाग में बैठाते जाते थे. ई वाला गाना गंगा जी में नाव पर अउर ई वाला इलाहाबाद में संगम किनारे, किला वाला साइड पर, ताकि गाना के समय जमुना के पुल से गुजरने वाला गाड़ी भी देखाई दे. फाइट सीन गोलघर के ऊपर, जहाँ से कैमरा का एंगिल अइसा हो कि पूरा पटना देखाई दे अउर लगे कि आसमान में फाईट हो रहा है. जब उपन्यास खतम होता, तब जाकर हमरा सिनेमा भी कम्प्लीट हो जाता.
एगो अउर बिचित्र बिचारा आता था दिमाग में. मने मन अपने फेवरेट कलाकार का इंटरव्यू करते थे. दूगो दोस्त मिलकर सवाल बनाते थे अउर सोचते थे कि कभी मौक़ा मिलेगा त पूछेंगे ई सब सवाल. तब तो ई भी नहीं पता था कि बड़ा लोग का इंटरव्यू भी प्रायोजित होता है कि एही सब सवाल पूछना है अउर ओही सब जवाब मिलना है. कॉलेज में जाने परभी ई बीमारी नहीं छूटा. एही चक्कर में अपना दोस्त प्रमोद के साथ मिलकर पन्द्रह-बीस सवाल का एगो लिस्ट बनाए. फैसला हुआ कि इंटरव्यू करना है फणीश्वरनाथ “रेणु” जी का. राजेंदर नगर में रहते थे, हमरे घर से जादा दूर नहीं था उनका घर. ऊ आदमी भी बहुत सादा किसिम के थे. सोचे कि उनसे मिलेंगे, बतियाएंगे, मन का सब संदेह दूर करेंगे अउर लौट आयेंगे. दुनो दोस्त तैयार भी हो गए थे. मगर कोनो न कोनो बहाना से बात पेंडिंग होता चला गया. अउर एक दिन पता चला कि “सो गया सोने का कलम वाला हीरामन” (रेणु जी के मृत्यु पर ‘धर्मयुग’ में एही सीर्सक से लेख छापा था). जिन्नगी में सायद पहिला बार बहुत दुःख हुआ था कोनो सपना टूटने पर. कारन ई भी था कि रेणु जी को हम मन से पसंद करते थे.
आज भी केतना बार कोई उपन्यास या कहानी पढते समय अइसने बिचार मन में आ जाता है. केतना बार त लगता है कि फलाना कैरेक्टर त हमसे बढ़िया कोनो करिये नहीं सकता है. मगर जाने दीजिए, अब त दिल के बहलाने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है.
हमारी बिटिया रानी को तो साहित्य से कोनो लेना-देना नहीं है अउर संगीत भी ‘पाश्चात्य’ सुनने का बीमारी है. इस्कूल में हिन्दी का प्रोजेक्ट मिल गया कि अपने पसंदीदा व्यक्ति का साक्षात्कार करो. परेसान होकर लगी चिल्लाने, “ये भी कोइ प्रोजेक्ट है. मैं नहीं करूंगी. मेरा पसंदीदा व्यक्ति है फुटबाल खिलाड़ी आर्शाविन, तो क्या मैं उसका इंटव्यू लूं जाकर!” मैंने कहा, “नहीं लिखोगी तो नंबर कट जायेंगे. चलो अपने मन से सवाल बनाकर आर्शाविन से ही या किसी और से पूछ लो और उसके जवाब लिख दो. जवाब तो तुमको पता ही है. बस सवाल-जवाब के रूप में लिखकर टीचर को दिखा दो.”
ऊ बोली, “जब सब झूठ-मूठ ही करना है तो कुछ और नहीं दे सकती थीं प्रोजेक्ट.”
“अब टीचर से तो पूछा नहीं जा सकता ना. जब वो खुद चाहती हैं कि तुम मनगढंत इंटरव्यू लिखो, तो लिख दो.”
“नहीं! मैं झूठ-मूठ नहीं लिखूंगी!! अच्छा डैडी, मैं अपनी पसंद के लेखक का इंटरव्यू तो लिख सकती हूँ ना?”
“हाँ! पर किसका लिखोगी.” हम तो खुद चौंक गए थे कि हमारी बेटी का कोनो पसंदीदा हिन्दी लेखक भी है.
“इंटरनेट पर हिन्दी में लिखे जा रहे ब्लॉग में मेरा सबसे पसंदीदा ब्लॉग है – चला बिहारी ब्लोगर बनने. इसके लेखक हैं सलिल वर्मा. आज मैं प्रस्तुत करने जा रही हूँ उनके साथ किये गए साक्षात्कार का एक अंश.”
हम त हैरान हो गए. न झूठ बोलना पड़ा उसको, न नकली इंटरव्यू छापने का झंझट. माना कि हम कोनो सेलेब्रिटी नहीं हैं, न हमरा अखबार अउर टीवी में इंटरव्यू छपता है, न हमको कोइ जानता है, मगर हमरी बिटिया रानी त आज हमको सच्चो सेलेब्रिटी बना दी.
जवाब देंहटाएंइस इंटरव्यू हम बिटिया के कैमरामैन बनने को तैयार है , जरा बता देना बच्ची को सलिल बाबू ...
शुभकामनायें आपको !
ये तो अच्छा है कि उसने झूठ नहीं लिखा और भले ही फूटबाल में दिलचस्पी हो पर उसके विकल्प में साहित्य है यही कम है और स्व-पिता रचित लिखने से तो बेहतर है स्व-पिता 'पूछित' साक्षात्कार जो कि नि:संदेह एक सेलिब्रेटी हो या न हो पर की लोगों के पसंदीदा तो हैं...संयोग से मेरे भी...
जवाब देंहटाएंcellibriti ji main kab interview lene aau jara appointment dijiyega. plssssssssssss.
जवाब देंहटाएंhan aaj office me ek colleague se behas ho rahi thi vo aap hi ki bhasha bolta hai...apka lekh padh kar office ki baat yaad aa gayi...vo spasht ko hindi me ispasht bol rahe the aur ham the ki unki leg pulling karne ke mood me usse spasht bulwana chaah rahe the aur spasht aur ispasht(aspasht) ka antar bata rahe the...tab un se koi jawab nahi ban pada lekin vo adiyal apni galti na maan kar khud ko theek karar diye ja rahe the. mana ki unki bhasha school ko ischool (jaisa ki aapne bhi likha) aur spasht ko ispasht bolne wali hai...lekin aap bataiye ke sahi kaun?
@ अनामिका जी!
जवाब देंहटाएंइस प्रश्न का उत्तर मेरे छोटे भाई मनोज कुमार (राजभाषा हिन्दी) बेहतर दे सकते हैं. वास्तव में हम जब तक भाषा और बोली का अंतर नहीं समझेंगे तब तक यह समस्या आती रहेगी.
पिछले दिनों चंडीगढ गया था किसी काम से. मेरे एक सहकर्मी बता रहे थे,"ओ जी! क्या बताऊँ.. सटेशन से सकूटर सटाट ही किया था कि बारिश आ गयी."
बस यही उत्तर है मेरा इस्पष्ट और इस्कूल के लिए!!
ज़रा एक जनमत संग्रह करवा के देख लीजियेगा ... एकदम छुपे रहते है उसके बाद भी ... कितने लोकप्रिय है आप इस ब्लॉग जगत में ... और निजी ज़िन्दगी की तो मैं क्या कहूँ ... जो भी मिलता है आपसे ... फैन बन ही जाता है !!
जवाब देंहटाएंउस इंटरव्यू को एक पोस्ट का रूप जरुर दीजियेगा ... इंतज़ार रहेगा !
बेटी ने सेलिब्रिटी नहीं बनाया ...बेटियों के लिए पिता सेलिब्रिटी ही होते हैं ...
जवाब देंहटाएं“इंटरनेट पर हिन्दी में लिखे जा रहे ब्लॉग में मेरा सबसे पसंदीदा ब्लॉग है – चला बिहारी ब्लोगर बनने. इसके लेखक हैं सलिल वर्मा. आज मैं प्रस्तुत करने जा रही हूँ उनके साथ किये गए साक्षात्कार का एक अंश.”
अब इस साक्षात्कार का अंश पढने की ख्वाहिश है ...
कल्पना और हक़ीकत का विवेचन!!
जवाब देंहटाएंवह पूरा साक्षात्कार पढना चाहेंगे। बिटिया के तीखे प्रश्न और बगलें झांकते चलाबिहारी के विश्वविख्यात लेखक सलिल जी। :)
सही चुनी है झूमा ......प्रोजेक्ट तो घर में ही न पूरा किया जाता है ....हा हा
जवाब देंहटाएंसंगीता जी से सहमत हूँ , बेटियों के लिए उनके माता - पिता हमेशा हर हाल में सेलिब्रिटी ही होते हैं ....बेटियों का लगाव पिता से ज्यादा होता है ..
जवाब देंहटाएंआजकल मेरी बेटियां भी बड़े गर्व से बताती हैं कि उनकी मम्मी ब्लॉगर हैं :)
कैसा रहा इंटरव्यू, मैडम की प्रतिक्रिया, कैसा महसूस हुआ आपको.
जवाब देंहटाएं@राहुल सिंह जी:
जवाब देंहटाएंआज कल शिक्षक त्वरित प्रतिक्रया नहीं देते. पुस्तिका रख ली गयी है, समयानुसार अंक सूचित कर दिए जाएंगे. हो सकता है किसी गुमनाम लेखक के साक्षात्कार को शिक्षिका द्वारा झूठा भी समझ लिया जाए, क्योंकि बिटिया ने किसी सच्चे इंसान का झूठा इंटरव्यू नहीं लिया. खैर, परिणाम जो भी हो, अपने दो इंटरव्यू (जिनकी चिप्पियाँ लगा रखी हैं) से बेहतर रहा यह साक्षात्कार..मुझे तो वही अनुभव हुआ जो बाबा भारती को अपने घोड़े सुलतान को देखकर होता था.
कहते हैं होनहार बिरवान के होत चीकने पात..हम तो यही कामना करते हैं कि.बिटिया उनके साक्षात्कार भी ले जिन्हें यह दुनिया तथाकथित रूप में सेलेब्रेटी कहती है।
जवाब देंहटाएं*
हां यह जिज्ञासा तो अपनी भी है कि आखिर सवाल क्या पूछे गए। और अब तक न पूछे गए हों तो बिटिया से कहिए कि जरा पूछ ही डाले।
nice post.
जवाब देंहटाएं:) :)
जवाब देंहटाएंआप तो हमारे लिए भी सेलिब्रिटी ही है
जवाब देंहटाएंबिटिया का इंटरव्यू जरूर पोस्ट करना हमें इन्तेजार रहेगा
सलिल जी एक बार मेरे बेटे को एक लेख लिखना था... अपने पसंदीदा व्यक्ति पर... उसने मुझ पर लिखा और उसके लेख की अंतिम पंक्तिया थी... "East or west, my papa is the best. No one can take his place in our life.".... बच्चों के सच्चे सेलिब्रिटी हो हमी होते हैं...
जवाब देंहटाएंmuझे तो वही अनुभव हुआ जो बाबा भारती को अपने घोड़े सुलतान को देखकर होता था.......
जवाब देंहटाएंbhaiji......chotu ko kabhi o anubhav ka sansmaran
jaroor sunayenge.........
pranam.
बहुत ही सधे शब्दों में कह डाला आपने, आपके लेखन की यही विशेषता है कि पता नही चलता, आमने सामने बैठे हैं या आलेख पढ रहे हैं, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम
सलिल जी धन्यवाद इस पोस्ट से प्रेरणा देने के लिए याद दिलाने के लिए कि कुछ सपने समय रहते पुरा कर लेना चाहिए नहीं तो -----------
जवाब देंहटाएंबच्चों के लिए उनके माता -पिता ही रोल माडल
जवाब देंहटाएंहोते हैं ,सही निर्णय है ,इसे पोस्ट जरूर कीजिएगा |
पोस्ट तो बड़ी जल्दी ख़त्म हो गयी....मैं तो बिटिया के सवाल और आपके बँगलें झांकते जबाब {सॉरी,अगर बुरा लगे तो..:)} का इंतज़ार कर रही थी...:)
जवाब देंहटाएंघर में जब ,नया -नया हैण्डीकैम आया था तो मेरे पांच वर्षीय बेटे ने मेरा इंटरव्यू लिया था और बिलकुल प्रोफेशनल अंदाज़ में पहला सवाल पूछा था,'क्या आप अपने बच्चों को डाँटती -मारती हैं?" और मैं पहले सवाल पर ही अ अ करती अटक गयी थी...:)
अगली पोस्ट में पूरी इंटरव्यू पोस्ट कीजिए...:)
nice post.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लगा! बच्चों के लिए माता-पिता से बढ़कर कोई नहीं होता है ! आप सबके लिए सेलेब्रिटी हैं ! उम्मीद करती हूँ कि आपकी बेटी का इंटरव्यू अगले पोस्ट पर पढ़ने को मिलेगा!
जवाब देंहटाएंNice idea Jhooma.सेलिब्रेटी कि बेटी के साक्षातकार से कृपया हमें भी अवगत करायें!
जवाब देंहटाएंinterviewaa kahiya aayega ji, hamsab intzar kar rhe hain celibrity ji !
जवाब देंहटाएंअभी त आधे पढ़े हैं। त एगो बात मन में आ गया, उसको बांट लेते हैं, फेर आगे पढ़ा जाएगा।
जवाब देंहटाएंहमलोग भी इ सिनेमा-उनेमा को लेकर खूब खेला करते थे। केतना इस्टोरी लिख देते थे। सब कुच्छे दिन में फ़ुस्स हो जाता था। लेकिन एक चीज़ जो आकार लेता था ऊ था हमरा सब का ‘ढिशूम-ढिशूम’ खेला। खूब खेलते थे। कोई हीरो बनता था त कोई विलेन। हमरा त नामो था मनोज कुमार और कामो उसी के जैसन। उसको तो मारो-पीट करने के लिए एगो साइड हीरो का ज़रूरत पड़ता था।
बाक़ी फेर आ गए हैं।
जवाब देंहटाएंबचिया को आसीस अउर इहे कामना है कि एक दिन ऐसा अबेगा कि उस समय का जो सेलिबरेटी पत्तरकार होगा ऊ उसका इंटरभिऊ लेबेगा ... देखिएगा।
ee celebrity se mil to lebe kiye hain, par sachche me ek baar mauka mile aaar kahin chhap wap jaye to lage haath inka interview ham bhi laiye lete:)
जवाब देंहटाएंek dum se bade bhaiya aapka muskuraya hua chehra samne aa gaya :)
होशियार सलिल भाई!!
जवाब देंहटाएंकुछ तीखे सवाल मै झूमा को आपसे पूछने के लिये देने जा रहा हूं ;)
हमारे लिए तो आप भी सेलेब्रिटी हैं, सलिल जी।
जवाब देंहटाएंबिटिया ने एकदम सही सुझाव दिया।
छत्तीसगढ़ी में एक लोकोक्ति है-
जइसन-जइसन दाई-ददा तइसन ओकर लइका
जइसन-जइसन घर-दुवार तइसन ओकर फइरका
@हमारी बिटिया रानी को तो साहित्य से कोनो लेना.देना नहीं है
मैं सोचता हूं- बिटिया को साहित्य की अच्छी समझ है।
ha.ha.ha. maar hi diya aakhir chauke pe chhakka....goood hai ji. :)
जवाब देंहटाएंसलिल जी!!!हम तो कैमिस्ट्री की बात सोचे थे...आप सेलेब्रिटी पर पहुंच गए। आप को पढ़ते हुए अक्सर ख्याल आता है कि आपकी याददास्त बहुत अच्छी है,अब देखिए न रेणु जी के दिवगंत होने पर धर्मयुग में छपे लेख का शीर्षक तक आप को याद है। सचमुच आप एक अच्छे लेखक के साथ एक अच्छे पाठक भी हैं। जिन लेखकों को आपने पढ़ा वे धन्य हुए। सेलेब्रिटी तो आप हैं ही...ब्लॉग जगत में कौन है जो आपको और आपकी बिटिया झूमा को कौन नहीं जानता। अब देखिए बिना बताए,वाणी जी ने आपकी बिटिया का नाम लिया। उम्मीद करता हूँ कि झूमा बिटिया ने बहुत अच्छे सवाल किए होंगे और आपको भी उनका जवाब देते हुए आनंद आया होगा। क्योंकि यह इन्टरव्यू बिलकुल भी प्रायोजित नहीं था। सवाल भी दिल की गहराई से निकले होंगे और जवाब भी। तो अब इंतजार किस बात का उस इन्टरव्यू को अन्य लोगों के साथ हमें भी पढ़ा ही डालिए। उम्मीद करता हूँ अगली पोस्ट इसी इन्टव्यू की होगी।
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंji behad umdaa lagaa behtar likhaawat man ko chulene waalaa lekh hai ......
जवाब देंहटाएंजुग-जुग जियो बिटिया रानी! आपने तो हमरे मन की बात न सिर्फ़ कही बल्कि करके दिखा दी, शाबाश!
जवाब देंहटाएंबचपन में कुछ पढ़ते हुए हम भी ऐसा ही सोचते थे .... बिटिया तो बहुत आगे जा रही है
जवाब देंहटाएं“इंटरनेट पर हिन्दी में लिखे जा रहे ब्लॉग में मेरा सबसे पसंदीदा ब्लॉग है – चला बिहारी ब्लोगर बनने. इसके लेखक हैं सलिल वर्मा. आज मैं प्रस्तुत करने जा रही हूँ उनके साथ किये गए साक्षात्कार का एक अंश.”
जवाब देंहटाएंaapki beti ki sachchi soch auron ke liye prerna hai.....use hamaari or se shabashi zaroor de dijiyega.apne likha bhi behad manoranjak tareeke se hai......so aapko bhi badhayee.
बधाई हो जी... बिटिया ने साक्षात्कार लिया है... अब तो मिठाई बनती है...
जवाब देंहटाएंऔर हाँ अगली पोस्ट में हम वो साक्षात्कार पढना चाहेंगे...
बहुत रोचक रही साक्षात्कार की भूमिका। नम्बर मिल जाने के बाद साक्षात्कार को अवश्य प्रकाशित करें। साहित्यिक फुटबाल का इंटरविउ पढ़ने की उत्कंठा अभी से हो रही है। आपने मनोवृत्तियों का अच्छा चित्रण किया है। साधुवाद।
जवाब देंहटाएंसेलिब्रेटी तो आप हैं ही, इसमें मुझे तो लेशमात्र भी संदेह नहीं :)
जवाब देंहटाएंबिटिया समझदार है। अब उसका इंटरव्यू भी तो पढ़वाया जाये सेलेब्रिटी जी! :)
जवाब देंहटाएंगजबे होइ गया.. हम त इंटरव्यू के चक्कर में रहे कि जरा देखे कौन कौन सा सवाल पूछा गया.
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी पोस्ट ... पढकर बड़ा अपनापन सा लगा .. पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ , आपका fan हो गया हूँ.
जवाब देंहटाएंबधाई
आभार
विजय
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
बहुत बढ़िया लगा
जवाब देंहटाएंमुला ऊ इन्तर्व्यूआ है कहाँ ? जला हम भी तो पल्ह लें!:)
जवाब देंहटाएंआपका इंटरव्यू पहले पढ़ा उसके पीछे का किस्सा अब पढ़ रहे हैं ,
जवाब देंहटाएंबहुत बड़ी सेलिब्रिटी है आप ...
सादर