बात बहुत पुराना है.
केतना पुराना इयाद नहीं, हाँ एतना बता सकते हैं कि तब हस्पताल का माने नर्सिंग होम
नहीं होता था अऊर पोस्ट-ऑफिस का मतलब गलीये-गली खुला हुआ कोरियर पिक-अप प्वाइण्ट
नहीं होता था. सुरच्छा के नाम पर पुलिस के जगह हाथ में लाठी लिये हुए मरियल
चौकीदार नहीं होता था अऊर बिजली अम्बानी साहब के एहाँ से नहीं आता था. इस्कूल में एडमिसन
होने पर फीस लगता था, फीस लेकर एडमिसन नहीं होता था. त अब एही से अन्दाजा लगा
लीजिये कि बात केतना पुराना है.
पी. एम. सी. एच.
(पटना मेडिकल कॉलेज एवम हस्पताल) में एगो आदमी अपना गोड़ में पट्टी बाँधे ड्रेसिंग
करवाने आया हुआ था. कम्पाउण्डर पहिले ऊपर वाला पट्टी खोला, फिर घाव के ऊपर रखा हुआ
रूई हटाने लगा. ऊ रूई घाव में सटा हुआ था. कम्पाउण्डर जैसे हाथ बढ़ाया, ऊ अदमी झट
से उसका हाथ पकड़ लिया. कम्पाउण्डर हाथ छोड़ाकर दोबारा हाथ बढ़ाया, दोबारा ओही हाल.
अंत में ऊ गुसियाकर बोला, “आप हमको पट्टी हटाने दीजियेगा कि नहीं!”
”कम्पाउण्डर साहब! बहुत दरद करता है!”
”अरे ठीक हो गया है घाव, अब दरद नहीं करेगा!”
”आप का समझियेगा. दरद त हमको न हो रहा है! तनी
आराम से हटाइये!”
”ठीक है!” एतना कहने के साथ कम्पाउण्डर धीरे से हाथ बढ़ाया
अऊर एक बार में झटका के साथ पूरा पट्टी उतार दिया. ऊ अदमी “अरे बाप” किया, मगर तुरत
नॉर्मल हो गया.
”देखिये, कुछ बुझाया आपको! बार-बार हाथ धर लेते
थे. आपका बात सुनते त दिन भर आपही के पट्टी में लगे रहते अऊर भर दिन आप ड्रेसिंग करने
नहीं देते!”
ई जिन्नगी भी अइसहिं
एगो घाव के तरह है. कऊन अदमी है एहाँ जिसका देह अऊर मन पर कोनो जखम लिये नहीं
घूमता है. केतना बार त घाव भर जाता है मगर उसका निसान रह जाता है. बाकी निसान के
कारन कोई जिन्नगी त नहिंए जीना छोड़ देता है. निसान के ऊपर मन्नू भाई के जइसा रिस्ट
बैण्ड लगाया अऊर जिन्नगी के टेनिस कोर्ट पर जम गये.
साल 2013 भी
जाते-जाते बहुत सा खराब खबर सुना गया. कुछ खबर मन को झकझोर के रख दिया और मन पर
गहरा जखम छोड़ गया. एगो साथी कह भी रहे थे कि ई साल बहुत खराब बीता है. का मालूम
अगिला साल अच्छा रहे. हम उनको निर्भया वाला घटना इयाद कराये अऊर बोले कि 2012 में
भी आप एही कहे थे. हमको भी अपने गुरुजी श्री के. पी. सक्सेना के निधन का बहुत
अफसोस हुआ अऊर अभी जाते-जाते अभिनेता फारुख सेख साहब के इंतकाल का भी ओतने सदमा
पहुँचा. मगर का किया जा सकता है. जिन्नगी का अपना रफ्तार है.
हम सबलोग जानते हैं
कि गाड़ी में लगा हुआ ‘रियर-व्यू मिरर’ बहुत छोटा होता है, जबकि विन्डशील्ड बहुत
बड़ा. एही से कि जो पीछे छूट गया है ऊ बहुत छोटा है, मगर जो सामने है ऊ पूरा
हाथ फैलाकर स्वागत कर रहा है. अब ‘रियर-व्यू मिरर’ में देखकर गाड़ी त नहिंए
चलाया जा सकता है. के.पी. सक्सेना साहब का कहा हुआ एगो बात आज फिर से हमको
इयाद आ रहा है. लाश का क़फ़न जितनी बार सरकाओगे उतनी बार रुलाई आयेगी!
बस एक बार हिम्मत
करके बीता हुआ साल का जखम के ऊपर से कसकर पट्टी खींच दीजिये. हल्का सा तकलीफ त होगा
बाकी घाव भी धीरे-धीरे भर जाएगा. जो गुज़र गया उसका मातम मनाने से कहते हैं जाने
वाला को भी तकलीफ होता है. देखिए गुलज़ार साहब केतना नीमन बात कहते हैं दर्द के
बारे में:
दर्द कुछ देर ही
रहता है बहुत देर नहीं
जिस तरह शाख से तोड़े
हुए इक पत्ते का रंग
माँद पड़ जाता है कुछ
रोज़ अलग शाख़ से रहकर
शाख़ से टूट के ये
दर्द जियेगा कब तक?
ख़त्म हो जाएगी जब
इसकी रसद
टिमटिमाएगा ज़रा देर को
बुझते बुझते
और फिर लम्बी सी इक
साँस धुँए की लेकर
ख़त्म हो जाएगा, ये
दर्द भी बुझ जाएगा
दर्द कुछ देर ही
रहता है, बहुत देर नहीं!!
त एकबार जो लोग ई बरिस
हमसे बिछड़ गए उन सबके याद के आगे माथा झुकाते हुए, आइये स्वागत करें नया साल का एक
बार फिर ओही उम्मीद से कि ई साल बहुत अच्छा होगा.
फिलिम क्लब 60 में
फ़ारुख सेख साहब का ई डायलाग आज उन्हीं के याद को समर्पित है -
साँसें ज़िन्दगी देती हैं पर जीना नहीं सिखातीं. ये तो वो खेल है, जिसे खेलना
सबको आता ही नहीं. थोड़ी देर से ही सही, सुख और दु:ख की परछाइंयों से मैंने ज़िन्दगी
का क़द मापना छोड़ दिया है. सच कहूँ तो मैंने जीना सीख लिया है.
आप सबके घर-परिवार
के लिये हमरे तरफ से साल 2014 के लिये बस एही सन्देस –
ज़िन्दगी फूलों की नहीं,
"केतना बार त घाव भर जाता है मगर उसका निसान रह जाता है. बाकी निसान के कारन कोई जिन्नगी त नहिंए जीना छोड़ देता है. निसान के ऊपर मन्नू भाई के जइसा रिस्ट बैण्ड लगाया अऊर जिन्नगी के टेनिस कोर्ट पर जम गये. "
जवाब देंहटाएंचलिये एक एक रिस्ट बैण्ड चढ़ा कर हम लोग भी मैदान मे डट जाए ... :)
नए साल की हार्दिक मंगलकामनाएँ स्वीकार करें |
ज़िन्दगी फूलों की नहीं,
जवाब देंहटाएंफूलों की तरह, मँहकी रहे!
खूबसूरत सन्देश के साथ आपने भावपूर्ण और प्रभावी ढंग से २०१३ को गुड बाए कहा.
शुभकामनाएं
रियर-व्यू मिरर और विन्डशील्ड के द्वारा बहुत बड़ी बात ,बड़ी ही सहजता से समझा दिया आपने .....सादर !
जवाब देंहटाएंजुग जुग जीओ
जवाब देंहटाएंहमेशा स्वस्थ्य और खुश रहो
रण में वन में फूलो फलो
नए वर्ष में जिंदगी में उजास ही उजास रहे .....
उमीद तो येहि करते हैं कि नया साल धेरै खुशी लेके आए, वोसे ज़ख़म तो जिनगी का पर्यायवाची शब्द है, ऊ तो मिलता ही रहता है अऊर मिलता ही रहेगा, लेकिन अगर ओहि ज़ख़म के ऊपर मलहम भी बराबर से मिलते रहे तो जिनगी आसान बुझाने लगता है....
जवाब देंहटाएंसही कहा भाई !!!
जवाब देंहटाएंसुनहरे मंगलकामनाएं भविष्य के लिए !
ऐसी पोस्ट के लिए तो फेसबुक से आपकी विदाई सर माथे पर। हाँ लिंक जरूर लगा दीजिएगा फेसबुक में ताकि सभी पढ़ सकें।..हृदयस्पर्शी पोस्ट।
हटाएंकम्पाउंडर की तरह रोज झटके से पट्टी उतारते हैं, आगे चलते भी जाते हैं बिना लड़खड़ाए - लेकिन !!!
जवाब देंहटाएंनया साल आपको आशीर्वाद देता है इतनी अच्छी बात कहने के लिए
बहुत खूब ,हमसब अपने अपने दर्द लेकर जीते है और फूलो कि तरह मुस्कुराते है।
जवाब देंहटाएंराम राम।
"ई जिन्नगी भी अइसहिं एगो घाव के तरह है. कऊन अदमी है एहाँ जिसका देह अऊर मन पर कोनो जखम लिये नहीं घूमता है. केतना बार त घाव भर जाता है मगर उसका निसान रह जाता है. बाकी निसान के कारन कोई जिन्नगी त नहिंए जीना छोड़ देता है."
जवाब देंहटाएंसच है...!
बहुत शुभकामनाएं!
आपकी कलम सतत चलती रहे...
सादर!
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जवाब देंहटाएंअब हम का कहीं सलिल भाई ! ज्ञान के मामला में आप अगर "विंड स्क्रीन" हई त हम "रियर मिरर-- ( नामौ theek से लेना नही आ रहा ) लेखा एकदम छुटकन्ने हयीं … बाकी जो कब्बों गाड़ी बैक कइला के होखे त छोटकवे सीसा बचावला --- फारूख भाई के हमहूँ बहुतै पंखा (फैन) रहलीं |
जवाब देंहटाएंहम हर ऊ मनई क फैन हयीं जेहमें बनावट न हो ( आपौ एही लिस्ट में हईं )
बाकि हमाराके केहू के डायलाग नाही हाँ अमिताभ के एक गो गाना याद आई रहल बा -
हमरी बाति के मानी दू
जौन निम्मन लगे ओके लग्गे राखीं
जॉन बाउर लगे- ओके जाये दीं
( मतलब इहै रहल )
रउआ नवको बरस में अइसही जिउ जुड़ावै वाला लिखत रहीं, दुइ अच्छर
अंगरेजिया हमहूँ जानेली सो Wish U A Very Happy New Year
हमारी ज़िन्दगी का इस तरह हर साल कटता है
जवाब देंहटाएंकभी गाड़ी पलटती है ,कभी तिरपाल कटता है
बस ऐसेहिये जिनगी कट जाता है।
आपको भी 2014 के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं!
"नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें"
जवाब देंहटाएं@बस एक बार हिम्मत करके बीता हुआ साल का जखम के ऊपर से कसकर पट्टी खींच दीजिये. हल्का सा तकलीफ त होगा बाकी घाव भी धीरे-धीरे भर जाएगा. जो गुज़र गया उसका मातम मनाने से कहते हैं जाने वाला को भी तकलीफ होता है.
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा है !
एक पल आता है
जवाब देंहटाएंएक पल जाता है
एक पल हंसा जाता है
एक पल रुला जाता है
जीवन की पाटीपर
कभी खुशियों के
कभी गम के रंग
भरकर दिवस एक
बित जाता है
वर्ष एक बित
जाता है …
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
सुख-दुख की परछाइंयों से परे जिन्दगी को जीना ही सही मायनों में जीना है ।काश कि ऐसा हर कोई कर लेता । मन को भिगो गई यह पोस्ट । नववर्ष आपको मंगलमय हो ।
जवाब देंहटाएंएकदम सच कहा वर्मा जी। नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंहो जग का कल्याण, पूर्ण हो जन-गण आसा |
जवाब देंहटाएंहों हर्षित तन-प्राण, वर्ष हो अच्छा-खासा ||
शुभकामनायें आदरणीय
Aapke liye bhi chacha wahi sandesh de rahe hain...
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी फूलों की नहीं,
फूलों की तरह, मँहकी रहे!
Pranaam chacha ! :)
हम 1947, 1962, 1971 आदि क्यों याद रखते हैं, क्योंकि इन वर्षो में वि
जवाब देंहटाएंशेष घटनाएं हुई थी। इसलिए साल अच्छा और बुरा नहीं होता, बस हम मनुष्य सालों को अच्छा या बुरा बनाते हैं। इसलिए प्रतिज्ञा लेनी चाहिए कि हम वर्ष 2014 को यादगार साल बनाएंगे।
@साँसें ज़िन्दगी देती हैं पर जीना नहीं सिखातीं. ये तो वो खेल है, जिसे खेलना सबको आता ही नहीं. थोड़ी देर से ही सही, सुख और दु:ख की परछाइंयों से मैंने ज़िन्दगी का क़द मापना छोड़ दिया है. सच कहूँ तो मैंने जीना सीख लिया है......
जवाब देंहटाएं....................
....................
pranam.
कहा ही गया है..."बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले '
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !!
.... Jakhm itane mile hai ki har jakhm apna sa lagane laga hai ab .....mujhe der lagati hai magar sahala kar jakhm ko Nasoor nahi banne detee .............. aapki wapasi achchi lagee .....
जवाब देंहटाएंजिंदगी है तो दर्द है.... दर्द के साथ जीना सीखना होगा... बहुत बढ़िया कहे जिंदगी फूलो कि नहीं फूलो कि तरह महकी रहो.... नए साल के लिए बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ .....!!!
जवाब देंहटाएंनए साल की मंगल कामना
जवाब देंहटाएंनचिकेता
khush rahiye.......blog par rahiye ya facebook par rahiye......
जवाब देंहटाएंरात गई बात गई अब देखे २०१४ में क्या क्या होता है ...!
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए...!
RECENT POST -: नये साल का पहला दिन.
२०१३ की बिदाई और २०१४ का स्वागत इससे बेहतर नहीं पढ़ा अभी तक ... सच है की आगत का स्वागत मधुर बातों को याद कर के होना चाहिए ... आनाजाना तो चलेगा इस श्रृष्टि में ...
जवाब देंहटाएंरिस्ट बेंड लगाइये और आगे चलिए :)
जवाब देंहटाएंएक पल ख़ुशी का ,एक है ग़म का
जवाब देंहटाएंबहुत सारे इन पलों के बीच ही जीवन है।
नववर्ष की बहुत शुभकामनायें !
साँसें ज़िन्दगी देती हैं पर जीना नहीं सिखातीं. ये तो वो खेल है, जिसे खेलना सबको आता ही नहीं. थोड़ी देर से ही सही, सुख और दु:ख की परछाइंयों से मैंने ज़िन्दगी का क़द मापना छोड़ दिया है. सच कहूँ तो मैंने जीना सीख लिया है.
जवाब देंहटाएंसुंदर संदेश ....यही तो ज़रूरी है ........नववर्ष की शुभकामनायें ...
@गाड़ी में लगा हुआ ‘रियर-व्यू मिरर’ बहुत छोटा होता है, जबकि विन्डशील्ड बहुत बड़ा.
जवाब देंहटाएं@‘रियर-व्यू मिरर’ में देखकर गाड़ी त नहिंए चलाया जा सकता है.
दो तारीख को ही आप की पोस्ट मोबाईल में पढ़ ली , तब से आप की फिलॉसपी चुरा कर ( बताने के बाद डकैती की श्रेणी में आ जाता है ) दुसरो को ,( हर समय ट्रेजडी क्वीन बनी महिला मित्र , और अगले साल कैसा गुजरेगा की चिंता में मरे जा रहे आलसी लोग ) यही बात समझाने में इतने व्यस्त थे कि टिपण्णी का समय ही नहीं मिल पाया , हा अफसोस जरुर हुआ की एक तारीख को पढ़ लिया होता तो फेसबुक पर देने के लिए अच्छी और सही लाईन थी , खासकर हम भारतीयो के लिए जिन्हे पिछ्ला पकड़ कर सारे जीवन रोने की आदत है , और कुछ को तो इन लाइनो से भी समझाना मुश्किल है , जो कहते है कि विंडशील्ड कितना ही बड़ा क्यों न हो गाड़ी में बैक मिरर तो होता ही है न गाड़ी ठीक चलाने के लिए , अब इसे तर्क कहूं या कुतर्क , हर चीज में रोने वालो को हम कभी भी नहीं समझा सकते है , वो अपने आप को समझाने के लिए नया तर्क खोज ही लेते है ।
जीवन रहेगा तो परेशानियाँ भी रहेंगी ही, जख्म मिलेंगे भी और सिलेंगे भी। हम ये मनाते हैं कि ईश्वर हमें सहन करने की शक्ति देता रहे।
जवाब देंहटाएंनये साल के लिये आपको, आपके परिवार, मित्रों और सहकर्मियों को शुभकामनायें।
बहुत खूब :)
जवाब देंहटाएंनव वर्ष शुभ हो मंगलमय हो !
jay ram ji ki ji :)
जवाब देंहटाएंnav varsh kee shubhkaamnaayen bhi :)
क्या बात है....बहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो
"ई जिन्नगी भी अइसहिं एगो घाव के तरह है. कऊन अदमी है एहाँ जिसका देह अऊर मन पर कोनो जखम लिये नहीं घूमता है. केतना बार त घाव भर जाता है मगर उसका निसान रह जाता है. बाकी निसान के कारन कोई जिन्नगी त नहिंए जीना छोड़ देता है."
जवाब देंहटाएंकैसा कैसा मन कर दिए हे बिहारी बाबू! सिफत यही है कि नए साल पर तुरत नहीं पढ़ा ! कसम से कितना जान मारू लिखते हो मियाँ!
ख़त्म हो जाएगी जब इसकी रसद
जवाब देंहटाएंटिमटिमाएगा ज़रा देर को बुझते बुझते
और फिर लम्बी सी इक साँस धुँए की लेकर
ख़त्म हो जाएगा, ये दर्द भी बुझ जाएगा
दर्द कुछ देर ही रहता है, बहुत देर नहीं!!
...बहुत सही कहा आपने ..बहुत देर कुछ नहीं रहता ...दुःख-दर्द आते जाते हैं रात-दिन की तरह ..
नए साल की हार्दिक शुभकामनाओं सहित सादर!
दादा कितनी सुन्दर बातें कितनी कोमलता से,सरलता से कह दीं आपने....मन भर आया......
जवाब देंहटाएंसच्ची बार बार पढूंगी इस पोस्ट को...उम्मीद है कभी नाउम्मीद नहीं होऊँगी !!
देर से आने के लिए माफी चाहती हूँ...मुझे पता है आप ज़रूर माफ़ कर देंगे <3
सादर
अनु
कितने सरल से शब्दों में अनुपम बात कही आपने .....
जवाब देंहटाएंसादर