बुधवार, 5 मई 2010

गर्व से बोलो कि हम बेनामी हैं!!

आज कल ब्लॉग दुनिया में बड़ा बखेड़ा मचा हुआ है। लोग परेसान है कि बहुत लोग फर्जी ब्लोग बना लिया है। हमरो ब्लॉग पर पहिलके दिन कोई लिख गया था। हमको त बुझइबे नहीं करता है कि ई फर्जी का होता है. हम लोग त फर्जी माने दू नम्बरी बूझते हैं. त इसमें दू नम्बरी कहाँ से आ गया. अब हमको जो समझ में आया है, ऊ हम सूत जी महारज के मुखारबिंद से सुनकर आपको भी सुनाते हैं.

सबसे बड़ा खेला इहाँ नाम का है। जो आदमी अपना नाम लिख दिया, चाहे ऊ फर्जिये नाम काहे न हो, इमानदार माना जाता है. अऊर नाम न लिखला पर बेईमान और दू नम्बरी. अजीब हाल है. हम त समझते थे कि अपना मन का बात कहने के लिए ई जगह से बढ़िया कोनो जगहे नहीं है. लेकिन बतिया सब का कोनो मोले नहीं है. सब खेला है नाम का.

ऊ कहनिया त सुनबे किए होंगे आप लोग बचपन में, एगो राजा का बाल काटते समय उसके माथा पर दूगो सिंग देखाई दे गया. अब ऊ बाल काटेवाला परेसान कि का करे. केकरो बोलेगा, अऊर राजा को खबर लग गया, त मूड़ी कटवा देगा. नहीं बोलता है त उसका पेटे फट जाएगा. बेचारा जंगल में जाके एगो पेड़ के आगे बक दिया.

हम सब एहाँ ओही बिसाल बरगद का पेड़ के नीचे हैं। जरूरी बात एही है कि राजा के माथा पर सिंग है. आदमी का नाम नहिंओ कहिएगा, त बतिया बेनामी नहीं होगा. पेड़ का लकड़ी सारंग़ी, तबला अऊर हरमुनिया के मार्फत भी बात राजा तक पहुँचा देगा.

अब बताइए बेनामी वाला त बतिए खतम हो गया। असली बखेड़ा त नामे से सुरू होता है. बिहार में त नाम बताने के बादे खेला चालू होता है. पूरा नाम बताइए. पूरा नाम बता दिए त धीरे से पूछेंगे कि घर कहाँ हुआ, कौन जात हैं. अब देखिए, एक बार बेनामी से बचने के लिए जो नाम बताया ऊ फँसा. जेतने नाम बताएगा, ओतने झंझट में पड़ेगा ससुरा.

जे आदमी ब्लॉग बनाता है, ऊ कोनो न कोनो आँख,नाक, कान वाला आदमिए होता है, त बेनामी कइसे हो गया, चाहे फर्जी कइसे हो गया! हम जब फर्राटे से अंगरेजी बोलें त हमरा नाम, अऊर बिहारी बोलते बदनाम,बेनामी अऊर फर्जी। बहुत बेइंसाफी है. हम त आज एहाँ से सभे पढने वाला से हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हैं कि अपना माँ बाप का देखभाल कीजिए, घर परिवार को समेटकर चलिए, कोई जरुरतमंद का मदद कीजिए... त हमरा बात आप खाली एही से नहीं मानिएगा कि हमरा ब्लॉग पर हमरा नाम नहीं है. हँसकर गरिया दीजिएगा कि फर्जी आदमी है ई बिहारी काहे मानें इसका बात.

अगर अईसन बात है त हम बेनामीए सही। एही हमरा पहचान है। कोनो दिन दस बजे दिल्ली का सड़क पर निकल कर देखिए अऊर हो सके त अपना एअर कंडीसन गाड़ी का सीसा उतार कर देखिए, आपको रोड पर ढेर सा बेनामी आदमी देखाई देगा. ओही के बीच में हमहूँ नजर आ जाएँगे. खाली देखने अऊर पहचानने वाला नजर चाहिए. प्रनाम!

12 टिप्‍पणियां:

  1. आप बेहतरीन हैं ! आपकी ईमानदारी आपकी पहचान है ! हार्दिक शुभकामनायें !

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  2. "कोनो दिन दस बजे दिल्ली का सड़क पर निकल कर देखिए अऊर हो सके त अपना एअर कंडीसन गाड़ी का सीसा उतार कर देखिए, आपको रोड पर ढेर सा बेनामी आदमी देखाई देगा. ओही के बीच में हमहूँ नजर आ जाएँगे. खाली देखने अऊर पहचानने वाला नजर चाहिए."



    सटीक कहे है भैया जी !!

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  3. भैया एक बात आपसे कह रहे हैं, बुरा मत मानियेगा, ब्लॉग दुनिया में क्या हो रहा है क्या नहीं आप इन सब चक्कर में इतना ज्यादा समय काहे बरबाद कर रहे है, कुछ ऐसा लिखिए की हम लोगन को पढ़ कर मज़ा आये! हमनी के इ सब से कोनो मतलब नहीं है की कौन फर्जी है, फर्जी इंसान या बेनामी भी कुछ अच्छा लिखी तो हम लोगन पढबे करी!

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  4. @nilesh mathur:
    देखिए निलेस बाबू ! आस पास का बात से अँखवो त नहिंए मूँदल जा सकता है. अभी त फस्टे गिअर में है गाड़ी. आस्ते आस्ते सफर का आनंद आएगा, इसका गारंटी है. हम बुरा त कोनो बात का नहीं मानते हैं.

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  5. बहुत सही कहा आपने बिहारी बाबू जी....आप आ गए हैं तो सब भाग जायेगा.

    ____________________
    'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर हम प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती रचनाओं को प्रस्तुत कर रहे हैं. आपकी रचनाओं का भी हमें इंतजार है. hindi.literature@yahoo.com

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  6. dhanyawaad Bihari babu......:)

    Bloggers kee duniya me ham bhi aa hi gaye aapke swagat me.......aakhir ek bihari dusre ko kaise na namaste kare.......:)

    Jahan tak benami hone ka swal hai, to apne photo ko laga dene bhar se blog original nahi ho jata......aapne sahi kaha, har blog ke pichhe kisi original vyakti ki ungli daurti hai, tabki kuchh post ho pata hai......:)

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  7. Bihari babu, ham aapko apne blog pe dekhna chahte the........nirash nahi kijiyega.......waise hamne abhi bas koshish hi shuru ki...hai likhne ki!!

    www.jindagikeerahen.blogspot.com

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  8. आपको समर्पित एक पोस्ट !
    http://satish-saxena.blogspot.com/2010/05/blog-post_07.html

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  9. हम दूसरी बार ई ब्लॉग पर आये हैं, संतोष हुआ जानकार की आप ब्लॉगजगत को समझ रहे हैं...
    अच्छा लेखन के पीछे कोई भी पाठक दौर के आ जाता है. बाकी समस्या टिप्पणी में हो ही जाता है.
    यहाँ कोई ज्ञान का भूखा है तो कोई अपनत्व का. मगर एक बात तय है की नए ब्लोगर को नियमित टिप्पणी देना बहुत जरुरी है. ब्लॉग पर लेखकीय ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत यही है.

    आपके ब्लॉग का टाइटल सुनने में अच्छा लगता है मगर इसका अर्थ मुझे बहुत पसंद नहीं आया... यहाँ सभी टिप्पणीकर्ता लगभग ब्लोगर ही हैं. खैर बिना नाम का ब्लॉग तो हो नहीं सकता अतः नाम भी चाहे कुछ भी जरुरी है. वैसे यहाँ दूकान किसी का बंद नहीं होता.

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  10. @sulabh satrangi:
    सुलभ जी, बहुत बढिया बात कहे हैं आप... लेकिन हमरा मन का टीस एक बार देख लिजियेगा त सीर्सक का मरम जान पाइएगा... वैसे आपका बात भी नोट कर लिए हैं..आप ही लोग अ सुझाव त हमरा रस्ता मज्बूत करता है..धन्यवाद!!

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  11. बेनामी कुछ नहीं होता जी , हम तो आपको 'चला बिहारी ब्लोगर बनने के , नाम से ही चाहते हैं , आप अपना नाम कउनो 'एक्स वाई जेड' रख लीजिए , हम उह्से जानेगे , नाम में क्या रखा है ||

    सादर

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