हई देखिए! हम सोचिए रहे थे कि का लिखें… एगो कमेंटो आया था कि ई सब बतिया छोड़कर कुछ काम का बात लिखिए। लेकिन बुझाइए नहीं रहा था कि का लिखा जाए. हमरा गड़ियो फस्ट गेअर में चल रहा था. अचानके हमरे गुरुदेव आए, बगल में बइठ गए, अऊर ड्राइभिंग इंस्ट्रक्टर जईसा अपना साइड से गड़िया को टाप गेअर में ले गए. अब त हमरे सम्भाले पड़ेगा गाड़ी.
चलिए देखते हैं! आज का दुनिया में सतीस सक्सेना जी का जइसा अदमी बहुत कम पाया जाता है। सच पूछिए त ई साहेब आर. के. लक्ष्मण जइसन काम कर रहे हैं. एगो मामूली अदमी को पूरा देस में बिना बोले एगो पहचान देना मामूली बात नहीं है. हमरा जइसा लोग, जिसका न नाम, न ठेकाना, जे अपने को बेनामी डिक्लियर कर दिया है, का ऊपर पूरा एगो पोस्ट लिख देना अचरज का बात है. पहिले ऊ आम का फोटो वाला दूनो दोस्त का बारे में लिखे, अब हमरा बारे में. ऊ लोग के साथ भी हमरा कोनो मुकाबला नहीं है. हम त बस मन का बात लिखते हैं अऊर खरा बात लिखते हैं. अब पहचान बन रहा है कि नहीं, का पता. आप लोग जईसा पारखी अदमीए बता सकता है.
हमरा परसिद्धी का बारे में सतीस जी का बात सहिए है। लेकिन हम त साधारन लोग हैं, हमको न तो कमेंट का गिनती आता है, न स्थापित होने का लालच सताता है. जे दिन हमरा दोस्त लोग बोल देता है कि बेजोड़ लिखे हो, ऊ दिन हम अपने आप को गुलसन नंदा समझने लगते हैं. अ जे दिन कह दिया कि जमा नहीं, रात भर खाना छोड़कर गलती खोजने में लगा देते हैं.
एगो करेक्सन करना चाहेंगे। ई हमरा बोली को लोकप्रिय बनाने में लालू जी का बहुते बड़ा हाथ था. बाकी ई कमवा ऊ लोग को हँसाने के लिए, अऊर अपना लोकप्रियता के लिए करते थे. खैर, ऊ उनका सोच था, लेकिन इसी कारन ई बिहारी बोली को लोग जोकरई और हँसी का बिसय बना दिया. हम कोसिस कर रहे हैं कि इ बोली को अपना सही इज्जत मिल जाए, बस. लोकप्रिय का बात त हमरे मगजो में नहीं आता है कहियो. अब आप ही देखिए, ई बोली में हमरा बात पढकर, ओकरा बारे में कमेंटवा कोई नहीं देता है, बस मजाकिया बात कर के चला जाता है लोग.
अपनापन, सिस्टाचार और मधुरता का बात करके आप दिल छू लिए, हमरे नहीं दुनिया का सभ्भे बिहारी लोग का। कहबे किए थे हम कि पारखी अदमी चाहिए. अब ई त हमरा प्रदेस का दुर्भाग है कि नालंदा, वैशाली, पावापुरी, पटना साहिब, गया, मधुबनी जइसा जगह का होते हुए भी अशिक्षा का पर्याय बना हुआ है.
अंत में आप सिस्टाचार का बात किए हैं, जिसको सुनकर हमरा आँख में लोर भर गया है। सायद बहुते कम लोग होगा जो ई बात को स्वीकार करेगा. नहीं त आप सब लोग जानते हैं कि जो जगह hospitality के लिए जाना जाता है, उसको hostility के नाम से डिक्लियर कर दिया गया है. हम, अऊर हमरा जइसा न जाने केतना बिहारी दुनिया भर में एही कोसिस में लगा है कि हमरा मातृभूमि के माथा पर जो करिया टीका लगा है ऊ धो सकें.
हमरा पोस्ट पर कमेंट नहीं मिले, हमको तनिको दरद नहीं होता है। बाकी समाज में बिहारी लोग का ऊपर जेतना कमेंट होता है ओही करेजा पर बोझ मालूम होता है.
ई लेयो भाई, पहला कमेंट हमरा झेलो।
जवाब देंहटाएंअपनी पोस्ट पर कमेंट और अपने प्रदेश पर होने वाली कमेंट की बात करके आपने अपनी संवेदनशीलता का परिचय दिया है।
फ़िर से कहता हूं, जब तक आप किसी की मानहानि नहीं कर रहे हैं, बेनामी होने के कारण या किसी प्रांत विशेष से संबंध रखने के कारण होने वाले भेदभाव के विरोध में हम भी आपके साथ हैं।
बढि़या पोस्ट, बधाई।
बहुत ही खूब बिहारी भाई!
जवाब देंहटाएंसतीश जी के ब्लोग पर हम आपके बारे में यही लिखें हैं कि आप मुल्ला नसीरुद्दीन होने वाले हो ब्लोग जगत के, एकदम अप्रत्याशित! और मज़ाक के खोल में कड्वा सत्य कह जाने वाले!
और का हाल बा ? उधेर बिहार का राजनीतिक पारा कैसा बा ? उस पर भी कुछ बतावा आपने आग्ले ब्लोग मा?
भैया मेरे अंहा हम्मर उमर पुछले रहिए आब कोनो हम लड़की थोड़े ही हैं जो इ मे शर्मावेंगे 28 बस ऊ का है की जे पोस्ट पर अंहा सवाल पुछलिए रहिए ऊ पोस्ट के बाद हम आपने जीवन के कर्तव्यों मे कनिए बीजी होगाए थे सो जवाब देने मे लेट होगया ओकर लिए क्षमा करियह। खैर जबाबवा तो आपको मिल गेले है और आपकी बिनम्रता के आगे इ महामूर्खराज नतमस्तक है लिखते रहिय और आपन इ बिहारी भाषा का सम्मान बढ़ाते रहिए।
जवाब देंहटाएंजय बिहार
मेरा विचार है कि किसी लेखक के व्यक्तित्व को जानने के लिए आप उसके ३ - ४ लेख पढ़ लीजिये ! मेरा विश्वास है कि उसका सच्चा व्यवहार समझने में देर नहीं लगेगी ! आपकी पहली पोस्ट से आप एक भले मगर मज़बूत आदमी लगे ! प्रांतीयतावाद और भेदभाव इस देश से हर हालत में मिटना चाहिए ! इसके लिए लेख के माध्यम से आवाज उठाना मानवता और देश की सेवा ही है !
जवाब देंहटाएंएक बात और कृपया गुरु जी न कहें ...मैं अपने आपको इस सम्मान के योग्य नहीं मानता ...हो सके तो दोस्त और भैया कहो उसमे बड़ा प्यार है !
सादर
अब का कमेन्ट दें भैया, शब्दे नहीं है!
जवाब देंहटाएं@satish saxena ji:
जवाब देंहटाएंअब हमसे ई अधिकार मत छिनिए... हम आपको बिस्वास दिलाते हैं कि ई गुरू जी, ऊ गुरु जी नहीं है जिस नाम से हमरे पड़ोसी राज्य के जन्मदाता को जाना जाता है... दोस्त कहने का त हम हिम्मते नहीं जोड़ पाएंगे... भैया कहने का प्रैकटिसे नहीं है... गुरू जी प्लीज!!
मेरे हिसाब से बात यह जरूरी है की आप अपने ब्लॉग के मार्फ़त क्या कहेते है नाकि यह कि आप कौन है और कहाँ के है ??
जवाब देंहटाएंमैं आपके ब्लॉग से जुदा क्यों कि आपकी बातो में मुझे अपनेपन का अहेसास हुआ और आपकी बाते दमदार लगी !! जिस किसी भी दिन यह दोनों खूबियाँ आप में नहीं होगी आप आप नहीं होगे और हम आपके साथ नहीं होगे !! वैसे बिहार का होने में कोई गुनाह नहीं है आप अपनी भाषा को और अपने आप को जो सम्मान दिलाने की कोशिश कर रहे है वह तारीफ के काबिल है !!
हमारी शुभकामनाएं आपके साथ है !!
जुड़ा जुदा हो गया है !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा सोचे हैं आप और यह काम जारी रहना चाहिए। आपकी पीड़ा जायज है। मैं भी एक इकाई के रूप में आपके साथ हूँ।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
बहुत सामान्य और ज्वलंत मुद्दा है जी ये |
जवाब देंहटाएंपता नहीं काहे हम लोगों का गरीबी और अशिक्षा का पर्याय बना दिए हैं सब |
अरे भैया भारत माँ को भारत माँ ही रहने दो , उसे यू.पी. , बिहार, महाराष्ट्र में मत काटो , माँ मर जायेगी |
सादर