मंगलवार, 15 जून 2010

जाको राखे साइंयाँ

अचानक दू दिन पहिले पटना जाना पड़ गया. अभी कुछ दिन पहिले आए थे अऊर तुरते फिर जाना पड़ेगा, सोचबो नहीं किए थे. बाकी सिचुएशन अईसा हो गया कि जाना पड़ा. अचानके सुकरवार के भोर में हमरी माता जी का पटना से फोन आया, अऊर ऊ फोन में बात से जादा रोए जा रही थीं. बुझाइये नहीं रहा था कि का बात हुआ है.
जब हम जोर से बोले, त उनके मुँह से एतने बात फूटा कि दुलहिन (हमरा मंझला भाई, जे पटना में रहता है, का पत्नी) का एक्सीडेंट हो गया है अऊर ऊ हस्पताल में भरती हैं. तुरते आनन फानन में हम पटना पहुँचे. दुलहिन का तबियत ठीक नहीं लग रहा था. माथा में बहुत गहरा भितरिया चोट था. कोनो खून नहीं निकला, बाकी रिपोर्ट में पता चला कि खून माथा में जम गया है.
अभी दू दिन पहिले भाई के सास को कमजोर हार्ट अटैक आया था, अऊर ऊ भर्ती थीं. उन्हीं को देखकर ऊ दुनो आ रहा था. रात का दस बजा था. सास बोलीं कि गाड़ी ले जाइए. मगर ऊ बाईक से चल दिया.पीछे दुलहिन बैठी थीं. बाईक का चाल बहुत तेज नहीं था. ऊ चलएबो इस्पीडोमीटर देख कर करता है. अचानक सामने एगो बच्चा साइकिल से फिसल कर गिर गया. उसको बचाने के लिए, हमरा भाई जइसहीं ब्रेक लगाया कि वहाँ बालू पर उसका बाईक भी फिसल गया.
भाई एक तरफ था, अऊर दुलहिन सड़क पर माथा के बल गिरी. अऊर जब तक भाई उनको देखने आए, तब तक ऊ बेहोस, पूरा देह ठण्डा, अऊर नब्ज एकदम खतम. सड़क पर भीड़ जमा हो गया, अऊर भाई बेचैन. घर पर माता जी को छोड़कर कोई नहीं. अऊर उनको बोलने का मतलब उनका तबियत खराब हो जाना.
भीड़ में एगो आदमी अपना गाड़ी रोका, अऊर भाई से बोला, “आपको गाड़ी चलाना आता है त ई लीजिए हमरा गाड़ी का चाभी, अऊर इनको लेकर तुरत हस्पताल जाइए. हम आपके बाईक को सहेजने का इंतजाम करते हैं.”
हमरा भाई तब तक हमरा फुफेरा भाई को फोन करके बोला चुका था. उसको हस्पताल पहुँचने के लिए बोलकर, ऊ उसी हालत में गाड़ी चलाकर हस्पताल गया, अऊर भर्ती करवाया. ऊ आदमी को गाड़ी वापस किया. बगले में पोस्ट ऑफिस के दरबान के पास, बाईक चार दिन तक सुरक्षित रहा, जब तक हमलोग जाकर बाईक नहीं ले आए.
बिहार की राजधानी पटना के बारे में लोग कहते हैं कि वहाँ साम होने के बाद लोग घर से नहीं निकलता है. हमरे ऑफिस में बड़ा बड़ा साहेब लोग कहते हैं कि जिस आदमी का काम ठीक नहीं होगा, उसको बिहार ट्रांसफर कर दिया जाएगा, मानो बिहार न हो गया सहारा रेगिस्तान हो गया.
उसी जगह पर एक अनजान आदमी अपना चार लाख का गाड़ी, दोसरा अनजान आदमी को थमा दिया,बिना सोचे. दोसरा तरफ एगो पाँच हजार महीना कमाने वालाआदमी पचास हजार का बाईक का हिफाजत किया चार रोज तक, बिना कोनो लालच के.

13 टिप्‍पणियां:

  1. बहू की तबियत इलाज़ के बाद कैसी है ? ईश्वर करे उनको जल्दी आराम मिल जाये ! यही उदाहरण बताते हैं कि इन्सानियत की कमी नहीं है , कम भले ही हो गयी हो ! बहार के बारे में ऐसी बातों पर विश्वास सिर्फ महानगरों में हो सकती हैं जहाँ इंसान को समझने में न रूचि है न समय ! बाकि जगह ऐसा मानते हैं मुझे नहीं लगता !
    शुभकामनायें !

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  2. बिहार में इंसानियत अभी जिन्दा है, वाकई काबिले तारीफ़ है, जय बिहार, जय हिंद!

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  3. इंसानियत जिंदा है ...यही कहेंगे जी !!!

    भगवान से प्रार्थना है कि आपकी भाभी शीघ्र अच्छा हो जाए ।

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  4. छोटी भाभी जी अब कैसी है ?
    आशा है अब तक इलाज का असर जरूर हो गया होगा !
    प्रभु से यही दुआ है कि वह जल्द से जल्द ठीक हो घर वापस आयें!

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  5. भाभी जी की सेहत के लिए ईश्वर से प्रार्थना करेंगे ....

    और आपका ब्लॉग लोगो की पूर्वधारना पर कड़ा प्रहार है ....एक दिन आपका प्रयास अवश्य रंग लायेगा ऐसा विश्वास है

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  6. धन्यवाद! आप सब लोग का दुआ है त घबराने का कोनो बात नहीं हमरे लिए...

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  7. Bihari babu hame garv hai, ham BIHARI hain!! log jo soche.....lekin hame pata hai, iss Buddha Mahavir ki dharti me manavta jinda hai.........:)

    meri subhkamnayen aapki bahu ke liye....:)

    ego aar baat, aap jo bhi likhte hain aisa fluency hota hai ki ek baar me hi padhna parta hai......:D

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  8. भगवान् अक्सर इंसान का रूप लेकर धरती पर आते रहते है ! अपनी मोजूदगी दर्ज करवाने ! ............बस दुआ है की आपके घर की छोटी दुल्हन ज़ल्द ही ठीक हो जाये !!!!!!!!

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  9. हमरी आँख आपका आलेख पढ़ते पढ़ते भीग गयीं...दुनिया अईसन लोगन की वजह से चल रही है...हम ऐसे देवता इंसान को नमन करते हैं जो आपका छोटा भाई की मदद किया...इश्वर से दुल्हनिया के जल्द ठीक होने की कामना भी करते हैं...
    नीरज

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  10. पोस्ट पढ़ कर अपनी जात यानि मानुस जात पर फक्र हुआ, गर्व से छाती चौड़ी हो गयी। दुनिया में नेकनीयती भरी पड़ी है, यह विश्वास बढ़ा! बधाई।

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  11. भाई अच्छे लोग तो हर जगह हैं .... बस लोग ग़लत बातों का प्रचार ज़्यादा करते हैं ..

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