गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

प्यार, दोस्ती और भक्ति


आज के जमाना में मुन्नी ओतना बदनाम नहीं हुई होगी, जेतना हमरे समय में प्यार बदनाम था. कोनो सिनेमा के पर्दा पर हीरो को हिरोईन से आई लभ यूबोलते देखने पर भी माँ बाप के सामने नजर झुक जाता था. सिनेमा में भी सब सीन, जो आजकल खुले आम देखाया जाता है, दूगो फूल, चाहे पेड़ अऊर छाता के आड़ में देखाया जाता था. एगो टीवी सीरियल सुईट लाईफ ऑफ ज़ैक अ‍ॅण्ड कोडीदेखकर हम अपनी बेटी को पूछे कि लड़की ज़ैक की बहिन है, खूब जोर से हँसी अऊर हमको बताई कि ज़ैक उस लड़की को डेट कर रहा है. कहाँ उसके उमर में हमलोग आई लभ यूसुनकर मुँह नीचे करके फी..फी..फी..फी हँसने लगते थे, कहाँ बिना कोनो माथा पर सिकन लाए डेटिंग जईसा बात.
आकासबानी पटना में एक बार बच्चा सब का प्रोग्राम बालमण्डली में एगो बच्चा गाना गाने आया. लड़का वहाँ के स्टाफ संगीतकार ज़ाकिर हुसैन साहब का सिस्य था. इस तरह का प्रोग्राम, रेकॉर्डेड हुआ करता था, मगर गाना लाईव प्रसारित हुआ. गाना का बोल था

प्यार का वादा कैसे निभाएँ.
मैं भूलूँ तो मैं मर जाऊँ
तू भूले तो तू मर जाए.

अब पूरा प्रोग्राम में सन्नाटा छा गया. बच्चा का प्रोग्राम में प्यार का गाना. कार्यक्रम के संचालक थे श्री कुमार चंद्र गौड़. गाना खतम होने के बाद सब बच्चा लोग ताली बजाया अऊर गौड़ साहब गलती को रफू करते हुए, गाना का मतलब समझाने लगे, “देखा बच्चो! इस गाने में प्यार और दोस्ती के बारे में कितनी अच्छी बातें कही गई हैं. इसमें बताया गया है कि जब दो दोस्त आपस में प्यार करते हैं तो दोस्ती हर हाल में निभानी चाहिये और दोस्त को भुला देने से जान दे देना बेहतर है.खैर प्रोग्राम के बाद जो हुआ उसके बारे में बताकर कोनो फायदा नहीं. लेकिन गौड़ साहब के ब्याख्या से एगो बात दिमाग में बईठ गया. प्यार अऊर दोस्ती में कोनो भेद नहीं है. तब बात भी मन में बईठ गया कि प्यार कोनो खराब बात नहीं है, जैसा उस समय हमलोग को समझाया जाता था.
अब देखिये किसी का बिचार दिमाग में आये अऊर उसका फोन जाये आप का कहेंगे... संजोग! अऊर एही घटना कई बार हो तब? संजोग एतना फ्रिक्वेंटली घटता नहीं. कुछ लोग टेलीपैथी भी बोलता है इसको. मगर हम इसको प्यार या दोस्ती कहते हैं. हमरे चंडीगढ़ में रहने वाले दोस्त चैतन्य जी अऊर हमरे साथ केतना बार हुआ है अईसा. अब चाहे प्यार हो, चाहे दोस्ती..  मगर है अजीब संजोग.
हम केतना बार कह चुके हैं कि ऊपर वाले का हमरे साथ कभी नहीं बन सका. लेकिन जिनका बनता है, उनको भी प्यार है परमात्मा से. दोस्त के जईसा बतियाते हैं दूनो. लोग इसको भक्ति कहता है. एही प्यार में मीरा दीवानी थी स्याम की अऊर अमीर खुसरो दीवाने थे, निज़ामुद्दीन औलिया के. सबरी का प्यार किसी से नहीं छुपा है. बेर जुठाकर स्वाद चखती थी अऊर राम चंद्र को खिलाती थी. अऊर राम जी का प्यार देखिये कि चुपचाप बिना कोनो हिचकिचाहट के खाए जाते थे. एगो अऊर कथा कहीं सुने थे कि भगत अपना प्रभु के प्यार में एतना मगन हो गया कि केला छीलकर फेंक देता था अऊर छिलका प्रभु को खिलाए जा रहा था. प्रभु भी छिलका खाकर खुस हो रहे थे.
चैतन्य जी एक दिन सनीचर के दिन ऑफिस से निकले बाहर बारिस हो रहा था. मनोज भारती जी भी उनके साथ ऑफिस से निकले. चैतन्य जी उनको पोर्टिको में रुकने के लिये बोलकर, अपना गाड़ी लाने चले गये, सोचे कि रास्ते में उनको, उनके बस स्टॉप तक छोड़ देंगे बारिस में. जब गाड़ी लेकर लौटे तो देखे कि रास्ते में भीगते हुये मनोज भारती जी चले रहे हैं. खैर, तुरत ओहीं पर गाड़ी रोके अऊर उनको दूसरा तरफ से बईठने के लिये बोले. मनोज जी आकर गाड़ी में बईठ गए. बस स्टॉप पर जब मनोज जी उतरे, तब चैतन्य जी देखे कि मनोज जी के जूता में पानी भरा हुआ था. दिसम्बर के हाड़ कँपा देने वाला ठण्डा में भीगा, पानी भरा हुआ जूता और मोजा में अभी मनोज जी को एक घण्टा बस में सफर करना था.
कारन बस एतना कि जहाँ से गाड़ी पर बईठे थे, उसके दूसरा तरफ पानी भरा था. मनोज जी गाड़ी जरा सा आगे बढ़ाकर रोकने को बोल सकते थे, काहे कि आगे फुटपाथ था. मगर प्रेमबस उनको लगा कि इससे चैतन्य जी को तकलीफ होगा. इसी कारन पोर्टिको में इंतजार नहीं करके पानी में भीगते हुये आगे बढ़ गये थे. कमाल के इंसान हैं मनोज भारती जी अऊर हर समय एही ख्याल रखते हैं कि उनके काम से किसी को तकलीफ नहीं हो. सच्चा प्रेमी, सच्चा दोस्त, चाहे सच्चा भक्त कह लीजिये! समर्पन का तीनों गुन मौजूद है उनमें. अब उनको कौन समझाए कि
ज़ौक तकल्लुफ़ में है तकलीफ सरासर
आराम से वो हैं जो तकल्लुफ़ नहीं करते!

50 टिप्‍पणियां:

  1. सलिल जी जितना सहज आई लव यू कहना हो गया है निभाना उतना ही मुश्किल... दोस्ती के खातिर केतना पीटे हैं.. केतना पिटे हैं.. स्कूल, घर, बाहर.. सोच कर अच्छा लगता है.. आप लोगों की दोस्ती, प्यार और भक्ति बनी रहे यही कामना है.. सुन्दर पोस्ट...

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  2. आई लब यू कहने से पहले साँस निकल जाती रही है पुराने समय में।

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  3. लो जी ब्‍लाग पर आई लव यू कहने से मन नहीं भरा तो लोकसभा चैनल पर भी पहुंच गए। बधाई हो। अपन तो अभी तक आई पर ही अटके हैं।

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  4. का बड़े भाई ... हम लोगों के जमाने में आई लभ यू था क्या? अरे प्यारो होता था त बिल्कुल इंडियन स्टाइल में ... मिलो न तुम तो हम घबराएं ... मिलो तो आंख चुराए हमे का गो गया है ...!
    ऊ जमाना में हिन्दी ठीक से बोल देते थे त अंग्रेज़ बोलता था, और जे आई लभ यू बोल देते तो अमेरिके भेज देता ...!

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  5. आई लव यू तो बहुत चला करे है आजकल सर, अब तो १४ तारीख भी आने वाली |

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  6. अब जे आप सेर मार दिए हैं त हम कोनो छोरने बाले हैं, लीजिए हमरो तरफ़ से आपके, दोसती, प्यार और भकती को एगो समरपन ...

    प्यार पूजा घर था पहले अब तो बस बाज़ार है,
    जिसको देखो वह ही बिकने को यहां तैयार है।
    तेरे घर से मेरे घर तक एक ख़ुशबू की लकीर,
    खींच दी जिसने उसी का नाम शायद प्यार है।

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  7. लगले एगो और
    प्यार के लिये कुछ ख़ास दिल मखसूस होते हैं,
    यह वह नग़्मा है जो हर साज पे गाया नहीं जाता।

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  8. सलिल भैया, है तो यह हमारी भी दुखती रग लेकिन अब छेड़ ही दी है आपने तो कमेंटियायेंगे जरूर। सब समय समय की बात है, दो पक्षी या दो फ़ूलों को आपस में मिलते दिखाकर ही प्यार को महसूस करने का जमाना भी देखा और आज का ’आई लव यू’ वाला बिंदास जमाना भी, हर वक्त का अपना अपना सच होता है।
    संजोग, टैलीपैथी जैसी बातों पर अपन तो आप जानते ही हैं हृषि दा के मुरीद हैं, फ़्रीक्वेंसी लेवल एक होने पर संवेदनाओं, अनुभूतियों की एकात्मकता इतनी हो सकती है कि दूर बैठे भी और बिना बताये भी दशा और दिशा में एकरूपता आ जाये। आपको सैकंड करते हैं।
    बात मित्रता की आये तो ’निज दुख गिरिसम रज करि जाना, मित्र क दुख रज मेरू समाना’ जो इस पैमाने पर पूरा उतर जाये वही सच्चा मित्र है। जो विचार आपके मन में ’मनोज भारती जी’ के बारे में हैं, डिट्टो वही विचार आपके और चैतन्य जी के प्रति उनके मन में होंगे। सलामत रहें दोस्त, सलामत रहे दोस्ताना।

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  9. आकाशवाणी के एक कार्यक्रम के बारे में मेरे पापा भी बताते है की बोफोर्स वाला जमाना था बच्चो की ही कार्यक्रम था लाइफ और बच्चे ने अपनी कविता सुनादी " गली गली में शोर है राजीव गाँधी चोर है " पूरे आफिस की छुट्टी हो गई उसके बाद | ऐसे ही हमारे स्कुल में प्रार्थना के बाद बच्चे कोई भाषण या कविता आदि बोला करते थे और हम लोग तली बजाने का रस्म करते थे | एक दिन एक ६-७ साल की लड़की आई और चार लाइन की कविता सुनाई तीन लाइन तो याद नहीं क्योकि कोई खास नहीं था पर आखरी लाइन थी कि " ओं मै डार्लिंग तो मेरी विस्की मै तेरा रम " आधे ने सुना आधे ने नहीं पर रस्म निभाते हुए सभी ने तली बजा दी प्रिंसपल का पारा हाई, टीचरों को तो वही माइक पर ही खरी खरी सुनाया और हम सब ताली बजाने वालो की भी अच्छी खबर ली आधे घंटे धुप में खड़ा कर लेक्चर पिला कर | आज कल के सिनेमा की क्या कहे "दोस्ती" तो ठीक पर "दोस्ताना" तौबा तौबा |

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  10. @अंशुमाला जीः
    गली गली में शोर वाली घटना भी आकश्वाणी पटना की ही थी.. कार्य्क्रम था घरौंदा.. उसके बाद बच्चों के ये सारे लाइव कार्य्क्रम भी रेकॉर्डेड होने लगे!!
    और दोस्ताना पर तो बस स्माइली!! :)

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  11. आई लव बोलले के चक्कर में तै केतना लोग शायर और कवि बन जाला .....
    .
    बाकी ई दोस्ती प्यार और मुहब्बत बनल रहे .

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  12. .
    .
    सलिल भाई !!! इतनी छोटी सी बात को इतना बड़ा सम्मान ...अभिभूत हूँ .
    .
    .

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  13. प्यार ,दोस्ती और भक्ति की अच्छी परिभाषा दी है आपने.उदाहरणों के साथ.
    शुक्रिया

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  14. पहले यह कहने पर लोग प्रतिक्रिया दिखाते थे क्योंकि फिल्मों में इसका मतलब सिर्फ प्रेमी और प्रेमिका के प्यार से होता था ..आजकल इतना आम है की इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करना मूर्खता लगती है ...कोई भी किसी से भी कह देता है ...!

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  15. हमनी के जमाना में लइकीन के देख के कहल जात रहे कि I Love You लेकिन आज लइका लोग भी अपने में एक दोसरा के देख के कहत बा लोग कि I Love You.एकरो पर कुछ चर्चा होखे के चाहीं। अइसन कुछ होखला पर हमनी के मन खुस हो जात रहे लेकिन आज त लइका होखे चाहे लइकी सब के मन झंडु बाम हो जात बा।राउर पोस्ट नीमन लागल।नमस्कार।

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  16. बड़ा प्यारा लिखते हो यार , ब्लॉग जगत में जब भी बिहारी भाषा के प्रयोग की बात आएगी आपका नाम अवश्य आएगा !कम से कम मुझे, इसकी मधुरता से परिचय कराने वाले केवल सलिल वर्मा ही हैं !
    हार्दिक शुभकामनायें !

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  17. तब के प्यार और अब के प्यार में भी बहुत अंतर आ चुका है सर। तब शायद सच्चा प्यार होता रहा होगा किसी एक से, पर अब तो एक से ज्यादा गर्ल फ्रेंड/बॉय फ्रेंड बनाना फैशन सा हो गया है। और सच्चा प्यार तो बहुत रेयर घटना हो गयी है। अब तो प्यार/आकर्षण का बस एक ही उद्देश्य नज़र आता है।

    आजकल की फिल्मों के नाम से ही बदलते समय को समझा जा सकता है, कहानी और सीन तो बाद की बात है।
    मसलन- लव, सेक्स और धोखा :)

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  18. हाँ दोस्ती अब भी पाई जाती है। जय-वीरू नुमा दोस्त अब भी बहुतायत में मिल जायेंगे। पर ’दोस्ताना’ के बाद से दोस्तों को भी लोग शक़ की निगाह से देखने लगे हैं। :) ;)

    लेख/ संस्मरण बढ़िया रहा। हमेशा की तरह। :)

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  19. सलिल वर्मा जी , आपका ये ब्लॉग देखकर और पढ़कर मन गदगद हो गया ...बहुते अच्चा लगा हमको ...हम उम्मीद करते है ये सिलसिला ऐसही आप आगे भी जारी रखेंगे .......

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  20. आपने तो बचपन के फेवरेट प्रोग्राम 'बाल-मण्डली' की याद दिला दी...कितने सारे चुटकुले...और तुकबन्दियाँ भेजी थीं, उस प्रोग्राम में. और मेरी विशेष फरमाईश रहती थी कि भैया ही उसे पढ़कर सुनाएँ. ये चन्द्रकुमार गौड़ नाम तो बाद में पता चला....हमारे लिए तो वे भैया ही थे.

    दोस्ती की बढ़िया मिसाल सुनायी....ऐसी ही दोस्ती कायम रहे दोस्तों के बीच.

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  21. आपका आदार भाव छलक छलक के शब्दों में बाहर आ गया है...

    मित्रता प्रेम आदर निष्ठा समर्पण...इ सब एक ही है...एक दुसरे से घनिष्ठता से जुड़ा हुआ..एक दुसरे के बिना अधूरा.

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  22. अरे इस जेक एंड कौडी ने तो हमारे भी सर में दर्द कर रखा है .बाकी रही दोस्ती ..तो अच्छे लोगों को अच्छे ही दोस्त मिलते हैं..ये दोस्ती कायम रहे.
    सहजता से बहुत अच्छी बातें कह दीं आपने.

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  23. यानि 'जिसने की शरम, उसके फूटे करम' आपकी इस पोस्‍ट के दोनों हिस्‍सों के लिंक का काम कर सकता है.

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  24. .सुग्रीव-राम,सुदामा-कृष्ण की भांति आपकी यह दोस्ती /मित्रता आदर्श है.गुरु नानक जी के पंज-प्यारे जैसा प्यार /भक्ति आपके बीच रहे,यही कामना है.

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  25. SAB DEKHANE KE BAAD LAGA KI HOLI ME BUDHAWA BHAYIL JAWAN.......................................................................................................................................?

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  26. भैया , बेतकल्लुफ होके भी तकल्लुफ करने का जिन्हें हुनर आता है वे लोग मुझे बहुत भाते हैं :)
    और पटना आकाशवाणी का बच्चा लोग त गजबे है एक बार एक पूर्व प्रधानमंत्री अब दिवंगत को लाईव कह दिए कि गली गली में शोर है ........चोर है !

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  27. दाऊ !

    बहुत प्यारा पोस्ट! और वो केला और छिलका वाला किस्सा अभी कल ही देख रहे थे टीवी पर… विदुर जी की पत्नी कृष्ण भगवान को देख के ऐसी बावली हुईं कि केला के बजाये छिलका ही बढाने लगीं उनके तरफ़ और भगवान ऐसे विव्हल हुए कि खाते चले गये।

    और दाऊ अच्छे लोगों को सन्गति भी अच्छे लोगों की ही मिलती है ना…।

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  28. मेरा तो मानना है की जिसे हम प्यार करते है ,स्नेह रखत है ,या दोस्ती है उसे कभी भी "आई लव यू "कहने की जरुरत ही नहीं पड़ती |जो दूर है उनसे तो टेलोपैथी हो ही जाती है और जो पास होते है उनकी आँखों में ,व्यवहार में प्यार ही झलकता है |
    बाकि आपके संस्मरण ने मुस्कुराहट ला दी |

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  29. अब तो आई लव यू कहने से पहले सोचना पड़ेगा!

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  30. बोलना आसान नै होगा...अरे बोलने का मतलब समझे तब ना....पहले लोग i love u नहीं बोलते तभियो जिनगी भर निभाते थे. अब तो कपड़ा लत्ता के तरह बोलने वाला अ सुनने वाला बदल जाता है....
    समय समय का बात है...

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  31. क्या बीत है, वाह...लाजवाब, सुन्दर लेखनी को आभार...

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  32. बहुत कुछ समेट लाये हैं इस पोस्ट पर ...प्यार का एहसास बोलने से नहीं होता ...दोस्ती करना आसाँ है निबाहना मुश्किल ...

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  33. सलिल भाई ... आपस का यह प्रेम बना रहे बस यही दुआ है !

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  34. प्रेम, दोस्ती और भक्ति को एक ही डिबिया में आपका देखना अभिभूत कर गया। इन तीनों में से किसी एक के साथ शेष दो का साहचर्य सदैव रहता है।

    आपकी लेखनी किसी एक बिंदु से शुरू होती है और टेड़ी-मेड़ी गलियों से गुजर कर एक सुंदर बगीचे में ठहर जाती है। लेकिन इस बार तो कमाल हो गया, आपने ए,बी,सी से शुरू किया और क्ष,त्र,ज्ञ में समाप्त।

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  35. ऐ ज़ौक तकल्लुफ़ में है तकलीफ सरासर
    आराम से वो हैं जो तकल्लुफ़ नहीं करते!

    कमाल....बहुत अच्छा है।

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  36. सलिल वर्मा जी , पढ़कर मन गदगद हो गया , बहुत अच्छा

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  37. दो फूल,I LOVE YOU , ईलू और अब डेटिंग ... कम से कम दो पीढ़ी का सफर है यह. जेनरेशन गैप भी तो कोई चीज है !

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  38. aadarniy sir
    sach hi likha sabne aapke blog par ham bhi sab kuchh bhul jaate hain .bas! aapko padhte rahne ka man karta hai .aapse bahut kuchh sikhna hai mujhe .itna badhiya lekhan---itnisajata ke saath aap shabd shabd kaise utaar dete hain apni post par ki khali haath koi vapas nahi ja sakta.
    sab kuchh sametate hue use badi sahjate ke saath likhna-- virle log hiho sakte hai.
    aapki lekhni v aapp ,dono ko sadar naman.
    poonam

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  39. सलिल वर्मा जी , , बहुत अच्छा

    ॐ कश्यप में ब्लॉग जगत में नया हूँ
    कृपया आप मेरा मार्ग दर्शन करे
    धन्यवाद
    http://unluckyblackstar.blogspot.com/

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  40. सलिल वर्मा जी
    नमस्कार !
    सहजता से बहुत अच्छी बातें कह दीं आपने.

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  41. कई दिनों से बाहर होने की वजह से ब्लॉग पर नहीं आ सका
    बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..

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  42. सबने इतना कहा, मैं खुश हो कर हामी भर दूँ तो चलेगा न?
    मनोज जी के बारे में, आप लोगों की दोस्ती के बारे में जानना अच्छा- बहुत अच्छा लगा।

    Resonance से Telepathy तक का सफ़र ही तो दोस्ती है।

    I love you पर कुछ नहीं कहूँगा, सोचता हूँ संजीव कुमार की कोई फिल्म देखी जाए।

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  43. दोस्ती के बारे में तो मैंने अभी आपकी फ़िल्मी इस्टोरी वाली पोस्ट पर भी कमेन्ट किया था तो उसे यहाँ दोहराने का कोई मतलब नहीं बनता|

    सादर

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