सोमवार, 10 मई 2010

उत्तम बिद्या लीजिये...

आज त एगो बहुते अजीब खिस्सा हो गया. साम को तनी जल्दी में हमको घरे पहुँचना था. तनी सिरीमती जी को सॉपिंग करवाने का वादा कर लिए थे. हम मेट्रो से उतरे अऊर घरे जाने के लिए एगो रिक्सा पर बैठ गए. रोज हम मेट्रो से उतर कर पैदले घर चल देते हैं, घरवा बगले में है. रिक्सा पर हम बहुते कम बैठते हैं, जब तक एमर्जेंसी नहीं हो. हम सुरुए से ई बात के खिलाफ हैं कि अदमी बईठे अऊर अदमी खींचे. एकदम मन खराब हो जाता है. फिर सोचते हैं कि अगर सभे कोई एही सोचने लगा, त ऊ बेचारा रिक्सा वाला का पेट कइसे भरेगा, अऊर उसका परिवार कइसे चलेगा. सोचते हैं कलकत्ता में त अदमीए रिक्सा खींच कर दौड़ता है, ओहाँ हम रहते त हमरा त करेजा फट जाता.
खैर, जाने दीजिए, हम असली बतिया से भटक गए थे. त हम का कह रहे थे... हाँ!! आज एगो अजीब खिस्सा हुआ. हम रिक्सा पर बईठ गए अऊर चल दिए. अभी तनिके आगे बढे थे कि अचानक मोबाईल का रिंग सुनाई दिया. रिंगवा का अवजवो बदला हुआ था, अऊर हमरा पॉकेट में कोनो थरथराहट भी नहीं हुआ.
अभी हम एही सोचिए रहे थे कि आवाज सुनाई दिया, “हेल्लो”. तब हमको बुझाया कि ई हमरा नहीं, रिक्सा वाला का मोबाईल का अवाज था. हम मने मन मुस्कुरा दिए. बाकि इसके बाद जो बतिया ऊ रिक्सा वाला बोला, ऊ सुनकर त हमरा मुँह से हँसी छूट गया. रिक्सावाला बोला, “अभी रखो फोन. हम ड्राइभ कर रहे हैं. बाद में बात करेंगे.”
मगर तुरते हमको एहसास हुआ कि ई हम किसके ऊपर हँस रहे हैं. कहीं हमरा ई हँसी, खुद अपने ऊपर त नहीं है! अऊर ई बिचार आने के साथे हमरा माथा ऊ रिक्सावाला के आगे झुक गया. एतना सर्मिंदगी हमको जिन्नगी में कभी नहीं हुआ था. अऊर ई सर्मिंदगी अकेले हमरा नहीं था, सब पढा लिखा सभ्य अदमी का था.
ऊ रिक्सा वाला का दिमाग में ई बात था कि ड्राइभ करने के टाईम पर मोबाईल पर बात नहीं करना चाहिए. एकदम अनपढ अदमी था ऊ रिक्सावाला. लेकिन आज सड़क पर केतना पढालिखा लोग गाड़ी चलाते टाईम, मोबाईल पर बात करता है. कानून का दुहाई त सभे देता है, मगर जब कानून का पालन करने का बारी आता है, त पलायन कर जाता है.
आज एतना बढिया सिक्षा हमको मिला है कि हम जिन्नगी भर के लिए ऊ रिक्सावाला को गुरु मान लिए. अऊर एक मिनट में ऊ बड़ा बड़ा गाड़ी में घूमने वाला बड़ा अदमी से भी बड़ा हो गया.

7 टिप्‍पणियां:

  1. आप नहीं भी कहते तो भी चलता ............... आपकी इमानदारी पर कोई शक नहीं है !! वैसे किस्सा बहुत कमाल का है और शिक्षापद भी !! आभार आपका इसे साँझा करने के लिए !!

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  2. लोग बड़ी से बड़ी बात की मज़ाक बना लेते हैं और कुछ लोग छोटी बात से बड़ी शिक्षा भी ले सकते हैं ...सवाल सिर्फ भावना का है !

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  3. इस घटना से हम सब को शिक्षा लेनी चाहिए ......बढ़िया पोस्ट

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  4. कहीं रिक्शा वाले भाई को फोन टैपिंग का डर तो नहीं था ? आज कल सरकार हर आम और खास की बातें सुन रही है. टेलीफोन वाले राजा से पूछ लीजिये..न विश्वास हो तो.

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  5. सही में कुछ सीखने को मिलता है ये कहानी से..,

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  6. आपही की नहीं हमरी नजर मा भी वो रिक्शा वाला बहुत ऊपर हुए गवा है |

    सादर

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