रविवार, 23 मई 2010

असर नहीं त पैसा वापिस!!!


एगो आदमी था। रिटायर होने के बाद एक दिन अचानक, बेचारा बहुते बीमार पड़ गया।
बिमारी भी अइसन-वइसन नहीं, सीरिअस !! सब टेस्ट ठीक-ठाक, कोनों रिपोर्ट गड़बड़ नहीं, लेकिन बाबू साहेब का हालत जो बिगड़ा, सुधरने का नामे नहीं ले रहा था. देखते देखते एकदम कमजोर देखाई देने लगे. लोग हैरान, डॉक्टर परेसान, बाकी बिमारी कोई नहीं धर पा रहा था. एक रोज एगो ऑफ़ीस का अदमी आया, उनको देखने के लिए. हालत देखकर बहुत घबरा गया. उनके सिरीमती जी को बगल वाला कमरा में ले जाकर कान में धीरे से एगो दवाई बताया.
उसके बाद त कमाले हो गया. एक हफ्ता के अंदर उ साहेब इतना तंदरुस्त हो गए कि लगा जइसे दोबारा नौकरी सुरू कर देंगे. सब लोग टोला-मोहल्ला का औरत उनका पत्नी से दवाई का नाम पूछने लगी. ऊहो बेचारी बहुते सीधी औरत थीं. बताइये दिहिन दवाई का नाम, अउर हमारा सिरीमती जी के मार्फ़त जो भेद हमको पता जला ऊ आप लोग को भी बताते हैं. समाज का काम आए ऊ दवाई, त इससे अच्छा का होगा.
दवाई दू तरह का है- पहिला है ‘तारीफ़’ अउर दोसरा ‘बुराई’. खोराकवा भी नोट कर लीजिए. सबेरे दू चम्मच मरीज का तारीफ़- नाश्ता के साथ, फिर खाना के बाद- किसी का बुराई का चार चम्मच अउर रात को खाना खाने के बाद फिर से दू चम्मच उनका तारीफ का पिलाते रहिये. दवाई का असर एक हफ्ता के अंदर देखाई देने लगेगा. कमाल त ई बात का है कि ई दवाई का कोनों साइड एफेक्ट नहीं है, अउर ओभरडोज का भी कोनों खतरा नहीं है.
केतना बार त ई दवाई आपको घर में, ऑफिस में लोग चुपचाप पिलाता रहता है, अउर आपको पतो नहीं चलता. एही से त ई दवाई पिलाने वाला को लोग चमचा कहने लगा. आदि काल से ई दवाई का परयोग भगवान अउर इंसान बराबर रूप से करते आ रहा है. ‘को नहीं जानत है जग में’ बोले बिना त ऊहो समुन्दर लांघने को तैयार नहीं हुए. कभी ध्यान से भजन का लाइन पर गौर कीजिएगा तो पता चलेगा कि सब ओही दवाई का पुड़िया है. अरे भाई जब ऊ परमपिता हैं, त उनको दवाई खिलाने का का जरुरत है. एगो सायर लिखे थे बहुत दिन पहले:
जानकार ये खुदा से कुछ न कहा
वो मेरा हाल जानता होगा.
लेकिन अब कोनों फायदा नहीं है, अब त ई दवइयो नशा बन गया है. अउर कोई भी अदमी ई नशा से अछूता नहीं है. एही ब्लोग्वे पर देखिये. बस ई पोस्टवा के बाद से, हर दस-दस मिनट पर देखने का मन करते रहता है कि का-का टिपिआया है लोग. जैसे जैसे नंबर बढ़ता जाता है, मन हरियर होता जाता है, अउर नमबरवा नहीं बढ़ा त बस तबियत खराब होने लगता है.
अब त आप ही लोग का आसरा है। बचा सकते हैं त बचा लीजिए. ज़िंदा रहेंगे त हमरी सिरीमती जी, आपको उनका सोहाग बचाने के लिए आसिरबाद देंगी, हमरी बचिया आपका एहसानमंद रहेगी, अउर हम आप लोगों का अइसहीं मनोगंजन... माफ कीजिए मनोरंजन करते रहेंगे. जय राम जी की!!

11 टिप्‍पणियां:

  1. टिपण्णी की पुडिया भेज रहे हैं, कृपया रात को सोने से पहले ले लें। सुबह उठेंगे तो एक ताज़ा पोस्ट लिखने लायक हो जायेंगे!...मनोरंजक पोस्ट के लिए हार्दिक बधाई।

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  2. सुबह वाली :
    १) बहुत गहराई से लिखते हो भाई
    २) भाषा पर पकड़ भी ज़ोरदार है

    दोपहर वाली :
    १) आजकल तो जाए कैसेकैसे ढपोर शंख आ गए हैं ब्लॉगजगत में....कहीं धरम तो कहीं जाती को लेकर
    २) आधा टाइम तो फालतू कि बकवास पढ़ने में निकल जाता है

    शाम वाली :
    १) यही आकार कुछ सुकून मिलता है
    २) ऐसे ही लिखते रहिये

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  3. सोभित बाबू , आज एक्के डोज में मन खुस हो गया है... पुडिया खतम होने के पहले आ जाइयेगा...

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  4. waah sir ji ka baat kahi hai man prasan ho gya ........abhi thodi der pehle kuch uljalul pada pad kar bahute bura laga........aji koi likhe to aap jaisa warna apni kalam hi tod de ........kabhi aaiyega hamare bhi garibkhane main....

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  5. very nice story
    hope you will be happy that your number is increasing .
    Lets spread the love through honest comments.

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  6. Lijiye apne kaan pakadte hai aur maafi mangte hai ki aise galti ab dobaara nahi karenge maaf kar dijiye ...........

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  7. ha ha ha ha.. kya dawai ka naam bataya uncle aapne...
    maza aa gaya..

    waise e baatwa to aap sahi kahe..hum bhi har 1-2 din pe check karte rehte hain ki kaun kaun tipiyaya...agar koi naya tipiyata hai to achha lagta hai :)


    aur ek aapse request hai...
    humko "aap" kah ke sambodith nahi kijiye..."tum" kahiyega to achha lagega :)

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  8. बहुत खूब सलिल बाबु ...............क्या कहने आपके !!

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  9. चलिए इत्तेफाक से ही सही , आपकी सिरीमती जी की कुछ दुआएं हमको भी मिलेंगी :)
    एक बार फिर बहुत चुटीला लेख

    सादर

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