रो रहे थे सब तो मैं भी फूट कर रोने लगा,
वर्ना मुझको बेटियों की रुख़सती अच्छी लगी!
मुनव्वर राना साहब के इस सेर में किसी भी बाप के मन का ब्यथा छिपा हुआ है. बेटी के बिदाई का समय जेतना खुसी होता है, ओतने रोलाई भी आता है. खुसी इस बात का कि जिस लड़की को पाल पोसकर एतना बड़ा किये ऊ अपने घर चली जाती है, अऊर रोलाई इस बात का कि जो बेटी माँ के साथ उसका दुःख दर्द, घर गिरहस्थी सम्भालती थी, अऊर बाप का ख्याल रखती थी, आज सब रिस्ता नाता तोड़कर, एगो नया नाता से बँधकर जा रही होती है.
गाँव घर में तो आज भी किसी का डोली बिदा होता है तो रिस्तेदार त रिस्तेदार, अनजान लोग का आँख भी लोर से भीज जाता है. हमरे मोहल्ला में एगो लड़की थी सबिता, मगर सबलोग उसके काला रंग के कारन उसको कारी बोलाता था. उसका बिआह जब हुआ, त हमलोग सायद मामा के घर रेणुकूट गए हुए थे. अऊर कारी के बिदाई वाले दिन लौटे थे, सबेरे वाला गाड़ी से. हम दुनो भाई रेक्सा से उतरे त देखे सामने से डोली जा रहा था. बिदा होते हुये लड़की, मोहल्ला का सीमा से पलट कर अपना घर दुआर, पास पड़ोसी, नाता रिस्तेदार, गली अंगना पर एक बार नज़र दौड़ाती है. ऊ जईसे डोली का पर्दा हटाई कि उसका नजर हम दूनो भाई पर पड़ गया. डोली के अंदर से ऊ जोर से चिल्लाई, “ भैया हो! हम तू लोग के छोड़ के जा रहली हे!” (भैया! मैं आपलोगों को छोड़कर जा रही हूँ). अऊर उसका ई बिजोग भरा रोलाई, हमलोग का करेजा भी छेद गया. कोई रिस्ता नहीं, कोई नाता नहीं. सिवा इसके कि उसको भी हमलोग अपने बहिन के साथ खेलते अऊर बड़ा होते देखे थे. मगर आँख से आँसू बह रहा था उसके बिदाई पर. उस समय ऊ सबिता भी नहीं थी, कारी भी नहीं थी, बस बेटी थी पूरा मोहल्ला की!
अईसहीं एक रोज अपना मेलबॉक्स खोले तो सामने मेल दिखाई दिया.
बाबूजी नमस्ते! कैसे है आप ??
बाबूजी, अब मुझे आप से ढेर सारा आशीर्वाद चाहिए क्योकि अब आपकी ये पागल बेटी कुछ ही महीनो के अन्दर विदा होने जा रही है !
चलिए दीजिये ढेर सारा आशीर्वाद ! मैंने सर नीचे कर लिया!
मेल सचमुच एगो पागल लड़की भेजी थी... सोनी गर्ग. एही आभासी दुनिया की लड़की. ब्लॉग लिखती है तीखा बोल. मगर इस मेल में दिल से निकला एतना मीठा बोल कि आँख में आँसू भर आया. इस्कूल में फिजिक्स में पढ़ाया जाता था कि आभासी प्रतिबिम्ब हमेसा सीधा होता है, जबकि बास्तबिक प्रतिबिम्ब हमेसा उल्टा होता है, इसका उदाहरन हमको एही आभासी दुनिया में मिलेगा सोचे भी नहीं थे.
बस चार महीना का जान पहचान था. जान पहचान भी बस ब्लॉग के जरिये. हम बिना सम्बोधन के कमेंट लिख ही नहीं सकते. अऊर सम्बोधन भी मन से निकलता है. उसको सोनी बिटिया कहकर सम्बोधित करते थे. अऊर एक दिन “फादर्स डे” पर अचानक उसका सम्बाद मिला कि आज से हम आपको बाबूजी कहेंगे. मन एगो अजीब तरह का भाबना से भर गया. लोग हमको कहता है कि आप सबसे रिस्ता बना लेते हैं, मगर जब कोई आपको बाबूजी कहकर बोलाए तो कईसे समझाइएगा अपने दिमाग को. वईसे भी दिल अऊर दिमाग में ओही झगड़ा है, जो हमरे अऊर ऊपरवाले के बीच है.
हमको और हमरे चैतन्य बाबू (जिनको ऊ अपना भाई मानती है) को खास निमंत्रण मिला. कार्ड के साथ फोन पर भी जिद कि आना ही पड़ेगा, सपरिबार. हमरे लिये तो इमोसनल मोमेण्ट था कल यानि 24 जनवरी का. पूरा परिबार के साथ पहुँचे हम. चैतन्य बाबू को ऑफिस के काम से सिमला जाना पड़ा, इसलिये उनका हाजिरी भी हमको लगाना था. सोनी के घर के लोग को खाली एतना बताना पड़ा कि हम नोएडा से आ रहे हैं. जो लोग से कभी नहीं मिले थे, ऊ लोग भी हमको आसानी से पहचान गया. सोनी के पिताजी अऊर माता जी, अपने मेहमान के साथ ब्यस्त रहने पर भी हम लोग से खैर खबर पूछ रहे थे. सिमला से लौटते हुए चैतन्य भाई का फोन आया कि क्या चल रहा है. उनको रिपोर्ट दिये अऊर जुगल जोड़ी को आसीर्बाद देकर हम चले आए.
बेटी, घर अँगना, बिदाई… ई तीन सब्द के अंदर एगो लड़की का पूरा जीबन यात्रा छिपा रहता है माँ बाप के गोद से डोली तक का. हमरी छोटकी बेटी, जिसका उमर साढ़े तीन साल है अभी से गाते रहती है “काहे को ब्याही बिदेस!” आप भी देखिये.
उसको तो ई भी नहीं मालूम है कि फोन पर उसका ई गाना सुनकर पटना में बईठी हुई उसकी दादी के आँख से आँसू बहने लगता है!
Awwal to itne din gayab rahne kee maafee chahtee hun.
जवाब देंहटाएंUf! Bitiya kee bidayee....bas itnaahee padh lena kaafee hai....aankhen sawan bhadon ho jatee hain!
Aapne bahut sundar likha hai...laga,aur padhte hee jayen!
itni bhawoktapurn baten padhkar bahut achcha lagta hai.rishton ko nibhane ki kala sabko nahin aati lekin aapko wakayee aati hai.
जवाब देंहटाएं7X24X60X60=604800 pal kee deree aasheesh dene me....aur aapkee bhee lene me........
जवाब देंहटाएंMany Many Happy Returns Of The Day..
भावुक ......
जवाब देंहटाएंआप रिश्ते बनते हैं दिल से ...इसी लिए इतनी भावुक करने वाली बातें ऐसे लिख देते हैं जो सीधे मन में उतर जाती हैं ...आपके माध्यम से इस नव विवाहित जोड़े को हमारी भी शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंशीर्षक देख कर पढ़ने कि हिम्मत तो नहीं हो रही थी..पर फिर भी पढ़ने का मोह इतना था कि किसी तरह पढ़ डाला..पर अब लिखा कुछ नहीं जायेगा.
जवाब देंहटाएंबस अच्छे लोगों से अच्छे रिश्ते बने रहें..यूँ ही....
बिटिया और बिटिया के बाबूजी दोनों को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबिटिया और बिटिया के बाबूजी दोनों को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंआपने तो रूला ही दिया, कैसे की-बोर्ड से खट्का लेते है इतनी सम्वेदनाएँ।
जवाब देंहटाएंआभासी पहचान में रिश्तों की उष्मा भर देते है,आप। आपकी बिटिया सोनी को हमारी भी ढेर सारी शुभकामनाएं!! और आपको बधाई!!
हमनें गीली पलकें और भीने अन्तर से महसुस किया यह रिश्ता और बिदाई। नन्ही के लिये भी शुभकामनाएं
सलिल जी
जवाब देंहटाएंसबसे पहले आप को और आप की बेटी को बधाई |
@आज सब रिस्ता नाता तोड़कर, एगो नया नाता से बँधकर जा रही होती है.|
जवाब देंहटाएंमायका अक्सर बेटियों से ऐसे ही रिस्ता तोड़ लेता है पर बेटिया कभी नहीं रिस्ता तोड़ती है मायका मजबूर कर देता है परायो सा व्यवहार करके उन्हें अपने ही घर से दूरी बनाने के लिए |
एक नाराजगी है उन सभी पिता और माँ से क्यों बेटियों के बचपन से ही उन्हें बिदा करने की सोच ले कर जीते है क्यों उन्हें बचपन से ही पराया मान कर चलते है क्यों इस सोच के कारण उन्हें और खुद को भी दुखी करते है एक बंधन में बांध लेते है और उसके साथ जी रहे पलो में एक फाँस सी ला देते है जो उनके साथ खुल कर पूरी तरह से खुश हो कर जीने नहीं देता है | क्या करू कहने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योकि समाज में तो ये रिवाज देखा था पर ब्लॉग जगत में भी सभी को ऐसा करते देख कहना पड़ा |
काहे हर समय आँख नम कर देते हैं सर जी। कुछ नहीं कहेंगे हम।
जवाब देंहटाएंनमन।
इस दिन की ढेरों शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएं@अंशुमाला जीः
जवाब देंहटाएंआपके प्रश्न मेरी छोटि बेटी भी अपने गाने के माध्यम से पूछ रही है मुझसे और मुझ जैसे सभी पिताओं से... लेकिन जवाब मुनव्वर राना साहब के शेर से ही देना चाहता हूँः
चलो माना कि शहनाई मसर्रत की निशानी है
मगर वह शख़्स जिसकी आके बेटी बैठ जाती है.
ख़ैर यह मौक़ा इन बातों का नहीं!!
दुनिया ऐसी भी है, लेकिन इसकी बातें करने वाले कम हो रहे हैं.
जवाब देंहटाएंसलिल जी,
जवाब देंहटाएंकोटिशः धन्यवाद.
दो महीना पहले सहारनपुर में मालिनी अवस्थी का कार्यक्रम हुआ था. उसमें उन्होंने यह गीत गाकर सुनाया था . पूरा सभागार नम आँखों से सुन रहा था. अमीर खुसरो की यह रचना कई सौ साल बाद भी हर बेटी की ओर से सवाल करती है और सिवाय आँख नम करने के कोई उत्तर किसी बाप के पास नहीं मिलता है.
सोनी जी की शादी पर बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति ...!!!
जवाब देंहटाएंरिश्तों को बनाने और निभाने की कला कोई आप से सीखे ...!!!
शादी की तस्वीरें सुंदर हैं ।
आपकी छोटी बिटिया का गाना भी बहुत सुंदर लगा ...बड़ी हो कर गायिका बनेगी जी ...सच !!!
आज केवल अंतर से धन्यवाद कह लूँ?
जवाब देंहटाएंआपको और आपके हर रिश्तों को मंगलकामनायें।
नवदम्पति को भी उज्जवल भविष्य के लिए बधाईयाँ।
बरे भाई ... आप भी कैसन-कैसन पोस्ट लगा देते हैं ... एकदम रुलाने का प्रोग्राम बना कर। आपका पोस्ट पढने बखत हमेसा दिल धर-धर करता रहता है कि अब रुलाएगा-तब रुलाएगा। इसमें त ऊहो मौका नहीं दिए। एक दम्मे सुरुए से रोलाने का इंतजाम कर रक्खे थे।
जवाब देंहटाएंअब अपना मने ऐसन है त का कहें। एगो सिकरेट बताते हैं, किसी से कहिएगा मत... अप्पन बियाह में बिदागरी के बखत ऊधर कनिया रोए जा रही थी, इधर उसको रोते देख अप्पन रुलाई नहीं रुक रहा था।
रहा बात ई पोस्ट का त का कहें .. ई ब्लोग जगत है ही ऐसन कि ईहां लोग एतना आत्मीयता से मिलते हैं कि सगे-संबंधी भी फ़ेल है। अब आप ही से मिलने के पहिले थोरे हमको पता था कि एतना अपनापन बाला संबंध बन जाएगा। जब संबंध बनिए जाता है त सुख-दुख त बांटिए लेते हैं।
जवाब देंहटाएंबरा निम्मन लगा ई सब पढकर कि एतना अपनापन से सब लोग आपसे मिले और बरा अपनापन परदरसित किए।
एगो बात त बोलना बुलिए गए। बिटिया का गाना बहुते बढिया लगा। बिटिया को आसीस।
जवाब देंहटाएंnam aankho se likhi...aanhein nam kane wali post
जवाब देंहटाएंआज तो भावुके कर दिए आप....हम भी तीन थो बहीं का बिदाई देखी हैं जब हम अपने उम्र के क्रमशः ११, १३ और २४ साल के थे.... आड़ आ गया...
जवाब देंहटाएंफिजिक्स पड़ते समय प्रतिबिम्ब वाला बात का इतना बड़ा सामाजिक दृष्टिकोण हो सकता है कभी नहीं सोचे थे.....बहुत अच्छा था अलंकार.....
बहुत अच्छा लगता है यहाँ आ के.....
गणतंत्र दिवस की शुभकामना....
राजेश
सलिल भैया, कल चौबीस तारीख थी और दोपहर के समय कुछ याद आया तो आपको फ़ोन करके कन्फ़र्म करने वाला था कि एकदम से व्यस्त हो गया। फ़िर रात में एक दो जगह आपके कमेंट देखे तो मुझे लगा शायद तारीख सुनने में मुझे गलती हो गई थी।
जवाब देंहटाएंआपको, आपकी सोनी बिटिया और संबंधित उभय पक्ष को हार्दिक बधाई एवम स्वर्णिम भविष्य की शुभकामनायें।
रिश्तों वाली बात मैंने भी या फ़िर मैंने ही कही थी, तारीफ़ के तौर पर और आप उस तारीफ़ के पूरे हकदार हैं।
शुभकामनायें देनी थीं, दे दीं लेकिन आपके दिल और दिमाग की दुश्मनी चिरंतन रहे, ये भी अपनी कामना है:))
सलिल भाई ! मैं इसीलिए किसी की भी विदाई के पहले ही वहां से चल देता हूँ ...लोग कहते हैं ....मिसिर जी भाग लिए ....इतना देर भी नहीं रुक सकते थे ....अब उनको हम का बताएं कि काहे भाग लिए. नेट पर बने रिश्ते शायद नेट का बहुत बड़ा वरदान है हमारे लिए ....पश्चिम की तो नहीं जानता ....हमारे देश में तो सगे से भी बढ़ कर अपने साबित हो रहे हैं ये रिश्ते .......नई बेटी और नए बाबूजी ..दोनों को मेरा विनम्र प्रणाम !
जवाब देंहटाएंक्या करते है सलिल भाई ... आप भी बस ... आज से ठीक २ महीने पहले ही तो विदा किया है बहन को आपने वह पल फिर याद दिला दिए !
जवाब देंहटाएंसलिल जी बहुत ही भावुक पोस्ट ......दिल को छू गयी. अउर गाना भी बहुतै बढ़िया लागल........ .....
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट ने आँखें नम कर दीं
जवाब देंहटाएंकुछ कहने लायक नहीं छोड़ा
हजारों पोस्टों पर भारी है आपकी ये सादगी भरी पोस्ट
शुभ कामनाएं
बेटी और बहन को एक दिन विदा करना ही पड़ता है,कलेजे पर पत्थर रख कर।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं
आप सब को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं.
जवाब देंहटाएंसादर
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गणतंत्र को नमन करें
बेटी की विदाई ख़ुशी और दुःख दोनों साथ लाती है ...आजकल पिता ज्यादा संवेदनशील होते हैं या शायद सामाजिक रुढियों को तोड़कर अपना दुःख प्रकट करने लगे हैं ...
जवाब देंहटाएंटेलीविजन या फ़िल्मी में कोई विदाई का सीन देख ले तो हमसे ज्यादा पतिदेव की गंगा-जमना बह जाती है ...
मन भीग गया पोस्ट पढ़ कर , मगर हमारी सामाजिक व्यवस्था यही है और इसे सुचारू रूप से चलने के लिए बेटियों को विदा करना ही होता है ..
सोनी को बहुत प्यार और उसके सुखद भविष्य की शुभकामनायें ...
गणतंत्र दिवस की बहुत शुभकामनायें !
मार्मिक लेख है,अच्छा भी लगा रिश्तों और उन्हें निभाने की कला देख कर.आपकी छोटी बिटिया का मधुर गायन भी बहुत अच्छा लगा.पुनः
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की मंगल कामनाएं.
लईके के विदाई के सनय पत्थर के कलेजा भी पिघल जाला ,आदमी त आदमी ही है।दिल को मर्माहत करने वाला पोस्ट।
जवाब देंहटाएंसबसे पहले आप को और आप की बेटी को बधाई |
जवाब देंहटाएंआदरणीय सलिल जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
....बहुत ही भावुक पोस्ट ......दिल को छू गयी.
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!
Happy Republic Day.........Jai HIND
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं
जवाब देंहटाएंhamare ko koyi bitiya to nahi hai,phir bhi dard ho hi gaya.aap ko republicday ki hardik badhayi.
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावुक पोस्ट की है आपने.हँसते हंसाते रुला दिया.
जवाब देंहटाएंभाउक क्षणों की अच्छी प्रस्तुति,और ब्लाग जगत में स्नेह और प्यार बरसता रहे ।
जवाब देंहटाएंआज के दौर मे जब लोग अपनो को भी भूल रहे है । आप रिश्तों को संजों रहे है । बहुत बडी उपलब्धि है ये ।
जवाब देंहटाएंआपकी बिटिया को हमारी बहुत शुभकामनाये
काहे सी पालई रे बाबुल काहे सी पोसी
जवाब देंहटाएंकाहे पिलायो काचो दूधजी?
बेटी कहती है -रे बाबुल किससे पाला किससे पोसा और किससे कच्छा दूध पिलाया और क्यों ?जब मुझे ससुराल ही भेजना था तो ?
माया सी पालाई रे बाबुल माया सी पोसी ममता पिलायो काचो दूधजी |
बाबुल कहते है माया से पल पोस कर बड़ा किया और ममता माँ ने कच्चा दूध पिलाकर बड़ा किया |
आपकी पोस्ट पढ़कर मुझे हमारे निमाड़ी लोकगीत की ये पंक्तिया यद् आ गई |आज भी जब भी किसी का भी panigrehan संस्कार होता है मंगलाष्टक बोले जाते है तो आंखे भर ही आती है |मै तो अपनी बहुओको विदा कराकर लाई थी तब भी रोदी थी |
अपकोऔर आपकी बेटी को बधाई |
26 जनवरी को मेरी मौसेरी बहन की शादी थी झांसी मे। आज ही लौटा और और संयोग देखिए कि आप की ये पोस्ट पढ़ने को मिली।
जवाब देंहटाएंकिसी की भी विदाई में मेरी आँखें भी नम हो ही जाती हैं। खुद की शादी में भी हो गईं थीं।
इन दिनो आप जो पोस्टें लिख रहें हैं उनका दो प्रभाव हो रहा है मुझ पर-
1. इमोशनल हो रहा जाता हूँ, और
2. बहुत सी पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं।
अच्छा लगता है आपको पढ़ना।
main der se pahuncha hun..magar waqt par pahuncha hun...dua men deri thode hoti hai...soni jee ko jeevan kee sabhi khushiyaan milen...aur wo aabhasi pratibimb seedhe bante hain waali baat to aisi hai ki kya kahun....bahut jyada bhavuk karne wali post hai....
जवाब देंहटाएंलोग हमको कहता है कि आप सबसे रिस्ता बना लेते हैं, ......
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक पोस्ट. नव विवाहित जोड़े को शुभकामनायें
apko evam bitiya-damad ko badhai
जवाब देंहटाएंpranam.
Badaa moshkil se aadha lekh ke baad padhe hain bhaai jee...bhare lor aankh se padhna abhi tak nahi aaya na..क्या karen...
जवाब देंहटाएंदिल्ली में भी और आभासी दुनिया में भी ऐसे रिश्ते बनते हैं, देखकर सुनकर अच्छा लगा.. नव दंपत्ति को हार्दिक शुब्कामना ! और आपको भी..
जवाब देंहटाएंसलिल जी आभासी दुनिया में रिश्ते बनते हैं लेकिन ऐसे मालूम ना था... आपका पोस्ट पढ़ मन गीला हो गया ... युगल जोड़ी को शुभकामना दिल से....
जवाब देंहटाएं@पलाशः
जवाब देंहटाएंरिश्ते दिल के होते हैं दिल्ली के या आभासी दुनिया के नहीं!!
क्या लिखूं, बहुत भावुक कर देने वाली प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंरिश्ते तो अनायास बन जाते हैं लेकिन रिश्तों का निभाने वाले कम ही मिलते हैं। आपने तो आभासी कहे जाने वाले रिश्ते को भी गहन अपनत्व के साथ निभाया है।
अनोखी बात यह लगी कि फिजिक्स में भी कविता ढूंढ ली आपने-
‘‘आभासी प्रतिबिम्ब हमेसा सीधा होता है, जबकि बास्तबिक प्रतिबिम्ब हमेसा उल्टा होता है।‘‘
यह उपमा इस प्रसंग में बिल्कुल सटीक बैठती है।
dadu....main rajasthani hoon...vidaai par ghoonghat kiye hue thi, main bhi, aur mummy bhi.....par papa ke paas aisa koi parda na tha jo unhe chupa sake....mere sabse chote devar aaj tak bolte hai..."hamari bhaabhi ki vidaai bhi kamaal thi, na bhabhi royi, na unki mummy....bas bhabhi ke papa phoot phoot kar ro rahe the"
जवाब देंहटाएंsach, do saal ho gaye...papa ab bhi baithe baithe ro padte hain, mummy batati hain
vidayi cheez hi aisi hoti hai dadu....kya kahoon...ro padungi
http://insearchofsaanjh.blogspot.com/2010/11/blog-post_14.html
जवाब देंहटाएंfor u dadu...please padhiyega....luv u
ये मेरा loss है कि इस संवेदनशील पोस्ट को पढने में इतनी देर हो गयी....
जवाब देंहटाएंआज भी लडकियाँ कितनी भी आधुनिक हो जाएँ...दूल्हा चयन करने से लेकर अपनी शादी की तैयारियों में हाथ बटाएँ...पर विदा होते समय उनके दिल की कसक आंसुओं के रूप में निकल ही पड़ती है...और सबकी आँखें गीली हो जाती है.
सोनो गर्ग को शादी की बधाई...नए नए रिश्ते बनते जाते हैं और हम इतने अमीर बन जाते हैं...पता भी नहीं चलता .
छुटकी बिटिया को बहुत बहुत प्यार और आशीर्वाद
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंनमस्कार........ आपका लेख मन को छु गया......
जवाब देंहटाएंमैं ब्लॉग जगत में नया हूँ, कृपया मेरा मार्गदर्शन करें......
http://harish-joshi.blogspot.com/
आभार.
इस पोस्ट के ऊपर के दो पैराग्राफों के चलते आज जो आंसू आपने बहवाये हैं सलिल बाबू ओकरा हिसाब आपको रखना होगा !
जवाब देंहटाएंऔर सोनी बिटिया को हमरा भी बहुत स्नेह आशीष!
प्रिय छोटकी को भी ढेर सार आशीष ...
आपने बताया था..की शादी में जा रहे हैं आप...लेकिन ये नहीं पता था की सोनी जी का शादी है..
जवाब देंहटाएंखैर,सोनी जी को बहुत बहुत बधाई और मुबारकबाद..
बेटी का बिदाई का वक्त तो सही में कष्टदायक होता है..:(
मुन्नवर जी से कुछ दिन पहले मिलना हुवा और ये शेर भी सुना उनके मुँह से .... और अब आपके ब्लॉग पर ....
जवाब देंहटाएंकई रिश्ते बस प्यार के रिश्ते होते हैं ... कुछ दिनो के ही सही ... लंबे रिश्ते होते हैं ...
एक बेटी और बड़ी हो रही है ....उसे भी करना है विदा....आँखे तो सोचकर ही नम हुई जाती है ....
जवाब देंहटाएंछोटी बहन का गाया हुआ गाना बहुत प्यारा लगा , सोनी जी भी आपको बाबू जी कहती हैं , ई रिश्ता से तो दीदी हुईं हमारी | तो
जवाब देंहटाएंसोनी दीदी को उनके आगामी जीवन के लिए ढेरों बधाइयाँ |
(हालाँकि हमें अभी भी आपको बाऊ जी कहने का ओफिसिअल परमिसन नहीं मिला है ??)
सादर
apni vidaayi se phir se yaad aayi
जवाब देंहटाएंaur aaj ek baar fir main ansuo se nahaayi