मंगलवार, 27 जुलाई 2010

वो जब याद आएँ,बहुत याद आएँ!!

बहुत साल पहिले मनोज कुमार का एगो सिनेमा आया था “शोर”.बहुत मार्मिक सिनेमा.एगो आदमी का बच्चा दुर्घटना में अपना आवाज खो देता है अऊर गूँगा हो जाता है. ऊ आदमी को दुनिया में चारो तरफ सोर सुनाई देता है, लेकिन उसके अंदर उसको अपना बच्चा का आवाज नहीं सुनाई देता है. नफरत हो जाता है उसको सोर से. बच्चा का ऑपरेसन होता है,अऊर जिस दिन बच्चा पहिला बार अपने पापा को पापा कहकर पुकारने वाला होता है,ऊ आदमी का दुर्घटना में कान ख़राब हो जाता है, ऊ बहरा हो जाता है.
भगवान का एतना क्रूर मजाक!

दूसरा कहानी असली जिन्नगी से. एक आदमी को बच्चा से बहुत प्यार था. लेकिन उनके घर में कोई बच्चा नहीं था. उनके दूगो बेटा का सादी होकर काफी दिन हो गया था, लेकिन पोता-पोती का सुख उनको नहीं मिला था. बेचारे बच्चा को गोद में खेलाने का सुख नहीं पा सके. एक दिन उनके यहाँ दू महीने के बीच में दूनो बेटा को एक बेटा अऊर एक बेटी पैदा हुई. पूरा घर खुसी से भर गया. उनको भी एक के जगह दूगो बच्चा गोद में खेलाने का सुख मिला. दू तीन महीना के अंदर ही उनका जोड़ का दर्द का बीमारी एतना बढा कि बच्चा लोग को गोद में उठाने का ताक़त भी जाता रहा.
भगवान का एतना क्रूर मजाक!!

ऊ आदमी हमरे पिताजी थे. हमलोग के सबसे अच्छा दोस्त. अऊर जिन्नगी का पाठसाला में हमलोग का पहिला अऊर एकलौता गुरू. अपना जिन्नगी का पूरा टाइम इलाहाबाद में रहे. लेकिन पटना से लेकर दिल्ली तक के बीच का सारा बोली पानी के जईसा बोल लेते थे. उनका बोली सुनकर कोई नहीं कह सकता था कि ऊ कहाँ के रहने वाले थे. मगही, भोजपुरी, बनारासी, इलाहाबादी, खड़ी बोली… सब एकदम परफेक्ट. आज जब हम हिंदी, उर्दू, मगही, भोजपुरी, बंगला अऊर अंगरेजी फर्राटे से बोलते हैं, त लगता है कि उनका आत्मा हमरे अंदर परवेस कर गया है. सुनने वाला कभी हमको बंगाली अऊर कभी मुसलमान समझता है.

मुसलमान से याद आया, इलाहाबाद में उनके तीन ठो दोस्त थे – अंसार अहमद, फख्रे आलम अऊर ज़ुल्फ़िक़ार अली सिद्दीक़ी. सायदे कोनो ईद होगा जो ई तीनों लोग हमरे पिताजी के बिना मनाए होंगे. हमलोग को कभी ई नहीं सिखाए कि हिंदू मुस्लिम का होता है. भाईचारा का सिक्षा उनसे मिला हमलोग को. ऊँच नीच, जाति धरम का कभी कोई भेद नहीं किए.

साहित्त से एतना लगाव कि कॉमिक्स पढने के उमर में मण्टो, राही मासूम पढने को दिए, फिल्म संगीत से एतना लगाव कि हर गाना का बरीकी अऊर हर संगीतकार का खूबी समझाते थे. शंकर जयकिशन उनके फेभरेट संगीतकार थे, अऊर हमरे भी. गाना गाने का भी सौक था उनको. हमरी एगो चाची थीं (उनकी भाभी), उनके साथ बहुत गाना गाते थे अऊर लोग मुग्ध होकर सुनता था. सिनेमा का बारीकी ओही सिखाए हमलोग को. बचपने में हमलोग को बुझाता था कि एडिटिंग का होता है, स्क्रिप्ट राईटिंग किसको बोलते हैं अऊर स्क्रीनप्ले का होता है.

एगो आदत बहुत खराब था. सिगरेत बहुत पीते थे. खुद से बनाकर विल्स का नेभी कट तम्बाकू के साथ. पटना का मसहूर दुकान जे.जी. कार एण्ड संस से लाते थे. उस तम्बाकू का मिठास, आज भी ताजा है हमरे मन में. हमलोग को कहते थे कि सिगरेट पीना हो त हमको बताकर पीना, ताकि दूसरा कोई जब हमको बताए त हमको सदमा नहीं लगे अऊर हम कहें कि हमको पता है. अब एतना हिम्मत कहाँ था हमलोग में, त बोलने से अच्छा है कि सिगरेटे नहीं पिएँ. आजतक कोई नहीं पीता है सिगरेट, हमरे भाई लोग में.

अब उनका अच्छा आदत भी सुन लीजिए. ब्लड प्रेसर के कारन आँख में हेमरेज हो गया था उनको. डॉक्टर साहब बोले कि सिगरेट छोड़ दीजिए, आपके लिए आत्महत्या के समान है. हाथ में बनाया हुआ सिगरेट लेकर सोचते रहे, फिर सिगरेट अऊर नया तम्बाकू का पाऊच फेंक दिए. मरते दम तक दोबारा हाथ भी नहीं लगाए कभी. जो लोग कहते हैं कि ई आदत नहीं छूटता है कभी, ऊ लोग के लिए उदाहरन है ई घटना कि मोस्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए.

बहुत ऐक्टिभ अदमी थे, कसरत करते थे अऊर सरीर ऐसा था कि हमरे बड़े भाई लगते थे. रिटायर होने के बाद कहते थे कि कलकत्ता हमरे पास रहेंगे कुछ दिन. बहुत सारा बात सोच रखे थे कि यहाँ जाएँगे, उससे मिलेंगे, उसके पास रहेंगे कुछ दिन. लेकिन अचानक जोड़ का दर्द, गलत दवा अऊर ब्लड प्रेसर मिलकर हार्ट अटैक में बदल गया. ब्लड प्लैटेलेट दिया जा रहा था उनको, स्कूटर पर बैठकर चले गए भाई के साथ. सब ठीक था, बोले बेचैनी लग रहा है. नर्स कही कि ब्लड प्रेसर देख लेते हैं. देखकर चौंक गई कि बहुत बढ गया है, अऊर सुनते ही उनका हार्ट फ़ेल. सब का सब प्लानिंग बस प्लानिंग रह गया. नहीं आ सके कलकत्ता रहने हमरे साथ,हमरी बेटी के साथ.
भगवान का एतना क्रूर मज़ाक!

आज उनका पुण्य तिथि है. भगवान उनके आत्मा को शांति दे!!

37 टिप्‍पणियां:

  1. बाबूजी को हमारा प्रणाम !
    हम आज आपका पोस्ट का हेअडिंग देख कर ही समझ गए थे कि आज मामला कुछ और ही है ! खैर, आप बहुत खुश किस्मत है जो आपको बाबूजी अपने साथ रखते थे और अपने शौक से जुडी हुयी चीजों के बारे बताते भी थे और वही बाते आज आप का अनुभव है ! एक बाप और बेटे के बीच अगर एक दोस्त का सा रिश्ता रहे तो कितना अच्छा होता है यह मैं भी जानता हूँ और उम्मीद है आने वाले समय में मेरा बेटा भी जानेगा ! वैसे बहुत सही कहे आप ............"वो जब याद आएँ,बहुत याद आएँ!!"............यही होता जब कोई अपना याद आता है !

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  2. आपके पिताजी के लिए हम भी शांति की प्रार्थना करते हैं....

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  3. आपकी दूसरी कहानी पढ़ कर ही आगे की सारी कहानी समझ आ गई थी ! सच है, जब कोई याद आता है तो बहुत याद आता है !

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  4. बाबूजी को नमन!
    हमें भी कुछ अनमोल दिया है बाबूजी नें
    "हमारा सलिल भाई"

    - चैतन्य आलोक

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  5. यह आपकी संवेदनशीलता ...प्यार को समझाने कि ताकत भी उन्ही से मिली है आपको ...
    सादर .

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  6. ............
    ............
    ............
    esehin laut ke chle jayenge
    kuch na bolenge...

    hamare bare-bujurg kahte hain ki
    ham bachpan se hi bahot .... bahot
    hi jiddi hain koi kitna hi manaye
    hamne kabhi kisi se kuch nahi mange.

    isi na mangne ki aadat par shadi me
    bhi sashural bale dukhi hoi gaye jab hamre kuch mangne se koi "shadi
    ka riwaz poora hona tha.

    baooji ko hamra.....
    aur hamre baooji ke taraf se bhi.

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  7. Bihari babu, bahut dino ke baad aaye, sorry!!

    aapne to apne peetajee ke liye jo byan kiya hai, padh kar, achchha laga........

    waise aap jaise bete ki chahat sabko hogi, jo apne peetajee ki kahani ko dil me samete rakhe, aur jeete rahe.......

    chachajee ko bahut bahut naman!!

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  8. सलिल भाई, पिछले जन्मों में संचित आपके पुण्यों का फल ही आपको ऐसे पिताजी के रूप में मिला था। इस शख्सियत को मेरा शत शत प्रणाम।

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  9. बाबूजी को मेरा शत शत नमन! जो दिल के करीब होते हैं उन्हें याद करके बहुत दुःख होता है! मार्मिक प्रस्तुती!

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  10. सहज व बहुत सुन्‍दर ढुग से याद किया है भाई साहब आपने अपने पिता जी को.

    उन्‍हें मेरा नमन.

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  11. आपके पिता श्री के विलक्षण गुणों के समक्ष मेरा सर श्रधा से झुक गया है...इश्वर उनकी आत्मा को शांति दे...अपना फला-फूला परिवार देख कर निश्चय ही स्वर्ग में बैठे वो आनंदित होते होंगे...

    नीरज

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  12. aaj nat ho lun itna hi saamarthya hai..

    Babuji apki ragon me bahte hain..walid kabhi vida nahi lete.

    Naman

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  13. बाबा को प्रणाम!
    सच में कभी कभी भगवान् का लीला समझ में नहीं आता है. मेरे मामा का बेटा २ महीने का ही था की मामी चली गयीं. अभी १० साल पहले का ही बात है, हम नानी के घर पे ही थे. पहली बात इतना करीब से मौत को देखे था....उसका टीस आज भी मन में है.

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  14. उम्दा भावनात्मक व प्रेरक प्रस्तुती ...

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  15. शीर्षक से ही भावनाओं की गहराई का एह्सास होता है।
    इस संवेदनशीलता को नमन।
    बबूजी को प्रणाम!!

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  16. पिता जी को पुण्य नमन!!

    बहुत भावनात्मक पोस्ट.

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  17. आपकी उनकी विरासत को आगे ले जा रहे हैं यही सच्‍ची श्रद्धांजलि है।

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  18. पिता जी से आपने बहुत कुछ सीखा है...आपके बाबू जी के बारे में पढ़कर लगा कि आप उनके कार्य को आगे बढ़ा रहें हैं ...यह उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है । बाबू जी को श्रद्धा नमन !!!

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  19. पिता जी से आपने बहुत कुछ सीखा है...आपके बाबू जी के बारे में पढ़कर लगा कि आप उनके कार्य को आगे बढ़ा रहें हैं ...यह उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है । बाबू जी को श्रद्धा नमन !!!

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  20. उफ़... बहुत दर्द है आपकी कलम में ! लेकिन आपकी बहुमुखी प्रतिभा का रहस्य समझ कर अच्छा लगा !! बाबूजी को नमन !!! आपको धन्यवाद !!!!

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  21. वर्षों पहले ईश्वर के इसी तरह के क्रूर मजाक ने पिता के साए से वंचित कर दिया था ...
    नमन एवं श्रद्धांजलि ...!

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  22. आप सभी परिजनों ने जो श्रद्धांजलि अर्पित की उसके लिए हम आप सबों का दिल से करबद्ध भाव से आभार जताते हैं.

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  23. बहुत संजीदा पोस्ट! बहुत अच्छी पोस्ट! आपके पिताजी को मेरी विनम्र श्रद्दांजलि!

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  24. श्रधांजलि , ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे :(
    मैं दावे से कह सकता हूँ कि ई पोस्ट लिखते बखत आपका आँख गीला तो हुआ ही होगा (ऊ आप का कहते हैं , लोर भर आया) |

    सादर

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  25. बाबूजी को नमन और श्रद्धांजलि
    बस इस समय और कुछ नहीं कह पाऊंगी

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  26. अक्सर पेन पेन्सिल लेकर
    माँ कैसी थी ?चित्र बनाते,
    पापा इतना याद न आते
    पर जब आते, खूब रुलाते !
    उनके गले में,बाहें डाले,खूब झूलते , मेरे गीत !
    पिता की उंगली पकडे पकडे,चलाना सीखे मेरे गीत !४

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  27. बाबूजी प्रेरणा-पुंज बनकर हमेशा साथ रहेंगे और आप उनके सुझाये मार्ग पर हमेशा आगे बढ़ते रहेंगे।
    नमन।

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  28. इस पुण्य तिथि पर उनकी बेटी भी हाथ जोड़े खड़ी है …

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  29. ऐसे लोग कहीं नही जाते ....सदा सब के दिलों में राज करते है ....
    विन्रम श्रद्धांजलि!

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