शनिवार, 31 जुलाई 2010

हमरा ब्लॉग परिवारः भाग दो

परिवार परिचय का पिछलका एपिसोड में जो प्रतिक्रिया मिला,उसमें कुछ सुधार भी था,कुछ अपनापन भी था, कुछ मन को छूने वाला बात भी था, कुछ नया जानकारी भी था. ई हमरे मन का बात है जिसको हम जईसा महसूस किए,लिख दिए.जिसके बारे में लिखे ऊ भी ओतना ही आत्मीयता से महसूस करेगा, अईसा हमरा सोचना है.

श्री मनोज भारती. हमपेसा हैं, फरक एतना है कि हम पैसा का हिसाब करते हैं, मनोज बाबू राजभासा का. हमसे पहले से ई दुनिया में रह रहे हैं अऊर समय समय पर अच्छा अच्छा ब्लॉग से परिचय भी करवाते रहे हैं.हमरे साथ राजनीति सिनेमा का समीक्षा भी किए थे. हमरा पोस्ट जरूर पढते हैं. उनका टिप्पनी बहुत महत्वपूर्ण होता है. मन से कबि, ओशो गंगा में आकण्ठ डूबे हुए, ब्लॉग साहित्य के यायावर हैं. हमरे इस ब्लॉग को सँवारने में उनका भी बहुत बड़ा हाथ है. एगो रहस्य का बत त रहिए गया. ई जो फोटो देख रहे हैं इनका, ई एक्सक्लूसिभ है हमरे ब्लॉग पर, इनकाअपना ब्लॉग पर भी नहीं मिलेगा.

इनसे मिलिए. ई हैं मैनपुरी के श्री शिवम् मिश्र. जनता के ऊपर बीमा का छतरी लगाए हैं. बहुत आत्मीय आदमी हैं, बहुत पढाकू, बहुत सम्बेदनसील, सच्चा देसभक्त. कहते हैं सम्बेदनसीलता को छिपाने के लिए भेस बदल लेते हैं (मतलब दाढी, करिया चस्मा). तनी मनी ऊँचनीच कह दीजिए त तुरते बाँह चढाकर तैयार (अब ई बात पर मत गुसिआइएगा, पहिलहीं बोल देते हैं). एक बार हम कुछ कहे, त तुरते अपना नम्बर देकर बोलिन की बतिया लीजिए हमसे. हम त एतना डरा गए कि पटना जाते जाते नई दिल्ली टेसन से गाड़ी का हल्ला में बतियाकर बात किलियर किए. जानकारी का भंडार है इनके ब्लॉग पर. इनसे सुरू से जुड़े हैं. आजकल ई चर्चा भी करते हैं अऊर हमको भी कभी कभी स्थान मिल जाता है इनका चर्चा पर. जेतना अच्छा लिखते हैं, ओतना अच्छा इंसान हैं.

हमरे बाबा भारती, राजेश उत्साही जी. अपना जाति लेखक अऊर गोत्र सम्पादक बताते हैं. टिप्पणी के साहंसाह हैं. जितने गुनी इंसान हैं, ओतने गुनग्राही भी हैं. नारी का सम्मान एतना कि अपनी अर्द्धांगिनी (हमको तो पूर्णांगिनी लगती हैं) के छिपा हुआ ब्यक्तित्व को दुनिया के सामने परकट किए अऊर मन का मलाल भी दुनिया से बाँटे. हमरे जईसा साधारन छमता वाले आदमी को एतना सम्मान दिए कि हम सचमुच उसके जोग्य नहीं हैं. लोग पेटी में खजाना रखता है, ई गुल्लक में खजाना रखते हैं. देखिए! बिना देखे बिस्वास करना मोस्किल है.

नीरज गोस्वामी जी. मुम्बई नगरिया के गजलकार. इनके दूगो पोस्ट के बीच का अंतराल का कारन, इनका ग़ज़ल पढने के बाद चलता है. पढेंगे तब बुझाएगा कि ई अंतराल, गजल को दिल में उतारने का साधना के कारन है. लोग सब्द बैठाकर गजल लिख देते हैं, लेकिन गोस्वामी जी, गजल को जीते हैं. सेर पढने के बाद आप ‘बाह’ कहने पर मजबूर नहीं होंगे, अबाक् रह जाएंगे. अऊर जेतना प्यारा इनका गजल होता है,ओतना अच्छा गजल का किताब का समीक्षा लिखते हैं.

संगीता स्वरूप जीः दीदी कहते हैं इनको हम.ई जो परिवार वाला बात हम लिखे हैं,ऊ तो हमसे भी पहिले से बनाए बैठी हैं.स्वप्निल इनको 'ममा' कहता है अऊर ई उसको 'बेटू'. बाकी सारी महिलागन इनको दीदी बोलती हैं. कोलकाता से इनका भी सम्बंध रहा है, इसलिए हमहूँ संगीता दी बोलने लगे, सहज भाव से. इनका कबिता, सब्द के किफायत अऊर अर्थ के बहुतायत का संगम है. एक बार इनका कबिता का गलत भूल बताने पर इनसे डाँट (मज़ाक) सुन चुके थे, लेकिन दोबारा जब दोसरा कबिता में गलती बोले त मानते हुए तुरत पूरा लाइन बदल दीं. हर पोस्ट को पढना, बिचार पर्गट करना, चर्चा करना, इनका समर्पित ब्यक्तित्व बताता है. एक बात इनसे सीखे हैं हम कि यह जगत अच्छा है, लेकिन हमरा बास्तविक जगत का भी हक है हमरे ऊपर. उसको नहीं भूलना चाहिए.

बिना समीर लाल जी के उड़न तश्तरी का बात किए त हमरा चर्चा अधूरा रहेगा. हमरा नासमझी के दिन में, बिचार का उड़ान के दौरान, हम समीर बाबू के उड़न तश्तरी से टकरा गए. लेकिन ऊ टक्कर बहुत कुछ सिखा गया हमको अऊर उनका मुरीद बना गया. ई कवि हैं, लेखक हैं, संसमरनकार हैं. लेकिन हमको लगता है कि ई बास्तव में ऐक्टर भी हैं (छमा याचना सहित). बम्बई (अब मुम्बई) में सी.ए. का पढाई करने के बाद यह भी लगता है कि ऐक्टिंग बस गया है इनके अंदर. इनके ब्लॉग पर लगा हुआ इनका फोटो देखने अऊर इनके गीत का तरन्नुम में भिडियो सुनने के बाद आपको लगेगा कि ई सनदी लेखाकार कहाँ ओशो की नगरी से सात समुंदर पार चला गया.'मुझको पहचान लो' कहने पर भी मुम्बई नगरिया पहचान नहीं पाया इनको. ई उड़न तश्तरी कम, छतरी जादा हैं, जिसके अंदर न जाने केतना ब्लॉगर को समेट रखे हैं अऊर इनसे हिंदी ब्लॉगर को असीम प्रेरना मिलता है.

प्रान जईसा महान कलाकार का आत्मकथा का सीर्सक है “And Pran”. सिनेमा का पर्दा पर सब हीरो लोग का नाम देखाने के बाद इनका नाम देखाया जाता था “ऐण्ड प्राण” लिखकर, इसलिए ऊ अपना आत्म-कथा का नाम भी ओही रखे. इसलिए हमरा आज का एपिसोड खतम करने से पहिले कहत हैं “ऐण्ड अनूप शुक्ल”. सब पढते हैं अऊर गुनते हैं, तौल के टिपियाते हैं. हमरा पहलौठी का कबिता पर ऊ जो कमेंट दिये थे ऊ हम भुलाईये नहीं सकते हैं. सत्यनारायण के कथा के जईसा साधु वनिक के नाव में का है बिना बताए भाँप जाने वाले अकेला आदमी.ओही समझ पाए थे ऊ कबिता का ब्याख्या. जमीन से जुड़े हुए मानुस. पिछला पोस्ट पर भोरे भोरे फोन करके बधाई दिए. भीष्मपितामह हैं ब्लॉग जगत के. हमको जेतना महीना लिखते हुआ है, ओतना महीना त पंडित जी ब्लॉगिंग में मौन रहे होंगे. अपने आप में संस्थान हैं. कहते हैं किसी के लेखन को जानना हो तो उसका अंतिम वाला पोस्ट नहीं, पहिला से अंतिम तक का पोस्ट पढो. इनका लेखन के बारे में एही बोल सकते हैं कि जिन डूबा तिन पाइयाँ.

अब का बताएँ,एतना बड़ा परिवार है अऊर जगह कम. चलिए, जईसे एतना बर्दास्त किए हैं, एक एपिसोड अऊर बर्दास्त कीजिए. अंतिम भाग सोमवार को.

35 टिप्‍पणियां:

  1. इ पोस्ट को देखकर लगता है की आप बरी गंभीरता से सभी ब्लोगरों पर आउर उनके ब्लोगों पर नजर रखते हैं ,इसी को कहते हैं परिवार का ख्याल रखना और अपनापण | बहुते बढ़िया ....

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  2. आश्चर्य!!
    टी वी में लालू जी को सुन कर बिहारी लहजे का एक विचित्र सा मानस बना लिया था।

    लेकिन आपको पढता हूं तो सोचता हूं बिहारी लह्जे में भी कितनी मार्मिकता से सम्वेदनाएं प्रकट हो सकती है। मिठास भरे लहजे से परिचय करवाने का शुक्रिया।
    आज सप्तॠषि दर्शन हो गया।

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  3. क्या बात है चचा जी...
    कितना अच्छा परिचय दिए हैं आप सबका...बहुत अच्छा लगा जान कर :)

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  4. "हम बोलेगा तो बोलोगे के बोलता है ........"
    पर हम तो बोलबे करेंगे ............
    आपने आज जो सम्मान दिया है पता नहीं सच में उस सम्मान के काबिल हूँ या नहीं पर यह जरूर है कि हमेशा यही कोशिश रहेगी कि आपका भरोसा कभी टूटने ना पायें !
    आज के दौर में जहाँ लोग अपने परिवार को परिवार कहने से भी कभी कभी हिचकिचा जाते है, वहाँ इस ब्लॉग जगत में आपने एक परिवार बना कर एक बहुत बढ़िया आदर्श प्रस्तुत किया है लोगो के लिए ................प्रणाम करता हूँ आपको और इस परिवार को !

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  5. सलिलजी ,

    आपने सभी का परिचय बहुत बढ़िया दिया है....अपने परिवार में मुझे शामिल किया ...समान दिया...इसके लिए शुक्रिया बहुत छोटा शब्द है ...पर यह भी नहीं कहूँ तो गलत होगा ....और हाँ एक बात पूछनी है की मैंने आपको डाँट कब लगाई ?
    मुझे तो याद ही नहीं. :):)
    एक बात है आप जासूस पक्के हो..न जाने कहाँ कहाँ से सारी खबर निकाल कर ले आये हो ? लेकिन इतना स्नेह करने वाले लोग कम ही मिलते हैं ....भाई शुक्रिया
    और बहुत सी शुभकामनाएं

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  6. आपकी शैली गज़ब की है . का कहीं कुछ कहाते नइखे ....

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  7. एक से एक हीरे हैं आपके परिवार में ! आपसे अधिक धनी मुझे कोई नहीं दीखता यहाँ !
    आपकी संवेदनशीलता के कायल हो गए , आपने परिवार के रूप में परिचय देकर ब्लागजगत एक नयी प्रथा का श्रीगणेश किया है ! सो शुभकामनायें स्वीकार करें !

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  8. आपकी अपनी शैली है, जिसमे स्नेह लबालब है सलिल जी, कहना, सुनना, बोलना बेमानी है..साधुवाद से कम कुछ भी नहीं, कुछ भी नहीं :)

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  9. आपका परिबार के सदस सब से मिलके मन करता है आपके अंगना में चटाई बिछा के बइठ जाएं और सब से बहुते गपियाएं।
    सोम तक इन्तजार करना परेगा, कल्हे मिलबा देते त अच्छा रहता।

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  10. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    इसे 01.08.10 की चर्चा मंच में शामिल किया गया है।
    http://charchamanch.blogspot.com/

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  11. खडगसिंह जी मान गए बाबाभारती को आज दोस्‍तदिन के अवसर पर दोस्‍ती का तोहफा इससे बेहतर क्‍या हो सकता था। हमें खुशी है कि हम आपकी गैंग के सदस्‍य हैं। सचमुच ही यह बहुत बढि़या और नवाचारी तरीका लगा अपने पसंदीदा ब्‍लागरों से परिचय कराने का। खैर आपकी शैली तो निराली है ही। उसमें जब बिहारीबोली का पुट आ जाता है तो वह बिलकुल दिल के करीब ही लगती है। अपना रिश्‍ता तो मजबूत होता ही जा रहा है। अपन दोनों ही रेल्‍वे मुलाजिम की संतान हैं। बहुत सा बचपन प्‍लेटफार्म और स्‍टेशनमास्‍टर के कमरे में बीता है। आपकी ही चुनौती थी कि नीमा जी ने उसे स्‍वीकार कर ब्‍लाग पर प्रगट होने का फैसला किया। खडगसिंह जी एक ही शिकायत है वह है कि अपन जाति प्रथा में विश्‍वास नहीं करते हैं। हां उसके प्रतीक लेकर हमने अपनी बात कही थी। यानी कि नई तरह की जाति प्रथा में विश्‍वास करते हैं। सो हमारी कुंडली में यह परिवर्तन कर लें तो आभारी रहेंगे।

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  12. @ राजेश उत्साहीः
    हमरा भी लिखने का ओही मतलब था... लेकिन भाबना का खयाल करके हटा दिए हैं. क्षमा!

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  13. एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आप को बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
    आपकी चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं

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  14. आप अपने परिवार में हमें स्थान दे कर हमारा मान बढ़ा दिए हैं...हम तो आपके हाथों बिना मोल बिक गए भाई...आप जैसा लोगन से जब इतना स्नेह मिलता है तभी ब्लॉग जगत हम चाह के भी नहीं छोड़ पा रहे हैं...अब का कहें...आपका स्नेह से दिल भर आया है...इश्वर आपको सदा खुश रखे येही दुआ करते हैं...

    नीरज

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  15. आहाहाहा .......का बात है ...एकदम कमाले धमाल परिवार है ....और इसे बढाते चलिए ...देखिए परिवार नियोजन वालों को इसकी भनक भी न लगने पाए .........हा हा हा

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  16. भई वाह, क्या बात है बाबूजी, आपके परिवार की,
    अब तो मुझे आपकी सोमवार वाली पोस्ट का इंतज़ार रहेगा और हाँ बाबूजी, देखिये आपके परिवार की यश गाथा सुन कर तो आपके एक पुराने साथी भी यहाँ आ गए ! इसे कहते है परिवार !

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  17. संयुक्‍त परिवार प्रथा फिर से नए रूप में हिन्‍दी ब्‍लॉगरों के मध्‍य विकसित हो चुकी है। ब्‍लॉगर तो आप बन चुके हैं। अब ब्‍लॉग संस्‍कृति में परिवार संस्‍कृति के मसीहा के रूप में आपकी पहचान बन चुकी है।

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  18. बहुते नीक और लाजवाब काम कीने है आप ई ब्लॉग जगत के इक परिवार रूपी धागा मा पिरोय के.....बहुत बहुत शुभकामनाए

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  19. आपकी अगली पोस्ट का इन्तजार रहेगा... कुछ और सदस्यों के बारे में बेहतर प्रस्तुति के साथ जानने को मिलेगा....

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  20. वाह! बहुत ही भरा पूरा परिवार है, ईस्वर करे किसी की बुरी नज़र ना लगे इस परिवार को, वैसे भैया हम भी सदस्य हैं इस परिवार के, आप सभी के अनुज भ्राता हैं हम!

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  21. वाह बिहारी जी! दो दिन से इसे देख रहे हैं। खुश हो रहे हैं और सोच कर दुखी भी हो रहे हैं।

    ब्लॉगिंग अपने में अद्भुत चीज है। नये-नये लोगों से परिचय होता है, मन बनता है और अच्छा लगता है। इसका उलट भी होता है।

    भीष्म पितामह महान व्यक्ति थे। उन सरीखा बताने से लगता है कि हमको ज्यादा ही भाव दे दिया बिहारी बाबू ने।

    वैसे पितामह की जब याद आती है तब यही लगता है कि वे सही-गलत समझते हुये भी गलत लोगों के साथ थे। :)

    लिखते रहिये अभी तो तीन माह हुये हैं, तीन होंगे और तीस भी।

    शुभकामनायें।

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  22. Bihari babu, aapke lekhni ko maan gaye.....kaise sabko apna banate chale ja rahe hain......:)

    hame khushi hai, ham aapke blog ko barabar padhte hain.......:)

    जवाब देंहटाएं
  23. Bihari babu, aapke lekhni ko maan gaye.....kaise sabko apna banate chale ja rahe hain......:)

    hame khushi hai, ham aapke blog ko barabar padhte hain.......:)

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  24. dosti ke din
    chotkuo dost ka khayal kijiye

    ain, yahan to diggajon ka dhamal
    ho raha.

    upasthiti darz ho.

    aur bachba ka pranam swikaren.

    sk jha
    chd.

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  25. बहुत सुन्दर लिखा है आपने ! उम्दा प्रस्तुती!
    मित्रता दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ!

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  26. वाह! सलिल भाई!
    आप तो पूरा चिटठा-जगत ही लिये बैठें है अपनी आगोश में. ब्लोग जगत के इस "हू इज़ हू" को जानकर मज़ा आ रहा है, सितारों से आगे जहाँ और भी हैं कि तर्ज़ पर.
    प्रेम का अमृत बस इसी तरह बटँता रहे चहुं ओर, वास्तविक जगत में और आभासी जगत में भी.
    एक शेर से अपनी बात समाप्त करता हूँ
    कुछ तो यूहीं रंगीन हैं
    ये तुम्हारे ब्लोगर्स की बातें!
    और कुछ बिहारी बाबू,
    तुम अपना खून-ए-जिगर भी इसमें मिलाते हो!

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  27. अहि रे दद्दा... ! ई रोजाना एतना पलिवार बढ़ाइयेगा तो परिवार-कल्याण मंत्रालय आपका पीछे पड़ जाएगा. मगर हंसी-खुशी के बात है. एहि तरह दिन दुगुन्ना और रात चौगुन्ना बढ़ता रहे.

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  28. इस परिवार का हिस्सा बन कर धन्य हुए बाबू हम तो!! बहुत आभार स्नेह का.

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  29. संबंध बनाने से ज्यादा बड़ा कार्य है उसे निभाना
    परिवार इसी तरह पुष्पित पल्लवित होता रहे
    शुभम

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  30. भरा पूरा परिवार इसी तरह पुष्पित पल्लवित होता रहे।

    शुभकामनायें

    बी एस पाबला

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  31. वाह क्या बात है ..बहुत ही बढ़िया परिवार है आपका .शुभकामनाये.

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  32. ब्लॉग जगत की अपनी इस लता का एक पत्ता चुनने के लिए ह्रदय से आभार !!!

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  33. रात का डेढ़ बज रहा है और हमरी आँखों में नींद का एक दाना भी नहीं है |
    अगली पोस्ट की तरफ जाता हूँ |
    उससे पहले एक बात और कहना चाहूँगा - आज ही मेरी शिवम भैया और अनूप चचा से बात हुई (इत्तेफाक से एक ही समय पर दोनों से) , इतने सरल और हम जैसे नौसिखिए को तो फिजूल का ही इतना सम्मान दे गए |
    अनूप चचा को तो हम जैसे अपना सारा इतिहास खोल कर बता दिए हों (वो बातें भी जो हम ज्यादातर किसी को बताते भी नहीं हैं ),
    आपको भी हार्दिक धन्यवाद कहना चाहेंगे , न हम इस ब्लॉग पर आते और न ही हमें इतने गुणी लोगों के संपर्क में आने का मौका मिलता | (और फिर आपसे तो इस ब्लॉग के जरिये ही दिल का रिश्ता बन गया है)

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