शुक्रवार, 30 अप्रैल 2010

ब्लॉग - जात्रा

बहुते पानी बह गया गंगा जी में, हमरा परिचय के बाद से। लेकिन का करें टाईमे नहीं मिल रहा था। उमीद है माफ कीजिएगा. हाँ त हम का कह रहे थे... याद आया, ब्लोग लिखने के पहिले, अपना एक महीना का तैयारी का बारे में बोले थे कि बताएंगे. अब ई समस्या हो गया है कि कहाँ से सुरू करें.
त चलिए सबसे पहले ब्लोग शिरोमणी अमिताभ बच्चन जी का बात बताते हैं। कुछ दिन तक त हम पढे, लेकिन बाद में लगा कि टाइम बरबाद हो रहा है। पहिला बात त ऊ जो लिखते हैं सब एकदम से उनका खास बात होता है, अब हमको कोनो सरोकारे नहीं है ऊ सब बात से। हमको का, किसी को नहीं है. दोसरा बात जो हमको खराब लगा ऊ ई था कि उनके ब्लोग पर आप कुछो कहिए उनको सुनाइए नहीं देता है. एकदम कान में रुई डालकर और कोल्हू का बैल जइसन नाक का सोझे चले जा रहे हैं. ए भाई! तनी एन्ने ओन्ने भी देखिए. बहुत लोग आपका बात हमसे जादा ध्यान लगा कर पढता है.
एक दिन अइसहीं ब्लोगस्पॉट पर आए, त मन हरियर हो गया। लोग लिखता है, उसका फोलोअर भी बनता है, उसको कमेंटो करता है और कमेंट का जवाबो लोग देता है. एकदम घरे जैसा. सबसे अच्छा बात त ई लगा कि ई जगह सही माने में स्वर्ग है. जिसको जो बुझाया,जैसा बुझाया लिख दिया. मतलब एके बात से है कि मन का बात कहने के लिए किसी को ऊ नाई के जइसा जंगल में जाकर पेड़ से कहने का जरूरत नहीं है कि राजा के माथा पर दू गो सिंग है. कोई पद लिखता है कोई गद. बाकी लिखता है मन लगाकर, अऊर मानकर कि दुनिया का सबसे अच्छा लेखक ओही है.
एहाँ सोचने वाला बात एक्के गो है कि पाँचो उँगरी एक समान त नहिंए न हो सकता है. बाकी उँगरी त उँगरिए है, काट के बराबरो नहीं किया जा सकता है. काटिएगा त खूनो बहेगा अऊर दरद भी होगा. खैर, ई सब डाइलोग जाने दीजिए. हम देखे कि कुछ लोग बहुत अच्छा और कुछ लोग ठीक ठाक लिखने में लगा है. लेकिन निमन बात एही लगा कि परेसानी में भी लोग बोलता है और लिखता है.
मगर पढने वाला लोग का प्रतिक्रिया के बारे में हमरा सपना बहुत जल्दिए टूट गया. आधा से जादा लोग कमेंट के नाम पर बिना पढे तारिफ लिख देता है, कोई कोई त सन 1857 से एक्के कमेंटवा छापे जा रहा है. लोग कमेंट के नाम पर टीका टिप्पनी से भी घबराता है. अऊर बेजोड़ बात त ई है सब लोग आपसे में एक दूसरा का ब्लोग पढता है और तर्रीफ करता है. किसी को फुर्सते नहीं है कि देखे उनका दायरा के बाहर का हो रहा है. कोई गुस्सा हो रहा है कि ब्लोग लिखना बंद कर देगा, काहे कि बहुत बेकार टाईप का लिखने वाला लोग आ गया है, त कुछ लोग मनाने में लगा है कि अइसा मत कीजिए बहुत छती हो जायेगा ब्लोग जगत का, कोई धमकी दे रहा है कि कानून का हाथ बहुत लम्बा होता है, त कुछ लोग समझाया कि जाने दीजिए बच्चा है.
एही सब देखकर मन खराब हो जाता है। गलत लिखता है त बताइए, नहीं सुधार होता है त मत पढिए. लेकिन दुसरा पढनेवाला पर अपना राय काहे थोपते हैं. किसी को अपने से आप काहे खराब बोलते हैं. लोग जब एहाँ है त एतना त समझ ही सकता है कि अच्छा का है अऊर खराब का है. बाकी त आप अपने समझदार हैं. अब जो बुझाया सो लिख दिए, गलत बोलें त हमरा कान ऐंठिए.

बुधवार, 21 अप्रैल 2010

मन का बात - हमको दोस्त लोगों ने फँसाया है

हमरा दु चार ठो दोस्त सब मिलकर, हमको फँसा दिया. बोला तुमरा बात सब बुड़बक जैसा लगता है, लेकिन कभी कभी बहुत निमन बात भी तुम कर जाते हो. काहे नहीं ब्लोग लिखते हो तुम. हम बोले, “पगला गए हो का! ई सब बड़ा लोग का काम है. देखते नहीं हो, आजकल बच्चन भैया कोनो बात मुँह से नहीं बोलते हैं. सब बतवे ब्लोग में लिखते हैं. साहरुख खान, आमिर खान जैसा इस्टार लोग ब्लोग लिखता है. ब्लोग का इस्पेलिंग देखो, उसमें भी B log है, माने बड़ा लोग. हम ठहरे देहाती भुच्च.”
मगर हमरा दोसतवा सब पगलाया हुआ था. बोला, “ गजब आदमी हो तुम यार! सारा दुनिया आज ब्लोग लिख रहा है, त तुम काहे पिछिया रहे हो. जो तनी मनी लिखना जानता है ऊ ब्लोग लिखता है, जो कविता का टाँग तोड़ने में उस्ताद है, ऊ कवि हो गया है, और त और सरकार को तो तुम दिन भर बइठ कर गरियाते रहते हो, त इहो गुन है तुमरे अंदर ब्लोगर बनने का.”
हमको बुझा रहा था कि सब हमको फँसाने का उपाय कर रहा है. हमको गोलघर पर चढा कर सब सहजे उतर जाएगा, अउर हम लटकले रह जाएंगे. हम सकल से बुड़बक लगते हैं,बाकि हैं नहीं. हम ऊ लोग के सामने एगो सर्त रख दिए. हम बोले कि हमको एक महीना का टाइम दो. हम तनी लोग का ब्लोग पढकर देखेंगे, इसका नियम कानून समझेंगे बूझेंगे, लोग का का बात लिखता है, लिखने का मतलब का है, केतना लोग पढता है ऊ सब बात, हमरा इस्कोप भी है कि नहीं, कहीं अइसन हो गया कि हमरा ब्लोग पढकर सब थू थू करने लगा, तब त हमरा बेस्ती खराब हो जाएगा. काहे से कि हमको देखना होगा कि हम केतना पानी में हैं.
एक महीना त बहुत आराम से बीत गया. लेकिन एक महीना में जो खेला हम देखे हैं, ऊ देखकर हमरा त मने घबरा गया है. का सोचे थे अउर का निकला, ई त बताने में डर लग रहा है. लोग हमको कहीं जाहिल न समझ ले. बाकी जाने दिजिये ई सब हाल देखकर त हम जाहिले ठीक हैं.
चलिए आज आप लोग से एतना बात बतिया के तनी मन हल्का हो गया है हमरा, तनी हिम्मत भी बना है. देखिए एही हिम्मत जोड़ के अगिला बार बताएंगे कि हम का देखे ब्लोग का संसार में. तब तक हमरा प्रनाम!!