अभी तक त मजाके चल रहा था. लोग भी सोचिए रहे होंगे कि का करेक्टर है. लेकिन ई सब मजाक के पीछे, एक बहुते बड़ा मजाक छिपा है, जो सायद कोई देख नहीं पाता है. बिहारी होना अपने आपे में बहुत बड़ा मजाक बन गया था हमरे लिए. किसी के सामने हम अंगरेजी में बतियाते हैं त ऊ अदमी बहुत इम्प्रेस होता है हमसे, हमरे बात करने का तरीका से, हमरा जानकारी से. जाते जाते पूछता है कि आप कहाँ के रहने वाले हैं (आजकल त भारतबासी हैं बोलने से अदमी को लोग बिदेसी समझ लेता है, लोग का पहचाने बिहारी, बंगाली, मराठी हो गया है). बस खेला खतम. जइसहीं हम कहते हैं ‘बिहार’, उनका एकदम से एक्स्प्रेसनवे बदल जाता है. एक बार त हम ढीठ बनकर पूछिए लिए, “का हुआ! आपको बिस्वास नहीं हुआ, झटका लगा कि निरासा हुआ?” साहेब लजा गए, उनको लगा कि उनका चोरी धरा गया है.
अब त आदत हो गया है. कोई पुछबो करता है त हम ई नहीं कहते हैं कि बिहार के रहने वाले हैं, एक दम साफे कहते हैं कि बिहारी हैं. हमको का फरक पड़ता है, बाकी लोग का नजरिया तुरते बदल जाता है. बिहारी माने अनपढ, देहाती, असभ्य. अगर पढा लिखा मिल गया त जरूर चोरी से पास किया होगा, नहीं त जाली डिग्री लेकर आया है. देस का राजधानी में त लगभग गालिए के तरह इस्तेमाल किया जाता है बिहारी शब्द.
अब ई त बताने का कोनो फायदा नहिए है कि इसी बुड़बक प्रदेस ने बाबू राजेंद्र प्रसाद, बाबू जगजीवन राम, सतरोहन सिन्हा,सेखर सुमन, चित्रगुप्त, मनोज बाजपेई, बाबा नागार्जुन, दिनकर, रेनू जईसा बिभूती पैदा किया है.
हमरा उद्देस अभी भी कोनो बिहारी असोसिएसन बनाने का नहीं है. हम ईहो नहीं चाहते हैं कि ई पढने के बाद बिहारी लोग हमरा सुर में सुर मिलाए. हमरा बात पसंद आता है त कोई भी वेल्कम है इहाँ पर, नहीं त खाली बिहार के नाम पर जय राम जी की.
चलते चलते, पिछलका पोस्ट में एगो अंजान भाई जी का टिप्पनी का खुलासा करना चाहते हैं। भाई जी! एगो बतिआ हम बता दें कि अजय कुमार झा जी को हम नहीं जानते हैं. एकाध बार पढे जरूर हैं. कहीं उनका धोखा में हमको मत गरिया दीजिएगा. अभी अभी दोकान लगएबे किए हैं, आपका किरपा से ठीक चल रहा है, कहीं बंद करा दिए त बाल बच्चा भुखे मर जाएगा. अपका गोड़ पड़ते हैं. आते रहिएगा त खुसिए होगा हमको. तब तक प्रनाम!!
चलते चलते, पिछलका पोस्ट में एगो अंजान भाई जी का टिप्पनी का खुलासा करना चाहते हैं। भाई जी! एगो बतिआ हम बता दें कि अजय कुमार झा जी को हम नहीं जानते हैं. एकाध बार पढे जरूर हैं. कहीं उनका धोखा में हमको मत गरिया दीजिएगा. अभी अभी दोकान लगएबे किए हैं, आपका किरपा से ठीक चल रहा है, कहीं बंद करा दिए त बाल बच्चा भुखे मर जाएगा. अपका गोड़ पड़ते हैं. आते रहिएगा त खुसिए होगा हमको. तब तक प्रनाम!!
पूरा आशीर्वाद है बबुआ ! सही जा रहे हो ...
जवाब देंहटाएं:-)
बहुते अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंसही है...
जवाब देंहटाएंहमरा शुभकामना आपके साथ है भैया! जय हिंद, जय बिहार !
जवाब देंहटाएंदुकान चलती रहे यही कामना है !!
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं !!
:) कुच्छो अईसने हमरे साथ भी चल रहा है हियाँ..
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 01-09 - 2011 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं...नयी पुरानी हलचल में आज ... दो पग तेरे , दो पग मेरे
अभी अभी दोकान लगएबे किए हैं, आपका किरपा से ठीक चल रहा है..
जवाब देंहटाएंऐसे ही चलती रहे आपकी दूकान...:))
सादर बधाई...
बहुत खूब सहज अभिव्यक्ति ...सादर !!!
जवाब देंहटाएंसर , जैसे हिंदी-चीनी भाई भाई है , वैसे ही यू.पी.-बिहारी भी भाई भाई ही है |
जवाब देंहटाएं"अभी अभी दोकान लगएबे किए हैं, आपका किरपा से ठीक चल रहा है, कहीं बंद करा दिए त बाल बच्चा भुखे मर जाएगा. अपका गोड़ पड़ते हैं."
:))))
लाजवाब , ब्लॉग जगत की तो बखिया उधेड़ दिए आप तो |
सादर