बचपन में एगो कहानी पढे थे, कि एगो राजा अपना मंत्री के साथ जंगल में सिकार खेलने जा रहा था. सिकार त नहीं मिला, राजा का कोनो तेज पत्थर स गोड़ कट गया. बेचारा राजा बहुते कस्ट में था. मंत्री पूछा, “का हुआ महाराज?”
राजा कस्ट से बोला, “अरे ! हमारा गोड़ कट गया है, अऊर एतना खून बह रहा है. तुमको देखाई नहीं देता है!”
मंत्री बोला, “NICE.”
अब त राजा का गुस्सा सातवाँ असमान पर पहुँच गया. गुस्सा में बोला, “ तुम अभी हमरा साथ छोड़कर चले जाओ, अऊर हमको कभी अपना मुँह मत देखाना.”
मंत्री बोला, “ NICE.” राजा को नमस्कार किया, अऊर चला गया.
अभी मंत्री गएबे किया था कि ओन्ने से जंगली लोग का झुंड आकर राजा को घेर लिया अऊर बोला कि ले चलो इसका बलि अपना देवी माँ को चढाएंगे. राजा परेसान. जब बलि देने का तैयारी पूरा हो गया त अचानक ऊ लोग देखा कि राजा का गोड़ कटा हुआ है. तब त बलि दूसित हो गया, ई सोचकर सब राजा को छोड़ दिया.
राजा जान बचाकर भागा त उसको मंत्री से भेंट हो गया. ऊ बोला, “ हमसे गलती हो गया भाई. चलो हम लोग महल चलते हैं. हमरे साथ त बहुत अनिस्ट होने से बच गया.”
मंत्री हँसकर बोला, “ एही से हम आपका गोड़ कटने पर NICE बोले थे.”
राजा पूछा, “ लेकिन जब तुमको हम निकाल दिए तबो तुम NICE काहे बोला ?”
मंत्री बोल, “ NICE इसलिए कि आपके साथे हम रहते त हमरा बलि पड़ गया होता.”
अब आप सोच रहे होंगे कि ई कहानी जे हर कोई पढा हुआ है, हम आपको काहे सुनाए. ऊ इसलिए कि आज का हमरा पोस्ट समर्पित है लोक संघर्ष के श्री सुमन को. हम त ई टी ट्वेंटी के नया खिलाड़ी हैं, एही से हमको मालूम नहीं कि कौन कारण से सुमन बाबू ई नाईस व्रत लिए बैठे हैं. लेकिन एक बात जो हमको समझ में आया है कि ऊ कानून के जानकार आदमी हैं, इसलिए ओही मंत्री का जैसा सोचते हैं.
पहिला बात, ई सराहना करना होगा कि ऊ कम से कम सभे पोस्टको देखते हैं. अऊर झुठो का बात लिखने से अच्छा ई समझते हैं कि नाईस लिख दें.
दुसरा बात, ई बाइनरी डिजिट्स का जमाना है. ‘जीरो’ चाहे ‘एक’. इनका भी एही सोचना होगा कि अच्छा लगेगा पोस्ट त नाईस लिखेंगे नहीं त बिना कमेंट दिए चले जाएंगे. बीच का त बतवे बनावटी है. असली चीज है NICE.बाकी सब बकवास..किलियर है!
तीसरा बात, कुछ लोग इनका ऊपर ई भी इल्जाम लगाया कि ऊ सीरिअस पोस्ट, चाहे दुःख का बात वाला पोस्ट पर भी NICE लिख देते हैं. ईहाँ पर NICE से उनका मतलब लिखने वाला का एक्स्प्रेसन अऊर कंटेंट से है.
चलिए ई त हमरा अनुमान है कि ऐसा नहीं त वैसा हुआ होगा. असली भेद त पता चलेगा ‘फ्रॉम हॉर्सेस माउथ’. अऊर उसके लिए हम सबको इंतज़ार करना पड़ेगा सुमन जी का NICE व्रत टूटने का.
आखिर में एगो अऊर कहानी बोलने दीजिए. एगो आदमी दिल्ली समझ कर इलाहाबाद में उतर गया अऊर सारा दिन लाल किला खोजते रहा. साँझ को एगो आदमी से पूछा कि भाई साहेब लाल किला कहाँ है, बताइएगा. जवाब में ऊ आदमी उल्टे पूछा, “ कब आए हो?” बेचारा नरभसा के बोला, “ आज सबेरे आए हैं.” बड़ा ठठा कर हँसा ऊ आदमी, अऊर बोला, “ हम एक महीना से कुतुब मिनार खोज रहे हैं मिलबे नहीं किया है. तुमको एक्के दिन में लाल किला देखना है.”
सहिए बात है, हम अभी जुमा जुमा आठ गो पोस्ट भी नहीं लिखे हैं अऊर चले हैं सुमन जी का NICE का अर्थ खोजने, जबकि बड़ा बड़ा टेस्ट प्लेयर लोग हार गया है. सुमन जी अब भेद खोलिए दीजिए. बहुत लोग आस लगाए है.
शनिवार, 15 मई 2010
N I C E
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आदरणीय सुमन जी, आप हमसे उमर में छोटा हैं इसलिए बड़ा समझ कर हमरा धृष्टता को मन में मत रखिएगा..अऊर ब्लॉग के दुनिया में आप हमसे बहुत वरिष्ठ हैं, इसलिए छोटा समझकर माफ कर दीजिएगा.. एकदम बिना किसी पूर्वाग्रह के जो सवाल आपसे केतना लोग पूछा होगा, उसी को हल्का फुल्का ढंग से कहने का कोसिस किए हैं...
जवाब देंहटाएंडबल नाईस!
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्टवा के लिये हमारे पास तो कहने को यही है कि Nice
जवाब देंहटाएंsriman shivam mishra ji,
जवाब देंहटाएंjab maine blogging shuru ki to achanak blog ban gaya tha zur hafton ham aur hamar ladka uspe kaise likha jayega sikhte rahe ant mein safalta mili. phir hamaara hindustaan k sri kashif arif sahab ne hamse baat cheet kar kuch ray di phir hamne aur seekha ant mein hindustaan k prasidh lekhakon ki rachnayein blog par lagayin jispar sammanit bloggers ne acchi acchi galiyo ki tippaniya prakashit ki maine un tippaniyo ko najar andaaj kar apne karyo meion laga raha ham blog jagat shikshak ya monitor nahi hai jo log apne ko shikshak va monitor samajhte hain vah aaye din farji naamo se gaali galauj karte rehte hain. kuch log hindi likhna bhi theek se nahi jaante hain lekin har samay tikram taal se apne ko sresht saabit karne ki hopd mein lage rehte hain. maine aaj tak kisi se vyaktigat koi aachep nahi kiya uske baavjood bhi log telephone kar mere blog par aane se logo ko mana karte hain. had to yahan tak ho gayi hai ki apne blogvaani sahab ne aaj tak mere blog ko blogvaani se connect nahi kiya hai ismein unka koi dosh nahi hai yah asiayai samaaj ki parampara hai dambh aur ahankaar dohre vyaktitv kla svaami hona ye hamari adbhut parampara ka hissa hai. vichaaro ki bhinnta aavashyak hai asahamati hone par yahan to latthbaaji shuru ho jaati hai. ek gaana tha kii main maike cha;li jaaungi tum dekhte rahiyo jhoont bole kavva kaate ki bhi parampar jaari hai isliye bhaiya ji apna NICE surakshit aavran ka kary karta hai jis post ko chaho padho NICE na likha chaho na likho aapne koi post likhi mehnat ki hindi blog jagat k liye kuch kiya usmein aapne kya likha hai ya nahi maine aapki mehnat ko salaam karne k liye NICE likhkar apne kartavy ko poora kiya.
sadar
suman
loksangharsha.blogspot.com
Very Very Nice..baki suman ji ko adh raha hun!
जवाब देंहटाएंमैं भी कभी कभी आपके बातों के जैसे ही सोचता था लेकिन मैं तो इसी में खुश था की सुमन अंकल कम से कम ब्लोग्स पे कमेन्ट तो करते हैं...शायद मेरे ब्लॉग पे भी उन्होंने बार कमेन्ट किया है...
जवाब देंहटाएंवैसे मैं भी थोडा नया हूँ हिंदी ब्लॉग में, लेकिन मैं बहुत लोगों को जान गया हूँ, उनके ब्लॉग पढ़ के अच्छा लगता है....अब ये बात अलग है की लोग कोई मुझे नहीं जानते होंगे :)
बाकी मैं तो छोटा भी हूँ आप लोगों से और नया भी..और क्या कहूँ... :)
पहली बात आप ब्लोगर बनने नहीं चले, आप तो ब्लॉग दुनिया के खुर्रांट हो! पढ़ कर मज़ा आ गया। दूसरे, आपसे बच कर भी रहना पड़ेगा कि किसी दिन हमें ही न लपेट लो!!
जवाब देंहटाएंटिपिनी करने वालो में पोस्ट लिख कर ये जता दिया की आपकी पोस्ट सुमन जी पढ़ते है. और दूसरा सुमन जी को ये जता दिया की उनकी टिपणी आप पढ़ते है. ये तो NICE हो गया ना?
जवाब देंहटाएंबड़ा नइसिया गये हो भाई
जवाब देंहटाएंआदरणीय सुमन जी,
जवाब देंहटाएंआप सिर्फ चेहरे से नहीं अपनी बातों से भी भोले हैं. आपकी ईमानदार बातों ने मुझे बिहारी छोड़कर हिंदी में प्रतिक्रिया देने पर मजबूर कर दिया है. और यह इसलिए भी ज़रूरी हो गया है कि शायद आज दूसरी बार मेरे बेनामी होने का वार किसी और को झेलना पड़ा है. पहले कोई अजय झा के नाम से मुझे दुत्कार गया था और आज आपने मुझे शिवम मिश्र के नाम से सम्बोधित किया.
आपकी ईमानदारी ने मुझे अपने उसूल से डिगा दिया कि मनुष्य के विचार महत्वपूर्ण होते है, नाम नहीं. आज आपने मुँह खोला है तो मेरा भी बोलना ज़रूरी हो जाता है. मैं सलिल वर्मा , मूल निवास पटना, वर्त्तमान निवास नोएडा, सार्वजनिक क्षेत्र के एक प्रतिष्ठान में जीविकारत, पेट की ख़ातिर वनवास झेलता कभी कलकत्ता, कभी विदेश और अब दिल्ली में पदस्थापित, पूरे होशोहवास में आज सुमन जी के साक्ष्य में यह घोषणा करता हूँ कि मेरा सर्वश्री अजय झा और शिवम मिश्र के साथ कोई व्यक्तिगत सम्बंध नहीं है. मेरी बेनामी, गुमनामी, अनामी और छद्म्नामी, बदनामी और नेकनामी का भी ज़िम्मेदार सिर्फ मैं हूँ.यहाँ लिख दिया ताकि सनद रहे.
एक बार फिर आपकी स्पष्ट्वादिता को नमन. भूले से कहीं किसी दुखती रग पर हाथ पड़ गया हो तो पुनः क्षमाप्रार्थी हूँ. जुड़े रहिए.
very nice
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा ... सफल रहे आप बिहारी बाबू जो nice बोलने वाले इंसान से इतनी बड़ी टिपण्णी लिखवा दी !
जवाब देंहटाएंवैसे सलिल बाबु आप माने ना माने............ अपने, झा बाबु और आपके बीच कोई ना कोई रिश्ता तो है जरूर !!
जवाब देंहटाएंबधाई हो जी , बधाई हो , आखिर आपने व्रत तुडवा ही दिया उनका ।
जवाब देंहटाएंऔर ये क्या होशो हवास की बात है जी , आप तो बिना होशो हवास के ही ठीक हैं , कईसे नहीं है संबंध ,,
हम बिहारी आप बिहारी,
दोनों लिखेंगे बारी बारी,
ब्लोग्गर बनने की तो ,
हमारी भी है तैयारी ।
तो हो गई न फ़िर ,
हमारी आपकी तगडी यारी,
कोई कहता हमें है टिप्पू ,
कोई आप ,कोई राम प्यारी ,
सौ बात की एक बात है भारी,
सबमें घुसी है आत्मा हमारी ॥
तो हो गया न व्यक्तिगत संबंध ......
आदरणीय शिवम बाबू,
जवाब देंहटाएंहमको याद है कि अभी हमरा पिछलका पोस्ट पर हमरे ई लिखने पर कि ई सच्चा घटना पर आधारित है, आप लिखे थे कि आपको हमरा ईमानदारी पर भरोसा है. गौर करने वाला बात ई है कि उस समय तक हम मात्र बिहारी थे सलिल नहीं हुए थे. आज आपके नाम से हमको सम्बोधित किए जाने पर हम पहिला बार अपना नान सब के सामने बोले हैं.
लेकिन आपका कमेंट पढने के बाद दिल दुखा है हमरा. अगर हमरा झा जी के साथ कोई रिस्ता होता त हम अज ऊ भी गछ लेते. लेकिन जब पहिला दिन कोई हमको उनके नाम से गरिआया था त हम उनके ब्लोग पर जाकर उनको बोल आए थे. ऊ हमको फोर्मैल्टी में भी जवाब देने नहीं आए.
जाने दीजिए हम कभी किसी का बिचार बदलने का कोसिस नहीं करते हैं, ईमानदारी से अपना रास्ता चलते हैं. काहे कि बकौल राहत इंदौरीः
ख़तावार समझेगी दुनिया तुझे
अब इतनी भी ज़्यादा सफाई न दे.
अजय भाई...
जवाब देंहटाएंतो हो गया व्यक्तिगत संबंध
आपका टिपण्णी ३-४ बार पढने के बाद भी हम समझ नहीं पा रहे है कि आप को हमारी किस बात से दुःख हुआ है ? कृपया खुल कर बोले !! या ०९३१९७४१३०७ पर बिना किसी लाग लपट के आईये हम बात करते है !! आपका स्वागत है ! मैं बिना अपनी गलती जाने माफ़ी नहीं मांग पा रहा हूँ !! यह नाटक मेरे से नहीं होते !! मैं खुल कर बात करने में यकीन रखता हूँ !!
जवाब देंहटाएंइधर बिहार का हालेचालवा बूझने हफ्ता भर के लिये हम बिहार जा रहलवा.....
जवाब देंहटाएंआकर बतियावा.......
NICE :)
जवाब देंहटाएं"लेकिन जब पहिला दिन कोई हमको उनके नाम से गरिआया था त हम उनके ब्लोग पर जाकर उनको बोल आए थे. ऊ हमको फोर्मैल्टी में भी जवाब देने नहीं आए. "
जवाब देंहटाएंमित्र मैं न तो कभी पहले आपको जानता था न ही अब आपको जानता हूं और रही बात आपकी उस दिन की शिकायत की , तो भाई उस दिन तो गरियाया हमें गया था सही मायने में तो , गौर से पढिए फ़िर समझ में आएगा ऐसे ही एक बार पहले भी हमें जबरन टिप्पू चचा बनाने की कोशिश की जा चुकी थी , यही कारण था कि मैं उस समय जवाब देने नहीं आया वैसे भी मैं फ़ौर्मेलिटी के लिए कुछ करने कहने में यकीन नहीं रखता । नहीं जानता कि आपकी शिकायत अभी कम हुई है या नहीं । बस मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं । हर ब्लोग्गर की तरह
सुमन जी की टिप्पणी पढ़ कर तो आज मेरे भी मन हो रहा है कि लिख दूं...
जवाब देंहटाएंNICE.
Very good.......
जवाब देंहटाएंआप पटना में कहाँ रहते हैं?
जवाब देंहटाएंSir, pehli baar aapke blog par aayi hun ....darasal kai jagah aapka naam "chala bihaari blogger banne" pada tha to socha aaj aapke blog ki sair kar li jaaye vakai majedaar rahi ye sair isliye aaj se hum bhi aapke follower hue jate hai .........
जवाब देंहटाएंvery nice post and comments
जवाब देंहटाएंभाई आपकी कलात्मकता और कलपनशीलता का जबाब नहीं । पोस्ट और सबों की टिप्पणियाँ दोनों जबरजस्त है। आज की पोस्ट ने मुझे भी हिन्दी मे टिप्पणी करने के लिए मजबूर कर दीया हाँ एक बात और भले ही आपने अपना वास्तविक नाम जाहिर कर दिया हो पर मैं आपको हमेशा आपके छद्मनाम से ही संबोधित करना चाहूँगा यदि आपको आपत्ति न हो तो। भाई यही अनामी बेनामी सूनामी नाम तो इस ब्लॉग जगत मे हमारी असल पहचान है ऐसा मेरा मानना है ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंहा हा हा
जवाब देंहटाएंN I C E
NICE को फ़िर ताजा किया आज मैंने ...बिलकुल फ़्रेश...
जवाब देंहटाएंतो भैया कहानी में फाइनली भीष्म पितामह , हमारे कन्हैया का व्रत तुडवा ही दिए |
जवाब देंहटाएंलेकिन 'चला बिहारी ब्लॉगर बनने' ज्यादा बढ़िया है |
सादर