मंगलवार, 13 जुलाई 2010

छोटकी


छोटकी अठारह साल के उमर में बिआहकर बनारस से पटना आई. ससुराल में बहुत जमीन जायदाद, खेत, अनाज मिला, अऊर साथ ही मिला जिम्मेवारी, दू गो ननद के बिआह का, घर का बड़की दुलहिन जो ठहरी. बोली का अंतर, बनारसी बोली से ठेठ मगही परिवार. घर में खड़ी हिंदी बोलने से लोग बाग कहता था कि दुलहिन अंगरेजी बोलती है. नैहर में अमीरी के बाद पैदा हुआ गरीबी के कारन पढ़ाई मिडिल के बाद होबे नहीं किया.

दू साल बाद पति को अच्छा नौकरी टूण्डला में मिल गया, त ऊ ओहीं चली गई. इस बीच सास चेचक में माता का भेंट चढ़ गईं. तीन साल बाद जब टूण्डला से इलाहाबाद बदली हुआ, त पटना में ससुर का तबियत बहुत सीरियस हो गया.तीन बच्चा को लेकर ससुर का देखभाल करने के लिए छोटकी पटना आ गई, अऊर पटना का होकर रह गई. पति रेलवे के नौकरी में थे, इसलिए आते जाते रहते थे.

पटना आने के बाद पता चला कि खेती बाड़ी बहुत है, केतना है अऊर कहाँ है इससे घर में किसी को मतलब नहीं था. खाने भर अनाज आ जाता था बस. छोटकी अपने देवर को लेकर गाँव में घूमी, लोग से मिली. सारा हिसाब किताब, खेत कऊन आदमी जोतेगा, केतना अनाज मिलेगा, सब कुछ ठीक ठाक करके पटना वापस आ गई. उस साल हर साल के तुलना में सबसे जादा अनाज घर में आया, अऊर फिर एही सिलसिला चलता रहा. ससुर का तबियत ठीक होने लगा था.

ननद का सादी हो गया, देवर का नौकरी हो गया अऊर बच्चा लोग बड़ा होने लगा. अच्छा इस्कूल में एडमिशन करवा दिया गया. बच्चा लोगों से छोटकी ने खाली दू बात कहा, “हम कम पढ़े लिखे हैं, अऊर तुम लोग का पढ़ाई में मदद भी नहीं कर सकते हैं. इसलिए सही गलत जो भी है, तुम लोग के ऊपर छोड़ देते हैं. बस हमको धोखा मत देना. दोसरा बात कि तुमरे पापा एहाँ नहीं रहते हैं, इसलिए अईसा कोई काम मत करना जिससे हमको ई सुनने का मौका मिले कि माँ को सम्भालने नहीं आया इसलिए बच्चा बिगड़ गया.”

बच्चों का फीस देने छोटकी खुद इस्कूल जाती थी. इसी बहने क्लास टीचर से मुलाक़ात होकर बच्चों का पढ़ाई का बारे में पता चल जाता था, गौर करने वाला बात ई है कि उस समय पी.टी.एम. का रिवाज नहीं था. इससे एगो अऊर फायदा हुआ. छोटकी आस पास का कुछ गरीब लोग का हमेसा मदद करती थी. छोटकी के इस्कूल में पहचान के कारन ऊ गरीब लोग का बच्चा का दाखिला में दिक्कत नहीं हुआ.

बच्चा लोग पढ़ता गया, रिजल्ट अच्छा करता रहा. छोटकी का समाज सेवा छोटा स्तर पर जारी रहा. किसी का बच्चा बीमार हुआ त हस्पताल ले जाना, डॉक्टर को देखाना, किसी का घर में सादी है त उसके साथ जाकर समान खरीदवाना, घर का अनाज से, पईसा से मदद करना. देखते देखते छोटकी, आस पास की बड़की दुल्हिन बन गई. सारा ससुराल में लोग बोला कि लगता है, सास का आत्मा उसमें समा गया है.

बहुत सा परेसानी भी आया, बहुत लोग का ताना भी सुनने को मिला. लेकिन उसके ऊपर कोनो असर नहीं होता था. अईसा लगता था कि ऊ अपना मंजिल जानती है अऊर ओहाँ तक कईसे जाना है ई भी फैसला ऊ कर चुकी है.

बच्चा लोग ठीक से पढता था त ऊ सिनेमा देखाने भी ले जाती थी. अनुसासन अईसा कि साम सात बजे सब लोग खेल कर घर में, कभी कोर्स का किताब में लुका कर कोनो बच्चा कहानी का किताब नहीं पढ़ा. देवर को सिगरेट पीने का आदत था, लेकिन मजाल नहीं कि कोई बच्चा को बोलें कि सामने वाला दोकान से सिगरेट ला दो. एक बार बोले थे त छोटकी पईसा लेकर अपने चली गई अऊर सिगरेट लाकर दे दी. देवर को काटो त खून नहीं. छोटकी बोली, बऊआ! सिगरेट लाने के लिए हमको बोल दीजिए, लेकिन बच्चा लोग नहीं जाएगा. ऐसहीं आदत लगता है.

पति जब जब इलाहाबाद से आते, बच्चा लोग के साथ कहानी,कबिता अऊर सिनेमा का बात बतियाते. छोटकी बहुत गोस्साती, त बोलते, तुम पढा‌ई के लिए बोलिए रही हो न, त हमको मनोरंजन करने दो बच्चा लोग का.

ऊ घर में घर का काम, अऊर बाहर में समाज का काम करती रही. सब का सादी बिआह, नौकरी हो गया. कायस्थ परिवार में, खास कर बिहार में, जहाँ लोग सब खेत बेचकर सहर में मकान बना लिए, छोटकी खेत को बढाई, अऊर आज भी सब खेत सुरक्षित है. बच्चा लोग अपना अपना मकान बनवा लिया, लेकिन सब साथे रहता है.

पति के गुजर जाने के बाद भी छोटकी का अनुसासन बना है, जो बच्चा बाहर नौकरी करता है, ऊ लोग भी छ्ठ में घर आता है. छ्ठ पूजा में सब मेहमान का स्वागत करना, पड़ोस के लोगों को न्यौता देना, बगल का अनपढ लोगों को बैंकिंग सिखाना, आज भी चलता है. कभी कोई बच्चा,जो अब बच्चा का बाप हो चुका है, मजाक में छोटकी का गलती निकाल दे, तो एक्के जवाब होता है कि पढा लिखा के काबिल बना दिए हैं , त माँ का गलती निकालते हो.

लेकिन सब को पता है कि ई मजाक है. देह साथ नहीं देता है , मगर आज भी कोई आकर बोले कि ई काम आप ही करवा सकती हैं, त उठ कर तैयार हो जाती है. रिटायरमेंट का उमर त कहिए निकल गया. लेकिन छोटकी कहाँ रिटायर होना चाहती है.
बहुत पागल है हमरी माँ, रेलवे का पास होते हुए भी टिकट कटाकर हमसे मिलने के लिए दिल्ली चली आती है. हमरी सिरीमतीजी को ठण्डा में कपड़ा धोते देखकर, पेंसन के पईसा से वासिंग मसीन खरीद देती है.
माँ कभी रिटायर नहीं होती!!

49 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत कमाल का है छोटकी का किरदार । बहुत ही अच्छी लगी कहानी ।

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  2. बहुत सुन्दर रचना
    छोटकी महज किरदार नहीं है शायद ..

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  3. माँ को नमन, बिहारी बाबू..ई बतवा, सभी माँ एक सी क्यूँ होती हैं, माँ कभी रिटायर नहीं होती!...

    हमरा प्रणाम कहा लाये.

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  4. ma se milkar accha laga.....kabhee bhoole se bhee dil mat dukhaiyega...aur jitnee chutteeya mile unhee ke sath guzariye samay lout kar nahee aata bus chand yade rah jatee hai........

    maine sawal likha mai vaise post karne ke pahile koshish me rahtee hoo ki ye bhee pad le...isee chakkar me rok liya .....ab publish kar diya hai........

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  5. ma se milkar accha laga.....kabhee bhoole se bhee dil mat dukhaiyega...aur jitnee chutteeya mile unhee ke sath guzariye samay lout kar nahee aata bus chand yade rah jatee hai........

    maine sawal likha mai vaise post karne ke pahile koshish me rahtee hoo ki ye bhee pad le...isee chakkar me rok liya .....ab publish kar diya hai........

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  6. माँ को चरण स्पर्श कहियेगा ! आज फिर बहुत भावुक कर दिए आप ! सच है माँ कभी रिटायर नहीं होती !

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  7. माँ को चरण स्पर्श कहियेगा ! आज फिर बहुत भावुक कर दिए आप ! सच है माँ कभी रिटायर नहीं होती !

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  8. माँ कभी रिटायर नहीं होती!!

    केतना सच्चा और अच्छा बात लिखे हैं आप...मन भर आया है...
    नीरज

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  9. हम ज़रा सा कुछ सृजन कर लें तो उसे लेकर जीवन भर पगलाये रहते हैं! और वो जिसने हमें जन्मा है..सासें दी, रक्त दिया..दूध दिया हैं..वो सृजनधर्मी बस अपनी ही धुन में प्रेम बरसाती रहती है, ताउम्र... सलिल भाई! पैरी पोना, माँ को, इस बेटे का भी.

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  10. पढ़ते पढ़ते जाने कब छोटकी माँ बन गई... और किस्सागोई अपने चरम पर पहुँच गई। बहुत खूब लिखा, वर्मा जी! बधाई!!

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  11. हाँ हमारी माओं तक या हम तक हर भारतीय माँ की यही कहानी है। बहुत अच्छी प्रेरणा देती कथा। आभार।

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  12. My mother was also like her. She is no more now. But still she is alive in my heart and mind. She will never retire from there.

    Your post made me so emotional.

    chhutki maan ko mera Charan sparsh.

    regards,

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  13. पढ़ते-पढ़ते उत्सुकता बढती गई कि कौन है ये "छोटकी".........इसलिए बहुत जल्दी-जल्दी पढ़ा ! आदरणीय दादी माँ को मेरा प्रणाम कहियेगा !

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  14. "बहुत पागल है हमरी माँ"

    Sabki hoti hai...ab nahi kahunga
    dikh nahi raha kuch screen par...

    Salil ji, salil de diya aapne

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  15. मां तो हमेशा मां ही बनी रहती है
    मां इसलिए रिटायर नहीं होती है.
    आपका शुक्रिया एक शानदार रचना पढ़ने का अवसर दिया आपने. भले ही देर से ही सही.

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  16. बहुत बढ़िया और बांधे रखने वाली कहानी/संस्मरण....
    आपको बहुतै बधाई हो....

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  17. बड़े किस्मत वाले हो सलिल , ऐसी माँ को पाकर ...
    उनको मेरा चरण स्पर्श

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  18. सलिल,

    बहुत सुन्दर लिखा है...एक एक बात दिल से निकली हुई....बहुत अच्छा लगा पढ़ना . सच तो यह है कि हर स्त्री किसी ना किसी कि माँ होती है...और वो कभी रिटायर नहीं होती...

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  19. आज आपने भावुक कर दिया।

    माँ,जैसा दुलार दुनिया में कहीं भी नहीं

    आभार

    कृपया यहां भी दृष्टिपात करें

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  20. नमन !!! छोटकी जी को ...सचमुच माँ कभी रिटायर नहीं होती और कभी पैंशन के लिए बच्चों से गुहार भी नहीं लगाती । माँ का ह्रदय विशाल होता है । माँ को नमन !

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  21. माँ कैसे रिटायर होगी........ उफ़.... आपका ई पोस्ट तो हमें नोस्टालजिक कर दिया !!!

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  22. अब ई सब पढ के कुछ टिपियाया नहीं जा रहा कहे कि आंख में भरल पानी से कुच्छो नहीं सूझा रहा है। जब मन ठीक होगा ते फेर से आएंगे। अभी त एतने।

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  23. बहुत पागल है हमरी माँ,...

    ये तो मेरी .... समीर जी की ... नहीं ... सभी की माँ के कहानी है सलिल जी ....
    सच है वो रिटायर्ड नही होती ....

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  24. सलिल जी
    बहुत अच्छी कहानी। दादी को मेरा प्रणाम।
    आभार

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  25. kamal ka nazariya hai aapka
    saamane hone wali cheezon ko har koi dekh to sakta hai par uska mahtava har koi nahi samjh sakta

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  26. आँख में पानी भर आया....माँ कभी रिटायर नहीं होती!!!

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  27. aur aaj uske ke liye kisie ke pass time nahi hai mere pass bhi nahi dugo baat karne ka bhi nahi

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  28. baka mama,mereko ko toh nani k baare mein itna sab kuch pata bhi nahi tha...
    after reading the blog i had tears in my eyes..very touching.....thankyou chotki se milaane ke liye...:)
    tuktuk

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  29. bhaiyya mummy k baare mein padh kar accha laga....ye baatein toh hum sabhi jaante hain par blog padh kar aisa laga ki humlog ma ki bahut saari baatein jaante hue bhi unse gussa ho jaate hain........aaj galti ka ehsaas hua......aur saath hi mummy k sacrifices ka bhi....unke bacche hote hue bhi hum unki tarah ban na sake......

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  30. bhaiyya mummy k baare mein padh kar accha laga....ye baatein toh hum sabhi jaante hain par blog padh kar aisa laga ki humlog ma ki bahut saari baatein jaante hue bhi unse gussa ho jaate hain........aaj galti ka ehsaas hua......aur saath hi mummy k sacrifices ka bhi....unke bacche hote hue bhi hum unki tarah ban na sake......

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  31. मेरी दादी की याद दिला दिए आप , कसम से |

    आज सिरहाने एक हवा आयी ,
    जैसे उसकी कोई दुआ आयी ,
    वो वक्त सोचता हूँ तो ठहर जाता हूँ ,
    जिस वक्त मेरी जिंदगी में माँ आयी |
    (नोट - माँ की जिंदगी में बच्चे नहीं आते , बच्चे की जिंदगी में माँ आती है )

    सादर

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  32. हे,मातृ रूप हे विश्व-प्राण की प्रवाहिका हे नियामिका
    वह परम-भाव ही इस भूतल पर छाया बन करुणा-ममता
    केवल अनुभव-गम्या, रम्या धारणा-जगतके आरपार !

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  33. मन को छू गयी पोस्ट माँ के कितने सारे रुप है,
    बहुत सुन्दर !

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  34. यह संस्मरण पहले पढा था लेकिन आज भी पढने पर वैसी ही अनुभूति हुई । जब भी पढेंगे ऐसा ही लगेगा यही है अभिव्यक्ति का प्रभाव । माँ की जीवन्तता ममता और सूझबूझ को नमन । उन्होंने मुश्किलों में राह बनाई , अँधेरे में रोशनी दिखाई ऐसी माँ को पाकर आप सचमुच धन्य हैं । जब मैं गाँव से बाहर पढने गई थी और कई लोगों ने विरोध किया आशंकाएं जताईं तब माँ ने मुझसे भी यही कहा था कि मुझे तुझ पर पूरा भरोसा है उस भरोसे को बनाए रखना । उस वाक्य ने मुझे भी हमेशा राह दिखाई । हम ऐसी माताओं के ऋणी हैं सचमुच ।

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  35. पहले भी पडा था । आपकी छोटकी को (माँ को) नमन।

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  36. बहुत ही सुन्दर आखिर वह माँ है. हमारी माँ भी ऐसी ही है. अब तो 92 चल रहा है और आँखें कमजोर. मुंबई में हम माँ बेटे एक ही कमरे में सोते हैं और खूब गपियाते हैं.

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  37. माताजी को प्रणाम ...
    महिला दिवस पर प्रेरक व्‍यक्तित्‍व से मुलाकात करवाने के लिए आभार !!

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  38. ऐसी सशक्त महिला ( पूजनीया माँ ) हो तो कहाँ बदहाली और कैसी कंगाली .

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  39. बहुत खुशनसीब हो सलिल भाई आप ऐसी माँ पाकर,
    और मै उनके व्यक्तित्व के बारे में पढ़कर नतमस्तक हूँ उनके चरणों में!
    सच कहा माँ कभी रिटायर नहीं होती न होना चाहती है मेरी माँ अस्सी साल की है कुछ ऐसी ही है आपकी माँ जैसी बहुत प्यारी !

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  40. छोटकी यानि माँ
    कैसे कैसे रंग में ढल जाती है माँ !
    माँ रिटायर होना नहीं जानती
    प्यार की शक्ति उसे चलाती रहती है

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  41. सचमुच, माँ कभी रिटायर नहीं होती, कभी टायर भी नहीं होती _/\_

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