शनिवार, 30 अप्रैल 2011

समीर लाल + चैतन्य आलोक = चला बिहारी ब्लॉगर बनने


बहुत साल पहले एगो सिनेमा देखे थे इस रात की सुबह नहीं. हीरो अपना परेशानी में घिरा होता है और क्लब में दोस्त लोग उसको समझाने का कोसिस कर रहे होते हैं. ऊ नहीं मानता है अउर उठकर जाने लगता है. ओही समय कोइ पीछे से उसके कंधा पर हाथ रखता है अउर हीरो गुस्सा में उसको थप्पड़ मार देता है. जिसको थप्पड़ लगा ऊ सहर का मसहूर गुंडा था अउर ऊ भी बहुत परेसान हालत में था. पूरा पब्लिक के बीच में थप्पड़ लगने से ऊ गोस्सा में आग बबूला हो गया अउर हीरो को खतम करने के लिए तत्पर हो गया. सिनेमा एही भाग दौड का कहानी था. गुंडा को थप्पड़ लगने का गुस्सा ओतना नहीं था, जेतना पब्लिकली थप्पड़ लगने का था.
ब्लॉग जगत में तब हमलोग नया नया आए थे... बहुत अरमान, बहुत सपना, बहुत आसा लेकर. सायद एतना सपना कोइ दुल्हिन भी नया-नया ससुराल में पहिला कदम धरते समय नहीं देखती होगी. सबकुछ चकाचौंध कर देने वाला. मन लगाकर लिखना अउर छोटा से छोटा कमेन्ट पर भी फूला नहीं समाना. ऐसा में मनोज कुमार जी का विचारोत्तेजक अउर समीर लाल जी का अच्छी प्रस्तुति भी मन को आनंद पहुंचाता था. समीर लाल जी का नाम कुछ दिन के अंदर हमारे लिए ए हाउसहोल्ड नेम बन गया.
तब एतना भी समझ नहीं था कि ब्लॉग लिखने वाला बड़ा लोग लिखता कुछ है, उसका मतलब कुछ अउर होता है, निशाना कहीं अउर होता है. हमको लगता था कि भावार्थ हमारे समझ में नहीं आ सकता है, मगर उसका पूरा का पूरा माने हमरे समझ में नहीं आए इतना तो बेबकूफ नहिंये हैं हम. अइसहीं एक दिन समीर लाल जी के उड़न तश्तरी पर एगो पोस्ट देखाई दिया. उसका भाबार्थ जो हम समझे (आज सर्मिन्दा होते हैं अपना सोच पर) ऊ हमको बहुत चोट पहुंचाने वाला लगा. ऊ कहते हैं न कि मन में बसा हुआ मूर्ति खंडित होने जईसा तकलीफ हुआ (अतिशयोक्ति नहीं है).
हम बोले कि हम जाकर लिखेंगे कि ई गलत बात है समीर बाबू. तब लगा कि हमरा नया-नया सम्बेदना के स्वर का गला न दब जाए कहीं. इतना बड़ा आदमी से ओझराने का मतलब खल्लास!! सोचे बेनामी टिप्पणी करते हैं. मगर तब तक बेनामी का मतलब बुझाने लगा था. बिचार हुआ अउर फैसला लिया गया कि एगो ब्लॉग बनाकर उसी से कमेन्ट करके अपना बिरोध दर्ज किया जाए. काहे से कि सबलोग उनका लिखा का तारीफ छोड़कर कुछ कहा नहीं था. चैतन्य बाबू सलाह दिए कि आप अपना बिहारी बोली में काहे नहीं कमेन्ट करते हैं (पाहिले तो ऊ मना किये थे कमेन्ट करने के लिए, मगर हमरे जिद को टाल नहीं पाए). हमको भी ई आइडिया जंच गया.
हम जब भी कुछ लिखते हैं, त उसका सीर्सक चैतन्य बाबू देते हैं. हम कहते भी हैं कि हमारे दिमाग में जब प्रसब पीड़ा होता है अउर रचना का जन्म होता है, तो उसका नामकरण आपके ही हाथ से होता है. बस ऊ बेनामी ब्लॉग का नाम चैतन्य जी रख दिए चला बिहारी ब्लोगर बनने. समीर जी के साथ कमेन्ट को लेकर बहस हुआ. गुरुदेव सतीस सक्सेना जी उनके बचाव में खड़े हो गए. समीर जी पता लगा लिए कि हम कौन हैं अउर हमरा माथा हल्का हो गया कि बेनामी को नाम मिल गया अउर ऊ भी ब्लॉग जगत के डॉन के मार्फ़त. अच्छा सम्बन्ध रहा समीर जी के साथ. जब दिल्ली आए तो ऊ अपने एगो कोमन दोस्त के मार्फ़त अपना प्रोग्राम बताए. हम बोले, उनसे मिलने वालों की कतार लगी होगी, पता नहीं मेरा नंबर कब आएगा. समीर जी का जवाब था, उनको कहना, उनका नंबर पहला होगा. मिले उनसे, बहुत जिंदादिली से. अउर उसी दिन उनको अपने मन का बात बताए कि जो कहिये हमरे ब्लॉग के जनक आप ही हैं.
सुरू में तो काफी दिन बेनामी बने रहे. फिर लगा कि बेनामी बने रहने में कोनों फायदा नहीं है. अउर खाली टिप्पणी करने के लिए ब्लॉग सुरू किया तो धिक्कार है हमरे की बोर्ड पर! चैतन्य जी का सुझाव आया कि ब्यक्तिगत अनुभव लिखो. हम भी सोचे कि संवेदना के स्वर से अलग लगना चाहिए. अउर तब हम सुरू किये अपना याद का गठरी खोलना. अईसा अनुभव, जो हमरा होने पर भी सबका मालूम पड़े. हमरे बात से लोग को अपना बात याद आये. मजा आने लगा. बहुत अच्छा लगा कि कब ब्लॉग के माध्यम से दुनिया से जुड़े, दुनिया से नया नया रिश्ता बना, दुःख तकलीफ भी बांटे अउर दोस्ती प्यार भी फैलाने का कोसिस किये. हमरे घर का लोग भी हैरान. बच्चा लोग को नया-नया घटना का पता चला अउर पुराना लोग का याद ताजा हो गया. माताजी, भाई-बहन का कहना था कि सब घटना जाना हुआ है, मगर तुम जब कहते हो तो लगता है कि बस कल का बात है.
फिलिम आँधी में संजीव कुमार टेलीफोन पर सुचित्रा सेन को एगो नज़्म सुनाते हैं तो उनके बीच का बातचीत सुनिए:
वंडरफुल! ब्यूटीफुल!
एक बात बताऊँ, तुम जब अच्छा कहती हो ना, तो सचमुच बहुत अच्छा लगता है!
बस एही कहना चाहते है हम भी आप लोग से कि जब आप लोग हमरे बात से अपना कोइ बात याद करके अच्छा कहते हैं ना, तो सच्चो हमको बहुत अच्छा लगता है. कम से कम पिछला एक साल से तो एही देख रहे हैं. बिस्वास कीजिये आज हमरे ब्लॉग का एक साल पूरा हो गया है!!

51 टिप्‍पणियां:

  1. इस एक साल के सफ़र ने, आपने कई आयाम कायम किये हैं भाई ! जिनमें बिहारी भाषा को हिंदी जगत में सम्मान दिलाना सबसे दुष्कर कार्य था जिसे आपने अपनी सरस और माधुर्य से बहुत आसान बना दिया ! शायद कोई और ब्लोगर यह काम करने का बीड़ा उठाता तो उसे कुछ समय में ब्लॉग को ही बंद कर जाना पड़ता !

    आशा है इस प्रकाश को यूँ ही बिखेरते रहोगे !
    शुभाशीष

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  2. आपकी इसी स्टाईल ने मेरा ध्यान खींचा था...और..एक कॉमन दोस्त का भी शुक्रिया जिसके कारण बन गया एक ऐसा रिश्ता...जो अब हमेशा के लिए है....
    सच में बहुत अच्छा लगा आपसे मिलकर...बधाई साल भर के ब्लॉग की....

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  3. सलिल भाई ! आपको आपके बलाग के बरस गांठ पर बधायी ...आ सुभकामना. आप जेतना खूबसूरती से आ भोलेपन से बिहारी बोली को स्थापित किये हैं ....ऊ बहुतये परसंसनीय है. आपके बलाग पर आके हमको बुझाता है के हम पटना मं खड़े होकर बतिया रहे हैं. आपका ये बतकही बाला सैली .......अब हम का कहें .....एकदम फोनेटिक लिखते हैं.....जो अपनत्व आप बाँट रहे हैं ....एकदम खाँटी बाला ...ऊ आज के ज़माना में एकदम दुर्लभ चीज़ है. आज बरसगांठ पर एगो केकवा काट कर हमारी तरफ से खा लीजिएगा. उहाँ दिल्ली मं त इहए न मिलेगा ...इहाँ रहते त आपको हम गुलगुला ज़रूर खिलाते.

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  4. सलिल भाई ,
    चंद ब्लॉग ही ऐसे हैं जिन पर आ कर अपनेपन का अहसास होता है.आपका नंबर पहला है.
    बिहार ही वह भूमि है यहाँ से एक बहुत बड़ा बुद्धि जीवी वर्ग पैदा हो रहा है.आप की जन्म भूमि को शत शत नमन.
    आपको पहली साल गिरह की बहुत मुबारकबाद.

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  5. ब्लॉग निर्माण की रोचक कथा ...
    ब्लॉग की पहली सालगिरह की बहुत बधाई और शुभकामनायें !

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  6. आदरणीय नामी गुंडा जी, ब्लॉग की पहली वर्षगांठ पर हमारी भी बधाईयां स्वीकार कर लीजिये:)

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  7. अब तो बिहारी ब्लॉगर बन चुके।
    सालगिरह मुबारक!

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  8. बड़े भाई!
    एक वर्ष का बच्चा को आसीस।

    केतना जगह हम देखते हैं कि ई दिसा निर्देस होता है ई लिखो, ऊ न लिखो। यहां तक कि पोस्ट की जगह टिप्पणी में उससे भी लम्बा पोस्ट माफ़िक लिखा होता है।

    ई सब अपना अपना खयाल है।

    हमारा त मानना है कि जो सार हो उसे संक्षेप में कहें।

    अब इसी पोस्ट पर हम त इहो कह सकते थे कि आपकी लेखनी की अनवरत कोसिस से हम लाभान्वित होते रहे हैं और गर्वान्वित भी। आपके समान किसी ब्लोगर ने सरसता, रोचकता, और आत्मीयता प्रदर्शित नहीं की है। आप अपने साथ हमें उस दुनिया मे ले जाते हैं जहां हम एक सुमधुर संबंध के साथ विचरण करते हैं।

    लेकिन हम त एतना ही कहेंगे ...

    एक आत्मीय पोस्ट ... दिल को छूती हुई।

    बाक़ी समीर भाई के योगदान से संबंधित आपके विचार से हमहूं सहमत हूं, कि उनका एक शब्द संजीवनी का काम करता है। हमरे ब्लोग पर ऊ ब्लोग खोलने के डेढ महीना के बाद आए और लिखे उम्दा पोस्ट। हम ऐसा नाचे (खुशी से), कि आज तक नाच रहे हैं।

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  9. सलिल भाई!
    अनिश्चितता जीवन का एक महत्वपूर्ण तथ्य है, कब क्या बात कौन सा मोड ले ले कोई नहीं जानता। बस यही कामना है कि चित्त्त पर जमी धूल किसी न किसी बहाने से झरती रहे और अस्तित्त्व का प्रसाद सब पर बरसता रहे, ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ बहुत बहुत मुबारक हो !

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  10. उडन तश्तरी अगर आस पास के ब्लोग से भी होकर गुजर जाये तो उसके समीर प्रवाह से अच्छे अच्छे आन्दोलित हो जाते हैं आप की प्रतिक्रिया को मैं तो सहज ही कहूंगा। और फिर उसके बाद समीर जी ने जिस खेल भावना का परिचय दिया और दोस्ती बनायी वो भी बहुत अच्छी लगी।
    मुझे तो लगता है कि समीर जी, मुनव्वर राना के शब्दो में आपके लिये कहीं ये न कह दें कि :
    अब दोस्त कोई लाओ मुकाबिल में हमारे
    दुश्मन तो कोई कद के बराबर नहीं रहा! :)

    प्रेम सहित
    चैतन्य आलोक

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  11. सलिल भाई, ब्लॉग की प्रथम वर्षगांठ पर बहुत बहुत शुभकामनाएं ... ऐसा लगता नहीं है की मात्र एक बरस ही हुआ है आपकी ब्लॉग्गिंग को.....


    मानो या न मानो : हम सब में कोई न कोई नाता पुराना तो है.

    शुभकामनाएं

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  12. सलिल जी,
    बहुत बहुत बधाई..एक वर्ष पूरा होने की...इसमें बस शून्य लगते जाएँ...हमारी शुभकामनाएं
    आपके संस्मरण पढना,हमेशा ही अच्छा लगता है...
    और शीर्षक की बात तो सही कही....बहुत माथापच्ची करनी पड़ती है...कई बार तो दो दिन तक पोस्ट उपयुक्त शीर्षक के तलाश में पड़ी रह जाती है.

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  13. क्या करें मजबूर हैं हम...अच्छा को अच्छा कहे बिना काम नहीं न चलता है...

    दिल से निकला,माटी की सोंधी सोंधी गंघ में सनाया आपका बात दिल को सट से आके छू लेता है और हमसे वाह निकलवा लेता है...

    बहुत बहुत शुभकामना...या सिलसिला चलता रहे सालों साल.. सालों साल...

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  14. सलिल भाई !..... हिन्दी में तो बहुत लोग लिख रहे हैं ....भोजपुरी में लिखने वाले कितने लोग हैं ? मैं हिन्दी में लिखता हूँ ...केवल कपडे पहनाता हूँ ...आप भोजपुरी में लिखते हैं ......हिन्दी की आत्मा को पोषण देते हैं. भोजपुरी...मैथिली .अवधी ......बृज........ यही तो आत्मा हैं हिन्दी की. हिन्दी को इन्हीं से पोषण मिलता है ....ये न होतीं तो अब तक हिंगलिश इंग्लिश हो गयी होती....बल्कि मैं तो यह चाहूंगा कि धीरे-धीरे आप खाँटी भोजपुरी में भी थोड़ा बहुत लिखना प्रारम्भ कीजिएगा. "टुहु-टुहु" और "एथी" का कोई विकल्प मुझे अभी तक किसी भाषा में नहीं मिला ...आने वाली पीढियां इन शब्दों को भूल जायेंगी. और यह मुझे आपसे भी शिकायत रही है कि अभी तक आपने लोगों को भोजपुरी के इन शब्दों से परिचित भी नहीं कराया. ग्रामीण भोजपुरी के कितनी शब्द हम धीरे-धीरे भूल जायेंगे ....और इसके लिए हम सब दोषी होंगे. आशा है मेरी शिकायत को गंभीरता से लिया जाएगा.

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  15. अब तो एक साल में ये बिहारी बड़ा ब्लोगर बन गया है.मजेदार रहा सफर भी और इतिहास भी.
    अब अच्छे को अच्छा कहना तो मज़बूरी है हमारी. .
    लाक्खो शुभकामनाये.ये सफर यूँ ही खुशगवार रहे.

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  16. आप को ब्लॉग की सबसे अच्छी बात वही लगाती है जो आप ने कही की आप के यादो से हमारी यादे भी ताजा हो जाती है एक पोस्ट में दुगना आन्नद एक आप की यादे पढ़ कर दूसरी अपनी यादे याद कर और कई बार उसे भी टिप्पणी के रूप में दे कर | ब्लॉग के प्रथम वर्षगांठ पर बधाई, पार्टी तो बनती है हम लोगो की :))

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  17. आपका ये अनूठा ब्लॉग सालों साल चले इश्वर से येही प्रार्थना करते हैं...लिखते रहें..आपको पढना बहुत अच्छा लगता है...

    नीरज

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  18. आपके ब्लाग का एक साल देखत ही देखते पूरा हो गया।आईसा लग रहा है कि यह कल की बात है।आपका पोस्ट मुझे बहुत ही रोचक लगता है।जब भी अवसर मिलता है आपके पोस्ट पर जरूर आता हूं। आपका पोस्ट देखते ही एक अजीब सी आत्मीय रिश्ते की सुगंध मन में समा जाती है।धन्याद इस ब्लाग का जिसने हम सबको दूर रहते हुए भी दिल के बहुत ही करीब कर दिया है।भगवान से यही प्रार्थना है कि आप अहर्निश अपनी अभिव्यक्तियों को मूर्त रूप देते रहें।

    "ऐसा लगता है आपके मिलकर,
    अपनी किस्मत ही संवार बैठा हूं।"

    मेरे पोस्ट पर आपका सहर्ष स्वागत है।

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  19. क्या कहें सलिल जी . पाहिले तो आपको ब्लॉग की बरसी .ओह.......हो.........हो......... बेतकल्लुफ हो रहे हैं . वर्ष गांठ की बधाई.अब आते हैं काम का बात पर. आपका भासा का प्रभाव आपके ब्लॉग को पढने पर मजबूर करता है . हम आपकी तरह पहुंचे हुए तो नही हैं . पर टिप्पणियों को पढ़ के उर्जा मिलती है . येही बात आपके माध्यम से Don समीर जी को पहुँचाना चाहते हैं . उ भी एक दो बार हमरा ब्लॉग पर कमेन्ट किये . फिर सायद भुला गए , चाहे हमरा लिखा उतना अच्छा नही होगा . हम तो यही सोच लिए . इसी क्रम में एक बार मठाधीसी पर भी लिखे थे . एगो ब्लॉगर है . बड़ा नाम है उसका . चाहे कुच्छो लिखे . भाई लोग दनादन टिपण्णी मारते हैं . अब समझ में आता है , चाहे कुच्छोऊ लिखो. lobbying जरुरी हो गया है . खैर. हम भी कहाँ की ले बैठे . आपको सुन्दर लेखन की पुन : बधाई ! समीर लाल जी जैसे लोग विरले होते हैं . पर हम अकिंचन .............!

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  20. आपके ब्लॉग निर्माण की प्रक्रिया बहुत ही रोचक लगी | आपके सस्मरण ,लेख ,बिलकुल अपने से लगते है आपकी ही तरह, कारण वो अपनी भाषा में लिखा होता है |मै पहले कह चुकी हूँ की आपका ब्लॉग पढने में मुझे काफी समय लगता है ,पर अब ज्यदा देर नहीं लगती काफी शब्द समझ आने लगे है |ब्लाग की प्रथम वर्षगांठ पर बहुत बहुत बधाई और अनेक शुभकामनाये |आप इसी तरह लिखते रहे हम आपके साथ साथ अपनी यादे भी ताजा करते रहे |

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  21. आपके ब्लॉग रचने के पीछे का रहस्य बहुत ही रोचक है...आपके संस्मरणों की तरह ही...

    चला बिहारी...का प्रथम परिचय समीर जी के ब्लॉग पर ही हुआ था, लेकिन बेनामी रहते हुए भी हम तो आपकी प्रतिभा के कायल हो गए थे जी। वह तो कुछ समय बाद हमें चैतन्य आलोक जी से पता चला कि चला बिहारी कोई और नहीं बल्कि हमारे सलिल भाई हैं...

    सचमुच इस एक वर्ष में हमने आपके अनुभवों के साथ-साथ स्वयं के जीवन के बहुत से अनुभवों,यादों को पुन: जी लिया।

    हम आपके इस सद्प्रयास के लिए आभारी हैं।

    यह ब्लॉग दिन-दुनी रात चौगुनी इसी तरह तरक्की करता रहे,यही हमारी शुभेच्छा है।

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  22. ब्लॉग को एक वर्ष पूर्ण होने पर आपको बधाई। साथ ही धन्यवाद। आपके अनुभव वाकई प्रेरक होते हैं। साथ ही रोचक भी। अच्छा एक और विशेषता है, उनमें सस्पेंस होता है।

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  23. का बिचार है महाराज...एक साल के होते ही हमको शरम से गड़वा दिजियेगा का... :)


    अरे, हम त हमेशा चाहते हैं कि आप लिखते चलं और हम पढ़ते चलें...कहियेगा तो लिखने वाला काम बन्द करके सिर्फ पढ़ा करेगे. आप का जोरदार शैली का १०% भी पा जायें तो मानिये, जीवन धन्य भया...फिर चैतन्य भाई की आत्मियता..बिना मिले जिससे अपनापन जोड़ पाया...उसका का विवरण दें.

    परिवार के सदस्य हैं आप तो जाने दे रहे हैं वरना सच्चे लिखना बन्द कर सिर्फ आपको पढ़ रहे होते आज के बाद. :)


    पहली वर्षगांठ...हमारे मनाने का ढ़ंग आपको लुभायेगा नहीं..यहाँ जाम छलकेंगे और श्री हरि की भूमिका निभायेंगे...तो हम सतीश सक्सेना के साथ आपका जश्न मना लेंगे...बिल भिजवायेंगे जरुर लेकिन...

    होटल वाले से बात सतीश भाई कर लिये हैं ...ड्रिंक को फूड आईटम करन के लिए. :)


    बहुत बधाई-अनेक शुभकामना!!!


    वैए जो भी हो...जो आपको हमको मिलवाने का काम किये है दिल्ली में..उसको सारा दोष जाना चाहिये. :) हा हा!!

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  24. वर्षगाँठ की सुभकामनाये
    आप लिखते रहें, हम यूं ही पढते रहे

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  25. आपको अपने इस ब्लाग की सालगिरह पर हमारी भी बहुत-बहुत बधाई...

    शुद्ध इन्दौरवासी होने के कारण आपकी ब्लाग भाषा में तो ये बधाई हम दे नहीं पा रहे हैं तो हमारी शैली में ही कृपया स्वीकार करें ।

    धन्यवाद और शुभकामनाएँ...

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  26. ब्लॉग की प्रथम वर्षगांठ पर बहुत बहुत शुभकामनाएं ... ऐसा लगता नहीं है की मात्र एक बरस ही हुआ है आपकी ब्लॉग्गिंग को.....

    jai baba banaras....

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  27. सच में..आप बहुते अच्छा लिखते हैं लेकिन एहमे कुल क्रेडिट हम आपको नहीं न देंगे। इसका सही क्रेडिट तो जाता है बिहारी मीठी बोली को। कम से कम 20-22 साल पहले की बात बता रहे हैं। एक बार हम कटिहार स्टेशन में भटक रहे थे..गाड़ी बहुते लेट थी सोचा फिलिम देख लें। कौन फिल्म देखे हमको नहीं पता लेकिन आज तक ई जरूर याद है कि वहाँ सब बहुते मीठा-मीठा बोल रहे थे। सोने पे सुहागा तब होइये जाता है जब हम आपका लिखा पढ़ते हैं। ईमानदारी से कोई बात कही जाय वह भी इस जुबान में तो फिर क्या पूछना..वाह!

    वर्षगांठ का बधाई ले लीजिए लेकिन हम एहमें कौनो बड़ी खुशी नहीं महसूस करते । ई कारण कि अभी आप ऐसे ही 25 साल और लिखेंगे और हम बधाई देते-देते थक जायेंगे।

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  28. @अईसा अनुभव, जो हमरा होने पर भी सबका मालूम पड़े । हमरे बात से लोग को अपना बात याद आये ।

    बिल्कुल सही कहा आपने, आपके आलेखों को पढ़ने से यही अनुभव होता है।
    ब्लॉग की वर्षगांठ पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

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  29. चला बिहारी ब्लॉगर बनने ब्लॉग की पहली सालगिरह पर हार्दिक शुभकामना.. हम तो इसका स्वर्ण जयंती देखना चाहते हैं.... इस ब्लॉग से एक नहीं भाषा और विन्यास की उत्पत्ति हुई है....

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  30. चला बिहारी ब्लॉग पर एगो गमछी डाल
    कई लोगन के पाँव से आ लिपटा भूचाल
    आ लिपटल भूचाल हिलल सिंघासन सबकर
    ब्लॉग बिहारी निकलल देखा सबसे बढ़कर ... :D

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  31. salil bhai ji
    .aapka ye blog pura hone ke liye bahut bahut hi hardik badhai .sach! jis bhashhha v andaz me aap likhte hain uske takkar me is bhashhha me likhne wale abhi tak koi nahi mila .aap kahte hai ghatna puraani hoti hai par ham jab bhi aapki koi post padhte hain hamesha hi uasme ek nai tazagi dikhti hai .aap hammare prerana pdayak hain .nisndeh aapka blog bilkul alag v majedaar bhi lagata hai.fir chaitany ji jaise dost aapko ishwar ki kripa se mile hain to unka sahyog bhi kam aankana galat hoga .
    bahut bahut badhai vshubh -kamnaayen
    aapdono ko hi
    dhanyvaad sahit
    poonam

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  32. सलिल भाई...बधाई. ये दिन बार बार आये, हज़ार बार आये!!...आपकी किस्सागोई यूँ ही परवान चढ़ती रहे! आप पर यूँ ही प्यार लुटता रहे!!

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  33. ढेरों शुभकामनाएँ, इस ब्लॉग को, इस लेखन को, इस शैली को, आपको :)

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  34. :) :) हैप्पी बर्थडे टू "चला बिहारी ब्लॉगर बनने" ब्लॉग :)
    कुछ कुछ बात तो चचा आपसे सुन ही चुके थे....,
    और समीर चचा यानी "समीर लाल" का नाम तो मेरे परिवार में भी सब लोग उनकी पुस्तक के कारण जां चुके हैं :) :)

    और आपका लिखा पढ़ते पढ़ते तो हम बहुत कुछ सीखे हैं :) और सीखते रहेंगे..



    चचा, ये पोस्ट आप खुद टाइप किये हैं न?? :)

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  35. शीर्ष ब्लॉगरों में समीर जी अकेले हैं,जो अधिकतम ब्लॉगों पर जाते हैं। कुछेक प्रयोगों से मैंने पाया कि ब्लॉग पर उनका आना टिप्पणी की प्रत्याशा में नहीं होता। यह बात खास है और उनका क़द और ऊंचा करती है।
    बोली अपनी संप्रेषणीयता से ही भाषा का दर्ज़ा पाती है। आप जो सामने ला रहे हैं,यदि वह दीर्घ परम्परा का हिस्सा होती,तो आज बिहारी बोली प्रांतीय बोलियों/भाषाओं का समुच्चय न होकर,एक स्वतंत्र भाषा की प्रबल दावेदार होती।
    आभार। शुभकामनाएँ।

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  36. ए चचाजी,
    एगो कहावत है 'बियाह से विध भारी.....' बांकी आप बूझिये गए होंगे कि जयंती-जनता इस्परेस पकड़े में देर काहे हो गयी. खैर पछिला डब्बा भी धरा गया | हम बधाई-उधाई नहीं देंगे.... आपही आइयेगा बधाई देने. धनवाद!

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  37. लो जी एक साल भी हो गया ... हमें तो लगा जैसे कल ही की बात है हमारी आपसे आभासी मुलाकात हुई ....
    चलिए अब एक साल हो ही गया तो बहुत बहुत बधाई इस सफ़र की ...

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  38. बहुत दिनों के बाद आपके ब्लॉग पर आकर सुन्दर कथा पढ़ने को मिला जिसके लिए धन्यवाद! बहुत बढ़िया लगा!

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  39. क्या बात है। बधाईयों की लम्बी फेहरिस्त के बीच मेरी भी बधाई स्वीकार करें। आपने बहुत ही कम समय में इतनी प्रसिद्ध प्राप्त कर ली है। आशा है आगे भी ऐसा ही होगा।

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  40. बहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आया. यूँ बहुत दिनों से किसी के ब्लॉग पर नहीं गया था, खुद के भी नहीं. अच्छी पोस्ट है. ब्लॉग के एक साल पूरे होने पर शुभकामनाएं.

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  41. ब्लॉग जगत में पहली बार एक ऐसा सामुदायिक ब्लॉग जो भारत के स्वाभिमान और हिन्दू स्वाभिमान को संकल्पित है, जो देशभक्त मुसलमानों का सम्मान करता है, पर बाबर और लादेन द्वारा रचित इस्लाम की हिंसा का खुलकर विरोध करता है. साथ ही धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कायरता दिखाने वाले हिन्दुओ का भी विरोध करता है.
    आप भी बन सकते इस ब्लॉग के लेखक बस आपके अन्दर सच लिखने का हौसला होना चाहिए.
    समय मिले तो इस ब्लॉग को देखकर अपने विचार अवश्य दे
    .
    जानिए क्या है धर्मनिरपेक्षता
    हल्ला बोल के नियम व् शर्तें

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  42. जिनकी प्रेरणा ( आपके कथनानुसार) से यह ब्लाग सामने आया , आपके साथ-साथ उनका भी शत् शत् अभिनन्दन ।

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  43. फिल्म आंधी से ही यादों के बारे में कुछ कहना चाहूँगा-
    इस मोड से जाते हैं ,
    कुछ सुस्त कदम रस्ते ,
    कुछ तेज कदम राहें |

    सादर

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