पीछे बोखार लगा हुआ था त हम छुट्टी में घरे पर थे. दवाई खाकर थोड़ा देर फेसबुक में दोस्त लोग को खबर किये अऊर आराम से कम्बल ओढकर लेट गए. छुट्टी के दिन सबसे दिक्कत होता है फोन से. तनी आँख लगा नहीं कि मोबाइल पर पंडित सिव कुमार सर्मा जी का संतूर बादन सुरू. ऑफिस से फोन कि वो वाला प्रोपोजल हुआ कि नहीं, कौन से फोल्डर में है, मेल कर रहे हैं, हो सके तो पूरा करके मेल कर दो. अऊर अंत में ऑफिस से लोग ईहो कहना नहीं भुलाता है कि अपना ध्यान रखना, दवा लेते रहना और रेस्ट करो. ऑफिस का टेंसन मत लो, हम देख लेंगे.
एकाध बार अऊर सोने का कोसिस किये त बहुत सा सुभचिन्तक लोग का फोन आने लगा, “अरे क्या हो गया. ऑफिस फोन किया तो पता चला कि आज छुट्टी पर हैं आप, तबियत खराब है. देखिये ये बुखार नेगलेक्ट करने वाले नहीं होते. शाम को डॉक्टर से दिखा लेना. फ़्लू भी हो सकता है.”
खैर, एही सब के बीच कब नींद आ गया पता भी नहीं चला. अचानक, एगो अंगरेजी गाना का धुन सुनकर आँख खुल गया. देखे साढ़े पांच बज रहा था अऊर सिरीमती जी का मोबाइल बज रहा था. हई देखिये, ई भी मोबाइल छोडकर सहेली लोग के साथ धूप का आनंद ले रही हैं. फोन उठाकर बोले, “हेलो!”
“अरे भाई साहब आप! रेणु कहाँ है?”
“यहाँ नहीं है.”
“अच्छा! मैं दीपाली के पास देख लेती हूँ! असल में यहाँ नीचे एक चोर पकड़ा गया है. अपार्टमेंट में घुस गया था. वही बताना था.”
“अरे! हमारे अपार्टमेंट में चोर!! मैं आता हूँ!”
सोसाइटी का पदाधिकारी होने के नाते हमको जाना ही था, काहे कि बाकी लोग त ऑफिस गया होगा.
नीचे मेला लगा हुआ था मैदान में. खाली बच्चा और लेडीज लोग. गार्ड चोर को पकडकर झूला का पोल में बाँध दिया था. पता चला कि ऊ देवाल फांदकर घुसा था. किसी का नजर पडा, हल्ला हुआ तब उसको गार्ड लोग पकड़ा. हमरे आने के पहले मरम्मत का एक राउंड चल चुका था.
हम ऊ चोर से पूछते रह गए, प्रेम से, गोस्सा से, मगर उसका मुंह से बोल नहीं फूटा. धीरे-धीरे ऑफिस से लोग-बाग का आना सुरू हो गया. उसके बाद उसका पिटाई सुरू हुआ. कोइ थप्पड़ मार रहा था, त कोइ छड़ी से पीट रहा था. मगर ऊ भी मुंह से कुच्छो नहीं बोला कि कहाँ से आया है, साथी कौन-कौन है, काहे के लिए आया था.
औरत लोग के बीच में भी तरह-तरह का पर्तिकिरिया चल रहा था, “और मारिये. जानकर इस टाइम घुसा है, जब कोइ जेंट्स घर में नहीं हो, बेचारे को जाने दो, चोट लग रहा होगा, पीटो मत, पानी तो पीला दो, ये लोग गैंग में चलते हैं, कम से कम १०-१५ साथी होंगे इसके. अरे, दो दिन पहले मैंने इसे लिफ्ट में देखा था, कह रहा था कि पानी देने आया है.”
मार-पीट तो हमसे भी नहीं हुआ. ऊ भी ढीठ जैसा चुप था. जब सारा लोग आ गया, त हमलोग फैसला किये कि पुलिस के हवाले कर देते हैं, जो होगा वही लोग करेगा. तब तक पुलिस इस्टेसन से दू चार गो सिपाही आ गया अऊर बोला कि आप लोग के खिलाफ सिकायत दर्ज किया गया है कि कोइ आदमी को आपलोग जबरदस्ती पकड़ कर रखे हुए हैं. हमलोग समझाने का कोसिस किये मगर आखिर में क़ानून का हाथ बहुत लंबा होता है, ऊ सिपाही लोग उसको छोड़ाकर ले गया. छोड़ना त था ही. पता चला कि गेट के बाहर मोटरसाइकिल पर उसका साथी इंतज़ार कर रहा था. सिपाही ले जाकर उसको उसके दोस्त लोग को सौंप दिया और ऊ तथाकथित चोर मोटरसाइकिल पर बैठकर चला गया.
सब लोग अपना-अपना घर लौट गया, अपना-अपना एक्सपर्ट कमेन्ट के साथ.
घर पहुंचे त चैतन्य जी का फोन आया हमरा हाल-चाल पूछने के लिए. उनको हम ई घटना बताए. अपना इस्टाइल में उनका जवाब सुनकर हम भी सोच में पड़ गए, “अरे सलिल भाई! वो तो कोइ छोटा-मोटा चोर रहा होगा. यहाँ तो देश में यही हो रहा है. एक चोर पकड़ा जाता है. और उसके सारे साथी पकडने वाले को नाजायज बताने पर तुल जाते हैं. फिर थोड़ी सी थुक्कम-फजीहत के बाद वो चोर छूट जाता है और सम्मान के साथ अपनी बिरादरी में शामिल हो जाता है. फंस जाता है बेचारा पकडवाने वाला.”
हम दुनो दोस्त हँसने लगे. सामने अखबार पडा था अऊर उसमें बड़ा-बड़ा हेडलाइन था “........ ज़मानत पर रिहा! ...........के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच शुरू!!”
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंबधाई ||
अभी त पढ़ना सुरुए किए थे कि दिल का जखम हरिया गया, इसलिए आगे बढ़ने के पहिले अप्पन बात कहिए दें।
जवाब देंहटाएंछुट्टी ले के आइए पटना आए हैं और जो बॉस छुट्टी सैन्कसन किया है भोरे से दू-तीन गो काम थमा दिया है और हम यहां से फोने पर निपटा रहे हैं।
हमहूं आपको बीमारिए के दिन फोनिया दिए थे।
जवाब देंहटाएंआज त सही में ऐसा ही हो रहा है। जो लोग देस को लूट लिया ऊ त छुट्टा घूम रहा है और जो आबाज उठा रहा है उसकी जंच हो रही है कि ऊ फ़स्ट किलास में गया कि स्लीपर किलास में।
ई फ़ोन तो बीमारी में भी बजता है, सायलेंट मोड में लगाना था और तान के सुतना था।
जवाब देंहटाएंचोर तो सब छुटिए जाता है, उनका पैरवी करने के लिए मंत्री संत्री सब है ना। पकड़ने वाला फ़ंस जाता है।
सलिल भाई बाकी सब तो ठीक है,पर इस फोटो को तो हटा दीजिए। इतने निर्दयी न बनें।
जवाब देंहटाएंशीघ्र स्वास्थ्य लाभ करें।
जवाब देंहटाएंवाह! निराला अंदाज।
जवाब देंहटाएंसोसायटी वाले पहिले ही पुलिस बुला लिये होते त ऊ ऐसे नहीं न बच पाता? शातिर लगते हैं..फिरिये न आ जांय!
सही कह रहे हैं फंसता बेचारा पकड़ने वाला है.
जवाब देंहटाएंबेकार बुखार में फोन सुनते रहे आप.
चोर तो चोर ही है...छोटा हो या बड़ा....पर जब पब्लिक के हाथों में कोई चोर पड़ जाता है...तो उसकी बहुत जमकर धुलाई होती है...सबलोग अपना हाथ साफ़ करने चले आते हैं...उस चोर की किस्मत अच्छी थी कि ज्यादातर पुरुष ऑफिस में थे..वरना वह दो पैरों पर चल कर नहीं जा पाता
जवाब देंहटाएंयह तो गनीमत है कि पुलिस आप में से किसी को अपने साथ नहीं ले गई ... एक सम्मानित नागरिक के साथ बद्द्सलुकी के आरोप में ... ;-)
जवाब देंहटाएंअब तबियत कैसी है आपकी ??
अम्मा को हमारा प्रणाम कहियेगा ... आशा है उनको भी अब आराम होगा !
पोस्ट तो अंतिम पंक्तियों में है.... साथ में कुछ बेल वाला फोटो भी लगते तो अच्छा रहता...
जवाब देंहटाएं'मौसेरे' किसी जमाने में होते थे. अब 'सगे' हो गए हैं :)
जवाब देंहटाएं@राजेश उत्साही (बड़े भाई):
जवाब देंहटाएंतस्वीर विश्वसनीयता के लिए लगाई थी... आपकी बात मानकर हटा दी!!
छोटे चोर से अधिक घातक हैं बड़े चोर...छोटा चोर तो अपना पेट भरने के लिए चोरी-चकारी करता है,लेकिन ये हैडलाइन वाले चोर तो देश को ही बेच कर खा रहे हैं...
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंबढ़िया ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
Hmmmm.....padhne me to bada aanand aaya!
जवाब देंहटाएंसलील भाई
जवाब देंहटाएंआजु काल चोर लोग ई धंधा में ढुके के पहीले कानून के टरेनिंग लेता है ओकरा बाद से ईसब काम में लग जाता है । कचहरी में पीपर के फेड़ के नीचे बईठल ओकिल साहब लोग ई लोग के कचहरी में पेश होखे के पहिलही जमानत का पेपर तईयार रखते हैं । उसका त जमानत हो जाता है लेकिन ओकिल बाबू के धंधा में एगो आसामी के आमदनी बढ जाता है ।
बहुत नीमन लागल । धन्यवाद ।
चोरवा तो कहेगा खाक साहेब हो घर में फुटकर भी नहीं. उनके यहाँ घुसते तो ठोकाते भल्ले पर माल मोटा मिलता. समझे ना किसके यहाँ? अरे वही जिनके बारे में लिखे ......जांच शुरू या .....पकड़े गए.
जवाब देंहटाएंअच्छा हुआ की आप ने चोर के मौसेरे भाइयो और बड़के चोरो का नाम नहीं लिखा वरना सिम्बल जी नाराज हो जाते, इन सबकी वकिलाई वही तो कर रहे है, अब तो इसके लिए गूगल से ले कर फेसबुक तक को धमकिया दिए की भाई त्याग की मूर्ति और महान अर्थशास्त्री मौनी बाबा के खिलाफ कुछ नहीं सुन सकते सब सेंसर करे तकनीक से नहीं कर सकते तो आदमी बिठाओ और उनके खिलाफ लिखा सब सेंसर करो , अब तो उनका नाम लिखा नहीं की पूरा ब्लॉग गायब हो जायेगा ( जो नाम नहीं लखा और दुसरे दर्जनों उपनाम लिख दिया लोगो ने तब क्या करेंगे ) | भला हो दुनिया के बड़के चोर चचा सैम का की दो मिनट में उनकी हेकड़ी निकाल दी |
जवाब देंहटाएंकल शाम इसी विषय पर बात हो रही थी और चोर, डाकू और ठग में से अपने को चोर सबसे निरीह श्रेणी के लगे थे। वैसे अब चोरी एक सम्मानजनक पेशा अख्तियार कर चुकी है। चैतन्य जी का कहना बिल्कुल सही है।
जवाब देंहटाएंहमारी राय में तो अन्ना के ’राईट टु रिकाल’ की तरह प्राईवेट प्रोपर्टी में अतिक्रमण करने जैसे मामलों में ’राईट टु जंगल-लॉ’ की भी मांग की जा सकती है, खुद निबटने की इजाजत।
सलिल भैया, अपनी तबियत का ध्यान रखिये।
ठीक कहा सलिल भाई, हम भी धरम पत्नी के जगने की कीमत पर ही तीसरे पहर की झपकी ले पाते हैं। वरना फोन की एक घंटी ही नींद का बाजे बजाने को काफी होती है।
जवाब देंहटाएंपुलिस के हाथ वाकई लंबे है... इतने लंबे कि मजाल है जो रुतबेदार चोरों को जनता हाथ भी लगा सके!!
आशा है स्वस्थ होंगे।
छूटने पर बैण्ड-बाजा बजाया जाता है।
जवाब देंहटाएंचैतन्य जी ने सही कहा है ... अब चोर होना इतनी बुरी बार नहीं रह गई है ... और जैसा की अजित जी ने कहा इनके तो बेल मिलने पर भी ढोल बज जाते हैं ...
जवाब देंहटाएंतबीयत जल्दी से ठीक हो जाए आपकी ......
जवाब देंहटाएंएक नयी ऊर्जा हो.........
जीवन की अनंत संभावनाओ के साथ.....
आपको प्रणाम
बहुत खूब । जो चोर या चोर के भाई नही बन सकते वे सम्हल कर रहें । आप स्वस्थ व सानन्द रहें ।
जवाब देंहटाएंअजीब हालत है... ऐसा ही होता है बहुधा:(
जवाब देंहटाएंhope you have recovered from illness!
take care,
regards
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआपका मेरे ब्लॉग पर आना बहुत अच्छा लगा, यह पोस्ट पढकर ऐसा लगा जैसे मैं अपने प्रान्त.. अपने घर के एक सज्जन की बातें सुन रहा हूँ.
जवाब देंहटाएंआपके शीघ्र स्वस्थ होने की शुभकामनाएं..
www.belovedlife-santosh.blogspot.com
सलिल भाई ! जय श्रीकृष्ण ! काशी में पहले चौर्य कला की भी ट्रेनिंग दी जाती थी. युग बदला .....ट्रेनिंग का स्थान बदल गया और तरीका भी. हमें अपना प्राचीन गौरव याद आ गया. चोरी-डकैती दमखम वालों की सर्व स्वीकृत कला है. आप लोगों की किस्मत अच्छी थी जो पुलिस वाले आप लोगों को नहीं पकड़ कर ले गए. आने वाले कुछ ही वर्षों बाद दृश्य कुछ और होगा. चोर-डाकू संगठन के लोग आदेश जारी करेंगे किसी भी घर में (........)राशि से कम राशि न रखी जाय, यदि चोरी में (........) राशि भी किसी चोर को न मिली तो सम्बंधित घर मालिक को संगठन की ओर से दंड दिया जाएगा. हर वारदात की( .........)राशि तो हमें ऊपर देनी पड़ती है ....फिर हमें भी तो कुछ बचना चाहिए.
जवाब देंहटाएं-पुलिस एवं नेताओं द्वारा अनुमोदित.
पोस्ट का पूर्वार्धवा त हम समझी हमरे लिए ही लिख रहे हैं पर दुःख कातरता में अपने ई बिहारी बाबू ..एक अक्षर सत्य ....
जवाब देंहटाएंऔर उत्तरार्ध में त हमें बुझाता बा कि ऊ कालोनी में आराम कर रहे दुसरे जेंट से मिलने आ गया होगा -जब पकडाई गवा त बिचारा आखिर बोल्बई का करत ..ताला लगाए लिहिस अपना मुंह माँ :)
bahut manoranjak dhang se poori ghatna ka varnan kiye hain aap.......
जवाब देंहटाएंअपनी तबियत का ध्यान रखिये.....मामा जी
जवाब देंहटाएंशीघ्र स्वस्थ की शुभकामनाएं.....!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट आरसी प्रसाद सिंह पर आपका इंतजार रहेगा । भविष्य में भी आपकी प्रतिक्रियों की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंचोर को पकड़वानेमें आपका क्या सहयोग रहा ?अरे भूल गया आप तो बीमार हैं अपनी सेहत का ख्याल रखिये
जवाब देंहटाएंपूरा का पूरा वृत्तांत ही बहुत रोचक है।
जवाब देंहटाएंदुखद बात है, पर है तो।
बहुत सटीक परहार किये भैया...
जवाब देंहटाएंएकदम एही त हालत है...
चोर तगड़ा, त पकडवाने वाला ही गदहा, साबित होता है...
सलिल साहब, चोर जरुर आगे चल कर इस देश का महान नेता बनेगा.....फिर आप इस घटना को याद करियेगा.जय महान भारत.
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट के लिए धन्यवाद । मरे नए पोस्ट :साहिर लुधियानवी" पर आपका इंतजार रहेगा ।
जवाब देंहटाएंसही कह रहे हैं फंसता बेचारा पकड़ने वाला है| आपके शीघ्र स्वस्थ होने की शुभकामनाएं|
जवाब देंहटाएंचोर चोर मौसेरे भाई नही होता कोई भाई भौजाई,...सुंदर आलेख
जवाब देंहटाएंदिल चंगा तो कठौती में गंगा,..अपनी सेहत का ख्याल रखे,...
मेरे नये पोस्ट में..आज चली कुछ ऐसी बातें, बातों पर हो जाएँ बातें
ममता मयी हैं माँ की बातें, शिक्षा देती गुरु की बातें
अच्छी और बुरी कुछ बातें, है गंभीर बहुत सी बातें
कभी कभी भरमाती बातें, है इतिहास बनाती बातें
युगों युगों तक चलती बातें, कुछ होतीं हैं ऎसी बातें
सही पर्यवेक्षण!!
जवाब देंहटाएं। मरे नए पोस्ट :साहिर लुधियानवी" पर आपका इंतजार रहेगा । यह मेरा शायद दूसरा निमंत्रण है ।
जवाब देंहटाएंआशा है कि आपकी सोसाइटी वाले अब किसी भटके हुए गरीब को जबरदस्ती पकड़ कर नहीं रखेंगे। आखिर कोनो सासन-व्यवस्था है इस देस में कि नाहीं?
जवाब देंहटाएंहा हा हा!!
जवाब देंहटाएंचचा...हाईटेक ज़माना है और चोर भी अब हाईटेक हो गया है न...गज़ब गज़ब का प्लानिंग कर के रखता है...वैसे चैतन्य चचा का बात खतरनाक था!!
अपने सेहत का ख्याल रखियेगा! जल्द से जल्द स्वस्थ हो जाइएगा ! सुन्दर प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
ए चचाजी,
जवाब देंहटाएंआप तो हमर एगो ’देसिल बयना’ छीन लिये।
उम्मेद है कि अभी तक तबियत ठीक होइए गया होगा।
सुंदर आलेख पढकर अच्छा लगा,.....
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
जहर इन्हीं का बोया है, प्रेम-भाव परिपाटी में
घोल दिया बारूद इन्होने, हँसते गाते माटी में,
मस्ती में बौराये नेता, चमचे लगे दलाली में
रख छूरी जनता के,अफसर मस्ती के लाली में,
पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे
चोरों की नेटवर्किंग गज़ब की है। ग़नीमत है कि पुलिसियों ने नागरिकों को अन्दर नहीं किया। चोर की जगह कोई चोरनी होती तो शायद वह भी हो जाता।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लेख
जवाब देंहटाएंकम ही ऐसे लेख पढने को मिलते हैं।
आपका पोस्ट पर आना बहुत ही अच्छा लगा मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंयही चल रहा है....
जवाब देंहटाएंउम्मीद है कि अब तक आप स्वस्थ्य हो चुके होंगे। जल्द ही नई पोस्ट पढऩे को मिलेगी।
उत्तेजना बीमारी को कम कर देती है। आशा है अंग्रेजी गाने की धुन और चोर की घटना से उपजी आपके अन्दर की उत्तेजना बीमारी को निगल गयी होगी। साधुवाद।
जवाब देंहटाएंमनोरंजक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंबाऊ जी , आगे की खबर आज के अखबार है -
जवाब देंहटाएं..... के खिलाफ भ्रस्टाचार की जांच जारी है , जल्द ही नतीजे आने की उम्मीद | :)
सादर