अगर सादी-बियाह का
न्यौता से आने के बाद कोनो अदमी दुल्हा-दुल्हिन का जिकिर नहीं करके, पकवान का
जिकिर करे त समझ जाइये कि आप कोलकाता में हैं. पकवान का जिकिर भी बहुत सीरियसली अऊर
एतना सुन्दर-सुन्दर सब्द के माध्यम से कि अगर आप बातचीत में सुरू से सामिल नहीं हैं,
तो आपको लगेगा कि कोनो सुन्दरी के सौन्दर्ज का बरनन हो रहा है. आप कोनो निमंत्रन
में चले जाइये, आपका आवभगत त जेतना बढिया से होगा ऊ त होबे करेगा, लेकिन चलते टाइम
घर का लोग आपसे जरूर पूछेगा – रान्ना केमौन होएछे! (भोजन कैसा बना था). पकवान का
सुन्दरता (स्वाद के नाम पर लोग जादातर “शुन्दोर” सब्द का प्रयोग करते हैं) बंगाल के मसहूर
बिसेसन के साथ होता है – भीशौन शुन्दोर रशोगोल्ला छिलो! ‘भीसन’ सब्द का ऐसा
इस्तेमाल हम बंगाल में ही देखे.
कुल मिलाकर, कोनो
मामूली से मामूली चीज, चाहे बात भी किसी के बरनन से एतना खूबसूरत हो जाता है कि
एकीन करना मोस्किल हो जाता है कि ओही चीज के बारे में कहा जा रहा है. असल में एही
खूबी कोनो साधारन अदमी को कबि बना देता है. रोज निकलने अऊर डूबने वाला चाँद त
सबलोग देखता है, बाकी ऊ चाँद में रोटी, कटोरा, अठन्नी, महबूबा त कोनो कबि चाहे
सायर को ही देखाई देता है.
चचा गालिब का एगो
मसहूर शे’र है:
ज़िक्र उस परीवश का, और फिर बयान अपना,
बन गया रक़ीब आख़िर, जो था राज़दान अपना.
माने पहिले त ऊ
सुन्दरी परी के जइसा अऊर उसपर उसका सुन्दरता का बखान एतना सुन्दर कि दोस्त भी
दुस्मन बन गया. सायद एही से लोग कहता है कि अदमी प्यार में सायर बन जाता है. जिसका
सुन्दरता से दूर-दूर तक कोनो वास्ता नहीं, उसका खूबसूरती भी अइसा बयान करता है कि
ऊ दुनिया का सबसे सुन्दर लड़की देखाई देने लगती है.
मगर सुन्दरता का बात
खाली काहे कहते हैं. कभी-कभी कोनो घटना के बारे में कोई लोग अइसा फोटो खींच देता
है कि लगता है आप आँख से देख रहे हैं. कोनो मामूली सा घटना भी किसी के सब्द का
जादू से निखरकर एतना सुन्दर हो जाता है कि आपको अपना नजर पर सक होने लगता है कि
धत्त ई त हम भी देखे थे, सच्चो एतना सुन्दर था! अऊर जो नहीं देखे रहता है, ऊ समझता
है कि झूठ बोलता है, भला अइसन कहीं हो सकता है.
अपना ब्लॉग पर का
मालूम केतना छोटा-बड़ा घटना हम आपलोग के साथ बाँटे होंगे. बहुत सा लोग ऊ घटना के
बारे में जानकर खुस हुआ, चकित हुआ, मुग्ध हुआ, भावुक हुआ, नाराज हुआ, प्रेरित हुआ,
दुखी हुआ, गौरवांवित हुआ, खीझ गया, लेकिन साथे-साथ अइसा भी लोग हमको मिला जो
मुस्कुरा दिया अऊर बोला कि झूठमूठ का कहानी बनाता है. ई सब घटना इन्हीं के साथ
काहे घटता है, हमरे साथ त कभी नहीं घटा!
अब हम का बताएँ. हमरे
बात करने का तरीका में कोनो खोट रहा होगा कि सच्चो बात लोग को झूठ मालूम होता है.
हम ऊ लोग से बिबाद, चाहे तर्क नहीं करते हैं, न कोनो सफाई देते हैं कि ई घटना सच
है. बस चुपचाप आसमान के तरफ नजर उठाकर परमात्मा का सुक्रिया अदा करते हैं जो
हमको उस घटना का पात्र या साक्षी बनाया अऊर अपने पूर्बज लोग को प्रनाम करते हैं कि
उनके आसीस के बदौलत हमरे कलम में सचाई को ईमानदारी से बयान करने का ताकत मिला.
चार साल पहिले 21
अप्रैल 2010 में एगो बिहारी बोली में बतियाने वाला मामूली सा अदमी ब्लॉगर बनने
का सपना लेकर एगो यात्रा सुरू किया था. आज चार साल हो गया अऊर पीछे पलट कर देखने
पर बुझाता है कि बात-बात में एतना लम्बा रास्ता तय हो गया! परमात्मा से एही
प्रार्थना है कि हमरे कलम का जोर ऐसहिं बनाए रखे कि लोग ई सोचने पर मजबूर हो जाए
कि – चार साल हो गया ई अदमी को, झूट्ठा खिस्सा गढते हुये!!
चार साल पूरे होने की बधाई। आपकी साधारण बिहारी पढ़ कर दिल खुश हो जाता है। रही बात किस्सा सच झूट होने की--तो देखने वाले की समझ। जैसी रही भावना जिसकी ....... :)
जवाब देंहटाएंबधाई हो........
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई..... सतत लेखन के लिए ढेरों शुभकामनायें ....
जवाब देंहटाएंहम तो चाहे पहली बार पढे हो चाहे अब ... कब्भों कोनो शक नहीं किए आप पर ... न जाने आप भी किन किन की बातों पर ध्यान देने लगते है ... ;)
जवाब देंहटाएंमैंने भी जरूर कुछ अच्छे काम किए होंगे कि आप ने चार साल पहले ब्लॉग लिखना शुरू किया और मैंने आप को पढ़ना ... :)
आज का दिन मुबारक हम तीनों को ... बोले तो ... आप ... ब्लॉग और मैं ... ;)
कहीं पढ़े थे बहुत पहले......
जवाब देंहटाएं'आपकी बातों में है सोलह मसालों का मज़ा,
आप बोलते हैं और हम चाट खाए जाते हैं.
मुझे वाकई लगता है कि ये बात आपके लिए ही लिखी गयी होगी .……
भाषा से अधिक महत्व बोली का है। बोली में शब्द और भाव दोनों साथ साथ चलते हैं। और कैसे वे नया अर्थ देते हैं , इसके लिए किसी भाषा विज्ञानी को आपके पोस्ट पढ़ने चाहिए। जो बिहार को नहीं जानते हैं, उनके लिए यह केवल डिस्टॉर्शन लगेगा लेकिन आपकी भाषा में भोजपुरी, मगही , मैथिलि, अंगिका यानी पुरे बिहार की बोलियों का सुन्दर समन्वय दिखता है जिसमे मर्म भी है। आपके साथ बिताये हुए समय बहुत याद आते हैं। ब्लॉगिंग के चार वर्ष के लिए हार्दिक शुभकामना !
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत में 4 वर्ष तक सतत लेखन करना भी बड़ी बात है। ढेरों शुभकामनाएँ एवं बहुत बहुत बधाई ……
जवाब देंहटाएंअरे वाह !
जवाब देंहटाएंबधाई शुभकामनाएं
Bahut bhut badhai aap aise hi likhte rahe. Shubhkamnaye ashirwad.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी! आभार आपका. अपने सन्देश में 22/04/2014 सोमवार के स्थान पर मंगलवार कर लें!
जवाब देंहटाएंचार साल तक भोजपुरी बोली वाली हिंदी की सजाये रखी महफ़िल , कौनो आसान बात नहींये है .
जवाब देंहटाएंआगे अयसे ही ज्ञान , मनोरंजन और शिक्षा बांटते रहे !
बहुत शुभकामनाये !
भीशोन शुंदोर. आपके कलम की धार बनी रहे
जवाब देंहटाएंबिहारी भाषा का माधुर्य सिर्फ सलिल से सीखा है , ब्लॉग जगत में इसे सफलता से स्थापित और लोकप्रिय बनाने में सिर्फ यह चला बिहारी का ही हाथ है !
जवाब देंहटाएंबधाई चार वर्ष पूरे करने के लिए !
उनकी गलती नही है भैया । भीषण मिलावट के दौर में शुद्धता पर विश्वास करना इतना आसान भी तो नही । खैर इस अनूठे ब्लाग के शानदार चार साल पूरे होने की आपको ढेर सारी बधाइयाँ ।
जवाब देंहटाएंमैं तो काफी देर से तमाम छूटी हुई पोस्टों को देख रही थी । आप जब भी कुछ लिखते हैं आसपास को बडी आत्मीयता से समेटकर चलते हैं जैसे इसी पोस्ट में कलकत्ता के पकवानों व मेजबानी से जुडी बातें । इसके साथ भाषा का माधुर्य भी इसे अनूठा बनाए हुए हैं ।
आपके लेखन पर आपकी छाप ऐसी लगी होती है कि एकदम पहचान में आ जाता है - लगता है व्यक्तित्व ही सामने आ खड़ा हुआ हो .लोक भाषा की सहज भंगिमा में जैसे कोई बड़े निजीपन से आँखों देखी बात सुना रहा हो और हम बहे चले जाते हैं .
जवाब देंहटाएंचार वर्षों से जो लोक-गंगा प्रवाहित कर रहे हैं वह सदा जन-मन सींचती रहे और हमें आपकी आत्मीयता का संस्पर्श देती रहे !
शब्दों में जान कहाँ ? वो तो आपके जैसा कोई कलाकार ह्रदय ही उसमे जान डालकर जानदार शानदार बनाता है लेखन को अब तो मुझे भी आपके लेखन की लत सी लग गई है सलिल जी, ऐसे ही जानदार,शानदार लेखन से हमें मन्त्रमुग्ध करते रहिये जो मजा चलने में है वह मंजिल में कहाँ :)
जवाब देंहटाएंलेखन के यह चार साल पुरे होने की ख़ुशी में मेरी तरफ से भी बहुत बहुत शुभकामनाएं !
@ रोज निकलने अऊर डूबने वाला चाँद त सबलोग देखता है, बाकी ऊ चाँद में रोटी, कटोरा, अठन्नी, महबूबा त कोनो कबि चाहे सायर को ही देखाई देता है.
जवाब देंहटाएंइन पंक्तियों को पढ़कर एक कहीं पर पढ़ी हुयी बात याद आ रही है !
सबसे प्रथम चाँद पर गए वैज्ञानिकों में एक वैज्ञानिक की पत्नी कवयित्री थी सो उसने अपने पति की तुलना चाँद से करते हुए एक कविता लिखकर अपने पति को दिखाई पति बेचारा नाराज हो गया ! एक वैज्ञानिक की नजरों से चाँद कुछ और दिखाई देगा कवि को कुछ और दिखाई देगा ! कहने का मतलब सुंदरता कुरूपता देखने वालों की नजरिये पर निर्भर करती है !
चार साल पुरा करने पर बधाई। लिखते चलें।
जवाब देंहटाएंदारुण, सलिल भाई दारूण ……! यह भीषोण किस्सागोई है कि सच सपाट न लगे और झूठ को मान जाने का मन करे. आपकी कलम को यह वरदान प्राप्त है.
जवाब देंहटाएंपुनश्च: आपके ब्लॉग रेड़ी रेकनर पर अभी भी त्यागी उवाच: कारोबार-सेमिनार चिपका है. मानना पड़ेगा रोशगुल्ला वाकई भिशोण था!!!
जवाब देंहटाएंbhishon sundar............
anek bhalo.......
pranam.
ब्लॉग का happy बड्डे मुबारक हो दादा :-)
जवाब देंहटाएंआपको पता है दादा अगर सच्ची बात लोगों को किस्सा लगे और और किस्सा सुनाएँ तो वो सच लगे ये लिखने/बोलने वाले का हुनर है.......और कुदरत ने ये हुनर आपको बख्शा है ....
we are proud to have you around :-)
सादर
अनु
बाते बाते एतना शुंदोर यात्रा बिहारी का, मामूली कभी लगा नहीं, बस लगा एक ठो भीशौन शुन्दोर ब्लॉग है और इस ब्लॉगर का क्या कहना - शब्द नहीं
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं ! :)
जवाब देंहटाएंचार साल की यात्रा में भिशॊन शॊन्दर रोशोगुल्ले जैसी घटनाएं पढ़ने को मिलीं । यूँ ही ये यात्रा चलती रहे । शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंभिशोन शुंदोर लिखेछेन। खूब भालो लागलो पोढ़े। कलम इसी तरह चलती रहे। …… शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंअब किस्सा इतना सुन्दर हो तो झूठा सच्चा का कौन परवा करता है ... और भालो भालो कलम चली हो तो आनद कई गुना बढ़ जाता है .. फिर आप चार साल निकाल दिए पर हमें तो लगता है बरसों का साथ है .. कोने कनेक्सन तो होगा ही ... बधाई और शुभकामनायें .. यूँ ही सफर चलता रहे ...
जवाब देंहटाएंभिशोण वाला बधाई ........ :D
जवाब देंहटाएंबस लिखते रहिये, बढ़ते रहिये. बाकि जिसे जो कहना है कहता ही रहेगा।
जवाब देंहटाएंWho cares :)
आप ऐसे ही झुट्ठे खिस्से लिखते रहें हरमेशा..:) बधाई
जवाब देंहटाएंparmatma se yhi prathna h ki aap aisan hi likhatey rahe aur humka bihari sikhate rahe... :P
जवाब देंहटाएंbadhai 4 sal pure hone pe..happy bday blogu :)
बहुत - बहुत बधाई भैया ... और आने वाले कई वर्षों के लिये शुभकामनाएं .... सादर !
जवाब देंहटाएंफ़ालतू बातों को ध्यान ही क्यों देना चचा....!!!!!
जवाब देंहटाएंब्लॉग को अ वैरी हैप्पी बर्थडे !!!!!!!!!!! चार साल हो गया और देखिये पता भी नहीं चला :) :) :)
We are really proud to have you chacha!!!! :)
बहुत बहुत बधाई !!...ऐसे ही लिखते रहें...शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंबधाई!!! इस चार साल के सफर की...बना रहे ये सफर यूं ही वर्षों-वर्षों तक और हमें सुनाता रहे इस सफर के किस्से सही-सही...आपकी वाणी में दम है ...
जवाब देंहटाएंब्लॉग की 4थी सालगिरह .... बहुत-बहुत बधाई सहित शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंआपकी कलम का ज़ादू ऐसे ही सालों साल अपने नये -नये किस्सों से ऊंचाईयों पर रहे
सादर
लंबा लंबा सफ़र ऐसहीं कर लेता है आदमी पते नहीं चलता की एतना बखत बीत गया. ब्लॉग की ४थी सालगिरह पर बहुते बधाई आपको.
जवाब देंहटाएंझूठा कहने वाले आपको छेड़ते हैं।
जवाब देंहटाएंसोचने पर मजबूर करने वाली आपकी कामना में ’चार’ पर हमें ऐतराज है। बदलने को नहीं कहता, हम अपने हिसाब से पढ़ लेंगे लेकिन प्रोटेस्ट जताना भी तो जरूरी है :)
बधाई हो।
सलिल चचा...जिसको जो कहना है...मानना है, कहने-मानने दीजिए...| आप दिल से दिल की बात लिखते हैं और लोग उसे उतना ही दिल से पढ़ते हैं...| बाकी जो जले, जलने दीजिए...| कुछ तो लोग कहेंगे ही न...:)
जवाब देंहटाएंइतने सुन्दर लेखनी से सजे ब्लॉग को belated happy vala b'day...:)
बहुत - बहुत बधाई !
जवाब देंहटाएंसफ़र यूँ ही चलता रहे यही कामना है.
ब्लॉग की 4थी सालगिरह . बहुत-बहुत बधाई सफ़र यूँ ही चलता रहे शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई...दिल से
जवाब देंहटाएंये कलम का जोर ऐसहिं चालता रहे ..शुन्दोर लागता है ..
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत हार्दिक बधाई!
भिन्न-भिन्न प्रसंगों को एक ही संदर्भ में गूंथ देना आपके लेखन की अनेक विशिष्टताओं में सबसे विशिष्ट है।
जवाब देंहटाएंब्लाग लेखन के चार वर्ष पूर्ण होने पर हृदय से बधाई !
आपकी सर्जना गुणोत्तर श्रेणी की तरह विस्तारित होता रहे, ...अशेष शुभकामनाएं !
ब्लॉग लेखन की 4थी सालगिरह पर बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंआपकी कलम का ज़ादू बहुत ही कमाल का है जो पिछले चार साल सभी के ऊपर चढ़ा हुआ है
वाह भिशोन सुन्दर लेखन..... चार साल की अथक .. आनंददायक यात्रा की हार्दिक बधाइयाँ.... ऐसहीं लिखते रहिये ... आनंद में रहिये ..
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