बचपन में हमलोग बईठकर एगो खेल खेलते थे. एक तरफ से एगो टीम का लोग कोनो जगह या ब्यक्ति का नाम बोलता था अऊर दोसरा टीम के तरफ से उस जगह या आदमी से सम्बंधित बात, एक सब्द में बोलकर उसका जवाब दिया जाता था.जईसे पहिला टीम से आवाज आया बापू त दोसरा टीम जवाब देता था महात्मा गाँधी. फिर दोसरा टीम बोला नेताजी, त जवाब मिला सुभास चंद्र बोस. अब एही से देख लीजिये कि नेताजी बोलने सए कोई लालू जादब का नाम नहीं याद करता है, चाहे बापू कहने से भी अपने पिता के जगह रास्ट्रपिता को ही याद किया जाता है. अंग्रेजी में इसको सॉब्रिके (Sobriquet) कहते हैं.
कोई कोई जगह के साथ ओहाँ का कोनो परसिद्ध चीज का नाम अईसा जुट जाता है कि ऊ जगह नाम सुनते ही ऊ चीज का फोटो दिमाग में छप जाता है. अब आगरा का नाम सुनने से ताजमहल का फोटो अपने आप देखाई देने लगता है. मथुरा का पेड़ा, इलाहाबाद का अमरूद, करनाल का चप्पल, भदोही का कालीन, कानपुर का ठग्गू का लड्डू, पटना का गोलघर, सिलाव का खाजा, सरईसा का खईनी आदि. ई सब जगह से, ऊ सब निकाल दीजिये जिसके लिये ऊ परसिद्ध है त उसका इम्पॉर्टेंस खतम हो जाता है. अब भदोही से कालीन निकाल दीजिये त कौन जानता है कि उत्तर प्रदेस में इस नाम का कोनो जगह है. बस एही समझिये कि नाम में का रखा है, सेक्सपियेर साहेब एही देखकर बोले होंगे, काहे कि एही जो चीज है ऊ गुलाब को गुलाब बनाता है अऊर करनाल को करनाल, नहीं त नाम में का रखा है! अब सन् 2010 में से घोटाला अऊर कॉमनवेल्थ खेला में से कालमाडी निकाल दीजिये त ई दूनो मॉस्ट ऑर्डिनरी या लाइक एनी अदर इयर एण्ड गेम रह जाएगा.
देखिये न एही फेरा में लखनऊ त छुटिये गया. लखनऊ का नाम सुनकर लोग को भूलभुलैया याद आ जाता है. मगर हमको नहीं. हमको ई नाम सुनते ही अमृतलाल नागर जी याद आते हैं अऊर हमरा तीर्थस्थान गुरुदेव के. पी. सक्सेना जी का निबास याद आता है. इलाहाबद में घर होने के बावजूद भी हम कोनो परीच्छा का सेंटर लखनऊ भर दिये थे, ताकि हमरा तीर्थयात्रा हो सके. हमरे साथ हमरा एगो दोस्त भी था, जिसके मामा के घर हमलोग को रुकना था. रास्ता में एगो पुराना मकान देखाकर ऊ दोस्त का भाई हमको बताया कि एही मकान में परसिद्ध वायलिन वादक वी.जी. जोग रहते थे कभी. आज भी उनका नेम प्लेट लगा हुआ है. मन खुस हुआ, मगर हम बेचैनी से पूछे कि के.पी. सक्सेना का घर कहाँ है. अऊर खुसी का ठिकाना नहीं जब पता चला पास में.
नहा धोकर निस्चिंत हुए अऊर साम को बोले ले चलो उनके घर. हमरे पिता जी साथ में थे, अऊर गुरुदेव भी रेलवे में थे इसलिये ऊ भी रिस्ता बना हुआ था. हलका रोशनी में छोटा सा मध्यमवर्ग का घर. हम उनका पैर छुए अऊर उनका सिर पर हाथ पड़ा. फिर बहुत सा बात, हमसे पढाई लिखाई का अऊर पिता जी से रेलवे का. एतना सांति से बात करते कि लगबे नहीं करता कि एही आदमी एतना मजेदार हास्य लिखता होगा. परिबारके लोग से मिले अऊर बस हमरा तीरथ हो गया.
परिच्छा के बाद धमक गये नागर साहब के घर. लगबे नहीं किया कि हमलोग अजनबी हैं. बईठ गये आँगन में अऊर लगे बतियाने. हम चारो तरफ नजर दौड़ाए आँगन में अऊर घर पर. ई वही मकान था जिसमें श्याम बेनेगल का फिल्म जुनून का पूरा सूटिंग हुआ था. हमको आजतक अपना जीबन में रोमाण्टिक कहानी के नाम पर पर्ल बक का उपन्यास “कम माई बिलवेड” अऊर रस्किन बॉण्ड का लघु कथा “फ्लाईट ऑफ द पिजन्स” सबसे अधिक पसंद है. रस्किन बॉण्ड के इसी कहानी पर ससि कपूर का बनाया हुआ था सिनेमा जुनून.
नागर साहब अऊर सब लोग को भूलकर हम 1857 में खो गए थे, सिनेमा के सब कलाकार के याद में. ओही सीढी से ऊपर जाकर हमको रूथ लाबादूर अऊर कोना में ऊपर ताकता हुआ जावेद ख़ान अऊर सामने वाला कमरा में बेग़म देखाई दे रही थी. डरी हुई मिसेज़ लाबादूर अऊर खाँसती हुई अम्मी जान (इस्मत आपा). हमको लगा कि हम ओही सिनेमा के एगो हिस्सा हैं. सब कुछ हमरे आँख के सामने हो रहा है. जब बर्तमान में लौटे तो मुँह से सवाल फूटा, “फिल्म की शूटिंग के लिये कैसे खोजी उन्होंने यह जगह?”
“पृथ्वीराज के बेटे की फिल्म थी.मना नहीं कर सका” पूज्य नागर जी ने कहा.
पृथ्वीराज के बेटे, यानि ससि कपूर. जितना अच्छा कलाकार, उससे भी अच्छा फिल्ममेकर. उनका प्रोडक्सन हाऊस “फिल्मवालास” के लिए बहुत अच्छा-अच्छा फिलिम का निर्मान किये ससि कपूर, जैसे 36 चौरंग़ी लेन, विजेता, जुनून, अजूबा, कलयुग आदि. सही माने में पृथ्वीराज के पुत्र. मुम्बई जब हम गये तो जुहु तट पर जानकी कुटीर नाम का जगह पर पेड़ के झुरमुट में बना पृथ्वी थियेटर्स देखाई दिया. हर अच्छे कलाकार का तीरथ अऊर हमरे लिये मंदिर से कम नहीं. इसी के आसपास कभी स्मिता पाटील, नसीरुद्दीन शाह, कुलभूषण खरबंदा (अपने ही फेभरेट लोग का नाम लिख रहे हैं) और उनसे पहिले पापा जी पृथ्वीराजकपूर रहते थे. ससि जी, पापा जी के परम्परा को खाली जीबित ही नहीं रखे, बल्कि उसको आगे बढाये.साथ मिला पत्नी जेनिफर केंडल का, जो खुद महान सेक्सपियराना के गुरू जेफरी केंडल की पुत्री थीं. मुम्बई में जब पृथ्वी थियेटर्स हम गये तो हाथ उठाकर भगवान से एक्के प्रार्थना किये (जो हम जानते हैं कि कभी पूरा नहीं हो पाएगा अब) कि एक बार इस मंच पर ऑथेलो करने का मौका दिला दो.
हमरी सिरीमती जी के आँख में आज भी ससि कपूर का पुराना सिनेमा देखकर एगो अजीब चमक आ जाता है, जिसको देखकर हम तनिक भी जलन नहीं महसूस करते हैं. हम तो खुदे चाहते हैं ससि कपूर को. आज ससि कपूर हस्पताल में बहुत दिन से भरती हैं. एगो सोख,चंचल और अच्छा इंसान बिछावन पर है, पता नहीं केतना सुई भोंकाया है देह में, चेहरा पहचान में नहीं आता है, बोल नहीं पाते हैं. आखिरी बार कोनो पुरस्कार समारोह में उनको देखे थे व्हील चेयर पर जब कुछ भी नहीं बोल पा रहे थे.
हे भगवान! नाट्यकला का सच्चा पारखी, इस आदमी को जल्दी से अच्छा कर दो!
आपकी पोस्ट पढते पढते जनून फिल्म ही आँखों के आगे घूम रही थी, खासकर उ पेड़ों पर फांसी पर लटके योधा........ और जब नसीरूद्दीन आ कर कहता है, नवाब साहेब (सायद यही) हम जंग हार गए हैं......... और हाँ, वो फकीर .............
जवाब देंहटाएं@एक बार इस मंच पर ऑथेलो करने का मौका दिला दो.
राम जी जरूर सुनेगे...........
शशि कपूर के प्रशंसकों में तो हम भी हैं .भगवान उन्हें जल्द अच्छा करे .
जवाब देंहटाएंजुनून मुझे भी बहुत पसंद है पर यह पता नहीं था कि इसकी शूटिंग नागर जी के घर में हुई थी। जानकारी के लिए शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंशशि कपूर जी का सार्थक सिनेमा में बहुत योगदान है। ईश्वर उन्हे लम्बी आयु प्रदान करे।
शशि जी के लिए हम भी चिंतित हैं...जयपुर में सन उन्नीस सौ बहत्तर में पृथ्वीराज थियेटर समारोह हुआ था तब उन्हें चीफ गेस्ट के रूप में बुलाया था...हम तब नाटक के प्रति बहुत दीवाने थे...(आज भी हैं) कालेज के बाद का सारा समय जयपुर के रविन्द्र मंच पर गुज़ारा करते...तभी शशि जी मुलाकात हुई और एक आध घंटे की नहीं कोई तीन चार घंटे की...अपने नाटक प्रेम पर चर्चा रहे...बहुत दिलचस्प इंसान है वो...
जवाब देंहटाएंजब से खोपोली आये थे पृथ्वी थियेटर देखने की तमन्ना पाले हुए थे आख़िर अपना साठवां जनम दिन हमने पृथ्वी थियेटर जा कर मनाया...वहाँ गये नाटक देखा आत्मा तृप्त हो गयी...जनम दिन यादगार रहा...हमारे लिए भी वो तीर्थ स्थान से कम नहीं...
हम भी शशि जी के शीघ्र स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करते हैं...
नीरज
ओह तो ये बात है शशि कपूर बीमार है इसी कारण आज हमें दो बार उनके बारे में देखने और पढ़ने का मौका मिल गया | आज सुबह ही एन डी टीवी पर भी उन पर एक फीचर देखा वहा भी उनके थियेटर प्रेम के बारे में बताया जा रहा था | मुझे नहीं पता था की उनका थियेटर से इतना जुड़ाव है हा उनके प्रोडक्शन में अच्छी फिल्मो के निर्माण के बारे में पता था | दो चीजे और यहाँ जोड़ दो सुबह बताया की वो फिल्मो से नहीं जुड़ना चाहते थे जबकि बाल कलाकार के रूप में वो दर्जन भर फिल्मे कर चुके थे सिर्फ पैसे के लिए फिल्मे करना शुरू किया उनका पहला प्यार थियेटर ही था और दूसरी की उन्होंने कई ब्रिटिश और अमेरिकन अंग्रेजी फिल्मो में भी काम किया था जो कलात्मक थी व्यावसायिक नहीं | वो शीघ्र स्वस्थ हो जाये यही कामना है |
जवाब देंहटाएंसंस्मरण बढ़िया लगा, रोचक।
जवाब देंहटाएंशशिकपूर जी को मैं भी काफी पसंद करता हूँ।
भैया, हमारी भी शुभकामना!
जवाब देंहटाएंबढ़िया संस्मरण....
जवाब देंहटाएंशशि जी शीघ्र स्वस्थ हों यही हमारी प्रार्थना है ....
आपकी दिवानगी का रोचक संस्मरण!!
जवाब देंहटाएंशशिकपूर जी के लिये शुभकामनाएं।
रोचक संस्मरण
जवाब देंहटाएंशशि कपूर जी के लिए शीघ्र स्वाथ्य लाभ की कामनाये।
संस्मरण अच्छा लगा , शशि जी और शम्मी जी दोनों अस्पताल में है ..दोनों के जल्दी ठीक होने की दुआ करे
जवाब देंहटाएंशशि कपूर ने सिनेमा के इस अति व्यवसायिक दौर में एक से एक श्रेष्ठ फिल्मे दी और साथ ही प्रथ्वी थियेटर को अपना जीवन समर्पित किया \करीब पांच साल पहले दिनेश ठाकुर द्वारा मंचित नाटक " हमेशा ""प्रथ्वी थियेटर में देखने का मौका मिला था |समय से पहले थियेटर में पहुँच गये थे और तभी देखा था बाहर केंटिन के पास एक बेंच पर शशि कपूर जी को बिलकुल सफेद कुरते पजामे में बैठे हुए उनसे बात करने का अवसर भी मिला पर शब्द ही गुम हो हो गये इतनी बड़ी शख्सियत को अपने सामने पाकर |सिर्फ नमस्ते कर उनको निहारे आगे बढ़ गये |मालूम पड़ा वे हर शो में इसी तरह मुस्कुराते हुए वहां बैठते है |
जवाब देंहटाएंईश्वर से प्रार्थना है की जल्द ही स्वस्थ हो |
आपका संस्मरण ,श्रधेय के .पि.सक्सेनाजी का आत्मीय भरा मिल्न सब कुछ मानस पर अंकित हो गया \|
sachmuch.... jis samay log cinema men risk lene se bachte the...shashi ji ne saarthak cinema ko ek sahara diya.... ek umda abhineta hone ke sath sath ek achhe nirmata bhi the.. bhagwaan unka swasthya behtar karen.....
जवाब देंहटाएंपृथ्वीराज के बेटे, यानि ससि कपूर. जितना अच्छा कलाकार, उससे भी अच्छा फिल्ममेकर. उनका प्रोडक्सन हाऊस “फिल्मवालास” के लिए बहुत अच्छा-अच्छा फिलिम का निर्मान किये ससि कपूर, जैसे 36 चौरंग़ी लेन, विजेता, जुनून, अजूबा, कलयुग आदि.
जवाब देंहटाएंपृथ्वी पुत्र शीघ्र स्वस्थ हों ...शुभेच्छा
शशि कपूर के बारे में इतनी गहन जानकारी नहीं थी, लेकिन फ़िर भी वो हमारे बहुत पसंदीदा अभिनेता रहे हैं। कालेज में गये तो ये पसंदगी और बढ़ गई, अपना एक मित्र दिखने में काफ़ी कुछ शशि कपूर जैसा दिखता था। ’मृच्छकटिकम’ पर आधारित फ़िल्म ’उत्सव’ भी शायद शशि जी ने ही बनाई थी। उनके शीघ्र स्वास्थ्य-लाभ की ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।
जवाब देंहटाएंलखनऊ का अपना संस्मरण बताकर आपसे रश्क की मात्रा बढ़ा ली है आपने। के.पी. साहब और नागर जी से आशीर्वाद पाया है आपने, थोड़ा सा सरकाईये इधर भी। नागर जी के ’एक दिल हजार अफ़साने’ ने ही बहुत असर डाला था अपने अप्र, लेकिन वो कहानी फ़िर सही।
2010 बोलने से 4-5 नामों का कम्पटीशन हो जायेगा।
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यार से लिखा है आपने....शशि कपूर से सम्बंधित सभी यादें ताजा हो गयीं...
जवाब देंहटाएंपत्नी की मृत्यु के बाद से ही शशि जी ने अपना खयाल रखना छोड़ दिया था...इतने स्लिम..हमेशा फिट रहने वाले शशि जी, ने इतना वजन बढ़ा लिया था .देख कर ही दुख होता था.
वे जल्दी से अच्छे हो जाएँ और फिर पहले की तरह अपना ख़याल रखना शुरू कर दें...यही प्रार्थना है ईश्वर से.
लखनऊ ...के०पी० सक्सेना...नागर जी...शशि कपूर...पृथ्वी थिएटर...बात निकलेगी तो बहुत दूर तलक जायेगी...यादों के एक लंबे सफर पर ले जाने के लिए धन्यवाद . शशि कपूर जी जल्द स्वस्थ हों यही प्रार्थना है.
जवाब देंहटाएंशशि कपूर साहब को जल्द से जल्द स्वास्थ लाभ हो यहीं दुआ है !
जवाब देंहटाएंआपकी एक और बेहद उम्दा पोस्ट .... बहुत बहुत आभार ! आपकी यादें इतनी हसीन है कि कभी कभी जलन होती है !
वैसे ... एक बात पूछनी थी ... मैनपुरी के नाम से क्या याद आता है ?
suruchipurn tareeke se likhi hui behad manoranjak baaten.
जवाब देंहटाएंशशि कपूर शीघ्र स्वस्थ हों,यह कामना हमारी भी है।
जवाब देंहटाएंसंस्मरण बहुत ही आत्मीयता से लिखा है, और अपने साथ कई दौर को जीवंत कर गया।
लिची से जुड़े सहर का नाम गिनैबे नहीं किए।
के पी सक्सेना जी के व्यंग के तो हम भी बहुत कायल है...... यह पोस्ट हर मायने में बहुत सुंदर लगी. बस शशी कपूर जी के भगवान तनिक जल्दिये ठीक कई दा.........
जवाब देंहटाएंपृथ्वी पुत्र शीर्षक पढ़ कर हम एकदम नहीं बूझ पाए थे कि ये कुछ शशि कपूर का मामला निेकलेगा, पृथ्वी थियेटर भी तो संजना जी के ही जिम्मे है शायद.
जवाब देंहटाएंएक पृथ्वी पुत्र ही दूसरे पृथ्वी पुत्रों को याद करता है। (पुत्रियां बुरा न मानें,वे भी ऐसा करती हैं।)
जवाब देंहटाएंफोटबा तं बहुत सुंदर लगावा है ससि कपुरबा का ...
जवाब देंहटाएंसीपिया टोन वाली शशि की यह तस्वीर गजब खोज लाये बिहारी भाई...वाह
जवाब देंहटाएंआपका पोस्ट पढ़कर अईसा मजा आया कि एके सुरूकिए में पूरा पढ गए।
जवाब देंहटाएंखुश रही-ठंढा में एकरे के आशीर्वाद समझी।
फिल्म कभी कभी में जो मित्रवत पिता का रोल शशि कपूर जी ने किया था ,उसने पिता-पुत्र के संबंध को नये आयाम दिये ।
जवाब देंहटाएंआपका कहानी सुनकर हमको अपने पिताजी का बात याद आ जाता है. बहुत मजेदार कहानी होता है आपका उर उतने मजेदार तरह से आप सुनाते भी हैं.
जवाब देंहटाएंएक ठो बात और बता देते हैं आपको इसी बात पर. हमारा जो किरदार है ना रामोदार. ऊ उन्ही के कहानी से लिए हैं.
आपके लिखने का तरीका सबसे अच्छा लगता है. इन्तजार करते हैं आपके लिखने का.
इस संस्मरण में अमृत लाल नागर, के. पी. सक्सेना, वी.जी. जोग जैसे नामों को पढ़कर बहुत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंश्रीमती एन.राजम् के बाद वी.जी.जोग का वायलिन वादन मुझे पसंद है।
शशि कपूर जी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए शुभकामनाएं।
सरस प्रस्तुति के लिए बधाई।
शशी कपूर -शम्मी कपूर आदि के शीघ्र स्वास्थ्य-लाभ की कामना करने में हम भी आपके साथ हैं.
जवाब देंहटाएंशशि जी शीघ्रातिशीघ्र स्वस्थ हों, हमारी यही कामना है।
जवाब देंहटाएं---------
पति को वश में करने का उपाय।
मासिक धर्म और उससे जुड़ी अवधारणाएं।
शशि कपूर शीघ्र स्वस्थ हों,यह कामना हमारी भी है। संस्मरण बहुत ही आत्मीयता से लिखा है...
जवाब देंहटाएंशशि कपूर मुझे भी बहुत अच्छे लगते थे, ईश्वर से यही प्रार्थना है कि वे शीघ्र ठीक हो जाएँ !
जवाब देंहटाएंNice post .
जवाब देंहटाएंजनाब को आदाब ! आपके लिए नया साल अच्छा गुज़रे ऐसी हम कामना करते हैं। आपकी फ़ोटो अच्छी लगी।
हम तो बस आप ही को देखा किये।
हम फ़क़ीरों को यादे मौला के सिवा और चाहिए ही क्या ?
लेकिन आप ने बनाई है तो पोस्ट को भी सराहना पड़ेगा और है भी अच्छी,
सचमुच !
आपकी जिज्ञासाओं को शांत करेगी
प्यारी मां
ये लिंक्स अलग से वास्ते दर्शन-पठन आपके नेत्राभिलाषी हैं।
http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2010/12/virtual-communalism.html
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/12/patriot.html
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/01/standard-scale-for-moral-values.html
http://mankiduniya.blogspot.com/
http://pyarimaan.blogspot.com/
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http://islamdharma.blogspot.com/
http://vedquran.blogspot.com/
मेरे दिल के हर दरवाज़े से आपका स्वागत है।
हम भी ससी कपूर, जुनून और रस्किन बॉंड का फैन हूँ।
जवाब देंहटाएंsachche me bade bhaiya aap bhi prithvi putra hai...kaise kaise dimag me baitha lete hain puranka baat aur fir jhat se likh marte hain...:)
जवाब देंहटाएंsachche bole, ham inme se jinke bare me aapne likha jayda jankari nahi rakhte, sirf Shashi kapoor ko chhod kar,lekin fir bhi pura padh gaye...aur aisan laga jaise ham bhi aapke saath the, jab aap nagar sahab ke angan me the...:)
dhanya ho aap bade bhaiya...:)
waise ham bhi kamm dhanya nahi hai, aakhir bhai jo thahre..:D....u bhi chhotka
aadarniy bhai ji
जवाब देंहटाएंaapke blog par aakar ek alag tarah ki sukhanubhuti hoti hai.
bahut hi achhi bhashhha aur achhe shabdo ka prayog
aapki lekh ki rochkata ko badha deta hai.aadarniy shashi sir ke baare me itna kuchh pata hi nahi tha vo to aapke lekh ko padh kar pata chala. karan main bhi pichhle teen saalo se sir-dard se pidit hun isliye t.v,news vagairah bilkul bhi dekhti nahi hun han! kabhi -kabhi sunne me aa jata hai.
ishwar se yahi prarthana hai ki aadarniy shashi kapoor ji jald se jald achhe ho jaayen ,yahi ham dil se unko shubh -kamna dete hain.
bhai ji ,aapko bahut bahit dhanyvaad meri truti batane ke liye .mujhe bahut hi achh laga.
asal me type karte samay mere man me yah baat aai thi fir socha ki pura kar lun tab sahi karungi.fhir vo dhyan se hi utar gaya ,sham tak use theek kar lungi.aapko punah hardik dhanyvaad
meri galti ki taraf mera dhyan dilane ke liye.
aapki bhasha meri baliya ki bhasha se milti hai aur main bhi allahabad ki rahne wali hun aur shayd sir k.p.saxena ji ko hamare swasur ji kafi achhi tarah se jante hain.
bahut hi achha sansmaran laga.
poonam
देखिये क्या समय आ गया है....आपके माध्यम से पता चला कि शशि कपूर जी अस्वस्थ हैं,नहीं तो अखबार का कोनो पन्ना,टी वी का कोनो सेकेण्ड इसे खबर नहीं बनाया....
जवाब देंहटाएंबड़ा ही रोमांचक लगा आपका संस्मरण...
चचा जी अब का बताएं... ससी कपूर जी सनीमा के मजेदार कलाकार हैं.... परफेक्ट. हमको भी अच्छा लगते हैं. मगर झूठ नहीं बोलेंगे हम उनका फाइन-उन तो नाहीये रहे हैं मगर आपके आलेख के अंत तक आते-आते आँख लोर गया. "हे भगवान! नाट्यकला का सच्चा पारखी, इस आदमी को जल्दीसे अच्छा कर दो!" ई तो हुई एक बात और दूसरी बात ई कि इ संस्मरण पढना हमरे लिए एक उपलब्धि जैसा रहा. केतना बारीकी से आप स्मृति की श्रृंखला की कड़ियाँ जोड़ते हैं....... ! सब कुछ जीवंत हो उठता है. !
जवाब देंहटाएंभोत संस्मरणात्मक हो रहे हो बाबू ..खैतियत तो hai ...?
जवाब देंहटाएंपुरानी फिल्मो में शशि कपूर और आज कि फिल्मो में शाहरुख़ खान बस इनके अल्वा कभी कोई तीसरा फ़िल्मी हीरो फेवरेट नहीं हुआ !!!!
जवाब देंहटाएंशशि साहब ज़ल्द ही अच्छे होंगे ये हमें उम्मीद है !!!
आपका लेख पढ़कर कुछ कुछ गर्व सा हुआ कि मैं इसी अवधी संस्कृति का हूँ|
जवाब देंहटाएंसादर
शशि कपूर ... नैन मिलाकर चैन चुराना किसका है ये काम, वक़्त करता जो वफ़ा, उड़े पंछी टोली में ... एक अंदाज था।
जवाब देंहटाएंमेरी दूसरी दीदी उनकी गजब की फैन थी, उनको पत्र लिखा था, जवाब आया था और साथ में फोटो, उस समय वह अस्पताल में एडमिट थी, पापा ने कुछ नहीं कहा, बस कहा था, क्या करती हो बेटा :)
आज वो सारे पल आँखों से गुजर गए। वह चिट्ठी आँखों के आगे फड़फड़ाया, मुस्कुराता चेहरा दिखा।